नमस्कार दोस्तों,
आज मैं आपको दिव्या की कहानी सुनाने जा रहा हूँ जोकि मेरे दोस्त की ही बहन थी और उसका भाई मेरा बहुत अच्छा दोस्त भी था | मैंने अक्सर जब भी अपने दोस्त के घर जाया करता तो उसकी बहन दिव्या मुझे बड़ी ही कामुक नज़रों से मुस्कराहट दिया करती थी जिसपर मैं मजेदार तरीके से उत्तजित ही जाया करता था | पहले तो मैंने काफी उसके इशारों को नज़रंदाज़ करने की कोशिश की और मैं धीरे – धीरे अपने आपे से बहार ही होता चला गया | एक दिन मेरे दोस्त को मेरे साथ कहीं बहार जाना था और उसी वक्त जाते हुए उसने मुझे रास्ते में बताया की उसके घर पर उसके माँ – बा घर पर नहीं है और तभी मेरा दिमाक घूम गया और मैंने बीच रास्ते में ही उससे अपने घर पर कुछ ज़रुरी काम के सिलसिले में वापस लौटने का बहाना मार उसी के घर में चला गया |
मुझे पता था की मेरे दोस्त को वापस लौटन में काफी वक्त लग जाएगा इसीलिए मैंने उसकी बहनके पास पहुँच और अब जाते ही पानी पीने के बहाने उसके हाथ को पकड़ दिवार से सता दिया | मैंने कुछ ही पल में दिव्या से एक दम चिपक गया और मैं उसके उसके चुचों को बेसब्री से मसलते हुए मुंह में उसके होंठों को भरके दबाने लगा | मैंने उसके टॉप को वहीँ उतारा दिया और उसके दोनों चुचों के बीच अपने चेहरे को घुसाये हुए था और वो दूसरी और से दोनों चुचों को दबा रही थी | मैंने अब उसे वहीँ उसके पजामे को भी उतार दिया और नीचे झुककर उसकी चुत में ऊँगली करता हुआ चाटने लगा | मुझे उसकी वही पिलपिली चुत में ऊँगली डालते ही एक सुकून मिल रहा था पर शायद उसे मुझे ज्यादा ही राहत मिल रही थी जिससे वो पागलों की तरह तड़प रही थी |
मैंने अब अपनी जीभ से उसकी चुत को चाटना शुर कर दिया और मैंने कुछ देर में अपने लंड को भी पैंट से निकाल लिया जोकि उसकी चुत से देनादानादन टकरा रहा था | मैंने अब कुछ देर ऐसे ही उसकी चुत को मसलते हुए उसे अपनी गौद में उठा लिया और उसकी दोनों टांगें मेरी कमर के से चिपका लिया जिससे वो मेरे पुरे काबू में आ चुकी थी | उसकी चुत के सही नीचे मेरा लंड खड़ा हुआ तड़प रहा था जिसपर मैंने अब उसे छोड़ उसे चोदना शुर कर दिया | मैं अब उसे जोर – जोर से अपने लंड पर उप्पर उठाकर फिसला रहा था जिससे वो चिल्ला भी रही थी पर उसकी चींखें पुरे घर में गूंज रही थी पर मुझे किसी भी बात की फिकर रही थी और मैंने उसकी चुदाई इस तरह चलाये रखी |
मैंने अब उससे वहीँ खड़े होकर मेरे लंड के लिए अपनी गांड को पीछे को उभारने को कहा और पीछे से पहले उसकी गांड पर थप्पड़ मारते हुए मस्त कर लिए और पीछे से उसकी गांड के छेद को भी चुस्त कर उसकी चुत में अपने लंड को देना चालू रखा जिससे अब तो उसकी धासू वाली चींखें निकल रही थी और मेरे मज़े की तो बात ही कुछ और थी मैंने अपने डॉट के वापस लौटने तक दिव्या की इसी मुद्रा में चुत मारी और ऐसे ही झड उसे चूमने लगा |