सीधे लड़के से चुदवा के उसे बिगाड़ा
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पति के पेरालिसिस के सदमे के बाद मुझे उभरने में कुछ हफ्ते लग गए. पहले तो ऑफिस मेनेजर बाबु ही मेनेज कर लेते थे लेकिन फिर ससुर जी ने बहुत कहा तो मैंने सोचा की बात तो सही हैं उनकी, अब इतने बड़े कारोबार को नोकरो के भरोसे पर छोड़ देने में भलाई नहीं थी. ऐसा नहीं हैं की मेनेजेर बाबु कम भरोसे के हैं लेकिन फिर भी अपना बन्दा तो अपना होता हैं. मेरे देवर भी अपनी एम्एबए के लिए इंग्लेंड में थे और उनका पूरा एक साल बाकी रहा था. और इस पढाई के बाद उनकी तो पहले से ही इच्छा थी की वो इंग्लेंड का पासपोर्ट लेंगे इसलिए मैंने उन्हें भी वापस बुलाना उचित नहीं समझा. ससुर जी को तो मेरे पति ने ही रिटायर्ड करवा दिया था इसलिए मैंने उन्हें भी घर में रख के ऑफिस की जिम्मेदारी अपने कंधो पर ले ली. वैसे मैं अपनी शादी के पहले पापा के बिजनेश में उनकी हेल्प करती ही थी इसलिए ये कोई इतना बड़ा टेंसन वाला मामला नहीं था मेरे लिए.
जैसे जैसे ऑफिस में काम करती गई मेरा मन बहलता गया और उधर मेरे पति की रिकवरी भी फास्ट ट्रेक पर थी. घर में ही फ़िजिओ आता था उन्हें व्यायाम करवाने के लिए और उसने कहा था की मेरे पति का रिस्पोंस बड़ा सही था. वैसे तो सब कुछ ठीक था लेकिन पिछले कुछ महीनो से मुझे सेक्स नहीं मिला था और मैं अन्दर से उबल रही थी जैसे की उसको पाने के लिए. पति को परेशान कर के मैं कुछ लेना नहीं चाहती थी उनसे. ऐसे में एक ऑप्शन जो मेरे लिए एकदम सही था वो था ऑफिस का एक लड़का जो केबिन में चाय पानी देने के लिए आता था. वो प्यून रामाधिर का बेटा यशवंत था जो कोलेज में पढाई करता था मोर्निंग में और फिर दिन में ऑफिस में ऑफिस बॉय का काम करता था. उम्र कच्ची तो नहीं थी उसकी लेकिन चहरा एकदम बचकाना था. ऊपर से एकदम सीधा था बेचारा. मुझे लगा की मेरी प्यासी चूत को इस लड़के से चुदवाने में आगे कभी ब्लेकमेल व्हाईट मेल का खतरा नहीं रहेगा.
यशवंत को मेरे घर में ससुर जी, मेरे पति और नौकर तक जानते थे क्यूंकि वो होशियार था और बहुत बार हम लोगों को फाइल्स वगेरह में मदद करता था. कभी कभी मेरे पति उसे घर ले के आते थे और इवनिंग में वो उनके साथ स्टडी रूम में उनकी हेल्प करता था. यशवंत मजबूत कंधेवाला और चौड़े सीने का मालिक हैं, जैसा की एक औरत एक मर्द में ढूंढती हैं. मैं भी उसे जानबूझ के अपने बूब्स की गली दिखाती थी और कभी कभी अपने केबिन में बुला के उसको करीब से टच करती थी. उसके साथ मैं बहुत खुल के बात करती थी. लेकिन उसने कभी भी चांस नहीं लिया. मेरी फ्रस्टेशन बढ़ रही थी, क्यूंकि मुझे ऐसा लग रहा था की यशवंत कुछ नहीं करेगा. थक के मैंने सोचा की उसे घर में बुला के देखती हूँ.
और फिर एक दिन मैंने शाम को उसे अपनी केबिन में बुला के कहा शाम को घर चलोगे, कुछ फाइल्स देखनी हैं?
जी मेडम कह के वो जाने को था तो मैंने कहा की घर यही से चलेंगे साथ में.
वो बोला, ओके मेडम.
शाम को मैने उसे अपनी गाडी में ही बिठा लिया. वो मेरी बगल की ही सिट में बैठा था. शाम के ६:३० हो रहे थे और शर्दियो का मौसम था इसलिए अँधेरा हो चूका था. मैं बार बार उसे देख रही थी कार ड्राइव करते वक्त, वो भी मुझे देख के स्माइल दे देता था.
