लाभांडी की रण्डी की चूत चुदाई

कहानी – हर्ष पाण्डेय
प्रेषिका – अदिति गवलानी
Labhandi Ki Randi Ki Choot Chudai
हैलो दोस्तो.. आप सभी को हर्ष के लंड का प्रेम भरा सलाम।
मैं रायपुर छत्तीसगढ़ का रहने वाला एक सीधा-साधा बांका सा नौजवान हूँ.. दिखने में अच्छा-खासा गबरू नौजवान हूँ।

मैं औरों की तरह झूठ नहीं बोलूँगा, मेरा जननांग जिसे कि लंड भी कहा जाता है 6 इंच का है।
हाँ.. लेकिन मोटाई अपेक्षाकृत थोड़ी ज्यादा है।

अब आप सब का ज्यादा समय व्यर्थ न करते हुए मैं अपनी असली कहानी पर आता हूँ।

बात कुछ 6-7 साल पहले की है.. जब मैंने जवानी की दहलीज को बस पार ही किया था।

आप सभी को यह मालूम तो होगा ही जैसा कि आजकल का वातावरण है, जवान होते बच्चे अपनी उम्र से पहले ही सब कुछ जानने के इच्छुक होते हैं, मैं भी उन्हीं में से एक था।

हालांकि 18 का होने से पहले ही मैंने ब्लू-फ़िल्म वगरैह देखी हुई थीं। लेकिन आप सब तो जानते ही है थ्योरी में किसे मज़ा आता है। असली मज़ा तो प्रैक्टिकल करने में ही होता है।

बदकिस्मती से मेरे कुछ दोस्त ऐसे भी थे जिनकी कुसंगति में आकर मैंने न जाने क्या-क्या अनाप-शनाप काम किए। उनमें से एक कुटैव कम उम्र में चुदाई का भी था.. महज 18 की उम्र में मैंने रंडियों के साथ अपनी चुदाई की ओपनिंग की।

मेरे दोनों दोस्त मुश्ताक और प्रेम पाण्डेय… इन सब कामों में पीएचडी थे।

अचानक एक दिन चौराहे पर, जहाँ हम सब दोस्त मिला करते थे.. मेरे वे दोनों दोस्त रंडी चुदाई की प्लानिंग कर रहे थे। इत्तफाक से मैं भी वहाँ पहुँच गया।

बातों-बातों में मैंने उनके इरादों को भांप लिया।

फिर मजबूरन उन्हें मुझे भी इस चुदाई के खेल में शामिल करना पड़ा।

फिर हम लोग रंडियों का बाज़ार जो कि हमारे शहर में चावड़ी के नाम से प्रख्यात है.. वहाँ पहुँचे।

फिर कुछ देर खड़े होने के बाद एक दलाल हमारे पास आया.. उसने पूछा- क्या माल चाहिए?

फिर मेरे दोस्त प्रेम ने उन्हें हमारे चाहने वाली चीज़ का बखान किया।

वो दलाल प्रेम की बाइक के पीछे बैठ गया और उसे थोड़ी दूर ले गया।

हम दूर से उन्हें देख सकते थे।

फिर थोड़ी ही देर में पीछे से एक 27 से 29 साल तक की एक महिला आई.. मेरे दोस्त प्रेम ने उससे सौदा तय किया.. फिर वो महिला हमारे साथ चलने को तैयार हो गई।

एक व्यक्ति का 500 रुपए तय हुआ।

वो हमें एक हाईवे रोड पर ले गई।

मैग्नेटो मॉल के आगे एक गाँव लाभांडी था.. जो कि शहर से लगा हुआ था।

उस गाँव से कुछ हटकर बहुत से पोल्ट्री फार्म्स थे और फिर खाली ज़मीन थी। उसी खाली ज़मीन के बीच में छोटी-छोटी दो झोपड़ियाँ भी थीं।

उस महिला ने उन्हीं झोपड़ियों के नज़दीक जाकर बाईक रोकने को कहा।

हम वहाँ रुक गए.. झोपड़ी के अन्दर से एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति निकला।

महिला ने उसे कुछ रुपए दिए और उससे कुछ बातें कीं। फिर उन दो झोपड़ियों से दस-पंद्रह कदम की दूरी पर एक और बड़ी झोपड़ी थी..
जिसमें कि पतले से गद्दे बिछे हुए थे और उस झोपड़ी में कोई नहीं था।

वो महिला उस झोपड़ी के अन्दर चली गई और हम में से एक-एक करके आने को कहा।

सबसे पहले प्रेम अन्दर गया.. उसे करीब बमुश्किल 5-7 मिनट ही अन्दर लगे होंगे।

फिर मुश्ताक की बारी आई। जैसे ही मुश्ताक अन्दर गया.. मेरा दिल ज़ोरों से धड़कने लगा.. पहली बार था ना।

अनुभव बिलकुल नहीं था.. मैं बाहर इसी उधेड़बुन में लगा रहा कि अन्दर जाकर कैसे और क्या करूँगा। शर्म के मारे हाथ-पैर कांपने लगे।
जैसे-तैसे मैंने अपने आप को ढांढस बँधाया और फिर मुश्ताक के बाहर आने का इंतज़ार करने लगा।

करीब 15-20 मिनट के बाद वो बाहर आया और फिर उसने मुझे अन्दर जाने को कहा.. लेकिन सच कहूँ दोस्तों चुदाई का उत्साह मन में होते हुए भी मेरी हिम्मत अन्दर जाने को नहीं हो रही थी।

मेरे दोस्तों ने कितनी बार कहा.. मगर मैं रुका रहा।

करीब 5 मिनट के बाद अन्दर से उस महिला की आवाज़ आई- अन्दर आ जाओ बाबू… डरो नहीं.. मैं तुम्हें खा नहीं जाऊँगी.. सबको पहली बार में थोड़ी झिझक होती है.. तुम अन्दर आ जाओ.. मैं तुम्हारी मदद करूँगी..

