हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम प्रेम है और में चोदन डॉट कॉम का बहुत बड़ा फैन हूँ। मैंने इस साईट की लगभग सभी स्टोरीयां पढ़ ली है। अब पहले में आपको मेरा परिचय दे दूँ, में 22 साल का हूँ और मेरी हाईट 5 फुट 7 इंच, छाती 37 इंच, कमर 30 इंच है। में आज जो आपको मेरी कहानी सुनाने जा रहा हूँ, यह मेरी और मेरी आंटी की सच्ची कहानी है। मेरी 12वीं की परीक्षा के बाद में आगे की पढ़ाई के लिए मेरे अंकल जो कि राजकोट में रहते है और वो सरकारी नौकरी करते है, वहाँ पर गया था। अंकल और आंटी मेरा बहुत ख्याल रखते थे, तभी मेरे अंकल को एक हफ्ते की ट्रैनिंग के लिए वड़ोदरा जाना पड़ा। फिर में और आंटी अंकल को बस स्टॉप छोड़ने गये। फिर अंकल ने मुझसे कहा कि आंटी का ख्याल रखना, तो मैंने कहा कि आप ज़रा भी चिंता ना करे में आंटी का पूरा ख्याल रखूँगा।
फिर दूसरे दिन आंटी ने मुझसे कहा कि आज दीवाली का काम शुरू करना है अगर तुम फ्री हो तो मेरी मदद करोगे, तो मैंने कहा कि में तो फ्री ही हूँ। फिर आंटी ने कहा कि में कपड़े चेंज करके आती हूँ, तुम भी टी-शर्ट और केफ्री पहन लो। फिर आंटी सिर्फ लाईट कलर का ब्लाउज और पेटीकोट पहनकर बाहर आई। अब मुझे उसके ब्लाउज में से उसकी चूची और निपल साफ-साफ़ दिख रही थी और अब मुझे यह सब देखकर कुछ होने लगा था, अब मेरा लंड एकदम कड़क हो गया था। फिर आंटी ने मुझसे कहा कि तुमने कपड़े नहीं बदले, तो में शरमा गया। फिर उसने कहा कि इसमें शर्म की क्या बात है? मुझसे तुम्हें शर्माने की कोई ज़रूरत नहीं है। फिर तभी में उठा और कपड़े चेंज करने चला गया, अब मेरा लंड तो सोने का नाम ही नहीं ले रहा था। फिर मैंने स्किन टाईट टी-शर्ट और केफ्री पहनी और फिर जैसे ही में आंटी के सामने गया तो आंटी मेरी बॉडी को देखती ही रह गयी।
फिर मैंने आंटी से पूछा कि क्या देख रही हो? तो उसने कहा कि तुम्हारी बॉडी तो बहुत अच्छी है। फिर मैंने कहा कि क्यों नहीं होगी? रोज 1 घंटे जो कसरत करता हूँ। फिर आंटी ने कहा कि में रूम की दीवार को धोती हूँ, तुम टेबल पकड़ना और में जो चीज़ मांगू उसे देना, तो मैंने कहा कि ओके। अब आंटी टेबल के ऊपर नहीं चढ़ पा रही थी तो आंटी ने कहा कि ज़रा मेरी मदद करो, तो मैंने उसको बगल में से पकड़ा तो तभी उसके बूब्स मेरे हाथों को छू गये। अब मुझे बहुत ही अच्छा लगा था और मैंने पहली बार किसी के बूब्स को छूकर महसूस किया था, उसके बूब्स बहुत ही सॉफ्ट-सॉफ्ट थे, अब मेरा लंड पूरा टाईट हो गया था। फिर आंटी जैसे ही टेबल पर चढ़ी तो मुझे उसके पेटीकोट में से उसकी जाँघे साफ साफ़ दिख रही थी। अब में तो बहुत उतेजित हो गया था, क्या गोरी-गोरी जांघे थी उसकी?
