हाई, मेरा नाम क्या हैं वो नहीं कहूँगी क्यूंकि मैं पंजाब के एक अच्छे घर की छोटी बहु हूँ. यह कोई कहानी नहीं हैं बल्कि एक सच्ची घटना हैं जो डेढ़ साल पहले घटी थी. मैं अपने नौकर के साथ संभोग किया था पहली बार अपनी जेठानी के साथ मिल के. नौकर ने हम दोनों को संतुष्ठ किया था क्यूंकि जेठानी ने उसे वाएग्रा की गोली जो खिलाई थी. तो आयें मैं आप को बताऊँ की मेरी चुदाई कैसे हुई उस दिन और कैसे नौकर श्याम ने हमें जम के चोदा.

बरामदे में खड़ी हुई मैं सब्जी काट रही थी. तभी जेठानी रूपा (बदला हुआ नाम) आई और बोली, “क्या बात हैं भाई आजकल सूखती जा रही हों. देवर जी खिलातें पिलातें हैं या नहीं?”

मैंने रूपा के सामने देखा और कुछ नहीं बोली.

लगता हैं देवर ने चोदा नहीं हैं

रूपा: अरे क्या बात हैं रानी ऐसे क्यों देख रही हो, कुछ गलत कह गई क्या मैं.

मैं: अरे आप के देवर तो बस जमीन जायदाद में ही उलझे रहते हैं. उन्हें शादी करने की क्या जरुरत थी मैं तो अभी तक नहीं समझी.

रूपा: लगता हैं देवर जी ने आजकल आप को चोदा नहीं हैं.

मैं: अरे पिछली बार कब चोदा वो मुझे भी याद नहीं हैं. सेक्स ठीक हैं लेकिन एक करीबी भी चाहियें, मैं तो उसके लिए भी तरस रही हूँ. मुझे लगा की एक छत के निचे रह के आप मेरी उल्फत जानती होंगी.

रूपा: अरे तुम्हारें कमरे में क्या होता हैं भला वो मैं कैसे जानू डियर. वैसे मेरी हालत भी कुछ ऐसी ही थी कुछ समय पहले तक. लेकिन अब जुगाड़ हैं मेरे पास तो.

मैं सोच में पद गई की कहीं जेठानी डिलडो या वायब्रेटर तो नहीं ले आई. मैंने उस से पूछा, “अरे ऐसा क्या कोहिनूर हैं आप के पास.”

रूपा: अरे वो कोहिनूर इधर ही हैं अपने घर में. तुझे चाहियें तो मैं तुझे भी दे दूँ.

मैं: क्या हैं वो.?

रूपा: रुक एक मिनिट…!

इतना कहते ही उसने आवाज लगाई, “श्याम, कहा हैं तू, इधर आना जरा बरामदे मैं.”

माय गॉड, क्या वो श्याम से चुद्वाती थी. तो क्या वो दोपहर में पाँव दबाने नहीं बल्कि चूत चुदवाने के लिए उसे अपने कमरे में बुलवाती थी. श्याम घर का नौकर था जो मुश्किल से बीस बारिस का होंगा. वो पंजाब से नहीं बल्कि हरियाणा से था. उसके बांधे मजबूत और छाती चौड़ी थी.

मैं रूपा को ही देख रही थी. मेरे दिल में अनेक सवाल थे लेकिन रूपा अभी मेरी और बिलकुल नहीं देख रही थी. श्याम के आते ही उसे उसे पूछा, “तुम्हारें साहब को कहाँ छोड़ा था आज.”

श्याम: बीबी जी दोनों साहब लोग कहीं जाने की बात कर रहे थे.

मैं: अरे वो तो भाई साहब और बिट्टू (मेरे पति) अमृतसर जानेवाले थे. शायद शाम को आयेंगे वापस. आप को बताया नहीं.

