लण्ड का जादू चल गया

Lund ka Jadu Chal Gaya
दोस्तो, मैं राजबीर पानीपत हरियाणा से एक बार फिर से आपके सामने अपने जीवन की दूसरी रंगीन घटना लेकर आया हूँ।

आपने मेरी पिछली कहानी पढ़ी ‘मामी की बीमारी‘ आपकी मुझे बहुत सारी ईमेल आईं..

मुझे अच्छा भी लगा और बुरा भी लगा..
क्योंकि आधे से ज्यादा मित्र कहते हैं कि मामी का नम्बर दे दे।

एक बार तो मेरा मन हुआ कि अब आगे ना लिखूँ..
पर मेरे एक दोस्त ने मुझे दोबारा लिखने को कहा और उसके जोर देने के कारण आज दोबारा लिख रहा हूँ।

अब मैं उस दिन की घटना पर आता हूँ।

मामी को चोदते हुए मुझे लगभग 8-9 महीने हो गए थे..

एक दिन मामी ने बताया- सरला को हमारे ऊपर शक हो गया है..

सरला आंटी मामी के घर के बाजू वाले घर में रहती थीं.. जिनकी उम्र लगभग 38-40 के लगभग होगी।

उन्हें सेक्सी तो नहीं कह सकते.. लेकिन वो एक मोटे और गदराए जिस्म की मालकिन थीं।

उनके पति एक कपड़े के व्यापारी थे और बहुत मोटे थे.. उस सरला आंटी से भी मोटे…

मामी मुझसे कह रही थीं- सरला कहती है कि या तो उसे भी इस खेल में शामिल करे.. वरना वो सारे मोहल्ले में हम दोनों को बदनाम कर देगी।

तो मैंने कहा- मैं इसमें क्या कर सकता हूँ?

तो मामी कहने लगीं- एक बार मेरी खातिर उससे भी चुदाई कर लो..

तो मैंने ऊपरी मन से दुखी होने का नाटक करते हुए ‘हाँ’ कर दी.. तो मामी तुरंत उस आंटी को बुला कर ले आईं।

सरला आंटी आते ही एक बार तो कहने लगीं- इतना दमदार तू लगता तो नहीं.. जितना तेरी मामी की रात को निकलने वाली आवाज बताती है.. खैर मेरा काम कब करेगा?

तो मैंने कहा- जब आप कहो..

आंटी कहने लगीं- अभी तो वो घर आने वाले हैं.. मैं अभी जा रही हूँ लेकिन इस बार जब वो सूरत कपड़ा खरीदने जायेंगे तो मैं तेरी मामी को बता कर तुझे बुलवा लूँगी।

तो मैंने कहा- ठीक है।

इतना कह कर आंटी वहाँ से चली गईं और उस दिन मामी के साथ चुदाई करके मैं भी वापिस आ गया।

फिर मुझे लगभग 20 दिन बाद मामी का फोन आया- उस सरला ने तुझे बुलाया है.. तू आ जा..

मैं वहाँ शाम को लगभग 4 पहुँचा.. तो जाकर देखा कि मामा जी आए हुए हैं.. तो मामी कहने लगीं- तेरे मामा भी अभी-अभी आये हैं।

तभी मुझे आया देख कर वो सरला आंटी भी वहीं आ गईं और वह मामा को आया देख उस आंटी का भी मुँह भी उतर गया और वो बिना कुछ कहे वापस चली गई।

मैं उस रात वहीं रूक गया।

रात को लगभग 11 बजे उस आंटी का फोन आया- नींद आ गई क्या?

तो मैंने कहा- नहीं।

वो कहने लगी- अभी आ सकते हो?

मैंने कहा- अभी कैसे.. मेरे घर में मामा जी हैं और आपके घर में आपके बच्चे होंगे।

वो बोली- मैंने अपने बच्चों को नींद की गोली देकर सुला दिया है.. तुम छत पर आओ… मैं तुम्हें वहाँ मिलूँगी।

मैं छत पर गया तो वो वहाँ पहले से खड़ी थी.. कहने लगी- मेरे साथ आओ।

मैं छत से कूद कर उनकी छत पर गया और उनके साथ नीचे चला गया। वो मुझे अपने साथ अपने कमरे में ले गई और जाते ही कमरा अन्दर से बंद करके बोली- मुझे भी वो जादू दिखाओ जिसके कारण तुम्हारी मामी तुम्हारी दीवानी हुई पड़ी है।

वो उस समय एक खुली सी नाइटी पहने हुई थी और घुटनों तक ऊपर करते हुए बैठ पर बैठ गई और बोली- अब इंतजार किसका कर रहे हो.. आ जाओ..

मैं जैसे ही उनके करीब गया.. उन्होंने अपने भारी-भारी हाथ मेरे कंधे पर रखते हुए अपने नर्म होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और मेरे होंठ चूसने लगी।

अब मैं भी थोड़ा गर्म होने लगा और मेरे हाथ भी हरकत में आने लगे।

अब मैंने अपने दोनों हाथों से चूचुक मर्दन शुरू कर दिया।

लगभग 5 मिनट तक मेरे होंठ चूसने के बाद वो एकदम से अलग हुई और बिजली सी तेजी के साथ अपने सारे कपड़े निकाल फेंके और मेरे कपड़े उतारने लगी।

मेरे कपड़े उतार कर अपनी टाँगें फैलाकर पलंग पर लेटती हुई बोली- आ जाओ।

यह देख कर मुझे थोड़ी हँसी आ गई।

मुझे हँसता देख कर बोली- मेरे मोटापे पर हँस रहे हो?

