भाई ने अधूरी प्यास बुझाई

हैल्लो दोस्तों मेरा नाम स्नेहा है, मेरी उम्र 28 साल की है, मेरे घर मे मेरे  मम्मी पापा और मेरा एक भाई जिसकी उम्र 31 साल की है। उनकी शादी हो चुकी है, उनकी बीवी दिखने मे कुछ खास नहीं है और थोड़ी मोटी भी हैं। पर मेरे भाई ने उनसे इसलिए शादी की है, क्योंकि वो अपने घर मे इकलौती लड़की है और उनकी बहुत प्रॉपर्टी भी है। भैया के ससुराल वालों ने भैया के लिए अलग से बिज़्नेस के लिए पैसे दिए थे।

इसलिए भैया हमारे साथ घर मे नहीं रहते है और ना ही अपने ससुराल मे रहते हैं, बल्कि वो हमारे ही शहर में अलग घर में भाभी के साथ रहते हैं। अब मैं आपको अपने बारे मे बताती हूँ। दोस्तों मैं देखने मे बहुत सुंदर पतले बदन की मालकिन हूँ, मेरे चेहरे पर होंठों के नीचे एक मस्सा है, मैं हमेशा साड़ी ही पहनती हूँ। क्योंकि मेरी सहेली कहती है कि में साड़ी पहनकर बहुत सुंदर दिखती हूँ और मुझे भी साड़ी पहनना पसंद है मेरे मोहल्ले के लड़के मेरे पीछे मेरे बारे मे गंदी गंदी बाते करते हैं। ये बात मेरी सहेलियों ने मुझे कई बार बताई है और दो चार बार तो मैने खुद चुप के उनकी बातें सुनी है, पर मैं उनकी बातों पर ज़्यादा ध्यान नहीं देती। मैं अपनी पढ़ाई पूरी करके एक मोबाइल कॉम्पनी मे एक कंप्यूटर ऑपरेटर का काम करती हूँ। मेरे साथ काम करने वाले सारे लड़के और मेरे बॉस भी मुझसे बात करने का बहाना ढूँढते हैं। सभी मुझे मज़ाक मज़ाक मे छेड़ते रहते है और हमेशा मेरी तारीफ करते हैं।

ये सभी बातें मुझे भी अच्छी लगती हैं क्योंकि कौन लड़की अपनी तारीफ़ नहीं सुनना चाहती है। मेरे पापा पोस्ट ऑफीस मे बाबू हैं और मेरी माँ हाउसवाईफ। मैं अपने घर मे शुरू से ही बहुत प्यार से पली बढ़ी हूँ। मेरे भैया और भाभी भी मुझे बहुत चाहते है और भैया खर्चे के लिए आए दिन पैसे देते रहते हैं। भाभी भी अक्सर घर आती है और मेरे लिए कुछ ना कुछ लाती ही हैं मेरी भी भाभी से खूब बनती है मेरी भाभी काफ़ी मजाकिया है।

मैं उनके साथ घंटों बैठ के बातें किया करती हूँ खाली समय पर मैं भैया भाभी के घर जाकर भाभी से गप्पे लड़ाती हूँ। मैं घर पर खुले माहौल मे रही हूँ। घर पर मेरी सारी जायज़ या नाजायज़ माँगों को माना जाता है। मेरी जिंदगी मे मुझे सब कुछ मिला, मोबाइल कॉम्पनी मे जॉब करने का आइडिया भी मेरा था। शुरू मे जब मैने ये बात बताई तो माँ ने कहा बेटी तेरी शादी की उम्र निकलती जा रही है, तेरे लिए कई रिश्ते आ रहे है, एक तो तू शादी नहीं करना चाहती और अब तू जॉब करना चाहती है। तुझे किसी चीज़ की कमी तो है नहीं, फिर तू जॉब क्यों करना चाहती है? तो मैने उनकी बात पर ज़्यादा ध्यान ना देते हुए अपनी मर्ज़ी से जॉब कर लिया। फिर माँ भी चुप हो गयी पर सच्चाई तो यही थी की मेरे साथ की लगभग सभी लड़कियों की शादी हो चुकी थी और जो भी लड़कियाँ बची थी उनकी शादी की बात चल रही थी ये बात कहीं ना कहीं मेरे मन मे भी थी। पर ये बात भी सच थी कि मैं अभी शादी नहीं करना चाहती थी। मैं तो जिन्दगी को और बहुत अच्छे से जीना चाहती थी।

