दोस्तों ये सेक्सी कहानी आज से कुछ साल्नो पहले की हैं. तब मैं अपनी १२वी कक्षा की पढाई में बीजी था. हमारे घर की बगल में ही मेरा कजिन बर्र रहता था. और वो उम्र में मेरे से काफी बड़ा था. उसकी 2 लडकिया थी. बड़ी का नाम संध्या और छोटी शैली. संध्या की उम्र 18 साल की हो गई थी. मैं संध्या से काफी क्लोज था क्युकी अंजलि तो अभी छोटी थी. संध्या की भी मेरे से अच्छी पटती थी और वो मुझे आने भाई के जैसे ही मानती भी थी.
12वी में आने से पहले मुझे कभी भी संध्या को ले के ऐसे वैसे कोई विचार नहीं आये थे. और आईने उसे कभी वैसी नजर से देखा भी नहीं था. लेकिन 12 वी में आने के बाद मेरी नजरो में खोट आ गई थी वो एकदम से मुझे सेक्सी माँ लगने लगी थी. शायद उसकी उम्र भी उस वक्त कुछ ऐसी थी की उसका शरीर ढांचा वगेरह मुझे लुभा रहा था.
समर का महिना था और मैं अकेला ही अपने घर पर था उस दिन. मैंने बरमूडा और पतली टी शर्ट पहनी हुई थी. बोरियत सी हो रही थी इसलिए मैं भाई के घर पर चला गया संध्या से मिलने. मैंने वहा जा के डोरबेल बजाई. संध्या ही आई दरवाजा खोलने के लिए. उसने ब्लेक स्लीवलेस टॉप पहना हुआ था. और निचे उसने एक रेड केप्री पहनी हुई थी. और इन कपड़ो के अन्दर वो बड़ी ही सेक्सी लग रही थी.
मैं संध्या से पूछा, क्या कर रही हो?
उसने जवाब दिया: कुछ खान नहीं, ऐसे ही बैठी थी.
मैं अन्दर घुसा और मैंने कहा, तुम्हारे मम्मी पापा किधर हैं?
संध्या ने मुझे कहा की वो दोनों अंजलि को ले के मार्केट गए हैं. उसके बाद हम संध्या के कमरे में चले गए. वहां पर हमने पढ़ाई की बातें करनी चालु की. और फिर अचानक से कब बात का ट्रेक गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड पर चला गया वो पता ही नहीं चला. हम दोनों एक दुसरे से काफी फ्रेंक थे और हमारी एज में भी बहुत डिफ़रेंस नहीं था.
संध्या ने कहा आप बैठो मैं चाय बनाती हूँ आप के लिए. मैंने कहा ठीक हैं और वो चाय चढाने के लिए किचन में चली गई.
एक मिनिट वेट करने के बाद मैं भी उसके पीछे चला गया किचन में. और वो किचन में प्लेटफॉर्म की साइड अपना फेस कर के खड़ी हुई थी. और उसके मोटे मस्त कुल्हें पीछे एकदम सेक्सी लग रहे थे. तभी उसने मुझे देखा और बोली: आप शक्कर कितनी लोगे चाय में?
मैंने उसकी बात जैसे सुनी ही नहीं. उसके एकदम करीब जा के मैंने कहा संध्या अगर मैं तुम्हे एक बात कहूँ तो तो क्या मानोगी?
वो बोली कौन सी बात, पढ़ाई की बात हैं?
मैंने कहा नहीं मैं एक बार तुम्हारे बूब्स प्रेस करना चाहता हूँ!
ये सुन के वो एकदम से चौंक गई और सूखे गले से टूटे टूटे हुए शब्दों में वो बोली ये क्या कह रहे हो आप? मैं बोला: देखो घबराओ नहीं किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा, क्यूंकि अभी हम दोनों के सिवा कोई नहीं है घर पर और भैया और भाभी को आने में टाइम लगेगा ना?
