इधर कुछ महीनों से सवेरे-सवेरे अनुलोम-विलोम, कपालभाति आदि निबटा कर जब चाय के साथ दुनिया जहान की खबरें पढने बैठता हँू तो एक पता नहीं कौन सी भाभी जी हैं, आजकल हर दूसरे-तीसरे फ्रंट पेज पर अपना मुखड़ा सहित दुखड़ा लेकर चली आती हैं । क्या कहूँ, ”कल रात मेरे पति से फिर भूल हो गई” । भाई साहब इधर शेयर मार्केट में आग लगी है, गठबन्धन सरकार की गाँठे खुल रही है, ट्रेनें बहक-बहक कर पटरियों को तलाक दे रही है, मेडिकल इक्ज़ाम के पेपर आउट हो रहे हैं, सालियाँ प्रेममयी जीजाओं को ठेंगा दिखा यारों संग चम्पत हो रहीं हैं, मतलब की और भी बहुत से गम हैं अखबार में इसके सिवाय कि इधर इनके पति से सोमवार रात भूल हुई थी इधर शुक्कर की रात साला फिर भूल भलैया में फंस गया ।घोर विपदा में पड़ी इन भाभी जी के बारे में मैं विचार करने लगा कि इनके पति को कौन सी बीमारी हो सकती है । अल्जाईमर्स का मर्ज हो सकता है क्यूंकि इस बीमारी में मरीज की याद्दाश्त जाती रहती है । या फिर भाईसाहब ने शादी ही प्रोढ़ावस्था के बाद की होगी । उम्र के साथ साथ याद्दाश्त पर भी असर पड़ने लगता है । लेकिन ऐसी क्या बात है कि भाई साहब सप्ताह में दो-तीन बार ऐसी जरूरी बात मिस कर जाते हैं और दूसरे दिन भाभी जी इस हादसे की खबर शहर के हर अखबार के पहले पन्ने पर प्रकाशित करवा देती हैं । मेरे ** वर्षीय भतीजे से जब नहीं रहा गया तब वह जिज्ञासू पूछ ही बैठा ”ताऊजी ये आंटीजी के अंकल जी हर रात ऐसी क्या चीज भूल जाते हैं कि आंटी जी बार बार अखबार में इनकी शिकायत करती रहती हैं ?” मैं क्या जवाब देता । मैं खुद इस सवाल का जवाब ढूंढ रहा था
अब भाभी जी भी कम भुलक्कड़ नहीं हैं । हर दूसरे तीसरे ये खबर छपवा देती हैं कि कल रात मेरे पति से भूल हो गई, पर अपने घर का पता या मोबाईल नं0 छपवाना भूल जाती हैं । भई कुछ अता पता दो, हम लोग घर पहुंच कर मामले की गंभीरता को समझें और गहराई से इस पहेली की पड़ताल करें की साला ममला कहाँ से शुरू होता है और कहाँ जाकर खत्म होता है । ये रोज रोज एक अबला का दर्द हम लोगों से अखबार में नहीं पढा और सहा जायेगा । बात क्या है । अगर भाई साहब इतने ही बड़े भारी भुलक्कड़ हैं तो दुनिया में भाई साहेब लोगों का अकाल नहीं पड़ा है । आप इन भुलक्कड़ भाई साहब से अपना पल्लु झटक कर किसी दूसरे दिमागदार और याद्दाश्तके धनी भाई साहब से गठबंधन कर सकती हैं । पूज्य भाई साहेब जी अगर कोई बहुत जरूरी जीच हर दूसरी-तीसरी रात भूल ही जाते हैं तो भाभी जी हमें बतायें । हम लोग उनकी इस भूल को दुरस्त करने का भरसक प्रयास करेंगे ।
