कुंवारे बुर की चुदाई

हेलो दोस्तों! मैं पंकज अपनी एक नई कहानी के साथ फिर से हाज़िर हूँ. मेरी पिछली कहानियों को पढ़कर आप लोगो द्वारा मुझे कई मेल्स मिले, आप सभी का दिल से शुक्रिया, कुछ लोगों ने मेरे साथ चुदाई का आनंद ले चुकी भाभियों और लड़कियों के नंबर या पिक की डिमांड की है.

मैं आप सभी से माफ़ी चाहता हूँ दोस्तों, किसी को भी केवल सेक्स ऑब्जेक्ट की तरह नहीं देखा जाना चाहिए, हर किसी की अपनी प्राइवेसी और निजी लाइफ होती है.

चलिए कहानी पर आते हैं, इन्ही मेल्स मैं एक मेल आयुषी मिश्र नाम की लड़की का था. इसमें केवल उसने अपना मोबाइल निम्बर मेंशन किया था, और लिखा था ‘व्हात्सप ओनली, आफ्टर 11 pm’. मैंने उसका नंबर अपने मोबाइल में फीड कर लिया.

रात 11.30 के करीब मैंने उस नंबर पर व्हात्सप किया, ‘हाय’.

कुछ देर तक इंतज़ार किया  लेकिन कोई रिप्लाई नहीं आया, और पता नहीं मुझे कब नींद आ गयी. सुबह उठा तो व्हात्सप पर उसी नंबर से मेसेज पड़ा था, ‘हुस डेट?’.

पंकज थिस साइड, आपने मेल किया था मुझे- मैंने रिप्लाई किया.

ओह्ह.. हाय पंकज, सॉरी कल जल्दी सो गयी थी, रिप्लाई नहीं कर पाई- उसने जवाब दिया.

नो प्रॉब्लम- मैंने जवाब दिया.

तुरंत ही उस तरफ से जवाब आया ‘ओके, रात मैं बात करते हैं, आफ्टर 11’.

उसके बाद से मेरी और आयुषी की रोज रात को व्हात्सप पर और कभी कभी फ़ोन पर बातें होने लगी. उसने बताया की वो कानपूर मैं रहती है अपने मम्मी पापा के साथ, और इसी साल बी.कॉम के लिए कॉलेज ज्वाइन किया है.

उसने अपनी कई पिक्स भी भेजी उसमे से एक पिक मैं वो केक काट रही थी, पूछने पर बताया की पिछले महीने उसका 18वां जन्मदिन था, उसी की पिक है.

अब उसके बारे मैं क्या बताऊँ दोस्तों कमाल की हसीना लग रही थी हर पिक में. एकदम गोरी चिट्टी और भरा हुआ बदन था उसका.

एक पिक थी जिसमे वो जीन्स पहनकर साइड पोज़ दे रही थी, देखते ही मेरा लंड फनफना गया कसम से ऐसी उभरी हुई गांड देखकर मैं बिना मुठ मारे नहीं रह सका.

कुछ दिनों मैं हमारी बातें गरमाती चली गई और कई बार हमने फ़ोन सेक्स भी किया, जब मैंने उसे पहली बार फ़ोन सेक्स के लिए कहा था तो उसने धीमी आवाज में मुझे बताया की उसने कभी सेक्स नहीं किया है.

ये बात सुनकर तो मेरा दिल और लंड दोनों बेक़रार हो उठे ऐसी कुंवारी हसीना की चुदाई के लिए, लेकिन मैंने कोई उतावलापन नहीं दिखाया.

क्यूंकि लड़कियां थोडा टाइम लेती है, किसी पर ट्रस्ट करने के लिए और मेरे सब्र का फल भी एक दिन मुझे मिला.

एक रात को जब हम व्हात्सअप पर चेट कर रहे थे तो आयुषी ने मेसेज किया की कल क्या तुम मिल सकते हो?

मैंने कहा- जी बिलकुल, कितने बजे?

उसने कहा- आफ्टर 2 pm, मेरे घर पर.

तुम्हारे घर पर?? कोई प्रॉब्लम तो नहीं होगी?- मैंने पूछा.

उसने कहा- बिलकुल नहीं, पापा ड्यूटी पर चले जायेंगे और मम्मी मेरे मौसी के यहां पूजा अटेंड करने और मैं परीक्षा का बहाना बना कर रुक जाउंगी.

सच मैं दोस्तों लंड और चूत अपनी भूख शांत करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते है. सोने से पहले आयुषी ने पता भी भेज दिया.

