kamukta मेरा नाम रेशमा है। बाराबंकी की रहने वाली हूँ। stories शादी शुदा औरत हूँ। मेरे पति दिल्ली में pop का काम करते है। छतो में प्लास्टर ऑफ़ पेरिस से डिज़ाइन बनाने का काम करते है। वो घर 3 महीने में सिर्फ 1 बार की 2 -4 दिनों के लिए आ पाते है। जब भी आते है मुझे रात रात भर नंगा रखते है और चोद चोदकर अपने लंड की आग बुझा लेते है। पर दोस्तों पति के जाने के बाद मैं फिर से तन्हा हो जाती हूँ और आस पास के लोगो से मैं अक्सर चुदा लेती हूँ। अभी तक दूधवाला, सब्जीवाला, गैस हाकर मुझे मेरे ही घर में चोद चुके है। नये नये मोटे लंड चूत में अंदर लेना मुझे बेहद पसंद है। मुझे सेक्स करना और चुदाना बहुत अच्छा लगता है। इसलिए मैं आप पडोस के मर्दों से मौका मिलते ही चुदा लेती हूँ। मेरी उम्र 35 साल की है और पति ने मुझे चोद चोदकर 2 मॉडल [बच्चे] मेरे भोसड़े से निकाल दिए है।
आज आपको अपनी गुप्त स्टोरी सूना रही हूँ। दोस्तों मेरे पति अक्सर दिल्ली ही रहते थे और मेरा चुदाने का बड़ा मन था। मेरे घर के ठीक सामने एक बड़ा सा मकान था जहाँ किरायेदार रहते थे। कुछ दिनों बाद परेश नाम का एक नया लौंडा रहने के लिए आ गया। वो फर्स्ट फ्लोर पर रहने लगा। सुबह सुबह मैं छत पर कपड़े सुखाने के लिए डालने जाती थी परेश मुझे दिख जाता।
“नमस्ते भाभी!!” वो हर बार बोल देता।
मैं भी उसे नमस्ते कह देती। परेश काल सेंटर में नौकरी करता था। धीरे धीरे वो मुझे अच्छा लगने लगा। मैं भी फर्स्ट फ्लोर पर रहती थी और रोज सुबह की परेश के दर्शन मुझे हो जाते थे। सुबह सुबह वो अपनी चत पर टहलता था। उसका लंड खड़ा रहता था। परेश बिहारी था। वो काफी हॉट और सेक्सी था। धीरे धीरे मेरा उससे चुदाने का मन करने लगा। एक दिन वो अपनी बालकनी में बैठा था। मैंने नहाकर निकली तो देखा परेश कुर्सी पर बैठकर अख़बार पढ़ रहा था। मैंने जल्दी से अपना पीठ खुला वाला बैकलेस ब्लाउस निकाला और पेटीकोट के साथ पहन लिया। मैं परेश के सामने ही खड़ी हो गयी और बाल तौलिया से पोछने लगी। मैंने सिर्फ ब्लाउस और बैकलेस ब्लाउस पहन रखा था।
फिर परेश अखबार छोडकर मुझे ही ताड़ने लगा। मेरे पीले रंग के ब्लाउस के मेरे 38” के दूध दिख रहे थे। परेश का लंड खड़ा हो गया। परेश ने मुझे सिटी मारी। मैंने मुड़ी।
“माँ कसम भाभी!! आज बड़ी हॉट लग रही हो” परेश हंसकर बोला
मैं हँसने लगी। धीरे धीरे हम लोगो में सिलसिला बन गया। परेश मुझे लाइन देने लगा। अपनी ऊँगली को मोड़कर वो चूत बना लेता और दूर से पूछता की दोगी। मैं सिर्फ हंस देती। कुछ दिन बाद मेरा उससे चुदाने का बड़ा दिल कर रहा था। रात 9 बजे परेश अपने काल सेंटर से आया था। जैसे ही वो बाहर आया मैंने उसे मेरे घर में आने का इशारा दिया। परेश ने अपनी 2 ऊँगली को मोड़कर चूत बनाई और इशारे में ऊँगली दिखाकर कहा की क्या मैं दूंगी। मैंने सिर हिला दिया। रात के अँधेरे में परेश मेरे घर में आया। फिर मैंने दरवाजा बंद कर दिया। उसने मुझे कसके गले लिया। मुझे वो सहलाने लगा। ये कहानी आप इंडियन सेक्स कहानी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।
“कैसी हो भाभी जान????” परेश बोला
““..अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ….बस तुम्हारी याद में तडप रही हूँ अअअअअ….आहा …हा हा हा” मैंने कहा