लेकिन मेरे जज्बात अंदर से अंगड़ाई लेने लगे थे और में मन ही मन में वो सब करके देखना चाहती थी, जो एक औरत और एक मर्द आपस में करते हैं। मेरे ऑफीस मे हम तीन लड़कियाँ थी और बाकी सभी लड़के मेरे साथ की एक लड़की रीना का अफेयर हमारे बॉस से था। वैसे तो हमारे बॉस की नज़र मुझ पर थी, पर वो मुझे कभी भी ऐसे नहीं लगे। जिस पर मैं अपना दिल हार जाऊं इसलिए मैं उन्हे हमेशा उन्हे अनदेखा करती थी। मेरे साथ काम करने वाली लड़की रीना ने भी मुझे बॉस के मेरे बारे मे उनकी गंदी सोंच को बताया, पर मैने कभी भी ध्यान नहीं दिया, पर रीना ने मुझे अपने और बॉस के बीच में हुए सेक्स के बारे मे कई बार बताया था। जिसे सुनकर मेरे अंदर भी एक हलचल सी मच गयी और मेरे मन मे भी सेक्स करने की बहुत इच्छा हुई। हमारे ऑफीस मे मेरे साथ एक लड़का और काम करता था उसका नाम था रोहित वो कम बोलता था और देखने मे भी सीधा साधा था। ऑफीस के लड़को मे वो ही एक ऐसा था जो कि मुझसे कम बात करता था। हाँ लेकिन एक बार उसने मुझे चाय के लिए बाहर होटल मे जाने को ज़रूर बोला था।

लेकिन मुझे अच्छे से याद है कि उस वक़्त भी उसके पसीने छूट गये थे। मुझे उसकी मासूमियत भा गयी थी और मैं उसे मन ही मन चाहने लगी थी और अब जबकि रीना की बातों से मेरा मन मचल गया था। उस समय मेरे मन मे सिर्फ़ रोहित ही घूम रहा था मेरा मन रोहित के साथ में सेक्स करने को उतावला हो गया और मैं रोहित को पाटने के तरीके सोचने लगी और शाम को जब ऑफीस की छुट्टी हुई तो मैं रोहित के पास गयी और उससे बात करने लगी।

मैं : हाय रोहित क्या काम खत्म कर लिया तुमने?

रोहित- हाँ काम पूरा हो गया अब में घर पर ही निकल रहा था।

मैं : तो तुम घर जाकर टाइम पास के लिए क्या करते हो ?(यहाँ मैं आपको एक बात बता दूं की रोहित का परिवार दूसरे शहर का रहने वाला है और रोहित यहाँ पर एक किराए के कमरे मे अकेला रहता है।

रोहित : कुछ नहीं घूम फिर के या किताबें पढ़कर जैसे तैसे टाईम कट जाता है।

मैं : क्या कभी तुम्हे घर वालों की याद तो आती होगी?

रोहित : हाँ आती तो है पर क्या करूँ काम के कारण साल मे दो या तीन बार ही जा पता हूँ।

मैं : अरे लगता है मैने तुम्हे घरवालों की याद दिलाकर तुम्हे दुखी कर दिया है मुझे माफ़ कर दो प्लीज।

रोहित : ठीक है लेकिन ऐसी कोई बात नहीं है।

मैं : अच्छा चलो आज हम कहीं चाय पीने चलते है, मेरी ये बात सुनकर रोहित मेरी ओर एकटक देखने लगा, जैसे की मेरा चेहरा पढ़ रहा हो, उसका मेरी ओर इस तरह देखना अजीब सा लगा और मैने उसे टोकटे हुए कहा क्या हुआ, मेरी बात सुनकर वो हड़बड़ाते हुए बोला हाँ कुछ नहीं, फिर मैने कहा तो चाय पर चलें उसने मुस्कुराते हुए हाँ मे सर हिला दिया और बोला कहाँ चलें उसकी बात सुनकर मैं सोच मे पड़ गई फिर कुछ देर सोचने के बाद कहा क्यों ना तुम्हारे घर पर चलें एक बार फिर हैरत से मुझे देखने लगा मैं आज तक उसके घर नहीं गयी थी।