फिर मैंने चुप्पी तोड़ते हुए उसे पूछा, गर्लफ्रेंड हैं तुम्हारी?
नहीं मेडम, कहते हुए उसके चहरे पर अजब सी चमक आ गई.
तो फिर काम कैसे चलाते हो?
यह सुन के वो और भी हंस पड़ा लेकिन एक शब्द भी नहीं बोला. फिर मैंने उसे पानी चढाने के लिए कहा, तुम इतने अच्छे दीखते हो और स्मार्ट भी हो फिर भला कैसे नहीं हैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड?
वो अभी भी हंस रहा था. फिर रस्ते में चाईनीज फ़ूड का पार्सल लिया मैंने. और फिर वापस हम घर की और निकल पड़े. घर पहुँच के मैंने देखा की मेरे ससुर जी बहार हॉल में मैगज़ीन पढ़ रहे थे. मेरे पति के पास जा के देखा तो नर्स ने उन्हें खाना दे दिया था और वो आराम कर रहे थे. ससुर जी के पास यशवंत को बिठा के मैं ऊपर गई और फिर कुछ देर बाद मैंने अपने बेडरूम में बैठे हुए ही नौकरानी को कहा की यशवंत को ऊपर भेजो.
यशवंत ऊपर आया तब तक मैंने पतली नाईट स्यूट पहन ली, शर्दी तो लग रही थी लेकिन उसे उत्तेजित भी तो करना था. यशवंत मेरे बेडरूम के पास वाले स्टडी रूम में आ गया. मैंने बेडरूम से निकल के अन्दर गई और यशवंत मुझे ही देखता रहा. स्टडी रूम में ही सीसीटीवी की स्क्रीन थी. वहां से देखा तो मैंने पाया की हॉल खाली था, ससुर जी शायद बेडरूम में थे. यशवंत मुझे ही देख रहा था ऊपर से निचे तक.
मैंने पूछा, कैसी लग रही हूँ मैं?
उसकी जबान जैसे अटक सी गई. शायद उसे डर सा लगा मेरे पूछने से. लेकिन वो बोला, आप तो हमेशा ही अच्छी लगती है मेडम.
मैंने उसके करीब आई, इतना के मेरे बूब्स उसके कंधे को टच हो गए. वो नजर निचे किये हुए था. मेरे बूब्स उसे टच हुए लेकिन फिर भी उसने संयम रखा हुआ था. मैंने उसके माथे को अपने हाथ से पकड़ा और ऊपर किया. उसकी नजर मेरे बूब्स पर टिकी हुई थी. मैंने उसका हाथ उठा के अपने चुन्चो पर रखवा दिया. यशवंत फटी आँखों से मुझे देख रहा था.
आप क्या कर रही हो मेडम?
कुछ नहीं, बस तुम्हे बता रही हूँ की गर्लफ्रेंड क्या करती हैं!
मेडम ये सही नहीं हैं! आप मेरी मालिकिन हैं!
यशवंत तुम्हारे साहब बीमार हैं और मुझे तुम्हारी जरूरत हैं, प्लीज़ मना मत करो. वो कुछ नहीं बोला और खड़ा रहा पथ्थर के जैसे. मैंने उसके हाथ को अपने बूब्स पर दबाया और पहली बार उसने कुछ हॉट फिलिंग दिखाते हुए मेरे बूब्स को दबाया. मेरे बूब्स काफी बड़े हैं इसलिए मुश्किल से वो एक बूब को एक वक्त में दबा सकता था. नाईट स्यूट में मैंने ब्रा नहीं पहनी थी इसलिए उसको वो सिल्की टच मजेदार लगा होगा. फिर मैंने अपने नाईट स्यूट को ऊपर कर के जब अपने बूब्स उसे दिखाए तो यशवंत की आँखे खुली रह गई. मेरे निपल्स एकदम काले हैं और एकदम बड़े बड़े. यशवंत ने आगे सर कर के मेरे एक निपल को अपने मुहं में दबा के जैसे ही चूसा तो मुझे एकदम से बदन में करंट सा लगा, बहुत दिनों के बाद यह अहसास जो हुआ था.
