बात उन दिनों की है, जब माँ पापा कहीं बाहर गये हुए थे और मैं घर पर अकेला बोर हो रहा था..
अचानक मन में आया और मैंने कोई नम्बर घुमाना शुरु किया के शायद कोई लड़की भी होगी जो मेरी तरह बोर हो रही होगी, बहुत नम्बर मिलाने के बाद एक नम्बर मिल ही गया.
मैंने कहा – क्या मैं सोनिया से बात कर सकता हूँ…
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तो आवाज़ आयी – यहां कोई सोनिया नहीं है…
मैंने कहा – आप कौन .?. – तो उसने अपना नाम “सीमा” बताया.
मैंने कहा – अगर आप बुरा ना माने तो हम कुछ देर बात कर सकते हैं .?. तो वो मान गई.
अब हम हर दिन बात करने लगे, धीरे – धीरे मैंने उसके बारे में बहुत कुछ जान लिया.. उसे भी सेक्स करने का उतना ही शौक था जितना मुझे..
मैंने उससे पूछा की हम कब मिल सकते हैं… ??
तो उसका जवाब था – जब आप चाहो…
1 दिन मिलने के लिये टाइम भी फ़िक्स हो गया..
जब हमारा सामना हुआ तो स्टोरी बदल चुकी थी.
वो मेरे दोस्त की बहन थी और उसने अपने बारे में जो भी बताया सब गलत था.
मैंने उसे कहा – क्या इरादा है… अगर तुम मेरे साथ नहीं चलोगी तो मैं तुम्हारी सब बातें जो मोबाइल में रिकोर्ड की हैं तुम्हारे भाई को सुना दूंगा…
वो डर गयी और मेरे साथ चलने के लिए मान गई.
उसे लेकर मैं एक होटल में गया और हम रूम में पहुँच गई.
रूम में जाते ही, मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया..
मैं मौका गवाँना नहीं चाहता था.
मैंने उसकी चूची दबानी शुरु कर दी. उसे दर्द होने लगा और वो ऊ ऊ उ ह आ ह्ह्ह्ह्ह् ह्ह्ह्ह की आवाज़ करने लगी..
मैंने उसकी चूचियां उसकी ब्रा से आज़ाद कर दी और उसकी चूचियां चूसने लगा, अब उसे भी मज़ा आने लगा..
मैंने धीरे – धीरे अपना एक हाथ उसकी सलवार में डाल दिया और उसके चूतड़ सहलाने लगा.
वो मज़ा लेने लगी थी.
अब मैंने अपना हाथ उसकी बुर पर फ़ेरना शुरु किया.. वो मदहोश होने लगी..
उसकी आंखें बंद होने लगी, मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और उसकी सलवार और पैंटी अलग कर दी..
अब वो मेरे सामने एक दम नंगी लेटी हुई थी..
मुझसे रहा नहीं जा रहा था, उसकी चूत गीली हो चुकी थी.
मैंने उसकी टांगे उठाई और चोदना शुरु कर दिया..
वाह !! उसकी सील भी बंद थी जो और मज़े की बात थी..
जैसे ही मेरा ७ इंच का लंड उसके अंदर गया, वो कराह उठी..
लेकिन ये मज़े की कराहट थी, अब २-३ बार धक्का देने के बाद उसकी सील टूट गयी, अब चुदाई जोरों पर थी..
वो आह्ह ह्ह ह्ह ह्हह कर रही थी और मज़ा भी ले रही थी.
हम दोनो चुदाई का आनंद ले रहे थे.
उस दिन हमने २ बार चुदाई का मज़ा लिया और इसके बाद हमें जब भी मौका मिलता हम ये खेल खेलते थे और आज भी खेलते है.