Komal Ki Choot Chudai
प्यारे दोस्तो, यह मेरी पहली कहानी है और उम्मीद करता हूँ कि आपको पसंद आएगी।
मैं बनारस से हूँ।
वैसे तो मैंने कई चूतें फाड़ दी हैं.. लेकिन मुझे याद है मेरी वो पहली चुदाई, जब मैंने कोमल को चोदा था।
वो मेरी पहली चुदाई थी।
पहले मैं आपको कोमल के बारे में बता दूँ।
कोमल का कद साढ़े पाँच फुट का रहा होगा.. और उसके जिस्म के कटाव भी करीब 32-28-32 का होगा.. वो दिखने में किसी परी से कम नहीं लगती थी।
कोमल और मैं एक ही स्टेडियम में आते थे, कोमल एथलेटिक्स के लिए आती थी और मैं बॉडी फिट रखने के लिए जाता था।
ऐसे ही देखते-देखते हम दोनों की नज़रें मिल गईं और एक दिन मैंने उससे उसका नाम पूछा.
उसने भी झट से अपना नाम बता दिया।
फिर कुछ दिनों तक ऐसे ही हमारी बातें होती रहीं।
उसके बात करने के तरीके से मुझे लगने लगा था कि वो भी मुझे पसंद करने लगी थी।
एक दिन मैंने कहीं घूमने का मन बनाया तो मैंने ऐसे ही कोमल से भी पूछ लिया तो उसने भी चलने के लिए ‘हाँ’ कर दी।
हम दोनों मेरी बाइक पर निकल पड़े.. रास्ते में वो मेरे से चिपक रही थी।
उसके उभार मेरी पीठ में चुभ रहे थे और मुझे उत्तेजित कर रहे थे।
फिर मैंने एक अच्छी सी जगह देख कर बाइक रोक दी।
हम दोनों बाइक से उतर कर बातें करने लगे, वो बोले जा रही थी और मैं उसको सुन रहा था।
फिर मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और वो चुप हो गई।
हम दोनों एक-दूसरे की आँखों में खो गए।
करीब 5 मिनट बाद मुझे होश आया.. फिर मैंने उसका हाथ पकड़े-पकड़े ही उसको ‘आई लव यू’ बोल दिया।
मेरे ‘आई लव यू’ बोलते ही वो मेरे गले लग गई और बोली- रोहन तुमने मुझे यह बोलने में कितने दिन लगा दिए।
फिर उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और करीब 5-6 मिनट तक हम दोनों एक-दूसरे के होंठों को चूमते रहे।
वहाँ हम ज़्यादा देर तक नहीं रुक सकते थे क्योंकि किसी के आने का डर था।
इसलिए हम वहाँ से चल पड़े.. आते वक्त हम दोनों ने किसी से कुछ नहीं बोला।
फिर मैंने उसको जहाँ से पिक किया था.. वहीं पर ड्रॉप कर दिया और बाय बोल कर चला गया।
रात को उसका फोन आया और हमने खूब सारी बातें कीं।
वो बोली- मुझे मिलना है।
फिर हम दोनों मिलने का प्लान बनाने लगे.. लेकिन कहीं भी कोई जगह नहीं मिल रही थी।
फिर एक दिन मेरे घर वालों को मेरे भाई के यहाँ जाना पड़ गया और सब लोग वहाँ चले गए।
अब मैं अकेला घर पर बच गया था, तो मैंने कोमल को फोन करके बताया।
वो मुझसे मिलने की चाह में खुशी से चिल्ला पड़ी।
फिर उसने घर अपने वालों को झूठ बोला कि वो अपनी सहेली के पास जा रही है और वो मेरे घर आ गई।
वो आते ही मेरे गले से चिपक गई और मुझे चूमने लगी।
मैं भी उसके होंठों को चूमने लगा, फिर मैंने बीच में रुक कर गेट को बन्द किया और फिर से उसके होंठों को चूमने लगा।
उसके होंठों को चूमते-चूमते ही उसे अपने कमरे में ले गया।
मेरा कमरा हमारे मेन-गेट के बिल्कुल ही पास था।
कमरे में आने के बाद मैंने उसको बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर छा कर उसके होंठों को चूमने लगा।
वो बोली- यही करते रहोगे या फिर कुछ और करने का भी इरादा है।
फिर मैंने उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिए।
अब वो मेरे सामने केवल ब्रा और पैन्टी में थी।
फिर मैं उसके मम्मों को दबाने लगा उसे मज़ा आ रहा था।
थोड़ी देर बाद वो बोलने लगी- रोहन प्लीज़.. थोड़ा कस कर दबाओ ना..
फिर मैंने उसकी ब्रा भी निकाल दी।
अब वो मेरे सामने केवल पैन्टी में ही लेटी हुई थी।
मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और अपना लण्ड उसके हाथ में दे दिया।
वो लण्ड के साथ और मैं उसके मम्मों के साथ खेलने लगे।
फिर मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर रख दिया..