मैं जैसे-तैसे करके अन्दर गया और उसने अन्दर से दरवाजा बंद कर दिया।
उसके आश्वासन के बाद मैं थोड़ा राहत महसूस करने लगा।
मैं अन्दर गया तो उस महिला ने मुझसे पूछा- आज तुम अंगूर का रस चखने आए हो क्या?

मैंने ‘हाँ’ में उसका उत्तर दिया। फिर उसने शादी या गर्ल-फ्रेंड के बारे में पूछा।

मैंने ‘ना’ में उत्तर दिया।

फिर उसने कहा- कोई बात नहीं.. मैं तुम्हें सब सिखा दूँगी.. पहली रात को क्या होता है.. फिर नहीं शरमाओगे।

मेरा तो उत्साह और बढ़ा जा रहा था। फिर वो आगे बढ़ी और ऊपर टांड में रखी पेटी के नीचे से सरकारी कंडोम जो कि गाँव में पापुलेशन कण्ट्रोल के लिए फ्री में बंटता था.. निकाला और मेरे नज़दीक आई।

मेरी जीन्स का बटन खोला.. जीन्स और अंडरवियर को एक झटके में नीचे खींच कर मेरे बदन से अलग कर दिया। अब वो मेरे लंड को हाथों में लेकर ज़ोर-ज़ोर से हिलाने लगी।
इससे मुझे अत्यधिक आनन्द आने लगा और मेरा लंड सलामी देने लगा।

फिर उस महिला ने कंडोम का कवर फाड़ कर मेरे लंड पर लगाने ही थी कि मैंने उसे रोक दिया और सरकारी कंडोम पहनने से इंकार कर दिया।

मैंने उसे अपनी जीन्स जो कि उतर चुकी थी से एक कामसूत्र का पैकेट निकाल कर दिया.. उसने मुझे फिर वही कंडोम पहनाया और फिर से लंड को सहलाने लगी।

अब मेरा लंड पूरी तरह तैयार था। लेकिन वो महिला अब तक पूरी तरह कपड़ों में थी। फिर उसने साड़ी को ऊपर किया और गद्दे पे लेट गई।
लेकिन मैं हैरान था मैंने उससे पूरे कपड़े उतारने को कहा.. लेकिन उसने मना कर दिया।

वो बोली- सुरक्षा के लिहाज से मैं ऐसा नहीं कर सकती।

लेकिन उसने कहा- तुम्हारा पहली बार है तो तुम्हारे लिए ब्लाउज खोल देती हूँ।

ऐसा कह कर उसने अपना ब्लाउज खोल दिया। फिर मैं उसके खुले बदन को निहारने लगा।

पापा कसम उसका क्या भरा हुआ शरीर था।
उसके उरोज तो ऐसे थे कि किसी को भी दीवाना बना दें।
उसका एक-एक चूचा इतना बड़ा था कि किसी बलिष्ठ व्यक्ति के हाथ में भी पूरा ना समाए।

फिर उसने कहा- जल्दी करो.. कोई आ जाएगा।

मैं उसके ऊपर लेट गया और उसके होंठों को चूसने लगा और एक हाथ से उसके कबूतर दबाने लगा।

धीरे-धीरे वो गर्म होने लगी.. उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं।

मैं जल्दी बाहर नहीं जाना चाहता था।
मैंने अपना मुँह उसकी चूत की तरफ किया और मस्त गुलाबी पंखुड़ी की तरह फूली हुई को चूत चाटने प्रयास करने ही वाला था कि उसने मुझे टोक दिया कहा- बाबू हम वेश्या हैं.. हम रोज़ छत्तीसों लोगों से चुदती हैं। आप ये चूत का स्वाद अपनी पहली रात को ले लेना।

फिर उसने मेरे लंड को हाथ से पकड़ कर सही दिशा दिखाते हुए अपनी चूत में प्रवेश करा दिया।

कई लोगों से चुद चुकी होने के कारण मुझे अपने लंड को उसकी चूत में पेलने में कोई कठिनाई नहीं हुई।

मैंने धीरे-धीरे अपने लंड को अन्दर-बाहर करना शुरू किया। सच बताऊँ दोस्तों… उस आनन्द को मैं बयान नहीं कर सकता।
थोड़ी देर बाद उसे भी मज़ा आने लगा।
फिर मैंने उसे घोड़ी बना कर चोदा और करीब दस-बारह मिनट के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया।

वो पहले ही एक बार झड़ चुकी थी। गर्मी का मौसम था.. हम दोनों थक गए थे और पसीने से तर भी हो गए थे।

फिर हम दोनों ने कपड़े पहने.. कपड़े पहनते वक़्त उसने मेरी तारीफ़ की- लगता नहीं है बाबू कि तुम्हारा पहली बार था.. शादी के बाद तुम अपनी मैडम को बहुत खुश रखोगे।
यह सुन कर मैंने खुश होकर उसे सौ रूपए दिए और होंठों पर एक ज़ोरदार चुम्मा और जड़ दिया।
फिर हम दोनों बाहर आ गए।

तो दोस्तो, यह थी मेरी पहली चुदाई कि पहली सच्ची दास्तान है..
उम्मीद करता हूँ आप लोगों को पसंद आएगी।
मुझे आपके मेल का इंतज़ार रहेगा.. अपनी राय अवश्य देवें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

|