हे अन्तर्वासना के पटल आप महान हो.. जो इतने प्यासे लंड आपकी साईट पर मिलते हैं और हम जैसी चूत को भी मजबूरी में ये स्टोरी पढ़कर अपनी योनि शांत करने का बहाना मिलता है।
अब पाठकों से मेरा निवेदन है कि बनावटी कहानी भेजकर अपनी विश्वसनीयता बर्बाद न करें।
आज तक पता नहीं मैंने कुछ किया या नहीं पर अब करने का दिल करता है। चार लड़कों के साथ 9 बार समय बिताकर पता चल गया है कि चुदाई ही शरीर की रोटी है।
जब प्यार किया, धोखा खाया।
जब प्यार करना बंद किया… हर एक से प्यार मिलने लगा है।
राहुल, अक्षय, नितेश, अमन ये चार हैं जिन्होंने मेरी चूत के दर्शन किए और घोड़ी की तरह मुझे मजा दिया और लिया।
आज मेरी शील भंग की कहानी से शुरु करना चाहूंगी, इजाजत दें।
घर वालों ने टेलेन्ट देखा तो कोटा की अकादमी में मुझे एडमिशन दिलाया और कमरा भी अलग.. जिसमें कोई मुझे तंग न करे क्यूंकि उन्होंने अपनी बेटी पर खुद से ज्यादा भरोसा किया.. पर किस्मत कहीं और ले जाएगी किसको पता था।
तीसरा दिन था क्लास में सफ़ेद शर्ट और ब्लू जीन्स के नार्मल लिबास में बैठी थी।
पास में बैठा एक लड़का शायद सिगरेट पीकर आया था।
मैंने अपने नाक पर रुमाल रख लिया।
उसने देख कर बोला- इतनी बुरी चीज नहीं है मैडम.. एक बार पीकर देखो।
मैंने कोई जवाब नहीं दिया.. पर पता नहीं क्यों.. क्लास से निकलते ही में सिगरेट लेने पान की दुकान पर चली गई।
सिगरेट लेते ही जब जलाने को माचिस मांगी तो वही लड़का लाइटर जलाकर खड़ा हो गया।
मैं हंस पड़ी और सिगरेट पीते-पीते हम चलने लगे बात होने लगी।
बातों-बातों में उसने बताया आज उसका बर्थ-डे था.. मैंने पार्टी मांग ली।
उसने बताया- शाम को पार्टी है आना।
मैंने मना किया.. पर वो नहीं माना। मैंने भी जिद छोड़ कर ‘हाँ’ कर दी।
शाम को स्कर्ट-टॉप में जब मैं पहुँची तो देखा वहाँ मैं अकेली लड़की थी और उसके 6 दोस्त थे।
मैं वापस जाने लगी तो उसने बोला- चिंता मत करो.. तुम आराम से हमारे साथ फ्रेंड की तरह रहो।
परिचय होने के बाद केक काट कर हम केक खाने लगे।
तभी बियर से भरा कार्टून बीच में आ गया।
मैं तो डर गई.. मेरी 2 ही सेकंड में फट गई।
मुझे बियर ऑफर की गई.. मैंने मना किया तो वो सब पीने लगे।
पीते पीते बर्थ-डे ब्वॉय तो वहीं लुढ़क गया.. तो उसके एक दोस्त ने मुझे घर छोड़ने के लिए कार निकाली।
मैं बैठ गई और जब उसने मेरे कमरे पर छोड़ा तो मैं उसे ‘बाय’ कहकर निकल गई।
रुक तो जाओ अन्तर्वासना के पाठकों तुम सब भी न.. बस चूत लंड का इंतज़ार करते हो।
कोचिंग के वक़्त सुबह मेरी दोस्त अनीषा आया करती थी।
जब कमरे का दरवाजा बजा.. तो मैं नहाने के लिए गई हुई थी।
मैंने कहा- अन्दर आकर बैठ जा.. मैं अभी आई।
जैसे ही मैं काली पैन्टी पहन कर भीगे बदन बाहर निकली.. मेरे तो पैरों तले जमीन खिसक गई।
मैं सिर्फ पैन्टी में थी और बाहर मेरी दोस्त नहीं वो लड़का था.. जो कार से मुझे छोड़ने आया था।
मैंने अपनी आँखें बंद कर ली।
कुछ देर बाद उसने मुझे कस कर पकड़ लिया।
पर मैं उसे धक्का देकर वापिस बाथरूम में भाग गई।
पर पता नहीं क्यों मैं खुद से बेकाबू हो गई थी, वापिस बाहर निकली और जाकर उससे लिपट गई।
होंठ से होंठ मिल गए.. मेरी चूची पर उसके हाथ चलने लगे।
मैं और वो दोनों ही कुछ जल्दी में थे.. दो सेकंड में एक भी कपड़ा हमारे बीच में न बचा था।
वो मुझ पर चढ़ने लगा.. तो मैंने भी क्रीम उठा कर उसे दे दी।
उसने पूरी क्रीम की डिबिया खाली कर दी.. अब लंड और चूत दोनों में भरपूर क्रीम थी।
क्रीम लगाते समय उसकी ऊँगली से.. मैं वैसे भी पागल हो चुकी थी कि अचानक मेरे दरवाजे को किसी ने बजाया।
मैंने डर कर अलग होकर जल्दी से सारे कपड़े पहन लिए और उसे कपड़े देकर बाथरूम में भेज दिया।
दरवाजा खोल कर देखा तो मेरी सहेली थी।
‘शिट..’ निकला मेरे मुँह से।
उसने कहा- क्या हुआ..!
मैंने कहा- यार आज मैं नहीं चल पाऊँगी.. मेरा पेट खराब है, तू चली जा।
उसके जाते ही मैंने दरवाजा बंद कर दिए और अपने कपड़े उतार कर बाथरूम में घुस गई।
बाथरूम में वो अब भी लंड सहला रहा था।
सर्दी के मौसम में भी मैंने फुव्वारा चला कर उसे अपने आगोश में ले लिया और उसने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया।
वासना की आंधी फव्वारे की बारिश में चलने लगी।
मेरे सन्तरे उसने अपने मुँह में भर लिए.. सारा रस निचोड़ लिया।
फिर मुझसे भी न रहा गया मैं नीचे बैठ कर उसका केला चूस लिया।
कुछ ही देर में उसने मुझे फर्श पर लिटा दिया।
चूत में आग लगी थी खेल शुरू हो गया और चूत-लन्ड के खेल में… मैं अपनी सील तुड़वा बैठी।
पानी में खून बह निकला.. आँखों के आंसू पानी में ना दिख पाए।
दिख पाया सिर्फ यह.. कि हमारी आँखें एक-दूसरे की गहराई नापने लगीं।
तीन घंटे वो मेरे साथ रहा.. बहुत प्यार की बातें हुई।
आप मुझे मेरे मेल पर बताएँ वो चारों में से कौन था?
सही जवाब हुआ तो कुछ खास मिलेगा आपको।
धन्यवाद अन्तर्वासना।
फिर आऊँगी.. वादा रहा।