तो वो एकदम से सिहर गई और उसने मेरे लण्ड के साथ खेलना बंद कर दिया।
उसकी सिसकारियाँ निकलने लगीं।
मैंने एक ऊँगली उसकी चूत में डाल दी.. वो चिहुंक उठी।
मैं ऊँगली को धीरे-धीरे उसकी चूत में आगे-पीछे करने लगा।
उसका मज़ा आ रहा था।
थोड़ी देर बाद वो बोली- मोनू.. बस करो.. अब बर्दाश्त नहीं होता।
तो मैंने अपनी ऊँगली उसकी चूत में से निकाल ली और अपना लण्ड उसके मुँह में डाल दिया तो वो मेरे लण्ड के साथ ऐसे खेल रही थी जैसे काफ़ी पुरानी खिलाड़ी हो।
थोड़ी देर बाद मैंने अपना लण्ड उसके मुँह में से निकाल लिया और उसकी चूत के दाने पर रख दिया।
मैं लौड़े को चूत के दाने पर हल्के-हल्के रगड़ने लगा और वो मस्त होने लगी।
कुछ ही देर बाद वो पागल होने लगी। बोली- बस अब जल्दी से अन्दर डालो.. मुझे रहा नहीं जा रहा है।
मैंने कहा- इतनी जल्दी किस बात की है।
फ़िर हम 69 की अवस्था में आ गए।
अब मैं उसकी चूत चाटने लगा।
आप सब को बताना चाहूँगा कि चूत चाटना मुझे बहुत अच्छा लगता है।
अब तक जितनी चूतें चोदी हैं.. बिना चूत चाटे लवड़ा अन्दर नहीं डाला है।
चूत का पानी जब तक न पियो और चूत में उंगली न करो.. तब तक कोई चुदाई पूरी हुई है भला..
सब्र का फ़ल हमेशा अच्छा होता है। चूत जितना तड़फती है.. लण्ड को उतना ही अधिक मजा देती है।
मैंने 20 मिनट तक उसकी चूत का एक-एक कोना चाट कर उसको मस्त कर दिया।
वो पागल होने लगी बोली- बस अब जल्दी से अन्दर डालो.. मुझे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है.. डालो नहीं तो मैं मर जाऊँगी।
मेरा लण्ड उसकी चुसाई से फ़ूल गया था।
फ़िर मैंने लण्ड उसकी चूत में लगाया।
उसकी चूत बहुत कसी हुई थी मैंने अपना बड़ा लण्ड उसके ऊपर टिका दिया और एक ही झटके में आधा लण्ड उसकी चूत में पेल दिया।
उसकी चूत से खून निकलने लगा और मैंने लगातार दूसरा झटका भी मार दिया।
मैंने अपना लण्ड जोर डाल कर पूरा घुसा डाला।
कोमल ने जोर से मस्ती में अपनी आंखें बन्द कर लीं।
उसकी आँखों से आंसू आ गए थे.. उसके जबड़े की नसें उभर आई थीं।
मुँह दर्द की अधिकता से खुला का खुला रह गया था।
मैं थोड़ा सा रुक गया और फिर धीरे-धीरे अपने लण्ड को उसकी चूत में आगे-पीछे करने लगा।
कोमल अब मस्ती में पागल हुई जा रही थी।
मैं भी इसी आनन्द में डूबा हुआ था।
मेरा मोटा लण्ड कोमल को दूसरी दुनिया की सैर करवा रहा था।
हम दोनों आपस में गुंथे हुए थे.. कोमल की चूत की कस कर ठुकाई हो रही थी।
वो तो और जोर से अपनी चूत ठुकवाना चाह रही थी।
कोमल के दांत भिंचे हुए थे.. चेहरा बिगड़ा हुआ था.. आंखें बन्द थीं.. जबड़े बाहर निकले हुए थे।
मेरे हाथ उसके कड़े स्तनों का मर्दन कर रहे थे।
कोमल का नशा आखिर चूत का पानी बन कर बह निकला।
लेकिन मैं अभी भी उसकी चूत के मज़े ले रहा था।
थोड़ी देर बाद वो फिर से अपनी गाण्ड उछालने लगी और फिर से चुदने का मजा लेने लगी।
करीब 15 मिनट बाद मेरा भी निकलने वाला था.. तो मैंने कोमल से पूछा- कहाँ निकालूँ?
तो वो कहने लगी, “मेरी चूत में ही निकाल दो.. मैं इसको अपनी चूत में ही महसूस करना चाहती हूँ।
मैं लगातार 10-15 झटकों के साथ ही उसकी चूत में ही झड़ गया और कोमल के ऊपर ही लेट गया।
थोड़ी देर बाद हम दोनों उठे और मैंने अपने लंड और उसने अपनी चूत की सफाई की।
फिर थोड़ी देर बाद हमने बातें करते-करते चॉकलेट खाई और फ़िर 4 घंटों तक हम साथ ही रहे।
मैंने एक भी पल को जाया नहीं किया और उसको खूब चोदा।
समय निकलता गया हम लोग चुदाई करते रहे।
फिर कुछ दिनों बाद उसकी शादी हो गई है।
अब भी जब अपने घर आती है तो.. वो मुझसे चुदाई का मजा लेती है।
आगे फ़िर किसको चोदा, यह अगली कहानी में लिखूँगा।
आपको मेरी यह सच्ची कहानी कैसी लगी.. मुझे जरूर बताइएगा, आपके ईमेल का इन्तजार रहेगा।