अब मेरी आँखें तो उस नज़ारे को देखती ही जा रही थी। फिर तभी आंटी ने कहा कि ब्रश ला, तो मैंने तुरंत ही उन्हें ब्रश दिया और फिर वापस से देखने में लग गया, लेकिन में उसकी योनि के दर्शन करना चाहता था इसलिए मैंने आंटी से कहा कि आंटी वहाँ ऊपर भी साफ नहीं दिख रहा। फिर आंटी साफ करने के लिए ऊपर उठी तो मुझे उसकी पेंटी दिखाई दी और उसने सफ़ेद कलर की पेंटी पहन रखी थी। फिर मैंने उस वक़्त जी भरकर आंटी की नंगी टाँगे देखी तो तभी आंटी ने मुझे देख लिया, लेकिन वो कुछ नहीं बोली शायद वो जानबूझ कर ये सब दिखा रही थी। फिर जब काम ख़त्म हुआ तो आंटी ने कहा कि ज़रा नीचे उतरने में मदद करो। फिर मैंने अपने दोनों हाथ उसकी बगल में रख दिए और मेरी हथेली उसके बूब्स के ऊपर आ गयी, आह क्या नर्म-नर्म बूब्स थे? अब उसका ब्लाउज गीला होने के कारण उसकी निपल का अहसास भी मेरी हथेली पर हो रहा था। फिर मैंने ज़ोर से पकड़कर आंटी को नीचे उतारा तो आंटी ने कहा कि वाह तुममें तो बहुत ताक़त है, शायद आंटी को भी बहुत अच्छा लगा था।
फिर आंटी ने कहा में बहुत गंदी हो गयी हूँ ज़रा स्नान करके आती हूँ, तुम भी दूसरे बाथरूम में स्नान कर लो। फिर मैंने कहा कि अच्छा है, तो तभी मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आया और में स्नान करके सिर्फ़ टावल में रूम में बैठ गया। अब वो टावल मेरे घुटनों के ऊपर होने से मेरा लंड साफ-साफ़ दिख रहा था। फिर जैसे ही आंटी मेरे रूम में आई तो उसको मेरे लंड के दर्शन हुए। अब मेरा 8 इंच का लंड देखकर उसकी आँखे फट गयी थी। शायद उसने पहले कभी इतना लंबा लंड नहीं देखा था। अब में जानबूझ कर अपना ध्यान टी.वी की तरफ लगा रहा था। अब तो आंटी को भी मुझसे चुदाई का मन हो रहा था, अब उसकी आँखे नशीली हो रही थी। फिर उसने अपने हाथों में न्यूज़ पेपर लिया और नीचे से मेरे लंड को देखती रही और अपने एक हाथ से अपने बूब्स दबा रही थी, जो मुझे न्यूज़ पेपर सामने होने से नहीं दिख रहा था। दोस्तों ये कहानी आप चोदन डॉट कॉम पर पड़ रहे है।
फिर रात को खाना खाने के बाद हम टी.वी देख रहे थे, तो उसने मुझसे कहा कि मेरी स्किन बिल्कुल रूखी सूखी हो गयी है। फिर मैंने बोला कि उस पर मक्खन लगाने से सॉफ्ट हो जाएगी। फिर आंटी ने कहा कि में तो थक गयी हूँ, क्या तुम मुझे लगा दोगे? तो मैंने कहा कि क्यों नहीं? तो फिर उसने फ्रीज़ में से मक्खन निकाला और मुझे दिया। फिर मैंने पहले उसके हाथों को मक्खन लगाना शुरू किया, क्या सॉफ्ट- सॉफ्ट हाथ थे उसके? अब मेरा लंड तो पूरा खड़ा हो गया था। आंटी ने स्लीवलेस नाइटी पहन रख थी, जो टू पीस थी। फिर मैंने कहा कि आपकी नाइटी गंदी हो जाएगी, तो उसने कहा कि तो उतार दो, जो भी तुम्हारे बीच में आए उसे निकाल दो। फिर मैंने आंटी की नाइटी को उतार दिया, तो उसके अंदर दूसरा पीस था जो आधा नंगा था। अब ऊपर से आंटी की पीठ बिल्कुल नंगी हो गयी थी और नीचे से घुटने के नीचे वाला भाग साफ़-साफ दिखाई दे रहा था।
फिर मैंने आंटी की टांगों पर मक्खन लगाना शुरू किया और धीरे-धीरे मक्खन लगाता जाता तो वैसे-वैसे आंटी मदहोश होती जा रही थी। अब में आंटी के घुटनों के ऊपर पहुँच गया था, वाह क्या जांघे थी? मुलायम, मखमल जैसी। अब तो मुझे उसकी पेंटी भी साफ-साफ़ दिख रही थी। अब आंटी की सांस भी ज़ोर-जोर से चलने लगी थी, तो तभी आंटी ने कहा कि तुम्हारे कपड़े भी गंदे हो ज़ाएगे, उसे भी उतार दो। फिर मैंने कहा कि मेरे हाथ तो मक्खन वाले है, में कैसे अपने कपड़े उतारू? तो उसने कहा कि में उतार देती हूँ और फिर उसने मेरी नाईट ड्रेस की टी-शर्ट को निकाल दिया और बाद में मेरी पेंट भी उतार दी। अब में सिर्फ़ नेकर में ही था और फिर मैंने आंटी की पीठ पर मक्खन लगाना शुरू किया, लेकिन अब आंटी की नाइटी का दूसरा पीस बीच में आ रहा, तो मैंने उसे भी निकाल दिया। अब आंटी सिर्फ़ पेंटी और ब्रा में ही थी। फिर मैंने आंटी की पीठ पर मक्खन लगाना शुरू किया तो आंटी ने कहा कि ब्रा भी निकाल दो, तो मैंने आंटी की ब्रा भी निकाल दी।
