पड़ोसन को बिर्य चखाया

नमस्कार मित्रो, मेरा नाम अभय हैं और मैं आज आप को अपनी गरम पड़ोसन उर्मिला की बात बतानें जा रहा हूँ. वैसे उर्मिला आंटी कहना ही ठीक हैं क्यूंकि वो मुझ से 10 साल बड़ी हैं, करीब 30 की. उसका एक बेटा हैं जो 4 साल का हैं. उसका पति अविनाश एक कंपनी में नाईट शिफ्ट करता हैं. उर्मिला आंटी को सोसायटी में आये हुए कुछ 3 हफ्ते हुए थे तब की यह बात हैं. उनका मकान मेरी बिलकुल बगल में हैं इसलिए वो कभी कभी मुझे कुछ छोटे मोटे काम दिया करती थी.

उस वक्त रात के कुछ 8:30 बजे थे लेकिन ठंडी होने की वजह से सोसायटी में कोई बहार नहीं था. मैं अपने घर से बहार निकला और दोस्तों के पास जाने के लिए चल पड़ा. तभी पीछे से आवाज आई, “अभय, बाजार जा रहें हो क्या?”

मैं मुड के देखा की उर्मिला आंटी अपने दरवाजे से बाहर निकल के खड़ी थी. उसने नीले रंग की नाईट गाउन पहनी थी. साला पूरा शहर ठंडी के चलते गांड में ऊँगलीडाल के सोता था एयर मेरी यह पड़ोसन सिर्फ नाईट गाउन में? सच में उसका नाम गरम पड़ोसन रखना उचित ही था.

मैं: हाँ, मैं नुक्कड़ में जाऊँगा.

उर्मिला: मुझे दूध की थेली ला दोंगे? अविनाश नहीं लाये थे आज और वो जॉब पे चले गए.

उर्मिला ने मुझे 20 का नोट दिया और मैं मन में गालियाँ देते ही नुक्कड़ की और बढ़ा. रस्ते में मुझे उर्मिला आंटी की चौड़ी छाती के ही विचार आ रहे थे. मैं आज से पहले कभी भी उसे नाईट गाउन में नहीं देखा था, और साडी में उसकी वो बड़ी चुंचियां जैसे छिप जाती थी. मेरे लंड में हलचल हुई कुछ, हालांकि मैंने शाम में ही मूठ मारी थी. मैं यही ख्यालों में दूध ले के भी आ गया. कमरे पे नोक करते ही उर्मिला उठ के आई. उसने दरवाजा खोल के दूध लिया और बोली, “आओ अभय चाय पीते हैं.”

मैं सोचा की ठंडी में चाय का न्योता कौन ठुकरायें, लेकीन मैंने फिर भी ना कहा.

उर्मिला आंटी: अरे आओ ना वैसे भी हम दोनों ही हैं, मुन्ना सो गया हैं मुझे भी बोर लग रहा हैं.

उसकी बातों में एक खिंचाव था जैसे की. मैंने जूते निकालें और अंदर आ गया.

उर्मिला आंटी की वो नीली गाउन देख के लंड जैसे जींस फाड़ने को उतारू हुआ था. मुझे अभी सभी गरम पड़ोसन आंटी और भाभी की स्टोरी याद आ रही थी जैसे. उनका कमरा छोटा था और किचन भी साथ में ही था. आंटी किचन में चाय बना रही थी और मेरा ध्यान उनकी गांड पे ही था. 5 मिनिट में वो चाय के दो कप ले आई. उर्मिला आंटी मेरी बगल में ही आके बैठ गई, और उनका कूल्हा मुझे टच भी कर गया. क्या मस्त ठंडी ठंडी गांड थी आंटी की. उन्होंने मुझे चाय दी और बातें करने लगी.

आंटी: अभय तुम बड़े अच्छे लड़के हो, मुझे बहुत हेल्प करते हो. मैं अक्सर अविनाश से तुम्हारें बारे में बात करती हूँ.

मैं: थेंक्स, पड़ोसियों को काम करना तो अच्छी बात हैं ना. वैसे अविनाश अंकल को नहीं देखा मैंने कभी भी. वो कहाँ काम करते हैं.

उर्मिला: हा हा हा, अरे अविनाश को कभी कभी मैं भी नहीं देख पाती हूँ. वो शादी के तिन महीने के बाद से ही नाईट में लगे हुए हैं. मुन्ना कब बड़ा हुआ वो भी उन्हें पता नहीं हैं.

मैं: तो ऐसे तकलीफ नहीं होती हैं.

आंटी: तकलीफ औरत को नहीं होंगी तो और किसे होंगी लेकिन कहाँ जाएँ किसे दुखड़े सुनाएँ.

मैं: अरे आंटी आप को कभी भी हेल्प की जरुरत हो मुझे बताएं. मैं आप कहेंगी वो कर दूंगा, आप दुखी ना हो.

आंटी ने हंस के कहा, “बाबू हर एक चीज के लिए तुझे थोड़ी बूला सकती हूँ.”

आंटी के हाथ लगाते ही लंड खड़ा हुआ

उसकी यह बात सुन के तो लंड और भी टाईट हो गया. हम दोनों धीरे धीरे चाय पी रहे थे. तभी आंटी को जैसे झटका लगा और उसकी चाय धुल के मेरी जांघ के ऊपर आ गिरी. वैसे एक दो बूंद ही गिरी इसलिए मैं जला नहीं. आंटी तुरंत उठ खड़ी हुई, “सोरी अभय मैं पीछे मुड़ी और चाय गिर गई.”

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