रूपा: अरे पूछता कौन हैं. श्याम, तू दोपहर को मेरे कमरे में आना आज भाभी के पाँव भी दबा देना. उन्हें दर्द हो रहा हैं. और साथ में दवाई भी लेते आना मेडिकल से.

श्याम ने मेरी और देखां और उसकी आँखों में चमक आ गई. शायद यह चोदने का कोडवर्ड था पाँव दबाने वाली बात. लेकिन एक कोडवर्ड और भी था जो मैं नहीं समझी थी. श्याम हँसते हुए चहरे के साथ वहां से निकला और मैंने रूपा के कंधे को पकड लिया.

मैं: अरे भाभी जी उसे मेरे साथ? वो किसी को बतायेंगा तो उलझन हो जायेंगी.

श्याम वाएग्रा ले के आया

रूपा: अरे भरोसे का आदमी हैं. पूरी तनख्वाह देती हूँ मैं उसे अपना मुह बंध रखने की. किसी को बताना मत लेकिन मुझे तो डाउट हैं की प्रिया भी इसके ही चोदने से आई हैं. तुम्हारे भाई साहब लंड डाल के सो जाने वालो मैं से हैं.

मैं: लेकिन वो एक साथ दोनों को कैसे ले पाएंगा. वो तो बहुत छोटी उम्र का हैं.

रूपा: तो उसका भी रास्ता हैं ना. मैं उसे कहाँ ना दवाई ले के आने के लिए.

मैं: कौन सी दवाई…?

रूपा: वाएग्रा.

मैं सन्न रह गई की मेरी जेठानी इतनी चुदक्कड हैं और मुझे अभी तक पता ही नहीं. मैंने एक दो बार श्याम को फांसने के बारे में सोचा था लेकिन फिर सोचा की उस से चुदवाने में खतरा हैं. लेकिन रूपा ने ना सिर्फ उसे चोदा बल्कि अभी तक यूज़ किया था.

मैं: आप तो बड़ी फाडू निकली जेठानी जी. मैं तो नहीं जानती थी की श्याम इतने काम की चीज हैं.

रूपा: सच में बड़े काम की चीज हैं, जितनी बार उसने मुझे चोदा हैं पानी निकाल के हो छोड़ा हैं.

जेठानी के मुहं से यह सब सुन के मेरी चूत पानी निकालने लगी थी. सज्बी को जल्दी काट के मैं खाना बनाया. रूपा ने मुझे कहा की दोपहर को2 बजे सही समय हैं श्याम को रूम में लेने के लिए. 1 बजे ही मैंने अपने सास और ससुर को खाना लगा दिया. खाना खा के वो दोनों पहले माले पे अपनी रूम में चले गए. अब निचे के मजले में सिर्फ मैं, श्याम और रूपा थे.

रूपा जेठानी ठीक 1:50 पे मेरे कमरे में आई. हम दोनों बेड पे बैठे थे की दरवाजे पे नोक हुई. रूपा ने उठ के देखा की श्याम खड़ा था वहां, उसने इशारे से रूपा को कुछ कहा और रूपा ने हाँ में सर हलाया. श्याम निकला और वो घर के मुख्य दरवाजें की तरफ गया.

मैं: अरे यह तो बहार जा रहा हैं कहीं.

रूपा: हाँ वो टेबलेट लेने जा रहा हैं. पहले उसे बाबूजी ने काम में उलझा रखा था. बूढा हमेंशा टांग अड़ाता हैं बिच में.

5 मिनिट में श्याम वापस आया और वो कमरे में बैठने ही वाला था की रूपा बोली, “फ्रिज से एक कटोरी भर के दूध ले आ.”

श्याम के जाते ही मैं पूछा, “दूध किस के लिए.”

रूपा: वाएग्रा बड़ी गर्म होती हैं उसे दूध के साथ ही लेनी चाहिए.

अब मैं भी जेठानी से बहुत कुछ सिख रही थी. श्याम ने सच में हमें मस्त चोदा, कैसे चोदा वो कहानी के अगले भाग में पढना ना भूलें.

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