अब आंटी उल्टी सोई हुई थी इसलिए मुझे उसके बूब्स नहीं दिख रहे थे। फिर मैंने आंटी को कहा कि अब पलट जाओ, तो आंटी पलट गयी और फिर मुझे उसके बड़े-बड़े बूब्स दिखाई दिए। फिर पहले मैंने उसके पेट पर मक्खन लगाया और उसके बूब्स बहुत गोरे-गोरे थे और पेट बहुत मुलायम था। अब में तो उसके पेट पर मक्खन लगाते-लगाते उसके बूब्स तक पहुँच गया था। अब आंटी ज़्यादा इंतजार नहीं कर पा रही थी, तो मैंने जैसे ही आंटी के बूब्स पर मक्खन लगाना शुरू किया, तो उसके मुँह से आहहह निकल गयी। फिर उसने कहा कि ज़ोर से लगाओ, पूरा मसल डालो मेरे बूब्स को और उसके मुँह से आवाजे निकलती ही रही थी आहहहह और लगाओ मेरे राजा, मुझे पूरा मसल दो। अब तो में भी अपने पूरे जोश में आ गया था और उसके बूब्स को अपने दोनों हाथों में लेकर मसल रहा था और उसके निपल को पकड़कर मसल रहा था। फिर मैंने उसके बूब्स को मसलते-मसलते उसके होंठो को चूसना शुरू किया और फिर हम दोनों की यह लंबी किस शायद 10 मिनट तक चली।
फिर मैंने अपने होंठो को उसके होंठो पर रखा और अपनी जीभ से उसकी जीभ को लगा रहा था और बाद में उसकी निपल को अपने मुँह में ले लिया। अब आंटी बोल रही थी कि चूस डाल मेरे बूब्स को, पूरा रस निकाल ले। फिर मैंने बाद में उसकी पेंटी भी निकाल दी और उसकी चूत पर मक्खन लगाना शुरू किया। अब आंटी तो अजीब अजीब सी आवाज़ निकाल रही थी उईईईईमाँ उफ़फ्फ़ ऑच अहह। फिर बाद में मैंने उसकी चूत के ऊपर का मक्खन चाटना शुरू किया तो अब आंटी से रहा नहीं जा रहा था। फिर उसने अपने हाथों से मक्खन उठाकर अपनी निप्पल पर लगाया और मुझसे कहा कि चूस। फिर मैंने वो मक्खन चूस लिया तो उसने अपने दूसरे निपल पर भी मक्खन लगाया। अब वो जहाँ पर भी मक्खन लगाती, तो में उसे चूस लेता था, उसने अपनी जाँघ, होंठ, निपल, चूत, सब जगह पर मक्खन लगाकर मुझसे चुसवाया था।
फिर उसने मेरा नेकर भी निकाल दिया और मेरा लंड अपने हाथ में लेकर उस पर मक्खन लगाकर चूसने लगी और मेरी निपल पर भी मक्खन लगाकर चूसने लगी थी। अब में अपने काबू से बाहर हो रहा था और फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत पर लगाकर ज़ोर से एक धक्का दिया तो आंटी बोली कि फाड़ डाल, मेरी जमकर चुदाई कर। अब मैंने तो मेरा पूरा 8 इंच का लंड आंटी की चूत में डाल दिया था। फिर आधे घंटे तक ऐसे ही चलता रहा और इतने में आंटी झड़ गयी और मुझे कसकर पकड़ लिया। अब में हिल भी नहीं पा रहा था और फिर बाद में वो मेरा लंड अपने हाथ में लेकर मुठ मारने लगी, तभी मेरा सफेद दही भी बाहर निकल गया और वो मेरा सारा दही अपने मुँह में लेकर पी गयी। फिर आंटी ने मुझसे कहा कि इतना मज़ा तो मुझे तेरे अंकल से कभी नहीं आया, जितना तूने मुझे आनंद कराया। फिर बाद में एक हफ्ते तक हम हर रोज चुदाई करते थे, हम दोनों हर रोज नयी-नयी तरह से चुदाई करते थे। फिर एक हफ्ते के बाद अंकल के आने का वक़्त हो गया, तो मैंने आंटी से कहा कि जब अंकल बाहर जाए तभी हम चुदाई करेगें और जब अंकल घर में हो तो हम ऐसी बात भी नहीं करेगें। फिर आंटी ने कहा कि सही है, फिर जब भी अंकल बाहर जाते थे, तो हम चुदाई कर लेते थे ।।