फिर परेश ने मुझे 15 मिनट तक अपने सीने से लगाये रखा। हम दोनों बेडरूम में आ गए। परेश मेरे साथ बिस्तर पर लेट गया और मुझे किस करने लगा। मैंने साड़ी ब्लाउस पहन रखा था। मैं अच्छी तरह से तैयार थी। मैंने भी उसे बाहों में भर लिया और किस करने लगी। धीरे धीरे हम दोनों काफी देर तक चुम्मा चाटी करने लगे।
“भाभी जल्दी से कपड़े उतार दो” परेश बोला
मैं अपनी साड़ी ब्लाउस उतारने लगी। कुछ ही देर में मैं नंगी हो गयी थी। परेश ने अपनी जींस और शर्ट उतार दी। उसने अपना अंडरवियर उतार दिया।
“आओ रेशमा भाभी लंड चूसो मेरा” परेश बोला
वो खड़ा हो गया। मैंने जमीन पर घुटने मोड़कर किसी रंडी की तरह बैठ गयी। मेरी 38” की बड़ी बड़ी चूचियां देखकर परेश मचल गया और मेरे दूध को हाथ लगाने लगा। मैंने उसका लौड़ा पकड़ लिया। बाप रे!! 10” लम्बा लौड़ा देखकर मैं हैरान थी। मैं धीरे धीरे उसके लौड़े को फेटना शुरू कर दिया। फिर मुंह में लेकर चूसने लगी। मेरे 2 बच्चे दूसरे कमरे में सो रहे थे। अभी मेरा एक बच्चा 2 महीने पहले पैदा हुआ था। इसलिए जब मेरा आशिक परेश मेरे दूध दबाने लगा तो उसमे से दूध निकल रहा था। मैं जल्दी जल्दी उसका लंड मुंह में लेकर चूस रही थी। दोस्तों किसी सिलबट्टे की तरह मोटा और पहलवाल लंड था उसका। मैं मस्ती से चूस रही थी। परेश अ अ अ अ .अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह….. उ उ उ कर रहा था। मुझे भी मस्ती छा रही थी। मैं जल्दी जल्दी अपने हाथो को चलाकर उसका लौड़ा फेट रही थी। परेश आराम से खड़ा था। हम दोनों बेडरूम में ही अईयाशी कर रहे थे। मैंने उसकी गोलियों को हाथ से सहला और मसल रही थी। परेश मेरे सिर पर हाथ रखकर खड़ा था। “……अई…अई….अई……अई….इसस्स्स्स्स्स्स्स्…….उहह्ह्ह्ह…..ओह्ह्ह्हह्ह….” की तेज आवाजे वो निकाल रहा था। मैं मेहनत से चूस रही थी। दोस्तों 15 मिनट के बाद उसके लौड़े से सफ़ेद माल निकलने लगा। मैं पूरा चूस जाती थी।
“ओह्ह भाभी!! यू आर सो सेक्सी!! सक माई कॉक” परेश चीख रहा था
मैं और मस्ती में आ गयी और जल्दी जल्दी चूसने लगी। परेश पागल हो रहा था। मैं जल्दी जल्दी अपने हाथ गोल गोल उसके 10” के लौड़े पर घुमा रही थी। उसको जन्नत मिल रही थी।
“ओह्ह बस बस! आओ मेरे लौड़े की सवारी करो” परेश बोला और बेड पर लेट गया। उसने अपने सिरहाने बहुत सारी तकिया लगा ली। मैंने उसके लौड़े को चूत में डालकर लेट उसकी कमर पर बैठ गयी। मैं उसके लंड की सवारी करने लगी। धीरे धीरे परेश मुझे मीठे धक्के चूत में देने लगा। मेरे दूध को पकड़कर वो दबाने लगा तो दूध निकलने लगा और नीचे उसके सीने पर गिरने लगा। फिर परेश ने मुझे अपनी तरफ खींचा और मेरे दूध को मुंह में ले लिया। वो मेरे मुलायम स्तन दबाने लगा। दूध निकलने लगा। परेश उसे पीने लगा। इस तरह उसने मुझे लंड पर बिठाकर चोदना शुरू कर दिया। वो मेरे दूध भी वो पी रहा था।
“चलो भाभी! अब तुम्हारी बारी” परेश बोला
अब मैंने धक्के देना शुरू कर दिया। मैं उछल उछलकर चुदाने लगी। जल्दी जल्दी मैं अपनी गांड उठाकर चुदाने लगी। परेश का लंड किसी रोकेट की तरह खड़ा था। मेरी चूत में जल्दी जल्दी अंदर बाहर हो रहा था। मैं मजे से चुदा रही थी। हम दोनों को काफी मजा आ रहा था। धीरे धीरे मैं उसके लौड़े की सवारी करने लगी। लगा की मैं किसी घोड़े पर बैठी हूँ। ये कहानी आप इंडियन सेक्स कहानी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।
