मैं रसीली प्रेमि़का की कहानी सुनाने जा रहा हूँ जिसके साथ जब कभी भी मन तो चूम लेता या फिर हलके से उसके चुचों को दबा लिया करता और क्यूंकि हम एक अच्छे – खासे प्यार के अनोखे सम्बन्ध में जो थे | दोस्तों वो वैसे तो बहुत ही मासूम थी पर जब मामला आता था सेक्स का तो मुझे भी टक्कर दे सकती थी यह बात तभी पता चल चुकी थी जब मैं उसके होंठों को अपने मुंह में भरकर चूसा करता था | उसकी जंगली जवानी की चिकनी चूत चूदायी करने की तलब अब मेरे लंड में और जागने लगी थी और एक दिन की बात है जब मैं उससे रात को मेसेज में प्यार भरी बात करह था तो उसने मुझे बताया की आज रात को ११ बजे उसके माँ बाप किसी पार्टी में जाने वाले हैं और मेरे दिमाक चलन शुरू हो गया |
उसने यह भी बताया की अगली सुबह को ही उसके माँ बाप लौटेंगे और तभी मैंने कहा की आज रात हम दोनों के नाम होंगी | वो ढंग से नहीं समझ पायी पर तभी ११ बजे के आस पास मैं उसके घर पहुँच गया वो भी पिछले दरवाज़े से | जब उसके माँ बाप घर से चले गए तो मेरा अंदर का हवसी शेर जागने लगा और हम उसके माँ बाप के बेड रूम में रोमांटिक मुड में एक – दूसरे के होंठों को चूसना चालू कर चुके थे | मैंने कुछ देर बाद वहीँ उसके कपड़ों को भी उतारते हुए उसके चुचों हुए अपने हाथों में ले लिया जोकि बहुत ही ज्यादा मुलायम थे | मैं उसके चुचों के साथ खेलता हुआ उन्हें चूसने लगा | मैंने अब उसको चुमते हुए उसके होठों को हलके से चबा रहा था और वो भी मुझे सहयोग दे रही थी |
मैंने जब अपने भी कपडे खोल डाले तो वो मेरी छाती को चूम रही थी और मेरे लंड को संवार रही थी | मैं उसकी पैंटी को भी उतार दिया और अपनी उँगलियों से उसकी चुत में अदंर डालते हुए घुमा रहा जिसपर उसे भी ऐसा मज़ा आ रहा था की वो भी जोश में अपने पुरे बदन को लहरा रही थी | मैं भी मुड में आ गया तो मैंने और उसकी चूत पर अपनी जीभ को फिराने लगी जिसपर वो भी अपनी चूत ऊँगली करती हुई चुदवाने के लिए तड़प रही थी | मैंने अब चिकनाई के लिए उसकी चूत में हल्का सा लंड घुसाया और अपने सुपाडे और उसकी चूत के मुहाने पर थूक गिराते हुए पुरे लंड को उसकी मस्तानी चूत में अंदर दे दिया जिसपर उसकी एक बारी में चींख निकल पड़ी और जब भी वो चींख करती तो मैं उसके मुंह से मुंह मिलकर उसकी चींखों को अपने अंदर बसा लेता |
वो शुरुआत में कुछ ज्यादा ही दर्द से झटपटा रही थी और मैं पूरी जे जान से सख्ती उसकी चिकनी चूत पर बरतते जा रहा था | कुछ १५ बीस झटकों के बाद ही मैं शीग्रस्खलित हो चला और वहीँ निढाल लेट गया | मेरे दिल को अब तक ठंडक नहीं मिली थी और मैं कुछ देर फिरसे उसे चित्त लिटाकर पीछे उसपर चढ़कर उसकी चूत में लंड डाले उसके उप्पर कूद रहा था और इस बार मेरालंड चूत की गहराई में जाता हुआ करीब आधे घंटे तक टिका और तभी जाके मैं झडा | उस दिन रात मैं कभी नैन भूल सकता क्यूंकि चुदाई के दौरान उसकी मचाई चींखें मेरे जहन में अब तक गूंज रही हैं |