तो मित्रों, सवेरे सवेरे एक सांवली सलोनी, हष्ट पुष्ट (क्यूंकि भाभी जी ये खबर मय फोटो के छपवाती हैं), मातम मनाती सुदंर स्त्री का विलाप पढते-पढते जब दिल और दिमाग दोनो जवाब दे गये तब जाकर पता चला कि भाई साहब रात में टोपी पहनना भूल जाते हैं और भाभी जी इस भरी जवानी में पैर भारी होने की टेंशन से पीड़ित हो कर सवेरे- सवेरे अपने नादान पति की कारगुजारी अखबार में छपवा देती हैं । अब आप सोच रहे होंगे कि ये अखबार वाले भी न, एक नं0 के शैतान होते हैं । इसी बहाने एक सुंदर महिला रोज-रोज इनके दफ्तर अपने पति की नादानियाँ सुनाने पहुँच जाती है और ये लोग भी अपना सारा काम-धाम छोड़कर, खूब चटकारे लेकर उनके पतिदेव की नादानियाँ सुनने में लग जाते होंगे । नहीं मित्रों, ऐसी कोई बात नहीं है । न तो उन हसीन भाभीजी के पतिदेव रोज-रोज कोई भूल करते हैं और न ही वो अप्सरा अपना दुखड़ा लेकर रोज-रोज अखबार के दफ्तर पहुँची रहती हैं । बात ये है कि एक दवा की कम्पनी है जिसकी एक दवा 72 घंटे के अंदर ऐसी किसी भी हसीन भूल-चूक, लेनी-देनी के कारण हुई टेंशन का निवारण करती है । सारा कसूर साली इस कम्पनी का था और हम बेवजह इन हसीन भाभी जी के पेटपिरावन कष्ट को याद कर कर के पिलपिला रहे थे । एक तो कम्बख्त आजकल ये भी पता नहीं चलता है कि अखबार में कौन सी चीज खबर है और कौन सी चीज विज्ञापन ।
वैसे इस प्रकार की दवा कम्पनियाँ भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय पर उपकार ही कर रही हैं । ये एक हसीन सी जिस्मानी भूल-चूक, लेनी-देनी को माफ और साफ कर देती हैं और इसकी वजह से बाद में बेवजह के गर्भपात से भी छुटकारा मिल जाता है । लेकिन इस दवा के कारण अब प्रेमी प्रेमिकाओं, स्कूली छात्र-छात्राओं, अपने धर्मपति से नाउम्मीद धर्मपत्नियों को या अपनी धर्मपत्नी से नाउम्मीद धर्मपतियों को, शादी का वादा करके एडवांस में सुहागरात मनाने वाले गंधर्व पुरूषों को एक सहूलियत मिल गई है । इस व्यभिचार को बढावा देने के लिए भारत की पुरातन संस्कृति सदैव इन समाज सेवी दवा कम्पनियों की ऋणी रहेंगी ।
तो ये कहानी थी मित्रों, हसीन दुखियारी भाभी जी की । इसके अलावा कुछ विज्ञापन और भी छपते हैं हष्ट-पुष्ट, स्वस्थ नारियों के फोटो सहित, जिसमें उनके जिस्म के उभारों को नारी सौंदर्य का प्रतीक बताया जाता है और इन उभारो के प्राकृतिक, सामाजिक और आर्थिक महत्व को दर्शाया जाता है और साथ ही बताया जाता है कि इस प्राकृतिक नारी सौंदर्य के बिना आप अधूरी हैं । आपके इस अधूरेपन को पूरा करने का ठेका भी इनकी चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल प्राईज विनर दवाओं ने ले रखा है । इसलिए अगर आप ठीक तरह से अपने प्रेमियों और पतियों को प्रेमरस से परिपूर्ण जिस्मानी सर्विस नहीं दे पा रहीं है तो आपकी इस दुविधा को दूर करने के लिए हमें एक बार सर्विस का मौका दें और एक बार हमारे बॉडी टोनर का प्रयोग कर के देखें ।