मैं अगले दिन सुबह 7 बजे की बस से कानपूर के लिए निकल पड़ा. इलाहबाद से कानपूर बस से 5 घंटे दूर है और 12.30 बजे मैं कानपूर बस स्टेशन पर पहुँच गया.

पहुँचते ही आयुषी को व्हाट्सअप किया तो उसने जवाब दिया. ‘अभी मम्मी रेडी हो रही है, मैं मेसेज करुँगी तब वहां से निकलना.’

मैं बस स्टेशन से बहार निकला और एक मिनते की दुरी पर है, टाइम पास करने के लिए पास के एक रेस्टोरेंट मैं चला गया और आयुषी के फ़ोन का इंतज़ार करने लगा.

2 बजे के करीब उसने फ़ोन किया और मैंने थोड़ी देर मैं उसके घर के सामने पहुंचकर फ़ोन किया.

आयुषी ने कहा की मैं गेट खुला रखा है, तुम सीधे अन्दर चले आओ. मैं गेट को खोलकर अन्दर पहुंचा और जैसे ही दरवाजा खोला, सामने क़यामत कड़ी थी. दिल की धड़कने बढ़ गयी, आयुषी को शॉर्ट्स और टी-शर्ट मैं देखकर.

अपनी पिक्स से कहीं बेहद सुन्दर, काली आँखे गोरा बदन, टी-शर्ट मैं उभरे हुए उसके चॉकलेट, ऊपर से नीचे तक क़यामत.

कुछ देर तक मैं तो उसे निहारता ही रह गया. अगले पल उसने कहा, अन्दर आ जाओ, मैं अन्दर आ गया और आयुषी ने गेट को लॉक करने के लिए बाहर गयी.

वापस लौटते हुए दरवाजा भी लॉक करके मेरे पास सोफे पर आकर बैठ गयी. मैंने अपने जेब से चॉकलेट सिल्क निकाली और उसे देते हुए कहा आयुषी तुम अपनी फोटोज से कही ज्यादा खुबसूरत हो.

वो ब्लश करते हुए खिलखिला के हंस पड़ी और कहा ‘आय लव चॉकलेट्स’ लेकिन ‘आय लव यू’ मैंने भी कह दिया.

उसने कुछ नहीं कहा बस मेरी तरफ एक टक भूखी निगाहों से देखने लगी, मौके की नजाकत को देखते हुए मैं उसके पास पहुंचा और उसे जोर से हग करते हुए अपनी बाँहों में भर लिया.

वो मेरी बाहों मैं पिघल सी गयी और अपने होंठ मेरे होंठो पर रख दिए. नरम रसीले होंठो को मैं पूरी शिद्दत से किस करने लगा, साथ मेरे दोनों हाथ कभी आयुषी के बाल सहला रहे थे तो कभी उसके पीठ को.

इसी क्रम में मैंने उसके टी-शर्ट को भी उतार दिया, आयुषी ब्लैक ब्रा मैं रह गयी, तभी उसने मेरे कानो मैं धीरे से कहा, अन्दर बेडरूम मैं चलते है. पंकज आज तो मैं इस कुंवारी कन्या का हलम भर था. जो कहती मैं वही करता, ब्रा और शॉर्ट्स मैं बेडरूम की और जाती हुई आयुषी की मटकती गांड के पीछे मैं भी चल दिया.

बेडरूम में पहुँचते ही मेने उसे पीछे से दबोच लिया और एक हाथ उसकी कमर पर और दूसरा उसके ब्रा पर सहलाते हुए उसके गर्दन को किस करने लगा.

आयुषी अपनी गर्दन उठाते हुए और आँखें बंद करके मजा लेने लगी और अगले पल मैंने उसकी ब्रा को अनलॉक कर दिया और दोनों चुचियों को अपने हाथों में भर लिया और हलके से स्क्विज कर दिया.

आयुषी भी आह भरने लगी और गर्दन पर किस करते हुए उसे धीरे से मैंने बेड पर सीधा लिटा दिया.

आयुषी के शॉर्ट्स को मैंने उसके टांगों के बीच से सरका कर उतार दिया, उसकी काली रंग की पेंटी के अन्दर छिपी हुई कोमल बुर को ऊपर से ही झुककर एक किस कर लिया.

आयुषी चिहक सि गयी और बोली- पंकज आय लव यू.

मैंने आयुषी से पूछा- कभी किसी की चुदाई देखी है?

