शराबी दोस्त नशे में बेहोश था और उसकी बीवी उसी बिस्तर पर रात भर मुझसे चुदवाती रही

दोस्तों मेरा नाम रघु है और मेरे दोस्त मेरे को लेडी किलर भी कह के बुलाते है. मेरे को चोदने का बहुत मजा आता है. और मैं अपने दोस्त लोगों के साथ भी बहुत आंटी और रंडी लोगो को चोद चूका हूँ. वैसे तो मैंने बहुतों को चोदा हैं लेकिन आज जिस की कहानी आप को बता रहा हूँ उसे चोदने में मेरे को सब से ज्यादा मज़ा आया था. तो चलिए अपनी हिंदी सेक्स कहानी आप को बताऊँ!

मेरे घर के सामने वाले घर में एक शादीसुदा कपल भाड़े पर रहने के लिए आया. भैया का नाम लखन यादव था. वो दिखने में किसी पानीपूरी वाले के जैसा लगता था और रंग भी काला था. और उसकी बीवी यानी की भाभी जी का नाम माधुरी था और वो सच में अपने नाम के जैसी ही मधुर थी. भाभी की हाईट 5 फिट 5 इंच, बोबे करीब 36 इंच के, कमर 30 इंच की और गांड रही होगी कुछ 36 की और कडक! और भैया जितना घोंचू दीखता था भाभी उतनी ही माल दिखती थी.

लखन भैया की जॉब एक कारखाने पर थी सुपरवाईजर की और वो बारह बारह घंटे तक काम करते थे. मोर्निंग में 9 बजे के जाते थे और घर आने में उन्हें 10 हो ही जाते थे रात के. माधुरी भाभी बहुत जल्दी ही मेरे घरवालों के साथ जम गइ थी और उसका नेचर घर में सब को अच्छा लगा. मैं खुद भी उसके घर आने जाने लगा था. मेरी और उसकी उम्र में बहुत डिफ़रेंस नहीं था. अक्सर लखन भाई की आखरी बस छूट जाती थी तो माधुरी भाभी मेरे को ही बोलती थी की जाओ भैया को ले आओ कारखाने से. कभी कभी लखन को ठेके से शराब लेनी होती थी. तो रात के 12 तक भी हो जाते थे. और माधुरी मेरे और उसके ऊपर बिगडती थी जब हम दोनों वही ठेके से पी के आते थे. वो मेरे को कहती थी की लखन के साथ आप भी गलत लाइन पर जा रहे हो. लेकिन हमने उसकी एक ना सुनी.

एक दिन लखन भाई ने जम के ड्रिंक कर ली थी. और वो होश में भी नहीं थे. मैंने बाइक स्लो स्लो चलाई और उन्हें घर पर ले आया. फिर कंधे को पकड के मुझे उन्हें बिस्तर तक ले के जाना पड़ा. भाभी ने जब लखन को इस हालत में देखा तो वो हंस दी. 

मैंने लखन के शर्ट के दो बटन खोले क्यूंकि गर्मी थी. और भाभी से हंसने की वजह पूछी.

भाभी बोली वो तो मैं इसलिए हंसी की रोज कम से कम चल के आते थे और आज तो पुरे ही लुडक पड़े.

मैंने कहा, अरे आज वो कुछ खुश थे इसलिए एक्स्ट्रा दो पेग लगा लिए.

भाभी ने कहा, चलो ठीक है लेकिन क्या इन्होने खाना खाया है, खाने के लिए उठेंगे क्या?

मैंने कहा नहीं अब ये खायेंगे नहीं और सिर्फ सुबह की चाय पर ही उठेंगे शायद.

और ये कह के मैं अपने घर जाने के लिए निकल रहा था तो भाभी ने पूछा सब बताना रघु ये इतनी ड्रिंक करते है, कोई तकलीफ तो नहीं होगी ना रात में आज?

मैंने कहा नहीं ये सुबह तक होश में आ जायेंगे भाभी. आप भी सो जाओ.

भाभी ने कहा आप भी यही सो जाओ आज की रात प्लीज. मेरे को डर लग रहा है क्यूंकि ये ऐसे पी के बेहोश पहले कभी नहीं हुए है.

मैंने कहा ओके भाभी अगर आप को ऐसे फ़िक्र है तो मैं यही सो जाऊँगा आज नाईट.