मैंने कहा- नहीं आपकी जल्दी पर हँस रहा हूँ.. मैंने तो अभी कुछ किया भी नहीं।

तो बोली- अभी तुम ही तो करोगे और क्या तुम्हारा बाप करने आएगा।

मैंने हँस कर कहा- आपका ऐसा ही मन है तो मैं चला जाता हूँ और अपने बाप को भेज देता हूँ..

इस पर वो थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोली- साले.. अब आएगा भी या ऐसे ही हँसता रहेगा?

मैंने सोचा अब देरी करना ठीक नहीं होगा और मैं उनके मोटे-मोटे चूचों पर टूट पड़ा।

एक पर मुँह से और एक पर हाथ से और दूसरा हाथ जन्नत द्वार पर ले गया और नीचे ऊँगली चोदन शुरू कर दिया।

वो गनगना गई और एक बार तो मना करने लगी- चोदो मुझे..

मैंने कहा- थोड़ा रुको.. मज़ा लो और दो…

फिर थोड़ी देर बाद मैं चूचे चूसते-चूसते धीरे-धीरे पेट के रास्ते नीचे उसकी चूत तक पहुँच गया.. वहाँ थोड़े-थोड़े बाल थे.. मैं अब नीचे वाले होंठ चूस रहा था और वो सिसकारी ले रही थी।

अब उसके दोनों हाथ मेरे सर पर थे और मुझे ऐसे दबा रही थी.. जैसे मुझे अपनी चूत में डाल लेगी।

वो कहने लगी- राजू तेरा जादू चल गया रे..

अब लगभग 15 मिनट की चुसाई के बाद उसने ढेर सारा पानी उगल दिया जो कुछ मेरे मुँह में चला गया और कुछ मेरे मुँह पर लगा था।

अब और अब वो शान्त हो गई और मुझे ऊपर की ओर खींचते हुए बोली- यह सुख आज तक नहीं मिला.. मुझे नहीं पता था कि ऐसे भी चुसाई की जाती है।

अब मैं उसके होंठ चूसने लगा.. मैं अपना लण्ड उसके मुँह में देने लगा तो उसने साफ़ मना कर दिया और कहने लगी- यह काम मेरे से नहीं होगा..

मैंने काफी जोर दिया तो एक बार मुँह में लेकर निकाल दिया और कहा- मुझे उलटी हो जाएगी।

फिर मैंने दबाव नहीं दिया।

अब मैं एक बार फिर जीभ से चूत को गीली करने लगा तो वो कहने लगी- चोदेगा कब?

तो मैंने कहा- उसकी ही तैयारी है.. बस देखती रहो…

फिर मैंने लंड चूत के होंठों पर रख कर एक झटका मारा तो आधा चला गया और लगातार झटके मारते हुए पूरा अन्दर डाल दिया।

उसने थोड़ा सा ‘ऊँह’ किया और फिर आराम से चुदते हुए कहने लगी- आज 6 महीने में इतने जुगाड़ लगा कर लंड नसीब हुआ है।

फिर कमरे में बस चुदाई-संगीत बज़ रहा था.. लगभग 20-25 मिनट तक अलग-अलग स्टाइल में चोदने के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया।

फिर कुछ देर ऐसे ही लेटे रहने के बाद वो दोबारा मेरे लण्ड से खेलने लगी।

मैंने कहा- सोच लो.. इस बार पहले गांड मारूँगा।

तो कहने लगी- जो मर्ज़ी मार लो लेकिन मार लो..

फिर हम 20 मिनट बाद दोबारा शुरू हुए.. लेकिन शुरुआत गांड से हुई और उस रात मैंने सरला आंटी की एक बार गांड और दो बार चूत मारी।

लगभग सुबह के 3.30 या 4 बजे के आस-पास कहने लगी- अब तुम जाओ और वापिस अपने घर जाते समय मिल कर जाना।

मैं उसी रास्ते से मामा के घर आया और सो गया।

सुबह 11 बजे के लगभग उठा तो मामा अपने काम पर जा चुके थे.. बच्चे स्कूल चले गए थे और मामी अपने कपड़े निकाल कर मेरे साथ लेटी हुई थीं।

फिर मामी की गांड मार कर मैं जैसे ही हटा.. तभी दरवाजे के पीछे से आंटी आईं और बोली- बड़ी अच्छी सेवा करते हो आप.. ये लो अपनी सेवा की मेवा।

वे मुझे 5000 रूपए देने लगीं।

मैंने मना किया तो कहने लगीं- यह प्रोग्राम अब हर हफ्ते चलेगा और ऐसे तो तुम कमज़ोर हो जाओगे.. इनसे अपने लिए खाने-पीने का सामान खरीद लेना।

उन्होंने मुझे जबरदस्ती रूपए दे दिए और साथ ही मुझे कहा- ये हम दोनों के राज की बात हम तीनों के अलावा किसी को पता नहीं चलनी चाहिए।

अब वो दिन और आज का दिन लगभग हर 10 वें दिन उस आंटी का फोन आ जाता है और मुझे जाना पड़ता है.. लेकिन जाते ही मेरे खाने-पीने का विशेष ख्याल रखा जाता है।

तो दोस्तो, ये मेरे दूसरी और अंतिम घटना है.. इसके बाद अभी तक यदि कोई नहीं हुई।

यदि आगे सेवा का मौका मिला तो आप सबके सामने ज़रूर लिखूंगा।
आपका राजबीर

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