मेरा नाम प्रेम है, मुझे प्यार से सब सेक्सीबॉय कहते हैं। मेरी उम्र 19 साल की है.. मैं दिखने में बहुत ही आकर्षक और सुन्दर हूँ मेरा कद 5’8″ का है.. साथ ही मेरा लंड 7″ का है। मैं राँची का रहने वाला हूँ।
मैं आपका ज्यादा वक्त ना लेते हुए सीधे स्टोरी पर आता हूँ।
यह बात उस समय की है.. जब मैं बंगलोर से अपनी +2 फाइनल करके घर वापस आया था। मैं एक महीने की छुट्टी पर आया था।
मेरे घर के सामने एक मेरे अंकल का घर था। अंकल के घर पर अंकल-आंटी और उसकी एक बेटी रहती थी। उनकी बेटी की उम्र 18 साल की होगी.. वो दिखने में बहुत ही स्मार्ट थी, उसका फिगर 28-30-28 का था..
उसको मैं जब भी देखता हूँ तो देखता ही रह जाता हूँ।
सारे मुहल्ले के लड़के उस पर मरते थे.. लेकिन वो मुझ पर मरती थी। मैं उसके घर जब भी जाता था.. वो मुझे देखने के लिए बाहर आ जाती थी। वो मुझे प्यार करती थी लेकिन वो चाहती थी कि मैं उससे बोलूँ।
एक दिन की बात है.. मैं उसके घर पर यूँ ही उससे बात करने गया हुआ था। उस वक्त वो रसोई में काम कर रही थी.. तो उसके हाथ से ज़ीरा की डिब्बा गिर गया.. तो उसे उठाने के लिए नीचे झुकी.. जैसे ही वो झुकी.. मैं उसे देखते ही रह गया। उसके मस्त मम्मों की झलक मुझे दिख गई। शायद वो ब्रा नहीं पहने हुई थी..
मुझसे रुका नहीं गया और मैं तुरंत उसके ही बाथरूम गया और उसके नाम पर एक मुठ्ठ मार ली।
मुठ्ठ मारते समय अंकल की बेटी ने मुझे देख लिया और मुझसे बोली- मुझे छुप-छुप कर देखते हो और मुठ्ठ मारते हो।
मैं उससे रिक्वेस्ट करने लगा- प्लीज़ ये बात किसी को मत बताना..
तो वो मान गई.. लेकिन उसकी एक शर्त थी कि मैं उससे प्यार करूँ.. तो मैं मान गया.. मैं जो चाहता था.. वो मुझे मिल गया।
अब हमारी बात फोन पर होने लगी हम फोन पर सेक्स चैट किया करते थे। जब उसके घर पर कोई नहीं रहता था.. तो मैं उसके घर ज़ा कर उसे किस करता.. कभी उसके मम्मों को दबाता.. कभी गाण्ड टच करता।
एक दिन वो बोली- ये सब कब तक चलता रहेगा?
तो मैं बोला- सब्र करो.. सब्र का फल मीठा होता है।
मैं एक बढ़िया मौके की तलाश में था कि पूरे इत्मिनान के साथ उसके साथ मज़ा करूँ।
फिर आख़िर वो दिन आ ही गया.. अंकल-आंटी कहीं सात दिन की यात्रा पर मुंबई गए थे। अब हम लोगों को तो मानो खजाना मिल गया हो.. इतनी अधिक ख़ुशी हो रही थी कि हमसे ख़ुशी कंट्रोल ही नहीं हो रहा था।
अंकल मेरे घर पर अपनी बेटी के लिए खाना की बोल कर गए थे और वो मुझे रात को उनकी बेटी के पास सोने को कह गए।
आप ये स्टोरी अन्तर्वासना कॉम पर पढ़ रहे हैं।
रात हो चुकी थी तो वो खाना खाने नहीं आई.. मैंने मम्मी को बोला- मैं निशा के लिए खाना ले कर जा रहा हूँ और मैं रात में वहीं रुक जाऊँगा।
तो मम्मी बोली- ठीक है पर ध्यान रखना और घर के सारे दरवाज़े वगैरह बंद कर लेना।
मैं मम्मी को मन ही मन में बोला- और सुहागरात भी मना लूँगा।
लेकिन मैं कैसे बोलता बस अपनी प्रसन्नता को किसी तरह दबाता हुआ निशा को चोदने के सपने देखने लगा।
मैंने निशा को फोन किया- मैं खाना ले के आ रहा हूँ और सुहागरात भी मनाने आ रहा हूँ।
वो बोली- आ जा.. राजा.. मैं भी रेडी हूँ और मेरी चूत भी तुम्हारा बेसब्री से इंतज़ार कर रही है.. ज़ल्दी आओ प्रेम..
