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Hot Girls Eighteen

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मेरे घर में कभी भी कामवाली बाई रखने की ज़रुरत नहीं पड़ी थी क्यूंकि मैं सारा काम खुद ही कर लेता था, लेकिन एक दफे जब बीमार पड़ा तो मकान मालकिन ने फ़ोर्स कर के अपनी कामवाली बाई को भेज दिया. वैसे मैंने कभी उस पर ध्यान नहीं दिया था लेकिन जब वो मेरे घर रोज़ काम करने आने लगी तो उस से बातचीत भी होती थी और वो मुझ बीमार की बातें बड़े ध्यान से सुनती और मेरा ख़याल भी रखती थी. उसका नाम चंचल था और उम्र कुछ इक्कीस बाईस बरस, छरहरे बदन और साँवले रंग की मालकिन चंचल बड़ा मटक मटक के काम करती थी और मुझसे हँस हँस के बातें करती थी.

नीतिका रोड के ऊपर टहल ही रही थी और उसने इस गंदे कपडे वाले आदमी को फिर से अपनी तरफ देखते हुए देखा. दांतों में तम्बाकू की लाली दिख रही थी और कपड़ो से तो वो कोई दिहाड़ी मजदुर ही लग रहा था. नीतिका एक रांड हैं जो इसी रोड पर अपने सेक्स की दूकान चलाती हैं. नीतिका के पास भी आज ग्राहक नहीं आया था क्यूंकि त्योहारों के दिन थे. उसने इस बन्दे को अपनी अगली राउंड में देखा तो एक हलकी से स्माइल उसकी तरफ दे दी. और जैसा उसने सोचा था वैसे ही हुआ. इस दिहाड़ी मजदुर ने आँख मार के इशारा किया, चलती क्या!

ट्रेन में उस लड़के ने मुझे बहुत उत्तेजित कर दिया था. पुरे रास्ते में मैं अपने आप को कण्ट्रोल करने की कोशिश करती रही. सीट पर बैठे बैठे कभी मैं अपने पर सिकोड़ती तो कभी अपने गले पर धीरे धीरे हाथ फेरती, पर इन सब से मेरी चुदाई की प्यास बढती ही चली जा रही थी. मैंने जैसे जैसे अपने अरमानो को काबू कर अपनी मंजिल- आ पहुंची. वहां पर मेरे पति के कजिन याने की मेरे कजिन देवर लेने आये थे और उनके साथ उनका एक फ्रेंड भी था. मेरे देवर का नाम मनीष था और उसके फ्रेंड का नाम मयंक था.