मेरा नाम प्रदीप है, मै भोपाल का रहना वाला हूँ, उम्र 23 साल है और मेरी एक छोटी बहन है जिसकी उम्र अभी 20 साल है। आज मैं आपको अपनी वो सच्चाई बताने जा रहा हूँ जो मुझे बहुत हिम्मत और अनेकों कहानियां पढ़ने के बाद मिली।इस कहानी को मस्तराम पर एक बार मैंने किसी और से शेयर करवाया लेकिन मई आज इस कहानी को फिर से अपने शब्दों में बया कर आप लोगो तक पहुचाने जा रहा हूँ l
यह सच्चाई मेरी और मेरी बहन की है। मेरी बहन का नाम सुधा है, वो मुझसे 3 साल छोटी है, घर पर ही रहती है।
वो दिखने में बहुत सुन्दर है। उसके मम्मों का साइज़ 34 है.. और गांड देख लो.. तो क़िसी का भी उसे वहीं घोड़ी बना कर लंड डालने का दिल करे।
भाई-बहन की चुदाई की कहानियां मुझे ज़्यादा अच्छी लगती हैं, मैं इस तरह की कहानियों को मई बहुत टाइम से मस्तराम डॉट नेट पर बहुत पहले से पढ़ रहा हूँ। इन कहानियों को पढ़ने के बाद मेरा मन बदलने लग़ा। अब मैं अपनी बहन के ऊपर नज़र रखने लगा था। उसकी मचलती जवानी को देख कर मैंने सोचने लगा था कि कब उसकी जवानी को मसलने का मौका मिले, अपनी बहन की चूत चुदाई का अवसर मिले! मेरी बहन भी दिन ब दिन निखरती ही जा रही थी।
बात तीन महीने पहले की है, मुझको मौका मिल ही गया। एक दिन वो घर में अकेली थी.. सब लोग बाहर गए हुए थे और मैं अपने कॉलेज गया हुआ था। लेकिन मेरी छुट्टी जल्दी हो जाने की वजह से मैं घर जल्दी आ गया।
जब मैं घर पहुँचा.. तो सुधा मेरे कमरे में सो रही थी। सुधा ने लोवर और टी-शर्ट पहनी थी और वो उल्टी लेटी थी।
इस समय मेरी बहन की 36 साइज़ की गांड ऊपर उठी हुई थी और उसकी पैन्टी की लाइन साफ़ नज़र आ रही थी। मेरी बहन के चूचे नीचे दबे थे। मैं सुधा के पास गया और उसकी टी-शर्ट में हाथ डाल कर उसकी कमर पर हाथ फेरने लगा।
घर में भी कोई नहीं था.. तो मुझे ज्यादा डर नहीं लग रहा था।
मैं हल्के-हल्के से हाथ फेरता हुआ उसकी ब्रा तक ले गया और ब्रा का हुक खोल दिया। फिर उसकी टी-शर्ट ऊपर करके मैं अपनी बहन की कमर पर अपनी जीभ फेरने लगा। इतने में सुधा हिली.. तो मैं पीछे को हट गया। वो सीधी हो कर लेट गई।
उस टाइम मेरी बहन की चूचियों के चूचुक टी-शर्ट के ऊपर से खड़े हुए थे। मैं अपनी दो उंगलियों से उसके निप्पलों को दबा कर मसलने लगा। जब मैंने सुधा के मुँह की तरफ देखा.. तो मेरी बहन अपनी आँखों को ज़ोर से बंद कर रही थी।
मैं समझ गया कि मेरी प्यारी बहन जाग रही है और चूची मिंजवाने के मज़े ले रही है।
मैंने उसकी टी-शर्ट ऊपर की और सुधा को आवाज़ दी- सुधा थोड़ा ऊपर हो जाओ.. तो तेरी टी-शर्ट और ऊपर कर दूँ।
उसने अपनी कमर उठाई और ऊपर को हो गई। अब मैं समझ गया कि मेरी बहन पूरी तरह से गर्म हो गई है। मैंने उसकी टी-शर्ट गले तक ऊपर कर दी, फिर मैंने ब्रा के ऊपर से ही चूचे पकड़े और दम से मसलने लगा। दो मिनट मसलने के बाद मैंने ब्रा को भी ऊपर किया और अपनी बहन के गोरे-गोरे मम्मों को मसलने लगा और लाइट ब्राउन निप्पलों को चूसने लगा।
फिर मैंने उसकी टी-शर्ट और ब्रा उतार दिया। अब मेरी बहन ऊपर से नंगी थी। मैंने अपना लंड निकाल लिया, उसकी आँखों के ऊपर हिलाया और बोला- बहना आँखें खोलो। उसने आँखें खोलीं.. तो मेरा लंबा लंड देख कर दंग रह गई। दोस्तों आप ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ा रहे है l
मैंने कहा- इसे पकड़ो।
उसने अपने हाथों से मेरा लौड़ा पकड़ लिया और एक किस कर दिया। उसने ये सब ऐसे किया था जैसे साली इस काम में एक्सपर्ट हो। मैं अपना लौड़ा उसके मुँह पर रगड़ने लगा। मेरी बहन ने अपना मुँह खोला और लंड के टोपे को मुँह में लेकर चूसने लगी।
मैं हल्के-हल्के झटकों के साथ अपनी बहन का मुँह चोदने लगा। मैं अपना आधा लौड़ा ही अपनी बहन के मुँह में दे रहा था। फिर मैंने अपना लौड़ा सुधा के मुँह से निकाला और उसके लोवर को नीचे सरका कर उतार दिया।