भाभी ने पलंग के पास ही मेरे लिए बिस्तर लगाया और वो अपने पति के साथ पलंग पर सोई. लखन भाई दिवार वाली साइड पर थे. और मैं जहाँ निचे सोया था वो वाली साइड पर माधुरी भाभी थी. लाईट अभी भी ओन थी और मेरे को उजाले में नींद नहीं आती है. इसलिए मैं कभी इधर तो कभी उधर करवट लेता गया. और भाभी ने ये देखा तो उसने मेरे को पूछा की क्या हुआ आप अभी तक सोए नहीं?

मैंने कहा भाभी मेरे को अँधेरे में सोने की आदत है इसलिए.

भाभी ने हंस के कहा आप पहले ही बोल देते मेरे को, रुको मैं बत्ती बुझा दूँ.

और ये कह के उसने खड़े हो के लाईट ऑफ कर दी और वो वापस सो गई. लेकिन मेरी आँखों में तो अभी भी नींद नहीं थी. पलंग की ऊपर लम्बे हो के सोये लखन के खर्राटे भी अब नींद में बाधा बन रहे थे. बहार स्ट्रीटलाईट की रौशनी आ रही थी हलकी हलकी कमरे में जिसकी वजह से रूम का हल्का हल्का द्रश्य बन रहा था. मैंने देखा की नींद में माधुरी भाभी का पल्लू निचे हो गया था और उसके सेक्सी बूब्स ब्लाउज के बंधन में छिपे हुए थे. और भाभी के कडक ब्लाउज का वो सिन देख के मेरे लंड में आग लगने लगी थी. भाभी के बारे में गंदे विचार आने लगे थे और मेरा लंड खड़ा होने लगा था. मेरे मन में विचार आया की लखन तो सोया ही है फिर क्यूँ ना मैं भाभी के साथ एन्जॉय कर लूँ थोड़ा!

मैं पलंग के एकदम पास आ गया और धीरे से हाथ को ऊपर रख दिया. भाभी की कमर टच होने लगी थी. फिर मैं अपने हाथ को एकदम स्लो स्लो आगे ले गया और हाथ को उसके ब्लाउज तक पहुंचा दिया. अब मैं भाभी के ब्लाऊज पर हलके से रब कर रहा था और दूसरा हाथ मैंने लंड पर रख के उसे सहलाना चालू कर दिया. माधुरी भाभी अभी भी सोयी हुई ही थी.

मेरी हिम्मत एकदम से बढ़ चुकी थी और अब मैंने भाभी के खुले पेट के ऊपर अपने हाथ को घुमाया. मेरे लंड की गर्मी सातवें आसमान पर थी और मेरे दिमाग में भाभी को नंगा कर के चोदने के ख़याल आ रहे थे. मैंने अब हिम्मत कर के भाभी के ब्लाउज को खोलने का सोचा और फिर एक बटन को खोल ही दिया. और फिर दुसरे बटन को भी खोल दिया. और फीर मेरे को लगा की भाभी शायद जाग रही थी और मेरे को देख रही थी. मैं जान गया की वो भी एन्जॉय कर रही थी इसलिए कुछ नहीं बोला.

अब भला किस बात का डर होता मेरे को! मैंने उठ के जैसे अपनी बीवी को नंगा कर रहा होऊं वैसे बाकी के बटन को खोल दिए. ब्लाउज के अंदर भाभी ने ब्रा नहीं पहनी थी थी इसलिए दोनों की दोनों चूचियां एकदम से फ्री हो गई. भाभी के मस्त निपल्स हलकीरौशनी में चमकने लगे थे. शायद वो कब से जाग गई थी लेकिन सोने का नाटक करती रही. अब मैंने भाभी के निपल्स को अपने मुहं में भर के उन्हें चुसे और उसके बूब्स को दबाने लगा.

भाभी की साँसों की गर्मी बढ़ रही थी और वो मेरे माथे पर फिल हो रही थी. और फिर माधुरी भाभी ने अपने बूब्स को  पकड के चुसाए. उसकी आँखे अब खुली हुई थी और फिर हमने एक दुसरे के होंठो को चुसना चालू कर दिया. मैंने भाभी को खिंच के निचे फर्श पर अपने पास लिटा दिया. माधुरी भाभी ने अब अपने हाथ से मेरे लंड का कब्ज़ा ले लिया और वो उसके साथ खेलने लगी.

भाभी मेरी पेंट और अंडरवियर के ऊपर से ही मेरे लंड को जोर से मसल रही थी और मैं ऊपर उसके दोनों बूब्स को सकिंग का मजा दे रहा था. भाभी की साँसे एकदम गरम और तेज चलने लगी थी. उसके ऊपर भी बूब्स चुसाई से सेक्स का नशा चढ़ने लगा था. मैंने उसके बूब्स चूसते हुए अब साडी और पेटीकोट दोनों को ऊपर कर दिया. कमर के ऊपर तक हो जाने से अब मेरे को माधुरी भाभी की पेंटी एकदम साफ़ नजर आ रही थी.