वो बोली, लेकिन हम दोनों के बिच में ये सब नहीं हो सकता हैं, मैं रिश्ते में आप की भतीजी हूँ और आप मेरे चाहा हो.
मैंने कहा, अब हम दोनों की उम्र सेम हैं, चाचा कहना छोड़ दो प्लीज़, बस एक बार मौका दे दो मुझे.
वो कुछ नहीं बोली तो मैं हिम्मत कर के आगे बढ़ा. मैं पीछे हाथ कर के गांड के ऊपर से उसे उठा लिया और उसे ले के बेडरूम में चला गया. वहां उसे बिस्तर के ऊपर उसे लिटा के मैंने उसके होंठो को अपने होंठो से लगा दिए. और फिर धीरे से उसके टॉप को खोल दिया. उसके चुचे ब्रा के अंदर से बहार आने के लिए एकदम बेताब लग रहे थे. मैं ब्रा के ऊपर से ही उसके बूब्स को मसलने लगा. और वो बूब्स प्रेसिंग से गरम हो रही थी.
अब मैं भी अपने कपडे उसके सामने खोलने लगातो उसने कहा आप कपडे मत नीकालो ना.
मैंने कहा अरे तुम्हे और मजा आएगा मई कपडे खोलूँगा तो.
मैंने देखा की वो ये सुन के दबे होंठो में ही हंस रही थी. मैं जानता था की आज इस जवान भतीजी को चोदने का रस्ता साफ़ है मेरे लिए.
मैंने अब संध्या की ब्रा के हुक को खोल दिया और फिर उसके बूब्स को एकदम कस कस के चूसने लगा. संध्या को भी बड़ा मज़ा आ रहा था और वो कराह रही थी. मैंने अब उसे उतना गरम देखा तो सोचा की सही मौका हैं हथोडा मारने का. मैंने कहा, संध्या अगर तुम चाहो तो हम सेक्स कर सकते हैं!
वो बोली, कोई प्रॉब्लम तो नहीं होगी ना?
मैंने कहा नहीं कुछ भी प्रॉब्लम नहीं होगी मेरी जान!
वो बोली फिर जो करना हैं कर लो मेरे साथ, लेकिन प्लीज मुझे अधुरा मत छोड़ना और किसी को ये सब पता ना चले. मैंने कहा तुम वो सब मेरे ऊपर छोड़ दो बस. और फिर मैंने उसकी केप्री को निकाला और पेंटी को भी फेंका साइड में. और फिर मैंने अपने लौड़े को अंडरवियर निकाल के बहार किया. एरा लंड देख के उसकी आँखे ही चौंधिया उठी थी. मेरा लंड पुरे 7 इंच का हो गया था अकड के.
और फिर संध्या ने जल्दी से मेरे लंड को अपने मुहं में भर लिया और उसे चूसने लगी. वो लौड़े को चूसते हुए मस्त हिला भी रही थी. फिर मैंने अपने लंड को उसकी जवान चूत के ऊपर सेट कर दिया. और एक धक्के में ही पूरा लंड अन्दर कर दिया. वो वर्जिन नहीं थी! लेकिन उसकी चूत टाईट जरुर थी. वो जोर जोर से अह्ह्ह अह्ह्ह ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह करने लगी थी. और मेरा लंड कस कस के उसकी चूत में अन्दर बहार होने लगा था.
कुछ देर के मिशनरी पोज के बाद मैंने अब संध्या को घोड़ी बना दिया. और पीछे से उसके कंधे पकड़ के भी उसको खूब चोदा. फिर मेरे लंड का पानी मैंने अपनी इस जवान भतीजी की बुर में ही छोड़ दिया. वो घबरा रही थी. इसलिए मैं चुदाई के बाद जल्दी से मेडिकल गया और उसके लिए गर्भ न ठहरने की पिल ले आया.
उसने पिल खा ली फिर मैंने पूछा सच बताना अब तक कितनी बार चुदी हो?