यशवंत जैसे चुन्चो से दूध निकालना हो वैसे उन्हें अपनी जबान और दांतों के बीच में दबा के चूस रहा था. मुझे बहुत मस्त लग रहा था. मैंने अपना हाथ आगे कर के उसकी पेंट की ज़िप को खोल दिया. और ज़िप के अन्दर ही मैंने अपना हाथ डाल दिया. चड्डी के अंदर ही उसका गर्म लंड मेरे हाथ में आ गया. मैंने उसे दबाया और यशवंत के मुह से एक सिसकी निकल पड़ी. मैंने उसे कहा, बड़ा हैं!
अब वो भी खुल सा गया था और उसने कहा, छोटे में आप को मजा आनी भी नहीं थी मेडम.
अब की हंसने का टर्न मेरा था. मैंने कहा, निकालो न इसे बहार.
आप ही निकाल लो न मेडम.
मैंने उसके लंड को चड्डी के होल से बहार निकाला, लेकिन यशवंत ने मेरी गलती को सुधारते हुए पतलून को घुटनों तक खिंच ली और फिर चड्डी भी ऐसे ही निचे कर दी. उसका लंड काला था और एकदम फुला हुआ. मैंने अब पतलून को एकदम खिंच ली और वो अब सिर्फ शर्ट में था मेरे सामने. मैंने भी अपनी निकर खिंच ली और उसने उतने समय में अपने शर्ट को उतार फेंका. अब हम दोनों एकदम नंगे थे. मैंने यशवंत को बिस्तर में धकेला और खुद उसके ऊपर आ गई. उसके लंड को हाथ से हिला के मैंने उसे और टाईट कर दिया. फिर उसके बिना कुछ कहें ही मैंने उसे अपने मुह में ले दबा लिया और केंडी के जैसे चूसने लगी. यशवंत को बड़ा सुख मिल रहा था. वो मेरे बालों में प्यार से हाथ घुमा के चूसा रहा था मुझे.
२ मिनिट के ब्लोव्जोब में ही उसने मेरा माथा पकड़ के ऊपर कर दिया, मैं फिर भी भूखी कुतिया के जैसे लंड पर लपकी रही उसने कहा. मेडम निकल पड़ेगा मेरा.
मैंने कहा, निकल जाने दो एकबार, फिर सेकंड टाइम में लम्बा चलेगा.
यशवंत के लंड को मैंने फिर से मुह में ले के चूसा और उसका वीर्य सच में निकल पड़ा. मैं छिनाल के जैसे सब पी गई और फिर खड़ी हो के अपने बालों को सही कर के उसमे पिन लगा रही थी तो यशवंत ने कहा, मेडम मुझे आप की चाटनी हैं!
तो चाटो ना ये लो, कह के मैंने अपनी टाँगे खोल दी. वो मेरी चूत में घुसा और उसे चाटने लगा. बाप रे यह शर्मीला लड़का अब तो बहुत बिगड़ सा गया था और मेरी चूत को मजे से चूस रहा था. मेरे पसीने छुट गए और मैंने एकदम चुदासी रंडी के जैसे उसके माथे को अपने बुर पर दबा दिया. यशवंत की जुबान मेरे बुर के छेद में ही थी जिसे घुमा घुमा के वो मुझे जन्नत की सैर करवा रहा था. मेरा पानी निकल गया इस मस्ती से क्यूंकि उसकी जुबान ने मेरी चूत को पिगला डाली थी.
अब हम दोनों ही सेक्स के लिए जैसे मरे जा रहे थे. मुझे निचे लिटा के वो मेरे ऊपर आ गया. मेरे बुर पर उसने लंड को घिसा तो मैंने पूछा, पहले कभी किया हैं?
नहीं मेडम, वो बोला.
कोई बात नहीं आज सिख लेना, यह कह के मैंने लंड को एकदम सही जगह पर सेट कर दिया. फिर उसने एक ही धक्के में पौने लंड को अन्दर कर दिया. मैंने उसे अपने आलिंगन में ले लिया और फिर उसने दुसरे धक्के में मुझे पूरा लंड चूत में दे दिया. अब वो अपनी गांड को हिला के मुझे चोद रहा था और मैं निचे लेटे हुए अपनी गांड को हिला के उस से चुदवा रही थी.
उसका यह पहला सेक्स था इसलिए मैंने ज्यादा साहस नहीं किया और ऐसे देसी पोज़ीशन में ही उसे चोद लेने दिया. मुझे इतने वक्त के बाद अपनी चूत में लंड मिल रहा था वही मेरे लिए तो बड़ी बात थी!