मेरा नाम करन अरोड़ा है।
मेरा कद 6 फुट और खिलाड़ी जैसी कद-काठी है।
इसी वजह से मुझे कभी कॉलेज में लड़कियों की फ़ुद्दी की कमी महसूस नहीं हुई और न ही चुदाई के लिए चूत की कमी हुई।
मैं बचपन से ही पढ़ाई में काफी अच्छा था, तो मेरी सारी पढ़ाई भी बहुत अच्छे कॉलेज में हुई।
यह बात उस समय की है जब एमबीए के बाद मेरी नौकरी एक फार्मा कंपनी में एक मार्केटिंग मैनेजर (मैनेजमेंट ट्रेनी) के रूप में हुई।
कंपनी का हेड ऑफिस पुणे में था।
था तो वो भी एक नंबर का शिकारी.. उसने अपने ऑफिस में एक से बढ़ कर एक माल लड़कियाँ भर रखी थीं।
मैंने सोचा कि अभी मेरे कैरियर की शुरुआत है और मुझे एमडी से पंगे नहीं लेना चाहिए.. तो मैं जान-बूझकर लड़कियों से दूर रहता था और कोशिश करता था कि किसी तरह एमडी के दिल में जगह बना लूँ।
एमडी भी मुझे ज्यादा टूर पे भेज देता था और मुझे हेड ऑफिस में रुकने के लिए बहुत कम समय मिलता था, पर मैं किसी तरह उसे यकीन दिलाना चाहता था कि मैं उसका माल नहीं हथियाना चाहता हूँ।
इसी बीच हमारी कम्पनी की वार्षिक मीटिंग हुई।
पार्टी में ऑफिस की सब लड़कियाँ एक से एक पटाखा बनकर आई थीं।
किसी की छोटी स्कर्ट तो किसी के उछलते हुए बुब्बे…
तभी मेरा ध्यान एमडी की बीवी शीना पर गया।
उसकी उम्र तो 38-40 के आस-पास थी.. पर फिर भी क्या फाडू माल थी..
फिगर 36-28-38 और काली साड़ी में गजब लग रही थी।
उसे देखते ही मेरे हाथ से गिलास गिरने लगा।
मैं सोच रहा था कि एमडी कितना बेवकूफ है जो अपने घर के माल को छोड़ कर अपनी जग-हँसाई करवा रहा है।
मैंने नोटिस किया कि एमडी पूरी तरह से शराब में मस्त होकर नेहा.. जो कि हमारी एचआर मैनेजर थी.. के पीछे पड़ चुका था।
नेहा मुझ पर पूरी तरह से फ़िदा थी।
मुझे भी चाणक्य नीति सूझी और मैंने सोचा कि आज तो बॉस को भी खुश कर दिया जाए और अपनी भी बाजी मार ली जाए।
मैं सीधा जाकर बॉस के पास खड़ा हो गया.. जहाँ उसकी बीवी भी खड़ी थी।
बॉस मुझे घूर कर देखने लगा और उखड़े मन से हाथ मिलाया।
मैंने उसके कुछ कहने से पहले ही बोला- मुझे आपसे एक बात करनी है।
और उसे सीधा नेहा के पास ले गया और नेहा के सामने बॉस की तारीफ़ करनी शुरू कर दी।
मैंने नेहा के सामने उसकी खूब बढ़ाई की और उसे बोला- अगर तुम कुछ सीखना चाहती हो तो बॉस से बढ़िया तुम्हें कोई नहीं सिखा सकता।
जैसे ही वो बातों में मस्त हुए.. मैं भी मौका देख कर बॉस की बीवी के पास पहुँच गया।
मैंने उनसे पूछा- आप कुछ लेंगी क्या?
