गांड मरवाकर मिली शांति

मुझे तो ऐसा लगता था कि जैसे घर एक जंग का मैदान बन चुका है और कोई भी खुश नहीं है क्योंकि आय दिन घर में झगड़े होते रहते थे और मेरे साथ भी कुछ अच्छा नहीं हो रहा था। मेरी बहन का तलाक हो चुका था और वह अब घर में ही रहती थी उसकी जिम्मेदारी भी मेरे सर पर आ चुकी थी और मेरी पत्नी भी मुझसे हमेशा कहती कि तुमने तो जैसे सबका ठेका ले रखा है। मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था मैं तो अपने रिश्तो को सुलझाने की कोशिश कर रहा था लेकिन वह तो और भी ज्यादा बिगड़ते जा रहे थे। मेरी पत्नी और मेरी बहन तो आपस में एक दूसरे से झगड़ते ही रहते थे लेकिन अब मेरी मां भी उन लोगों से चिढ़ने लगी थी मेरी मां कभी मेरी बहन की तरफदारी कर लिया करती और कभी मेरी पत्नी की तरफदारी करती।

मैं घर में बहुत ज्यादा परेशान हो चुका था मेरे पास और कोई रास्ता ही नहीं था मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि मुझे ऐसा क्या करना चाहिए जिससे कि सब कुछ ठीक हो जाए। मैंने इसके लिए एक रास्ता ढूंढा कि मुझे दूसरी जगह चले जाना चाहिए और वैसे भी मेरी नौकरी कुछ अच्छी नहीं चल रही थी और इसीलिए मैंने दिल्ली जाने के बारे में सोच लिया था। मेरी मां और मेरी पत्नी कहने लगे लेकिन तुम दिल्ली क्यों जा रहे हो यहां लखनऊ में तो तुम्हारी अच्छी नौकरी है ना। मैं नहीं चाहता था कि मैं लखनऊ में रहूँ मैं अपने घर की परेशानी से बहुत ज्यादा परेशान हो चुका था और आए दिन के झगड़ो से मैं इतना परेशान था कि मेरे पास और कोई रास्ता भी नहीं था इसलिए मुझे लखनऊ से दिल्ली जाना पड़ा। मैं जब दिल्ली आया तो मुझे एक कंपनी में नौकरी तो मिल चुकी थी लेकिन मुझे इतनी तनख्वाह नहीं मिल रही थी परंतु मैं अपने घर के झगड़ों से दूर था कुछ समय के लिए ही सही लेकिन खुश था। मेरी पत्नी और बहन का फोन मुझे आता तो वह लोग एक दूसरे की बुराई करने से कभी पीछे नही रहते थे वह दोनों ही एक दूसरे की बुराइयां करते रहते थे मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि मुझे क्या करना चाहिए। मुझे कई बार ऐसा प्रतीत होता कि मुझे सब छोड़ कर कहीं दूर चले जाना चाहिए लेकिन फिर मुझे अपनी मां का ख्याल आ जाता।