मैं गांड उछल उछल कर पुट्टे मटका मटकाकर चुदा रही थी। मैं “…..ही ही ही……अ अ अ अ .अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह….. उ उ उ…” की सेक्सी आवाजे निकाल रही थी। मैं चुद रही थी। परेश का 10” का लंड मेरी चूत को अंदर तक फाड़ रहा था। हम दोनों को चुदाई का नशा चढ़ रहा था। परेश मेरे दूध की काली काली निपल्स को जोर जोर से मसल रहा था। सफ़ेद दूध की धार बार बार निकलकर बहने लग जाती थी। परेश को ऐसा करना अच्छा लग रहा था। वो बार बार मेरी निपल्स को मसल रहा था। मुझे ऐश मिल रही थी। कुछ देर बाद मैं धक्के मार मारकर थक गयी। अब परेश मेरे गोरे गोरे पुट्ठो को सहलाने लगा। फिर उसने नीचे से धक्के मारना शुरू कर दिया। मेरी 38” की चूचियां जल्दी जल्दी उपर को हिलने लगी।
मेरी चुद्दी में जाकर उसका लंड धमाल मचा रहा था। मेरी चुद्दी से पटर पटर की आवाजे आ रही थी। जैसे कोई ताली बजा रहा हो। मेरे काले खुले बालों हवा में झूम रहे थे। मैं अपने आशिक परेश के ताकतवर लौड़े की सवारी कर रही थी। मैं झूम झूमकर चुदा रही थी। अजीब सा चुदाई वाला नशा मुझे चड़ रहा था। अब 30 मिनट हो चुके थे परेश के लौड़े की सवारी करते हुए। हम दोनों हाफ रहे थे। फिर उसने अपनी रफ्तार अचानक से बढ़ा दी और कमर उठा उठाकर मुझे चोदने लगा और जल्दी जल्दी मुझे 5 मिनट उसने पेला फिर चूत में माल छोड़ दिया। मैं उसके सीने पर ही लेट गयी। वो मुझसे प्यार कर रहा था।
मेरे गुलाबी गालों को वो चूम रहा था। मुझे किस कर रहा था। मैं हांफ रही थी। मेरे भोसड़े में अब भी परेश का ताकतवर लंड घुसा हुआ था। करीब आधे घंटे तक मैं उसके सीने पर लेती रही। परेश ने मुझे बाहों में जकड़ लिया था। कुछ देर बाद मेरा 2 महिना का बच्चा रोने लगा। परेश जल्दी से कपड़े पहनकर चला गया। मैं अपनी साड़ी ब्लाउस पहन लिया। फिर बच्चे को दूध पिलाने लगी।
दोस्तों धीरे धीरे मेरे घर के सामने रहने वाला लड़का परेश मेरी चूत का पूरी तरह से आशिक बन गया था। 10 बीत गये तो परेश फिर से मेरी चूत मांगने लगा। मैंने उसे फिर से रात में 10 बजे बुला लिया। अपने बच्चो को मैंने सुला दिया था। परेश ने मुझे पकड़ लिया और किस करने लगा। कुछ देर बाद उसने मुझे नंगा करके चोदा। फिर वो मेरे पैर खोल मेरी रसीली चूत पीने लगा। वो जल्दी जल्दी मेरी चुद्दी चाटने लगा। मुझे अच्छा लग रहा था। मैं “अई…..अई….अई… अहह्ह्ह्हह…..सी सी सी सी….हा हा हा…” की कामुक आवाजे निकाल रही थी। परेश जल्दी जल्दी मेरी बुर पी रहा था। उसकी खुदरी दाने दार जीभ मेरी चूत के अंदर घुसी जा रही थी। मुझे नशा चढ़ रहा था। फिर परेश से 15 मिनट तक मुझसे लंड चुसाया। फिर मुझे घोड़ी बना दिया।
“भाभी जान!! आज तुम्हारी गांड चोदकर उद्घाटन करने जा रहा हूँ” परेश बोला
“चोद लो मेरी गांड जानेमन!!” मैंने कहा
फिर उसने मेरी गांड में सरसों का तेल लगा दिया और अपने लंड में भी तेल लगा दिया। धीरे धीरे मेरी गांड में वो ऊँगली करने लगा। 5 मिनट बाद उसने अपना 10” का लौड़ा धीरे धीरे मेरी गांड में अंदर तक उतार दिया। मैं “आऊ…..आऊ….हमममम अहह्ह्ह्हह…सी सी सी सी..हा हा हा..” करने लगी क्यूंकि मुझे बहुत दर्द हो रहा था। परेश धीरे धीरे मेरी गांड चोदने लगा। मुझे दर्द हो रहा था पर मजा भी आ रहा था। मैं बर्दास्त कर रही थी। 25 मिनट बाद मेरा दर्द खत्म हो गया था। परेश ने 40 मिनट मेरी गांड चोदी और माल गांड में ही छोड़ दिया।