मेरी बहन ने रेड कलर की पैन्टी पहनी हुई थी.. जो उसके काम रस से गीली थी। मैं पैन्टी की साइड से हाथ डाल कर चूत रगड़ने लगा। सुधा ‘ऊऊहह भैयाअ.. आआअहह.. मुझे कुछ हो रहा है प्लीज़ करते रहो.. आहह..’ करती रही।
फिर मैंने अपना हाथ पैन्टी से बाहर निकाल लिया और पैन्टी भी उतार दियाl मेरी बहन की चूत एकदम टाइट थी, उस पर छोटी-छोटी रेशमी झांटें उगी थीं। मैंने अपनी एक उंगली बहन की चूत में डाली तो सुधा चिल्ला पड़ी। फिर मैं अपनी बहन की चूत को चाटने लगा और अपनी जीभ भी चूत के अन्दर करने लगा।
मेरी बहन के मुँह से ‘आआहह.. ऊऊहह.. भैया.. और अन्दर जीभ करो भैया.. आआहह..’ आवाजें आ रही थीं। कुछ ही देर बाद मेरी बहन झड़ने वाली थी.. तो मैंने बहन की चूत चाटनी बंद कर दी।
अब मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और सुधा के मम्मों को रगड़ने लगा। फिर उसके ऊपर होकर मैं अपनी बहन के होंठों का रसपान करने लगा. मेरी बहन मेरे नीचे दबी थी और मेरा लौड़ा मेरी बहन की चूत को टच कर रहा था।
मेरे लौड़े से पानी भी निकल रहा था.. जो मेरी बहन की चूत की फांकों पर लग रहा था।
मैं अपनी जीभ उसके मुँह में डालने लगा। मेरे हाथ में सुधा के मम्मे थे.. जिन्हें मैं पूरी बेदर्दी से भंभोड़ रहा था। सुधा लगातार ‘आअहह.. ऊओह.. हमम्म..’ करते हुए मेरे बालों में हाथ फेर रही थी। फिर मैं बिस्तर पर खड़ा हो गया और सुधा को अपने लटकते लौड़े के नीचे बैठा दिया। मैंने अपने लंड को उसके मुँह के पास किया, सुधा मेरे लौड़े को बड़ी गौर से देख रही थी।
मैं अपने हाथ में लौड़ा पकड़ कर सुधा के मुँह पर मार रहा थाl मैंने कई बार ज़ोर से उसके गालों पर लंड को मारता.. तो सुधा अपनी आँखों को ज़ोर से बंद कर लेती। उसके गाल लाल हो गए थे। फिर मैंने अपना लौड़ा सुधा के होंठों पर रखा। मेरी बहन काफ़ी समझदार थी.. तो उसने खुद अपना मुँह खोल लिया और लंड के टोपे को चूसने लगी।
मैंने अपनी बहन का मुँह पकड़ा और ज़ोर से झटके मारने लगा.. जिससे लौड़ा मेरी बहन के गले तक चला गया।
सुधा मुझे धकेलते हुए पीछे को करने लगी क्योंकि मेरी बहन का दम घुटने लगा था। मैंने जोर से झटके मार कर लौड़ा मुँह से निकाल लिया। मेरी बहन खांसने लगी, वो बोली- भैया आराम से कर लो.. ऐसे मत करो.. मैं कोई रंडी तो नहीं हूँ.. जो आप ऐसा कर रहे हो।
मैं बोला- बहना तू लौड़ा तो ऐसे चूसती है जैसे पहले तूने कई लंड चूसे हैं।
वो मुस्कुरा कर रह गई और फिर से मेरा लौड़ा चूसने लगी।
थोड़ी देर बाद मैंने उसको बिस्तर पर लिटा दिया।
अब मैं अपने लंड को उसकी मस्त चूत पर रगड़ने लगा।
सुधा बोली- क्यों तड़पाते हो अपनी रंडी बहन को.. भैया डाल दो लंड अपनी बहन की चूत के अन्दर और बन जा बहनचोद।
मैंने लंड के टोपे को अपनी बहन की चूत में टिकाया और एक ज़ोर का झटका मारा।
मेरा लौड़ा मेरी बहन की चूत की सील तोड़ता हुआ आधा अन्दर चला गया। मेरी बहन ज़ोर से चिल्लाई और मुझे धक्के से पीछे करने लगी।
मैंने भी सुधा को अच्छे से पकड़ा हुआ था.. जिससे वो पीछे ना हटा सकी।
सुधा मुझसे लौड़ा बाहर निकालने को बोली.. लेकिन मैंने अन्दर ही रहने दिया। वो अपना सर को इधर-उधर मार रही थी। हल्के-हल्के झटकों से साथ मैंने अपनी चुदासी बहन को चोदने लगा।
सुधा ‘आअहह उउउइइ भैया.. बाहर निकाल लो प्लीज़.. भाई आअहह..’ करती रही।
थोड़ी देर मैं अपनी बहन को ऐसे ही चोदता रहा।
मेरी चुदासी बहन को मज़ा आने लगा, वो ‘ऊऊहह भाई.. थोड़ा और अन्दर करो ना.. भाई आअहह.. भाई मज़ा आ रहा है..’ बोलने लगी। दोस्तों आप ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ा रहे है l
मैं बोला- मेरी रंडी बहना कहे.. तो पूरा पेल दूँ तेरी चूत में..