काफी समय बाद मैं जब अपने घर गया तो मुझे लगा कि सब कुछ पहले जैसा ही ठीक हो चुका है मीनाक्षी भी मेरी पत्नी माधुरी से झगड़ा नहीं करती थी और ना ही मेरी मां उन्हें कुछ कहती थी। मैंने एक दिन मां से कहा कि मां क्यों ना हम लोग मीनाक्षी के लिए कोई रिश्ता ढूंढना शुरू कर दें क्योंकि मीनाक्षी को भी तो किसी के सहारे की जरूरत होगी। मां कहने लगी हां बेटा तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो हमे मीनाक्षी के लिए रास्ता ढूंढ लेना चाहिए। मैं इस बात से बहुत ही ज्यादा खुश था आखिरकार हम लोगों ने मीनाक्षी के लिए अब रिश्ता ढूंढना शुरू कर ही दिया था। मीनाक्षी के लिए हम लोगों ने अब लड़का ढूंढना शुरू कर दिया था और जल्दी ही मीनाक्षी के लिए एक लड़का मिल ही गया वह भी तलाकशुदा था लेकिन उसके बावजूद भी वह लड़का व्यापार कुशल और हर चीज में अच्छा था। मां को यह रिश्ता मंजूर था और मुझे भी इसमें कोई आपत्ति नजर नहीं आ रही थी आखिरकार हम दोनों ने मीनाक्षी के लिए एक अच्छा लड़का ढूंढ ही लिया था। मीनाक्षी की शादी हमने कुछ समय बाद करवा दी मीनाक्षी की शादी होने के बाद वह बहुत खुश थी क्योंकि उसका पति उसका बहुत ही ख्याल रखता है और उसका पति उसे हमेशा ही खुश रखा करता है। मैं भी बहुत ज्यादा खुश था क्योंकि मुझे भी यह लगता था कि मीनाक्षी अपने ससुराल में बहुत खुश है। मैं दिल्ली नौकरी में व्यस्त रहता था मेरी पत्नी चाहती थी कि वह भी मेरे साथ दिल्ली आ जाए लेकिन मैंने उसे मना कर दिया था क्योंकि घर में मेरी मां थी मेरी मां की देखभाल के लिए भी तो कोई साथ में चाहिए था। माधुरी मुझे कहती कि मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता है कि आप दिल्ली में जॉब करते हैं आप यहीं पर क्यों नहीं कोई काम देख लेते। मैंने माधुरी को बताया और कहा तुम्हें मालूम है मैं इतना परेशान हो चुका था कि मैंने दिल्ली जाने के बारे में सोच लिया था और आखिरकार मुझे दिल्ली जाकर सब कुछ पहले जैसा ही लगने लगा था मुझे लग रहा था कि सब कुछ ठीक हो चुका है और मैं अपने जीवन में खुश भी हूं क्योंकि तुम्हारे और मीनाक्षी के झगड़ों से मैं इतना तंग आ चुका था कि मुझे और कोई रास्ता सुझा ही नहीं था लेकिन अब मैं दिल्ली में ही ठीक हूं।

मेरी मां भी कहने लगी कि बेटा तुम अपने साथ ही माधुरी को कुछ दिनों के लिए ले जाओ मैं अपना ध्यान रख सकती हूं मैंने मां से कहा लेकिन मां आप अपना ध्यान कैसे रखेंगे। वह कहने लगी बेटा यह सब मुझ पर छोड़ दो तुम माधुरी को कुछ दिनों के लिए अपने साथ लेकर चले जाओ मैं मीनाक्षी को फोन कर देती हूं वह कुछ दिनों के लिए मेरे पास आ जाएगी। मैंने मां से कहा ठीक है मां मीनाक्षी को फोन कर दीजिए मैं कुछ दिनों बाद लखनऊ आऊंगा तो माधुरी को अपने साथ ले आऊंगा। कुछ दिन बाद मैं लखनऊ गया मीनाक्षी भी घर पर आ गई थी मैंने 10 दिन की छुट्टी ले ली थी तो मैं कुछ दिनों तक लखनऊ में ही था और मां भी मुझसे मिलकर बहुत खुश थी। इतने महीनों बाद मेरी उनसे मुलाकात हो रही थी और अपने परिवार से इतने लंबे अरसे बाद मिलने की कुछ अलग ही खुशी थी वह खुशी मैं बयां नहीं कर सकता था। माधुरी और मीनाक्षी भी अब एक दूसरे से बिल्कुल झगड़ते नहीं थे क्योंकि मीनाक्षी अब दूसरे घर की बहू बन चुकी थी उसे भी इस बात का एहसास हो चुका था कि माधुरी से झगड़ने से उसे कोई लाभ होने वाला नहीं है। वह दोनों अब बहुत ही प्यार प्रेम से रहती थी और मुझे भी इस बात की खुशी थी कि वह दोनों एक दूसरे को समझने लगी है।

