मैं रवि आपको सुलेखा और मेरे रिश्ते के बीच हुए घर मे सेक्स को आज इस मंच पर बताने जा रहा हूँ | दोस्तों सुलेखा मेरी बहुत अच्छी दोस्त थी और हम एक दूसरे से लगभग अपनी तकलीफें और खुशी बांटा करते थे पर सच पूछो तो मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की मैं उसके साथ कभी यौन सम्बन्ध भी जोड़ लूँगा | वो दिखती तो एक दम टिप – टॉप थी जिस पर कोई भी मर्द लट्टू हो सकता है | मैं उन दिनों नए दोस्त की संगति में आ गया था जो सेक्स के विषय को लेकर आयदिन चर्चा करते रहेते थे और इसी तरह मेरे दिमाक में सेक्स चर्चा का केन्द्र बनता चला गया | मैं भी अब सेक्स करने के बारे में सोचने लगा मेरे अंदर भी एक वासना की चारद में लिपटने की मनवृत्ति होने लगी |

कुछ पल के लिए तो मुझे कुछ समझ ही नहीं आया और फिर एकदम से सुलेखा का ख्याल आया और झूम उठा | मैंने तय कर लिया की अब चुदाई मचानी है तो सुलेखा की चुत की क्यूंकि एक वही मेरे करीब थी जो मुझे ठंडा कर सकती थी | मैं अगले दिन से सुलेखा के साथ कुछ ज्यादा ही रोमांटिक हो गया और कुछ दिनों में उसे अपने घर पर एक दिन  पार्टी बोलके बुला लिया | जब वो घर पे आई तो खेने लगी, याहं तो तुम्हारे सिवा कोई भी नहीं . .?? मैं भू मुस्काते हुए मैं भी कहना लग, क्यूंकि आज जश्न्न हम दोनों के बीच जो है . . !! उसे लगा शायद मैं उससे प्यार करने लगा हूँ इसीलिए वो भी मचला रही थी पर श्याद उस प्यार के आड़ में मेरी वासना की रूह छुपी हुई थी |

अब मैं सुलेखा से प्यार भरी बातें करता हुआ उसका हाथ सहलाने लगा जिसपर उसने मेरा कोई विरोध नहीं किया | धीरे वो भी मग्न होती गयी और मैं उसे अपनी बाँहों में ले लिया और उसके होठों को जमकर चूसने लगा | मैंने कुछ देर में अपने और सुलेखा पूरे कपड़ों को उतार दिया और बिस्तर पर लिटा दिया | मैं उसे चुमते हुए उसके उप्पर के टॉप को भी उतार रहा तह और साथ ही अपने हाथों से चुचों को मसल रहा था | सुलेखा का पूरा बदन गुदगुदा रहा तह और अब मैं उसके चुचों को चूसने लगा जिसपर वो बिलकुल गर्माते हुए मरी रही जा रही थी | मैंने भी सुम्डी में अपने कांड को जारी करते हुए उसकी पैंटी को उतार दिया |

उसकी चुत की दीवाना बना देने वाली खुसबू में यूँ खो गया की अब चुत को ही चाटने लगा | हमारे घर मे सेक्स का पढाव आने को ही था जिसके लिए मैं धीरे – धीरे अपनी उँगलियाँ उसकी चुत में डालना शुरू कर दिया | सुलेखा चुदासु बनती जा रही थी रो चुत में लंड की तलब उसके बदन में भी बढती जा रही थी तभी मैंने अपना लंड उसकी चुत पर टिकाते हुए धक्का और अब मेरा लंड अब फिसलता हुआ उसकी गीली चुत में धंसता चला गया | उसकी कुंवारी चुत के बारी में ही फंट पड़ी और वो कराहने लगी | मैं कुछ देर शांत रहा और फिरसे उसकी चुत में अपना लंड धंसाए चालू हो गया चुत ठुकाई में और वो भी खुले आसमान में तैर रही थी | मैं भी हौले हौले मज़े भरी सिसकियाँ ले रहा था और मज़े मज़े में झड गया | आखिर मैं उससे चूमता हुआ उसके चुचों को भींच रहा था और हैरानी की बात यह थी सुलेखा को अब भी इन सब चुदेली हरकतों में मेरा प्यार नज़र आ रहा था |

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