कोमल हमारे पी जी  के बाजु वाले घर में रहती थी मैं तब इंजीनियरिंग कर रहा था और वो गर्ल्स कॉलेज से पी जी कर रही थी, मेरा और कोमल का नैन मटक्का तो काफी टाइम से चल रहा था लेकिन कभी उसके साथ सेक्स का मौका नहीं मिला था. एक दिन हमारे पी जी वाले अंकल आंटी किसी यात्रा पर जा रहे थे और बाकि सब होली की छुट्टियों में गाँव गए थे, मैं और मेस वाला बहादुर ही बाकि बचे थे. मैंने कोमल को उस दिन चुपके से एक परचा छत से पकड़ा दिया जिसे पढ़ कर वो मुस्कुराई और उसी के पीछे हाँ लिख कर दे दिया. शाम को अँधेरा होते ही कोमल छत पर आई और पड़ोसियों का ध्यान रखते हुए चुपके से छत के रास्ते से हमारे पी जी वाली बिल्डिंग में आ गयी, मैं वहीँ सीढ़ियों पर खड़ा था वो सीढियाँ उतरते उतरते ही मुझसे लिपट गयी तो मैंने भी जोश जोश में उसे गोदी में उठा लिया.

कोमल को गोदी में उठा कर मैं उसे अपने रूम में ले गया, मेरा रूममेट भी गाँव गया था तो मैंने उसका और अपना बेड जोड़ कर एक ही बना लिया था और कमरे में प्रॉपर साफ़ सफाई भी कर दी थी. कोमल को मैंने बीएड पर लिटाया और भिड़ते ही बेतहाशा चूमने लगा तो वो हंस कर बोली “इतने क्या बावले हो रहे हो, कभी ली नहीं क्या किसी की” तो मैंने झेंपकर कहा “ऐसा नहीं है बस काफी दिनों से मुठ मार कर ही काम चला रहा हूँ”. कोमल ने मुझे हग किया और कहा “अब से नहीं मारनी पड़ेगी, मैं जो आगई हूँ”, मैंने ख़ुशी ख़ुशी उसके होंठ चूम लिए और उसके कपडे उतारने लगा. कोमल थी तो एक देसी लड़की लेकिन कपडे ज़ोरदार पहनती थी और कपडे एक एक कर के जब उतरे तो उसका देहाती देसी जिस्म मेरी आँखों के सामने पूरा नंगा था.

उसके सांवले रंग पर तो मैं फ़िदा था ही लेकिन जैसे ही उसके चूचे और चूत देखे तो मैं और भी बावला हो गया और उसे जी भर के चूमने लगा, कोमल नए मुझसे कहा “तुम अपने कपडे नहीं उतारोगे” ये सुनकर मैंने अपने कपडे उतारे और वो मेरे टैटूज़ को सहलाने लगी. उसका स्पर्श मेरे लिए बहुत कमाल था क्यूंकि वो अपनी उँगलियों के नाखूनों से मेरे जिस्म पर जैसे कोई स्केच बना रही थी, फिर उसने मेरे टैटूज़ को चूमना और चाटना शुरू किया और अब वो मेरे चेस्ट को चूम और चाट रही थी साथ ही कभी कभी मेरे निप्पलस जो कि अब तन चुके थे उन्हें भी अपनी जीभ से सहला रही थी और दांतों के बीच दबा दबा के चूस रही थी.

मैं फुल ओं पॉवर में आ गया था और मैंने उसका सर पकड़ के अपने लंड की तरफ ले गया तो उसने मुझे कहा “सुनो आज पूरी बिल्डिंग खाली है ना” मैंने कहा “हाँ आज कोई नहीं है और मैंने बहादुर को भी फिल्मम देखने भेज दिया है” तो उसने कहा फिर बेडरूम में रात को करेंगे जब बहादुर सो जायेगा लेकिन तब तक हम इस बिल्डिंग के हर कोने में सेक्स करेंगे”. उसकी ऐसी इच्छा सुन कर मेरी बांचें खिल गईं और हम दोनों सावधानी से अपने रूम से बाहर निकले और उसने सीढ़ियों पर रुक कर मेरे लंड को सहलाते हुए चूसना शुरू किया, वो सीढ़ियों के बीच वाले बड़े चौके पर घुटनों के बल बैठी मेरा लंड चूस रही थी और मैं उसी चौके पर दीवार से टिका चुसवा रहा था.

