अजनबी से चुदवाकर मैंने अपनी तड़पती चूत की आग शांत की अब दूसरा अजनबी ढूंढ रही हु

kamukta हेलो दोस्तों मैं जान्हवी आप सभी का sexkahani.net में स्वागत करती हूँ। मैं पिछले कई सालो से इसकी नियमित पाठिका रही हूँ और ऐसी कोई रात नही जाती जब मैं इसकी सेक्सी स्टोरीज नही पढ़ती हूँ और मजे नही लेती हूँ। दोस्तों मेरा घर दिल्ली में है। मैं आपको फैमिली के साथ में रहती हूँ। मैं बहुत गोरी और जवान लड़की हूँ। मेरा बदन बहुत गोरा और सुडौल है। कद 5’ 2” है। जिस्म चिकना और दुधिया है। मेरा फिगर कमाल का है सेक्सी और बिलकुल फिट। 36, 30, 34 का फिगर है मेरा। मैं बहुत सुंदर लड़की हूँ। मेरे ओठ, मम्मे, मेरे रेशमी काले बाल, मेरी लचकती कमर और उफनती और भरे भरे गोल स्तन सब कुछ बहुत मस्त है। मुझे सेक्स करना बहुत पसंद है और रात में नियमित रूप से चूत में मोटा लंड खाना बहुत पसंद है। लंड न मिलने पर मैं चूत में ऊँगली, अंगूठा, या डिलडो डालकर जल्दी जल्दी चला लेती हूँ और भरपूर मजा ले लेती हूँ। मेरी भरपूर जवानी देखकर लड़को के लंड खड़े हो जाते है। वो मुझे कसके चोदना चाहते है।
ये कुछ महीने पहले की बात है। मैं सुबह सुबह बस से अपने कॉलेज जाती थी। वैसे तो मुझे सीट मिल जाती थी पर कभी कभी बहुत रस रहता था। सोमवार के दिन तो सब लडकियाँ कॉलेज जाती थी और अक्सर मुझे बस में खड़े रहना पड़ता था। एक दिन कोई बत्तमीज आदमी बस में मेरे पीछे ही खड़ा था। भीड़ का फायदा उठाकर उसने अपना हाथ मेरे बाए पुट्ठे पर रख दिया और सहलाने लगा। मुझे बहुत गुस्सा आया पर लोकलाज के डर से मैंने कुछ नही कहा। धीरे धीरे मुझे वो आदमी हर सोमवार को बस में मिल जाता और भीड़ में मेरे पीछे ही खड़ा हो जाता और मेरे मुलायम पुट्ठे मसलना शुरू कर देता। धीरे धीरे ये सिलसिला बन गया। अगले सोमवार को फिर उसने मेरे साथ बस में यही किया। मैं बस से उतरी तो वो भी उतर गया। वो 40 साल के आसपास का आदमी था। रंग बिलकुल काला पर जिस्म भरा हुआ था। वो काफी लम्बा चौड़ा था। मैं बहुत नाराज थी उसके कारनामे से।