तो उसने बड़ी-बड़ी आँखों से मेरी तरफ देखा और बोली- जो तुमने अपने बॉस को दिलाया, वैसा ही कुछ मुझे भी ला दो।
यह सुनते ही मैं हक्का-बक्का रह गया, यह तो मुझसे भी ज्यादा स्मार्ट निकली।
मुझे तो जैसे सांप सूंघ गया हो।
तभी वो बोली- फिलहाल तो मुझे बर्फ डाल कर एक गिलास विहस्की ला दो ताकि उससे ही काम चलाऊँ।
मैंने देखा बॉस तो नेहा को लेकर कहीं गुम हो चुके थे और इधर उनकी बीवी भी पैग पे पैग चढ़ाए जा रही थी।
बाकी ऑफिस के लोग भी उनके आस-पास मंडराने लगे थे।
तभी डांस फ्लोर पर डांस शुरू हो गया और 1-2 लड़कियों ने मुझे डांस के लिए पूछा तो मैं भी डांस करने लगा।
तभी डांस करते हुए मुझे ऐसा लगा कोई बार-बार मेरे पीछे टच कर रहा है..
मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो शीना पीछे थी।
मैं भी पीछे मुड़ कर उसके साथ डांस करने लगा।
वो अपनी मस्त कूल्हे हिला-हिला कर डांस कर रही थी।
अधेड़ उम्र के लोगों को तो छोड़ो.. मेरी हालत ही खराब हो रही थी।
पहली बार मैं अपनी से बड़ी उम्र की औरत को ऐसे देख रहा था।
बीच-बीच में वो अपना हाथ मेरे लंड पर मार देती थी.. जो पहले से ही तन चुका था।
जब उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी कमर से चिपका लिया तो मुझे डर लगने लगा.. कहीं वो शराब के नशे में सबके सामने कुछ कर न दे।
मैंने हल्के से उनसे छिटक कर एक ओर चला गया।
तभी वो मेरे पास से होते हुए निकली और मुझे पीछे आने का इशारा कर दिया।
मैंने देखा कोई हमें देख तो नहीं रहा है और उनके पीछे चला गया।
जैसे ही मैं पार्टी हॉल से बाहर निकला तो उनके पीछे चलने लगा।
वो सीधे होटल कॉरिडोर से होती हुई एक कमरे में घुस गई।
मैं भी उनके पीछे उस कमरे में चला गया और दरवाजा बंद कर लिया।
जैसे ही मैंने कुछ बोलने की कोशिश की वो मुझसे बेल की तरह लिपट गई और रोने लगी।
इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाता, वो बोली- करन तुम्हें पता नहीं है कि मैं क्या-क्या सहती हूँ.. तुम्हारे बॉस ने मुझे एक नाकारा चीज़ की तरह घर के एक कोने में फेंक रखा है।
वो मेरी आँखों में झांकते हुए पूछने लगी- क्या मैं नाकारा हूँ?
मैंने उसके होंठों पे होंठ रख दिए और बदहवासी से उसे चूमने लगा।
उसके होंठ इतने रसीले थे कि मेरे मुँह में लार भर गई। मेरे हाथ उसके कूल्हों को नाप रहे थे।
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मैंने उससे कहा- तुम तो कोहिनूर हीरा हो.. जिसे एक जौहरी ही पहचान सकता है।
शीना के हाथ मेरी पैन्ट में तने हुए लोहे को ढूंढ रहे थे।
वो अपने घुटनों के बल बैठ गई और मेरी बेल्ट खोल कर पैन्ट नीचे कर दी।
वो थोड़ी देर मेरी चड्डी के बाहर से मेरा लंड सहलाती रही।
वो एक सधी हुई खिलाड़ी की तरह मेरे साथ खेल रही थी और इधर मेरा बुरा हाल हो रहा था।
मैं उसका सर पकड़ कर अपने लंड से रगड़ने लगा।
उसने जैसे ही मेरी चड्डी नीचे की.. मेरा फनफनाता हुआ नाग उसके मुँह पर चांटे की तरह पड़ा।
उसने अपने नाज़ुक हाथों से मेरा लंड को बड़े सँभालते हुए पकड़ा.. जैसे कोई नवजात शिशु को थामता है।
वो मेरे लौड़े को अपनी जीभ की टिप से सहलाने लगी।
बस फिर क्या था.. मैंने पूरे जोर से उसके बाल पकड़ लिए.. वो समझ गई कि मैं झड़ने वाला हूँ, पर उसके दिमाग में कुछ और था।
उसने मुझे एकदम से दूर कर दिया। मैं समझ नहीं पाया कि आखिर क्या हुआ।
वो कहने लगी- राजा अभी इतनी जल्दी कहाँ चले?