कोमल नए इस खोब्सुर्ती से मेरे लंड को चूसा की मैं उसके इस स्टाइल का दीवाना हो गया था, एक तो उसका देसी लुक और दूसरा उसकी जीभ और होठों का कमाल मेरे लंड का बुरा हाल हो रखा था. कोमल ने जब मेरे गोटों को मुंह में ले कर जब चूसना शुरू किया तो मेरे मुंह से उफ़ निकल गयी हालाँकि दर्द भी हुआ लेकिन मज़ा भी आया, उसके ताज़ा लंगड़े आम जैसे चुचे हिल हिल कर मुझे और मज़ा दे रहे थे उसने जब मेरा ये हाल देखा तो अपने चूचों के बीच मेरा लंड ले कर उसने अच्छे से मालिश की और फिर चूसने लगी. कोमल मेरे लंड पर इतनी हार्ड पड़ेगी ये मैंने सपने में भी नहीं सोचा था. आखिर कर के मेरे लंड नए हार मान ही ली और कोम्मल के मुंह को मैंने अपने गरमा गरम मर्द मक्खन से भर दिया वो भी पट्ठी बड़ी तेज़ थी उसने हँसते हँसते मेरा सारा माल पी लिया.

कोमल अब मेरा हाथ पकड़ के नीचे ले गयी वो किचेन ढूंढ रही थी लेकिन उसे हमारा गेराज मिल गया जहाँ हम अपनी बाइक्स खड़ी करते थे, उसने कहा “अब तुम यहाँ मेरी जवानी की आग बुझाओगे” मुझे उसके इस आईडिया में इतना मज़ा आरहा था कि बस पूछो ही मत. मैंने उसके पूरे शरीर को चूमना शुरू किया और एक हाथ से उसके चूचों को भी मसलता रहा, वो ऊओह्ह आःह्ह्ह करने लगी तो मैंने अपनी एक ऊँगली उसकी चूत में हलके से पेल कर उसके भ्ग्नासे को सहलाना शुरू किया हालाँकि उसकी चूत पहले से गीली थी लेकिन मेरे छेड़ने पर और भी गीली हो गयी. कोमल मेरी इस हरकत से इतनी खुश हुई की जैसे जैसे मैं ऊँगली उसकी चूत में अन्दर बाहर कर रहा था वो गांड मटका मटका कर मेरा साथ दे रही थी, आखिर कोमल नए कह ही दिया “डालो ना अब मेरी चूत में”.

मैंने तुरंत ही कोमल को अपनी बीके की सीट पकड़ा कर घोड़ी बनाया और उसकी चूत में अपना लंड घुसा दिया, एक झटके में घुसने के कारण वो चीख पड़ी तो मैंने उसका मुंह दबा दिया और ज़ोर ज़ोर से झटके देने लगा. वो अब भी चीख रही थी और मैंने झटके पर झटका दिए ही जा रहा था, उसकी चीख रोकने के लिए मैंने जो उसके मुंह पर हाथ लगाया था वो उसे जोश जोश में काटने लगी थी और इसी से मुझे और जोश आया तो मैंने एक हाथ से उसके चूचों को मसलना जारी रखा और झटके भी तेज़ कर दिए कोमल झड़ चुकी थी लेकिन मैं नहीं सो मैं अपनी बीके पर बैठ गया और उसे अपने सामने बिठा लिया और अपना लंड उसकी चूत ममें घुसा कर उसे ऊपर नीचे होने को कहा.

कोमल फिर से रेडी हो चुकी थी और उसने मेरा कहा करना शुरू किया उसके चुचे मेरे मुंह के आगे थे जिन्हें मैं चाट रहा था और वो मेरे लंड पर उठक बैठक कर रही थी, कोमल के इस कमाल के आगे दुनिया की साडी चुदायियाँ फ़ैल थीं. मैंनए उसे ज़ोर ज़ोर से उठ बैठ करने को कहा और उसने वही किया तो मैंने भी झड़ गया और मेरे लंड के मुरझाने से पहले वो भी झड़ गयी. तभी बाहर हलचल हुई और हम दोनों ऊपर मेरे कमरे की तरफ भाग, ये बहादुर था उसने मुझे आवाज़ लगी और मैंने कहा “खाना बना ले मैं पढ़ रहा हूँ अभी आ कर ले लूँगा तू सो जा” बहादुर शायद पी कर आया था सो उसने फटाफट खाना बनाया और सो गया मैं चुपके से नीचे जा कर खाना ले आया और फिर मैंने और कोमल नए खाना खाने के बाद फिर से चुदाई की. कोमल की पी जी पूरी होने तक मैंने उसे कई बार चोदा लेकिन वो बीके वाली चुदाई सबसे गज़ब थी.

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