“ऐ मिस्टर!! क्या दिक्कत है तुम्हारी??? शर्म नही आती ऐसे राह चलते लड़कियाँ को छेड़ते हो??? क्या तुम्हारे घर में माँ बहने नही है??” मैंने गुस्सा करके पूछा
“माँ बहन है पर पर कोई माल नही है। बोलो चूत दोगी???” उसने ओठ पर जीभ लगाकर मुझे नीचे से उपर की तरह ताड़ते हुए बोला। उसकी आँखें कह रही थी की वो मेरी जवानी के मजे लूटना चाहता है। मुझे कसके चोदना चाहता है।
“दिमाग खराब है तुम्हारा??? रुको अभी पुलिस को फोन करती हूँ” मैंने कहा और मोबाइल निकाल लिया
“ठीक है…ठीक है जा रहा हूँ। आइंदा से ऐसा नही होगा। कभी मूड बने तो काल कर देगा” उस अजनबी से कहा और जबरदस्ती मेरा हाथ में एक कागज पकड़ा दिया और चला गया। मैं कागज खोला। मेरी चूत की तस्वीर उसने पेन से बनाई थी और अपना मोटा लंड भी तस्वीर में मेरी चूत में डाल दिया था। उसका फोन नम्बर वहां लिखा था। मैं कागज को फेकने जा रही थी पर मैंने उसे अपने पर्स में रख दिया। अलगे कुछ सोमवार तक वो मुझे नही मिला। एक रात मेरा चुदाई का बहुत दिल कर रहा था। मैं लैपटॉप में इंटरनेट खोलकर चुदाई वाली फिल्म देखने लगी। धीरे धीरे मैंने अपनी सलवार खोल दी और पैंटी उतारकर नंगी हो गयी और जल्दी जल्दी अपनी गुलाबी चूत में ऊँगली करने लगी। धीरे धीरे मुझे मजा आने लगा। ये कहानी आप इंडियन सेक्स कहानी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।
दोस्तों मेरी बुर बहुत सुंदर थी। खूब बड़ी और उपर की तरह उभरी गुलाबी रंग की चूत किसी पाव ब्रेड की तरह दिखती थी। लगता था की मेरी चूत में हॉट चोकलेट भरी हुई है। मेरी चूत के होठ बड़े बड़े थे जो किनारे किनारे की तरफ आ गये थे। मैं अपने बॉयफ्रेंड से कई बार चुदा चुकी थी। इसी वजह से ऐसा हुआ था। मेरी रसीली चूत के होठ भी काफी सेक्सी थे। मैं जल्दी जल्दी अपनी चूत में ऊँगली करने लगी। दोस्तों फिर अचानक मुझे वो आदमी याद आने लगा जिसमे कितनी बार मेरे पुट्ठों को भीड में मसल दिया था और मजा ले लिया था।
““ओह्ह माँ….ओह्ह माँ…उ उ उ अजनबी कहाँ हो तुम??? उ उ……अअअअअ आआआआ…. आओ आओ आज मुझे आकर चोद लो। मैं कुछ नही करूंगी। आओ जान मुझे चोद डालो आज तुम” मैं इस तरह किसी बिच की तरह चिल्ला रही थी। और जल्दी जल्दी अपनी रसेदार बुर में ऊँगली कर रही थी। आप लोग विश्वास नही करेंगे की मैंने मैंने 18 मिनट अपनी चूत में ऊँगली की। हर पल हर सेकंड मैंने उस अजनबी मर्द को याद किया और जल्दी जल्दी बुर फेटी। अंत में मैं झड़ गयी। “ओहह्ह्ह…ओह्ह्ह्ह…अह्हह्हह…अई..अई. .अई… उ उ उ उ उ…” स्खलित होने के बाद मैं किसी रंडी की तरह दोनों टांग खोलकर बिस्तर पर पसरी थी। मैं हांफ रही थी। मेरी चुद्दी अपना रस छोड़ चुकी थी। पता नही क्यों मैं उस अनजबी मर्द को याद कर रही थी। मैंने इससे पहले कई बार मुठ मार चुकी थी। पर आज मुझे बहुत बहुत जादा आनंद मिला था।
दोस्तों मैं समझ गयी थी की वो अनजबी मुझे चोदकर जन्नत की सैर करवा सकता है। मैंने सोच लिया था की मैं उस मर्द को काल करूंगी और उसका मोटा का लंड चूत में खाउंगी। अगली रात ठीक 10 बजे मैंने उसे काल कर दिया।

“हेलो??” वो अजनबी अपनी भारी मर्दाना आवाज में बोला। उसकी आवाज काफी मोटी थी। मुझे बड़ी शर्म आ रही थी। क्या बोलू, कैसे बोलू मैं सोच रही थी।
“हेलो???” वो फिर से बोला
“मैं मैं मैं ….वो जिसके पुट्ठे तुमने बस में…. मैंने कहा और हकलाने लगी
“ओह्ह्ह मैडम तो याद आ गयी हमारी??” वो हसकर बोला
“बोलो क्या खातिर करूं मैडम आपकी??” वो अजनबी बोला
“मैं तुमसे मिलाना चाहती हूँ। मिलोगे??” मैंने नर्म आवाज में कहा
“पहले बताओ अपनी रसीली बुर दोगी की नही???” वो अजनबी साफ़ साफ बोला। कितना बत्तमीज है। सीधे चूत पर आ गया। मैंने सोचा। मैं चुप थी।
“देखो अगर मैं तुमे मिलने टाइम निकालकर आयु और कुछ मिले भी नही तो क्या फायदा है” अजनबी बोला
“बोलो चूत दोगी???” उसने फिर दोहराया।
“दूंगी। मुझे चोद लेना जी भरकर। नही चोद पाए तो किसी और से चुदा लुंगी” मैंने कहा
“शाम को महरौली के किनारे वाले खंडहर में मिलो। शाम 8 बजे। और देखो जरा सझ धजकर आना” अजनबी बोला
दोस्तों शाम को मैंने अच्छी तरह से नहाया और घर में बता दिया की सहेली से मिलने जा रही थी। बस पकड़कर मैं महरौली के किनारे पर खंडहर में आ गयी। ये किसी जमाने में किसी राजा का किला था। पर अब टूट चुका था और अक्सर प्रेमी जोड़े यहाँ चुदाई करने आते थे। मैं अच्छी तरह से मेकअप कर लिया था। आज मैं जींस टॉप पहनी थी। मैंने अपनी चूत की झांटे अच्छी तरह से बना ली थी। बिलकुल चिकनी चूत बना ली थी। जिससे अजनबी मुझे चोदे तो उसे भरपूर मजा मिले। ये कहानी आप इंडियन सेक्स कहानी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।
कुछ ही देर में वो आ गया। हर बार से अलग आज वो बन ठन पर आया था। उसने सफ़ेद रंग और डेनिम की नीली जींस पहनी थी। वो स्मार्ट लग रहा था। आते ही उसने मुझे लगे से लगा लिया। दोस्तों ये खण्डहर काफी बड़ा था। कई जोड़े पास में चिपके थे। कुछ अपनी अपनी माल के दूध पी रहे थे। जबकि कुछ अपनी अपनी सामान को चोद रहे थे। ये खंडहर इसी काम के लिए प्रसिद्ध था। अजनबी ने मुझे बाहों में भर लिया और मुझसे चिपक गया।
“ओह्ह मैडम!! तुम सच में कमाल की सामान हो” अनजबी बोला
“जान आज मैं तुमसे चुदाई ही करवाने आई हूँ। आज तुमको मेरी इजाजत है। डाल दो अपना मोटा लंड मेरे भोसड़े में और फाड़ दो मेरी रसेदार चूत। अगर मुझे मजा नही आया तो मैं कभी तुम्हारे पास नही आउंगी” मैंने कहा
फिर उसने मुझे जमीन पर ही लिटा दिया और मेरे उपर लेट गया। मेरे ताजे गुलाबी होठ उसने चूसना शुरू कर दिए। मैंने अपना लेडिस पर्स साइड में रख दिया और उसका साथ देने लगी। मैं उसे बाहों में भर लिया और उसके होठ पीने लगी। कुछ ही देर में हम दोनों गरमा गये। धीरे धीरे अनजबी मेरे दूध को सहलाने लगा। मेरे 36” की चूचियां बड़ी बड़ी गोल गोल किसी मुसम्मी की तरह थी। अजनबी सहलाने लगा। धीरे धीरे मुझे सेक्स का नशा चढ़ रहा था। फिर मैं अपना जींस टॉप उतारने लगी। अनजबी अपनी शर्ट और जींस उतारने लगी। ब्रा और पेंटी भी मैंने निकाल दी। उधर अजनबी भी नंगा हो गया। हम दोनों पूरी तरह से नंगे हो गये। उसका लंड धीरे धीरे किसी मिसाइल की तरह खड़ा हो रहा था।