मित्रों, अब इन विज्ञापनों को पढ कर 80 प्रतिशत महिलाओं के मन में हीन भावना आ जायेगी कि मेरा शरीर मेरे पार्टनर को संतुष्ट करने लायक नहीं है और दूसरी तरफ मर्दजात के मन में एक ख्वाईश पैदा हो जायेगी कि पार्टनर हो तो ऐसा हो, नहीं तो न हो । अब यह मेडिकल के छात्रों के लिए शोध का विषय है कि इस प्रकार के बॉडी टोनर से क्या वाकई में सभी महिलाओं के उभार पामेला एंडर्सन जैसी ऊंचाईयाँ प्राप्त कर लेंगे । खुदा जाने । मेरी जानकारी में तो भगवान ने आपको जैसा शरीर दिया है उसमें बिना कॉस्मेटिक सर्जरी की मदद के कोई बदलाव नहीं लाया जा सकता है । लेकिन सवेरे-सवेरे इन हसीन भाभीयों का दुख पढ कर दिल भर आता है और फिर ये लगता है कि काश मैं इनकी कोई मदद कर पाता ।
एक लड़के को सेल्समेन के इंटरव्यू में इसलिए बाहर कर दिया गया क्योंकि उसे अंग्रेजी नहीं आती थी। लड़के को अपने आप पर पूरा भरोसा था । उसने मैनेजर से कहा कि आपको अंग्रेजी से क्या मतलब ? यदि मैं अंग्रेजी वालों से ज्यादा बिक्री न करके दिखा दूं तो मुझे तनख्वाह मत दीजिएगा।
मैनेजर को उस लड़के बात जम गई। उसे नौकरी पर रख लिया गया।
फिर क्या था, अगले दिन से ही दुकान की बिक्री पहले से ज्यादा बढ़ गई। एक ही सप्ताह के अंदर लड़के ने तीन गुना ज्यादा माल बेचकर दिखाया।
स्टोर के मालिक को जब पता चला कि एक नए सेल्समेन की वजह से बिक्री इतनी ज्यादा बढ़ गई है तो वह खुद को रोक न सका । फौरन उस लड़के से मिलने के लिए स्टोर पर पहुंचा। लड़का उस वक्त एक ग्राहक को मछली पकड़ने का कांटा बेच रहा था। मालिक थोड़ी दूर पर खड़ा होकर देखने लगा।
लड़के ने कांटा बेच दिया। ग्राहक ने कीमत पूछी। लड़के ने कहा – 800 रु. । यह कहकर लड़के ने ग्राहक के जूतों की ओर देखा और बोला – सर, इतने मंहगे जूते पहनकर मछली पकड़ने जाएंगे क्या ? खराब हो जाएंगे। एक काम कीजिए, एक जोड़ी सस्ते जूते और ले लीजिए।
ग्राहक ने जूते भी खरीद लिए। अब लड़का बोला – तालाब किनारे धूप में बैठना पड़ेगा। एक टोपी भी ले लीजिए। ग्राहक ने टोपी भी खरीद ली। अब लड़का बोला – मछली पकड़ने में पता नहीं कितना समय लगेगा। कुछ खाने पीने का सामान भी साथ ले जाएंगे तो बेहतर होगा। ग्राहक ने बिस्किट, नमकीन, पानी की बोतलें भी खरीद लीं।
अब लड़का बोला – मछली पकड़ लेंगे तो घर कैसे लाएंगे। एक बॉस्केट भी खरीद लीजिए। ग्राहक ने वह भी खरीद ली। कुल 2500 रु. का सामान लेकर ग्राहक चलता बना।
मालिक यह नजारा देखकर बहुत खुश हुआ । उसने लड़के को बुलाया और कहा – तुम तो कमाल के आदमी हो यार ! जो आदमी केवल मछली पकड़ने का कांटा खरीदने आया था उसे इतना सारा सामान बेच दिया ?
लड़का बोला – कांटा खरीदने ? अरे वह आदमी तो केयर फ्री सेनिटरी पैक खरीदने आया था । मैंने उससे कहा अब चार दिन तू घर में बैठा बैठा क्या करेगा । जा के मछली पकड़ ……