मुझे भी शर्म आ गई.. मैं इतनी जल्दी तो आज तक नहीं झड़ा.. पर मैं रुकने वाला कहाँ था।
मैंने उसे उसको पीछे से पकड़ लिया और उसकी गांड मेरे लंड से सट गई।
वो खिलखिला कर हँसने लगी।
मैंने उसे बिस्तर पर पटक दिया और उसकी टांगों से साड़ी ऊपर करने लगा।
उसकी गोरी टाँगें मुझे और दीवाना करने लगीं।
मैं उसकी टांगों को चाटता हुआ ऊपर जाने लगा और वो सिसकारियाँ भरने लगी।
जैसे ही मैं उसके भोसड़े के पास पहुँचा.. मैंने उसका मांस दांतों में भींच लिया।
वो चिल्लाने लगी और मुझे दूर झटक दिया।
तब मुझे होश आया कि मैं उस फूल के साथ कुछ ज्यादा सख्त हो गया था।
मैंने उससे माफ़ी मांगी और उसके गालों पर हल्के से चूम लिया।
उसका विचार कुछ नेक नहीं था.. उसने मेरे गले को चूमना शुरू किया और चाटते हुए काटने लगी।
हम एक-दूसरे में इतने मगन हो गए थे कि मुझे ख्याल ही नहीं रहा कि मेरा लंड और उसकी फ़ुद्दी दोनों अभी कतार में हैं।
यह पहली बार था कि मैंने आधे घंटे से ज्यादा वक़्त तक किसी की फ़ुद्दी में अपना लंड प्रवेश नहीं कराया था।
मुझे पता भी नहीं चला कब उसने मेरा लंड पकड़ा और अपनी फ़ुद्दी के मुहाने पे लगा दिया। उसकी सिसकारियाँ तेज़ होने लगीं।
वो बोली- करन अब थोड़ा प्यार से.. नहीं तो मैं मर जाऊँगी।
मैंने भी धीरे-धीरे धक्के मारना शुरू किए।
उसने मुझे इतनी कस कर पकड़ा था कि मैं जितना मर्जी जोर लगा लूँ.. छूट न पाऊँ।
वो अपने दांत भींच के आवाजें निकल रही थीं- ऊ ऊ.. फ्फ.. फ्फ.. कक.. फक्क्क.. मी .. हा.. हार्ड.. रियली.. हार्ड..
मैं भी पेलने में लग गया।
लगातार 15-20 मिनट तक धक्के लगाने के बाद वो झड़ गई- करन.. आई लव यू.. फक्क… मी…
उसकी आँखों में आँसू आ गए, वो भावुक होकर मुझसे ऐसे लिपट गई.. जैसे मैं उसे कभी छोड़ कर न जाऊँ।
मैं भी उसे छोड़ने वाला नहीं था।
मेरे झड़ने से पहले वो दो बार और झड़ गई।
तब मुझे पता लगा कि अगर एक बार रोक लिया जाए तो बहुत लम्बा काम किया जा सकता है।
उस रात तो हम दो घंटे से ज्यादा चुदाई नहीं कर पाए.. पर जो सिलसिला शुरू हुआ वो मुझे परिपक्व बनाता चला गया।
अब उसे मुझे सिखाना नहीं पड़ता।
क्यूंकि एक मैनेजमेंट ट्रेनी अब पूरा मैनेजर बन चुका था।