तो बोली- हाँ भाई पूरा पेल दो ना.. प्लीज़ पूछते क्यों हो।
मैंने अपना थोड़ा लंड बाहर निकाला और पूरी ज़ोर का झटका मारा।
मेरा लंड मेरी बहन की चूत में पूरा चला गया।
सुधा बहुत ही ज़ोर से चिल्लाई। मैंने 2 या 3 झटके ही मारे.. जब मैंने अपनी बहन की चूत देखी थी। उस वक्त वहाँ पर खून लगा था। सुधा की सील पैक चूत की सील टूट चुकी थी और उसकी आँखों में पानी था.. उसकी आँखें बंद थीं।
मैं ऐसे ही अपना लौड़ा अपनी बहन की चूत में डाल कर धीरे-धीरे झटके मारता रहा।
सुधा ‘ऊऊहह आअहह.. उउउइइ भैया.. दर्द हो रहा है.. प्लीज़ रुक जाओ.. आहह..’ करने लगी।
मैं भी थोड़ा रुक गया।
अब मैं सुधा के मम्मों को मसलने लगा और होंठों को किस करता रहा।
सुधा को थोड़ी राहत मिली तो मैंने सुधा से पूछा- चुदाई स्टार्ट करूँ?
तो वो अपनी गांड उठाते हुए बोली- हाँ भैया अब धक्के मारो.. अब चूत में दर्द नहीं है.. अब पूरी तेज़ी से चोदना अपनी रंडी बहन को।
मैंने ये सुनते ही झटके मारने स्टार्ट कर दिए और तेज झटकों से अपनी रंडी बहन की चूत मारने लगा।
सुधा मज़े से ‘आहह ऊऊहह.. हमम्म भैया.. आअहह मारो और तेज़ी से मारो भाई.. फाड़ दो आज अपनी बहन की चूत को.. आआहह मज़ा आ रहा है भाई.. ओह.. मेरे बहनचोद भाई.. ऊओह मारते रहो..’ करने लगी।
मैं भी अपनी रंडी बहन को गाली देते हुए चोदने लगा।
अब मेरी बहन झड़ने वाली थी- आअहह बहनचोद.. मैं झड़ रही हूँ.. अपना माल मेरी चूत में ही डाल कर मेरी चूत की प्यास बुझा दे मेरे बहनचोद भाई आहह.. ऊऊहह.. मजा आ गया।
वो मजा करते हुए झड़ गई।
मैंने लौड़े पर अपनी बहन की चूत से निकला हुआ पानी महसूस किया और मैं तेज झटके मारता रहा।
उसकी चूत से ‘फचफच.. फुचाफच..’ की आवाज़ कमरे में गूँजने लगी।
मेरी चुदासी बहन बोली- आह्ह.. भाई अब बस करो.. मैं झड़ गई हूँ.. आप भी झड़ो अब.. आहह भाई प्लीज़..
मैं और तेज हो गया- आआहह रंडी कुतिया तुझे तो मैं अपने बच्चे की माँ बनाऊँगा साली रंडी.. आअहह.. मेरा माल तेरी बच्चेदानी में निकल रहा है.. आह्ह.. रंडी मेरी बहन आअहह..
मेरे लौड़े से वीर्य की गरम धार मेरे छोटी रंडी बहन की चूत, बच्चेदानी में निकल गई।
मैं कुछ पल यूं ही सुधा के ऊपर लेटा रहा।
थोड़ी देर बाद मेरी बहन बोली- भाई कोई ऐसा भी करता है अपनी बहन के साथ जो आपने किया है। कोई भाई अपनी बहन की चूत मारता है?
‘मैंने क्या किया है साली.. तू खुद ही कह रही थी और तेज.. और तेज.. अब बोल रही है ऐसा भी करता है कोई भाई.. साली रंडी।’
हम दोनों हँसते हुए मजे से एक-दूसरे से चिपक गए।
इसके बाद मैंने अपनी बहन को कुतिया बना कर उसकी 36 साइज़ की गांड मारी.. जिससे देख कर मैं तरसता था। इसका बाद जब भी मौका मिलता है.. हम भाई बहन चुदाई का मज़ा लेते हैं, मैं अपनी बहन की चूत मारता हूँ।