आयुषी ने कहा- पोर्न वीडियोस में.

अच्छा सबसे ज्यादा क्या अच्छा लगता हाउ उसमे तुम्हे- मैंने पूछा.

जब लड़का उसकी सक करता है तब- उसने जवाब दिया.

मैं भी सक करूँ तुम्हारी?- मैंने टिस करते हुए पूछा?

उसने आँखों के इशारे से ही हाँ कह दिया.

ऐसा कहते ही मैं उसकी काली पेंटी को धीरे से सरकाने लगा, तो आयुषी ब्लश करती हुई शर्म के कारण मेरे हाथ को पकड़ लिया.

तो मैंने उसकी हालत को समझते हुए कहा- शरमाओ मत मेरी जान, मेरा विश्वास करो, तुम्हे बहुत मजा आएगा.

और उसकी कोमल अनछुई, कुंवारी, कोमल चूत को पेंटी के आवरण से आजाद कर दिया, मेरे आँखों के सामने बिलकुल नंगी और साफ़ बुर थी. एक भी बाल नहीं.

मैं- कब साफ़ किया?

वो- आज सुबह.

मैंने आयुषी को बेड पर ऊपर सरकने के लिए कहा और उसकी टांगो को फैलाते हुए उसके बीच में बैठ गयी.

सबसे पहले अपनी उँगलियों से उसकी बुर की छेड़ को फैलाते हुए मैंने आयुषी की वर्जिनिटी के दर्शन किये जो एक ‘झिल्ली’ के रूप में बुर के रास्ते में थी, उसे ज्यादा दर्द ना हो इसलिए उसे पूरी तरह गरम करके ही चोदना था, देर ना लगाते हुए आयुषी की गरम और चिकनी बुर को अपने मुंह में भर लिया.

आयुषी ने आह करती हुई अपनी आँखें बंद कर ली और मेरे सर को दोनों हाथों से पकड़ लिया और धीरे धीरे में बुर को चाटने लगा और साथ ही बुर के दाने को भी जीभ से सहला रहा था.

जैसे जैसे में आयुषी की बुर गहराई में अपनी जीभ को डालकर चाट रहा था वैसे वैसे उसके हाथों का दबाव भी मेरे सर पर बढ़ता जटा, और साथ में उसकी मौन भी कुछ देर तक. आयुषी की बुर की अपनी जीभ से सक सेवा करने के बाद मैंने भी बेड से उतर कर अपने सारे कपडे उतार दिए सिवाए अंडरवियर के. आयुषी की नजर मेरे अंडरवियर के उभार पर टिकी हुई थी.

अपनी अंडरवियर की और इशारा करते हुए मैंने कहा- जो चीज़ तुम्हे चाहिए वो इसके अन्दर है.

आयुषी धीरे से उठी और मैंने उसके दाहिने हाथ को अपने अंडरवियर के उभार पर रख दिया.

आयुषी वासना में बहती हुई मेरे लंड को अंडरवियर के ऊपर से ही सहलाने लगी.

इसे देखोगी नहीं- मैं भी मदहोशी में बोल पड़ा.

मेरे ऐसा कहते ही वो मेरे अंडरवियर को उतारने की कोशिश करने लगी तो मैंने भी उसकी हेल्प करते हुए अंडरवियर नीचे खिसका दी और मेरा मोटा और लम्बा लंड अपनी कैद से आजाद होकर उछल पड़ा और आयुषी की आँखें फटी सि रह गयी.

वो बोल पड़ी- इतना मोटा मेरी इसमें कैसे जायेंगा.

मैंने कहा- इसे किस करना चाहोगी?

और अपने हाथ से मैंने लंड को पकड़ कर उसके मुंह के पास कर दिया.

आयुषी ने अपने रसीले होठों को मेरे लंड पर रख कर एक हलकी सी किस कर ली.

अच्छा लगा?- मैंने पूछा.

वो केवल मुस्कुरा दी, तो मैंने उसके हाथ में अपना लंड पकड़ा दिया, दाहिने हाथ से वो मेरे मोटे लंड को आगे पीछे करके हिलाने लगी और अपना मुंह खोलते हुए मेरे लंड को थोडा सा अपने मुंह में भर ली और फिर बाहर निकाल दी और मेरी और देखने लगी.

मैंने धीरे से कहा- बस जैसे आइस-क्रीम खाती हो वैसे ही इसे भी चाट लो.