कुछ देर तक मुझे देखने के बाद उसने बिना कुछ बोले अपना बैग उठाया और हम ऑफीस से बाहर आ गये, मेरे इस तरह से खुलने के कारण ही शायद अब वो पूरे रास्ते मुझसे खुल के बातें करने लगा और हम इधर-उधर की बातें करते हुए उसके रूम पहुँचे उसका कमरा शहर के बीच मे दूसरी मंज़िल पर था। शहर के बीच मे होने के बावजूद भी मुझे उसके कमरे मे सन्नाटा सा लगा। रूम मे बैठ कर हम बातें करते रहे, फिर मैंने कहा चाय पीने तो आ गये, पर क्या तुम्हे चाय बनानी आती है।

तो जवाब मे उसने मुस्कुरा कर कहा तुम पी कर बताना और उठ कर चाय बनाने चला गया और इस बीच मैं सोचने लगी कि अब आगे क्या करूँ। रोहित चाय बनाकर ले आया और उसने एक कप मेरे हाथ मे थमा दिया और हम चाय पीने लगे फिर मैने कुछ सोचकर कहा तुम बहुत प्यारे हो रोहित, वरना आज कल के लड़के तो बस लड़कियों के पीछे ही लगे रहते हैं, तुम्हारी ये मासूमियत मुझे भा गयी है, ये सुनकर रोहित खुश होता हुआ बोला अगर तुम बुरा ना मानो तो में भी एक बात कहूँ तुम बुरा तो नहीं मानोगी।

मैने कहा अरे तुम तो बोलो ना मैं कभी बुरा नहीं मानूँगी।

रोहित बात ये है कि तुम हो ही इतनी सुंदर की कोई भी तुम्हारे पीछे पड़ जाए, मन तो मेरा भी करता है कि तुम्हारे जैसी मेरी भी गर्लफ्रेंड हो, पर डरता हूँ की तुम बुरा ना मान जाओ। आज रोहित के मुहं से ये बातें सुनकर मैं थोड़ो हैरान हो गयी कि क्या ये वही रोहित है, जो मुझसे बात करने मे हमेशा कतराता था और आज इतना कुछ बिना किसी झिझक के बोल रहा है। खैर मैं भी यही चाह रही थी। मुझे आज मेरी मंज़िल दिखाई दे रही थी और मैने कहा रोहित सच तो यह है कि में भी तुम्हे बहुत प्यार करती हूँ। ये सुनकर रोहित कहा की सच और मेरे हाथों को अपने हाथों मे लेकर सहलाने लगा और मैने जान बूझकर अपना सर रख के आखें बंद करके खो गयी, जब मैं थोड़ो सम्भल कर सर को ऊपर किया तो मेरी नज़र घड़ी पर गयी। अब आठ बज गये थे और मैने घर पर फोन भी नहीं किया था। मैं हड़बड़ाकर उठी और रोहित से कहा रोहित अब मैं चलती हूँ, आज मुझे बहुत देर हो रही है। अभी रोहित भी गरम होने लगा था उसने मेरा हाथ पकड़ते हुए कहा प्लीज मत जाओ ना, तुम्हे घर ही तो जाना है। आज कोई बहाना कर दो। मैने हाथ छुडाते हुए कहा रोहित इतना उतावलापन भी ठीक नहीं है। मैं कहीं भागी थोड़ी ही जा रही हूँ, हम कल फिर मिलेंगे कहते हुए मैं सीढ़ियों से नीचे आ गयी और मुड़कर देखा तो पाया रोहित मुझे ऊपर से देख रहा था और मैं घर पर आ गयी।