मैंने अपने एक हाथ को उसकी पेंटी में रख दिया और ऊँगली से उसकी चूत का छेद खोजने लगा. चूत एकदम गीली हो गई थी उसकी और जैसे ही मेरी ऊँगली छेद पर दबाई तो वो एकदम प्यार से मख्खन के जैसे अंदर समा गई. लखन भाई नजदीक में ही थे इसलिए वो मेरे से सिर्फ साइन दे दे के बातें कर रही थी.

अब माधुरी भाभी से रहा नहीं जा रहा था और उसे लंड लेने की जल्दी हुई लगती थी. उसने मेरे क इशारा किया और बोला की जल्दी से लंड को चूत में डाल दो. मैं भी तो उसे चोदने के लिए रेडी ही था. माधुरी ने अपनी दोनों टांगो को खोल दिया था अपनी पेंटी को निकाल के. और वो लंड को चूत में लेने के लिए पोज बना चुकी थी. मेरे उसके ऊपर होते उसने मेरे को खिंच सा लिया. मैंने भाभी के दोनों पैरो को अपने कंधो के ऊपर रख दिए और अपने लंड को उसकी चूत के छेद पर रख दिया. मेरे एक ही झटका देने से मेरा लंड उसकी चूत को चिर के अंदर जा घुसा और उसके मुहं से अह्ह्ह्हह निकल गई!!!! मैंने अपने हाथ से उसके मुहं को दबा दिया, ताकि लखन सुन ना ले.

और मैं अब अपने लंड को उसकी चूत में अंदर बहार करने लगा. लंड की गति बढ़ी थी और भाभी का दर्द भी कम हो चूका था. वो भी अपनी कमर को हिलाने लगी थी और चुदाई में मेरा पूरा साथ दे रही थी. अब मैंने उसके मुहं पर से हाथ को हटा दिया. उसकी चूत एकदम गीली थी जिसकी वजह से लंड आराम से अंदर बहार हो रहा था. मैंने भी अपनी स्पीड को और बढ़ा दी और लंड उसकी चूत को मजे से चीरता रहा. वो मेरे को किस कर कर के अपनी प्यासी चूत में लंड के धक्के झेल रही थी. मेरे हाथ भाभी के बूब्स पर थे जिनका मर्दन कर के मैं उसे और तेज गति से पेलने लगा था.

और फिर भाभी ने मेरे को कस के अपनी बाहों में पकड लिया और उसके बदन ने झटके खाए. मैं समझ गया की वो झड़ चुकी थी. और फिर मैंने उसके होंठो पर किस दिया और अपने लंड के धक्के चालु रखे. 3- 4 मिनिट के बाद मेरे को लगा की मेरा भी वीर्य निकलने को है. तो मैंने अपनी स्पीड को बढ़ा दी. भाभी को पता था की वीर्य निकलने को है लेकिन उसने कुछ कहा नही तो मैंने अपना सब पानी उसकी गीली चूत में ही निकाल दिया.

भाभी की चूत में लंड रख के मैं पांच मिनिट ऐसे ही उसके ऊपर पडा रहा. और वो खुश लग रही थी मेरे से चुदवा के. फिर उसने इशारा किया मेरे को हटने का तो मैं उसके ऊपर से उतर गया. हमने अपने कपडे पहन लिए और भाभी वापस जा के अपने पति के पास सो गई जैसे कुछ हुआ ही ना हो.

भाभी अब मेरी तरफ अपनी गांड कर के सोई हुई थी और मैंने सोने से पहले उसकी गांड को खूब सहलाया और हाथ से उसके बूब्स भी दबाये. नींद बड़ी मस्त आई इस मस्त चुदाई के बाद.

दुसरे दिन मैं उठा तो लखन आलरेडी जॉब के लिए निकल गया था अपनी. भाभी एकदम वो अंदाज में मेरे लिए चाय ले के आई जैसे कोई दुल्हन सुहागरात के बाद पति के लिए ले के आती है. और माधुरी ने मेरे को बताया की लखन डेली ड्रिंक कर के आता है या थका होता है इसलिए वो ऐसे सो ही जाता है. और मेरे को एक बात समझ आ गई थी की आगे भी भाभी मेरा लंड लेने की तमन्ना रखती थी.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

|