वो मेरे उपर लेट गया और मेरे जिस्म को सहलाने लगा। मेरे पैर, जांघ कमर, पेट, मम्मे सब जगह वो हाथ लगा रहा था। मुझे अच्छा लग रहा था। मैं “आआआअह्हह्हह…..ईईईईईईई….ओह्ह्ह्….अई. .अई..अई…..अई..मम्मी….” बोलकर सिसक रही थी। मजा आ रहा था मुझे। अनजबी के हाथ मेरी 36” की चूचियों पर नाच रहे थे। वो सहला रहा था। मुझे अच्छा लग रहा था। फिर धीरे धीरे उसने मेरे दूध दबाने शुरू कर दिए। मेरे दूध किसी रबर की गेंद की तरह सॉफ्ट और नर्म थे। वो दबाने लगा। मुझे अजीब सा नशा चढ़ने लगे। मेरे गाल, गले वो वो बार बार चुम्मी लेता था। मुझे वो मेरे बॉयफ्रेंड की तरह प्यार कर रहा था। दोस्तों धीरे धीरे उसने अपना वेग बढ़ा दिया। 15 मिनट मेरी चूची उसने मुंह में लेकर चुसी। फिर जल्दी जल्दी चूत चाटने लगा।
कुछ देर बाद अनजबी ने अपना 7” का लंड मेरी गप्प से उतार दिया। “……मम्मी…मम्मी…..सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ. .ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ..” बोलकर मैं तडप गयी। उसके बाद वो जल्दी जल्दी मुझे चोदने लगा। उस वीरान खंडहर में आज मैं पहली बार चुदवा रही थी। अजनबी का लंड अंदर तक मेरे चूत में उतर रहा था। मुझे बड़ा मजा आ रहा था। धीरे धीरे वो तेज तेज धक्के मारने लगा। मैं जल्दी जल्दी चुदने लगी। मुझे तो लगा की आज वो मेरी बुर फाड़ देगा। ऐसा ही लग रहा था मुझे। मैंने उसे सीने से चिपका लिया जिससे अजनबी को और जादा जोश चढ़ जाए।

वो तेज धक्के देने लगा। मैंने अपने पैर खोल दिए और बिलकुल उपर उठा दिए। अजनबी मेरी खूबसूरत गोरी जांघो को सहला रहा था। उसका लंड मेरी भोसड़ी की धज्जियां उड़ा रहा था। दोस्तों मैं ऐसा ही चाहती थी। अजनबी ने 25 मिनट तक मेरी चूत को अपने मूसल जैसे लौड़े से मांज दिया। अंत में हाफ्ते हाफ्ते वो हो गया। मैंने उसे गले से लगा लिया। दोस्तों अब मैं उससे सेट हो गयी थी। अब हर हफ्ते उस वीरान खंडहर में आकर उससे अपनी चूत चुदवाती हूँ।

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