मैंने उसके घर के बाहर जा कर घन्टी बजाई। उसने जैसे ही गेट खोला.. मैं देखते ही रह गया।
वो सिर्फ़ ब्रा-पैन्टी में थी.. मैंने सोचा कि उससे वहीं पर चोद दूँ.. लेकिन नहीं.. मैं अन्दर गया और उसने गेट बन्द कर दिया।
अब हम दोनों वहीं पर किस करने लगे, पांच मिनट तक किस किया, वो बोली- सारे काम यहीं कर डालोगे क्या.. बेडरूम में चलो।
फिर मैं उससे गोद में उठा कर बेडरूम में ले जा कर बिस्तर पर उसे गिरा दिया और उस पर चढ़ कर उसे किस करने लगा। किस करते-करते उसके मम्मों को दबाने लगा। मम्मों दबाने के बाद उसकी ब्रा खोल दी और उसके संतरे मुँह से चूसने लगा।
फिर मैं उसे कान के पास किस करने लगा.. वो मछली के जैसा तड़प उठी और मुझे उल्टा करके मेरे जीन्स की ज़िप खोल कर मेरा लंड निकालने लगी। लण्ड निकालने के बाद जब उसने मेरा खड़ा हथियार देखा.. तो वो डर गई।
फिर मैंने उससे समझाया- कुछ नहीं होगा.. मत डरो!
तो वो मान गई, हम दोनों 69 की पोज़िशन में आ गए.. अब मैं उसकी चूत चाट रहा था.. वो मेरा लंड चूस रही थी।
चूसते-चूसते मैं और निशा हम दोनों एक-दूसरे के मुँह में ही झड़ गए। फिर हम दोनों 15 मिनट तक लेटे रहे आपस में चुहलबाजी करते रहे और एक-दूसरे को सहलाते रहे।
फिर हम दोनों किस करने लगे.. किस करते हुए हम दोनों का जोश वापस आ गया। अब मैंने उसकी पैन्टी उतार दी। उसने भी मेरे सारे कपड़े खोल दिए।
हम दोनों चुदाई चालू करने ही वाले थे कि अंकल-आंटी वापस आ गए।
वो बाहर दरवाजे की घन्टी बजा रहे थे। हम दोनों ने अपने-अपने कपड़े जल्दी से पहने.. रूम ठीक किया और निशा ने जा कर गेट खोल दिया।
मैं हॉल में टीवी देख रहा था।
फिर अंकल बोले- रात में मौसम खराब होने के कारण हम लोगों की फ्लाइट कैंसिल हो गई थी इसलिए हम वापस आ गए।
फिर अंकल और मैं एक कमरे में और निशा व आंटी एक कमरे में सो गए।
मुझे अंकल-आंटी पर बहुत गुस्सा आ रहा था.. लग रहा था कि मार दूँ वहीं पर लेकिन नहीं मार सकता था।
हमारी चुदाई अधूरी रह गई थी।
फिर से वही चलता रहा.. कुछ दिन बाद फिर बाद में मौका मिलेगा..