घर पर भी मैं ठीक से खाना नहीं खा पाई। मुझे पर एक खुमारी सी छा गयी थी। रात को 10 बजे रोहित का फोन आया और मैं बेडरूम मे थी। इसलिए मम्मी पापा को पता नहीं चला और हम बातें करते रहे और फोन पर ही प्लान बनाया की कल हम ऑफीस ना जाकर रोहित के रूम मे मिलेंगे। फिर में सुबह का इंतज़ार करने लगी। मेरे मन मे हज़ारों अरमान मचलने लगे और मुझे आने वाले कल के बारे मे सोचकर नींद नहीं आ रही थी। खैर मैने जैसे तैसे आँखों ही आँखों में रात काटी और सुबह नहाकर अपनी नयी साड़ी जो की पिंक कलर की थी, मेंचिंग ब्लाउस के साथ पहनी। अंदर ब्लैक कलर की पेंट और ब्लैक कलर की ब्रा पहन रखी थी और साथ ही मेचिंग पिंक कलर की लिपस्टिक लगाई और फिर रोहित के घर की और चल दी जैसे जैसे मैं रोहित के घर की और बढ़ रही थी मेरी सांसे तेज़ी से चलने लगी और में रोहित के घर पहुँची। रोहित का घर खुला हुआ था दरवाजे को धकेल कर मैं अंदर गई तो देखा कि रोहित घरेलू कपड़े मे पलंग पर लेटा हुआ था। मेरे अंदर आते ही उसने जाकर दरवाजा बंद कर दिया और मुड़कर मेरी ओर देखने लगा। तो मैने कहा क्या देख रहे हो उसने कहा आज तो तुम स्वर्ग की अप्सरा लग रही हो।

उसकी बात सुनकर मेरी गर्दन शरम से झुक गयी उसने मुझे हाथों से पकड़कर पलंग पर बिठा दिया और खुद भी पलंग पर बैठ गया और मेरे चेहरे को अपने हाथों से थामकर अपनी ओर किया और मेरे होंठो पर अपने होंठ रख दिये, मैं जानबूझ कर दिखावे के लिए नाटक करने लगी। रोहित ने होठों को किस करते हुए मुझे अपने से सटा लिया जिससे मेरे बूब्स रोहित की छाती से दबने लगे और मेरे मुहं से सिसकारियाँ निकालने लगी, मैं अह्ह्ह की आवाज करने लगी जिससे रोहित की और हिम्मत बढ़ी और उसने अपना एक हाथ मेरे बाई तरफ के बूब्स पर रख दिया और मेरे बूब्स पर अपने हाथ फेरने लगा जिससे मेरी सांसे और तेज़ी से चलने लगी और रोहित ने अपना हाथ मेरे बूब्स पर जमा दिये और ज़ोर -ज़ोर से दबाने लगा जिससे मुझे दर्द होने लगा। लेकिन साथ ही साथ मैं परम सुख की अनुभूति कर रही थी और मेरे मुहं से जोरो की सिसकारियाँ निकालने लगी और मेरे मुहं से अह्ह्ह्ह की आवाजे निकालने लगी। रोहित भी मेरी मादक आवाज सुनकर गरम हो गया था।

अब उसने मेरी साड़ी का पल्लू कंधे से नीचे गिरा दिया और किस करना छोड़ कर मेरी साड़ी को खींचने लगा जल्दी ही उसे कामयाबी मिल गयी और मैं पेटीकोट और ब्लाउस में आ गयी। अब उसने बिना समय गँवाए अब वो मेरे ब्लाउस के बटन खोलने लगा और कुछ समय मे मेरे ब्लाउस को मेरे शरीर से अलग कर दिया और मैं रोहित के सामने सिर्फ़ ब्लैक ब्रा मे थी। जिसमे से मेरे बूब्स ब्रा को फाड़कर बाहर आने को तड़प रहे थे। उधर रोहित बिना रुके मेरे पेटीकोट की ओर बढ़ा और देखते ही देखते मैं ब्लैक पेंटी और ब्रा मे थी।

अब रोहित ने ब्रा के ऊपर से ही मेरे बूब्स को दबाने लगा और में मस्त होकर अह्ह्हन्ह्ह्ह करने लगी और रोहित ने अपने हाथ मेरी पीठ के पीछे लाकर ब्रा का हुक भी खोल दिया और ब्रा को मेरे शरीर से निकालकर मेरी गुलाबी निप्पल को देखने लगा और फिर मेरे दोनो बूब्स को अपने दोनो हाथों से दबाने लगा और अपने मुहं से एक बूब्स को चूसने लगा मुझे गुदगुदी और उत्तेजना से अब मेरे रोंगटे खड़े हो गये और मैं आँखें बंद करके अपने दातों से अपने होठों को चबाने लगी थी।