मैं जितने दिनों तक घर में रहा उतने दिनों तक सब कुछ बहुत ही अच्छे से चलता रहा और मैं अब माधुरी को अपने साथ दिल्ली ले आया था। मेरे पास सिर्फ एक कमरा ही था मैं एक ही कमरे में रहा करता था इसलिए मैं नहीं चाहता था कि मैं माधुरी को अपने साथ रखूं लेकिन माधुरी की जिद के आगे और मेरी मां ने भी मुझ से कहा था कि तुम कुछ समय के लिए बहू को अपने साथ ले जाओ तो इसीलिए मैं माधुरी को अपने साथ ले आया था और वह मेरे साथ आकर बहुत खुश थी। वह कहने लगी कि आप से अलग होकर मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता और मुझे मालूम है कि हम दोनों की वजह से ही आपको यहां नौकरी करने के लिए आना पड़ा। मैंने माधुरी से कहा अब वह बात जाने दो अब तो सब कुछ ठीक हो चुका है। माधुरी मेरे साथ आ चुकी थी काफी दिनों से हम दोनों के बीच अच्छे से सेक्स संबंध भी नहीं बन पाए थे घर में भी मुझे माधुरी के साथ सेक्स करने का मौका नहीं मिल पाया था। वह मेरे साथ ही थी और मुझे उस रात उसे चोदने का बड़ा मन हुआ जब मैंने उसे अपनी बाहों में लिया तो वह मेरी बाहों में आकर कहने लगी तुम यह क्या कर रहे हो? मैंने उसे कहा आज मेरा बड़ा मन है तो वह कहने लगी लेकिन आज मेरा मन नहीं हो रहा है। मैंने उससे कहा ऐसे ना तड़पाओ मुझे जानेमन मैं तुम्हारी इच्छा पूरी कर दूंगा। वह कहने लगी लेकिन मेरी सही मे इच्छा नहीं हो रही है परंतु मैंने अपने लंड को बाहर निकाल लिया और उसे मैंने माधुरी के हाथों में पकड़ा दिया।

माधुरी मेरे लंड को हिलाने लगी धीरे-धीरे उसे भी जोश चढने लगा और उसे मजा आने लगा लेकिन जब मैंने अपने लंड को उसके मुंह के अंदर डाला तो वह पूरी तरीके से बेचैन हो गई और मेरे लंड को बड़े ही अच्छे से सकिंग करने लगी। उसे मेरे लंड को चूसने में मजा आ रहा था और उसके अंदर की गर्मी और भी ज्यादा बढ़ती जा रही थी मुझे भी बड़ा मजा आ रहा था और जैसे ही मैंने उसकी मुंह से लंड को बाहर निकाला तो मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया। उसकी चूत से पानी निकालने लगा था वह भी तड़पने लगी थी उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और कहने लगी आपने मेरे अंदर उत्तेजना पैदा कर दी है। मैंने उसे कहा तो फिर देरी किस बात की है मैंने अपने लंड को माधुरी की योनि पर लगाया और अंदर धकेलते हुए उसे धक्का देने शुरू कर दिया। मुझे बड़ा मजा आ रहा था जिस प्रकार से मैं उसे चोद रहा था मुझे उसे धक्के मारने में मजा आता और वह बड़ी खुश थी काफी देर तक मैंने उसे ऐसे ही चोदा। उसके अंदर बहुत गर्मी बढ़ने लगी थी और वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी वह मुझे कसकर पकड़ने लगी और उसने अपने मुंह से मादक आवाज निकालनी शुरू कर दी। मैं उसे धक्का मार रहा था लेकिन मेरी इच्छा भर ही नहीं रही थी परंतु जैसे ही मैंने उसकी योनि के अंदर अपने वीर्य को गिराया तो उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और हम दोनों एक दूसरे की बाहों में थे।

मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया था मैंने माधुरी की गांड को दबाना शुरू किया तो वह मेरी तरफ देखते हुए कहने लगी आप यह क्या कर रहे हैं। मैंने उसकी गांड के अंदर अपनी उंगली घुसा दी और जब मेरी उंगली माधुरी की गांड में चली गई तो मुझे अच्छा लग रहा था। मैंने अपने लंड पर सरसों का तेल लगाया माधुरी की गांड के अंदर अपनी उंगली को घुसाया तो उंगली अंदर तक चली गई थी। जैसे ही मैंने अपने मोटे लंड को माधुरी की गांड में घुसाया तो उसके मुंह से चीख निकल गई और मैं उसे तेजी से धक्के मारने लगा। मुझे उसे धक्के मारने में मजा आ रहा था और मैं उसे बड़ी तेजी से धक्के मार रहा था। काफी देर तक मैंने उसके साथ मजे लिए लेकिन उसकी गांड की गर्मी को मैं ज्यादा समय तक ना झेल सका और मेरे अंदर से मेरा वीर्य बाहर निकलने लगी थी मेरा लंड छिलकर बेहाल हो गया था मैंने जैसे ही माधुरी की गांड के अंदर अपने वीर्य को गिराया तो वह कहने लगी अब जाकर मुझे शांति मिली है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

|