आयुषी ने इस बारे मेरे लंड को मुंह में भरा तो अपनी जीभ से मेरे लंड को चाट भी रही थी. उसकी मुंह की गर्मी और गीलेपन से मेरे लंड में उफान सा आ गया और मैं उसके मुंह में लंड को आगे पीछे करने लगा.

आयुषी ने भी सक करने की स्पीड बाधा दी, ऐसा कुछ देर तक चलता रहा, मेरा लंड अब पुरे शबाब पर था, मेरा बस नहीं रह गया था इस पर, अब इसे चाहिए थी तो बस बुर, बुर और बुर.

मैंने जोश में आकर आयुषी को पीछे बेड पर धकेल दिया, लेकिन लड़की कुंवारी थी तो थोड़ी सावधानी भी जरुरी थी, घुटनों के बाल आयुषी की टांगो के बीच बैठकर मैंने लंड को उसकी चिकनी और गीली बुर पर रगड़ दिया.

मेरा लंड पहले ही उसके मुंह में जाकर गिला हो गया था और रही सही कसर उसकी चूत के रस ने पूरा कर दिया था.

अपने लंड से आयुषी की कुंवारी बुर पर थपकी देने के बाद मैंने उसकी बुर की छेड़ में अपने लंड को टिकाया और थोडा सा लंड को उसकी बुर में डालता फिर निकाल लेता, दो बार ऐसे करते हुए मैंने पूरी ताकत से आयुषी की कुंवारी बुर के सील को तोड़ते हुए लंड घुसेड दिया.

आयुषी की चीखते हुए कसमसाने, लंड बुर में डाले हुए मैं आयुषी के होठों को किस करने लगा और अपने हाथ से उसके गाल को प्यार से सहला भी रहा था.

जब उसका दर्द थोडा शांत हुआ तो मैंने लंड को उसकी बुर से निकल लिया, आयुषी लंड पर लगे खून और उसकी बुर से निकलते हुए खून को देखकर डर सी गयी और मैंने अपनी रुमाल से ही आयुषी की बुर के खून को साफ़ करते हुए कहा ‘पहली बार ही खून निकलता है जान, अब नहीं निकलेगा’ और फिर मैंने लंड को भी पोंछ कर साफ़ कर लिया.

आयुषी ने कहा मुझे सुसु करना है और वह उठने लगी तो मैंने उसको सहारा देकर उठाया और बाथरूम में ले गया.

उसने मुझे बहार जाने का इशारा किया, मैं समझ नहीं पाया की अभी तो मैंने आयुषी को पूरी तरह नंगी करके उसकी सील तोड़ी है तो मेरे सामने सुसु करने में कैसी शर्म.

तभी आयुषी बाहर आई और आते ही उसने मुझे गले लगा लिया, मैंने भी उसे पुरे जोश में उसकी गर्दन, गाल और होंठो पर किस करने लगा.

जोश जोश में मैंने उसके कानो को भी बारी बारी से अपने मुंह में भरकर, अपनी जीभ से लिक किया, ऐसे करते ही आयुषी मुझसे और टाइटली चिपकती चली जा रही थी.

मैंने उसे फिर से बेड पर गिरा दिया लेकिन मैं नीचे ही खड़े होकर उसकी टांगो को बेड से बाहर लटकाते हुए उसकी बुर की छेड़ में अपने प्यासे लंड को टीकाकार जोरदार झटके से अन्दर दाल दिया.

आयुषी फिर चिल्लाई लेकिन इस बार मैंने परवाह ना करते हुए अपने चोदने की स्पीड दोगुना कर दी. आयुषी की चिल्लाहट धीरे धीरे मौन में बदल गयी और वह चुदाई का मजा लेने लगी.

10 मिनट तक मैं झड़ने को हुआ तो मैंने लंड निकल कर हिलाते हुए अपने माल से भरी पिचकारी को आयुषी के सपाट पेट पर फैला दिया और मैं भी निढाल होकर वहीँ आयुषी के बगल लेट गया और उसके बालों से खेलने लगा.

5 मिनट बाद आयुषी हडबडाते हुए उठी और घडी की और देखकर बोली अरे उठो पंकज, पापा के आने का टाइम हो रहा है, 4.30 बज चुके है.

फिर हमने एक दुसरे को जल्दी से साफ़ किया और कपडे पहन कर बाहर लिविंग रूम में आये, एक दुसरे से जल्दी मिलने का वायदा करते हमने एक दुसरे के होठों को फिर से मिला दिया.

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