मैं अब पूरी तरह से गरम हो चुकी थी। फिर रोहित ने अपना एक हाथ मेरी पेंटी मे डाल कर मेरी चूत मे अपनी उंगली डालने लगा। जैसे ही रोहित ने अपनी उंगली मेरी चूत मे डाली मैं चीख उठी और कुछ ही देर बाद मैं भी अपना चुतड उठाकर उसका जवाब देने लगी। अब मेरा सब्र का बाँध टूटने लगा था और इसी बेसब्री मे मेरा हाथ रोहित के लोवर के ऊपर उसके लंड पर चला गया। रोहित भी शायद मेरी बेताबी को समझ गया और मुझे छोड़कर वो अपने कपड़े उतारने लगा।

मैने पहली बार किसी मर्द को पूरा नंगा देखा था। मुझे रोहित का लंड उस समय बहुत प्यारा लग रहा था और में एकटक उसके लंड को देख रही थी। इसी बीच रोहित ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया मैं भी उसके लंड को पकड़कर उसकी टोपी को आगे पीछे करने लगी और रोहित ने मुझे किस करना शुरू किया वो इस बार मेरे सारे चेहरे पर किस करने लगा और अचानक ही उसने मुझे किस करना छोड़ कर मुझसे बोला यार स्नेहा तुम इतनी सुंदर हो लेकिन तुम्हारे होंठों के नीचे ये मस्सा चाँद पर ग्रहण जैसा लग रहा है, प्लीज़ इसे हटा देना। इस पर मैने कहा की अगर तुम्हे पसंद नहीं तो मैं इसे कल ही काट दूँगी। मेरी इस बात को सुनकर रोहित ने मुझे जोश मे आकर गले से लगा लिया और मुझे उठा कर पलंग पर लिटा दिया और और मेरी चूंचियों को मसलने लगा।

मैं अपने जोश के चरम पर थी मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था। इसी जोश मे मैने रोहित से कहा की रोहित प्लीज़ तुम्हे जो करना है बाद मे कर लेना अभी मुझसे सहा नहीं जा रहा है प्लीज़ मेरी प्यास बुझाओ मेरी बात सुनकर रोहित ने मेरे पैरों को फैलाया और अपना लंड मेरी चूत मे रगड़ने लगा अब मेरी चूत मे तेज़ खुज़ली होने लगी और मैं रोहित के लंड अंदर डालने का इंतज़ार करने लगी और मैने आखें बंद कर ली अचानक ही मुझे मेरी चूत के पास कुछ गरम-गरम सा लगने लगा। मैने आखें खोल के देखा तो रोहित मेरी चूत पर अपना लंड रगड़ के ठंडा हो गया था शायद वो झड़ चुका था और मेरी बगल मे आखें बंद करके लेटा हुआ था।

तभी मैं गुस्से से तिलमिला उठी और बिना कुछ बोले बाथरूम मे जाकर अपनी चूत के पास से रोहित के वीर्य को साफ किया। वापस आकर जल्दी से मैने कपड़े पहनने लगी तब रोहित ने आखें खोलकर बोला, सॉरी ज़्यादा जोश की वजह से में जल्दी ही झड़ गया था। लेकिन तुम बिलकुल भी चिंता मत करो। मुझे कुछ देर का समय दो में तुम्हे दोबारा लंड दूँगा। मैने अपने कपड़े पहन लिए थे। मैने रोहित को गुस्से मे कहा कि तुम क्या मेरी प्यास बुझाओगे तुम तो दो मिनट में ही झड़ गये थे।

लेकिन तुम आज के बाद मुझसे किसी भी प्रकार का संबंध रखने की कोशिश मत करना वरना इसका अंजाम तुम सोंच भी नहीं सकते। रोहित ने पलंग से उठते हुए कहा स्नेहा मेरी बात तो सुनो पर मैंने उसकी एक भी बात बिना सुने ही उसके घर से बाहर आ गयी रोड पर चलते हुए अपने आप झल्लाई हुई सी जाने लगी। फिर मैने सोचा अभी घर जाना ठीक नहीं होगा वैसे भी मैं ऑफीस के नाम से घर से निकली थी, इससे अच्छा है की में भाभी के पास जाती हूँ।

इसी बहाने मेरा मन भी बहाल जाएगा, ये सोचकर मैं भैया के घर की ओर चल पड़ी …

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