मैं बस में बैठा हुआ था मैं इंतजार कर रहा था कि कब बस कोटा के लिए निकलेगी तभी कंडक्टर बस के अंदर आया और मैंने उससे कहा कि भैया बस कितने बजे यहां से निकलेगी। वह कहने लगा कि बस भैया आधे घंटे में यहां से बस निकलेगी तो मैंने उन्हें कहा कि लेकिन आप तो कह रहे थे कि बस में बैठ जाओ बस थोड़ी देर में निकलने वाली है। वह कहने लगे भैया सवारी ही नहीं हुई है मैंने उन्हें कहा चलिए ठीक है और मैं अपने मोबाइल को टटोलने लगा तभी मेरे सामने एक लड़की आई और वह मुझसे कहने लगी कि क्या यह सीट नंबर दस है। मैंने उसे कहा हां यह सीट नंबर दस ही है वह मेरे बगल में बैठ गई मैंने उसका सामान रखने में उसकी मदद भी की।
जब मैंने उसका सामान रख दिया तो वह मुझे कहने लगी आपका बहुत बहुत धन्यवाद मैंने उसे कहा कोई बात नहीं। हम लोग आपस में बात कर रहे थे मैंने उससे पूछा आप क्या करती हैं वह कहने लगी मैं मेडिकल की पढ़ाई कर रही हूं मैंने उस लड़की को अपना नाम बताया मैंने अपना नाम बताने के बाद उससे उसका नाम पूछा तो उसने मुझे कहा कि मेरा नाम ताप्ती है। मैंने ताप्ती से पूछा क्या तुम जयपुर में ही रहती हो वह कहने लगी नहीं मैं कोटा में रहती हूं जब उसने मुझे यह कहा कि मैं कोटा में रहती हूं तो मैंने उसे कहा मैं भी तो कोटा में ही रहता हूं। हम दोनों की बात अब होने लगी थी और कुछ ही देर में हम दोनों की अच्छी खासी दोस्ती हो गई थी मैंने ताप्ती से कहा तो तुम जयपुर में ही रहती हो वह कहने लगी कि हां मैं जयपुर में ही अपनी मौसी के पास रहती हूं। उसके मन में भी कई सवाल थे और वह एक एक कर के मुझसे हर सवालों के उत्तर जान रही थी उसने मुझसे कहा कि आप जयपुर में क्या करते हैं तो मैंने उसे कहा कि मैं जयपुर में अपना हैंडलूम का काम चलाता हूं। मैंने ताप्ती से कहा कि क्या तुम्हें भी हैंडलूम का काम पसंद है वह कहने लगी कि हां मैं आपको अभी अपना पर्स दिखाती हूं जब ताप्ती ने मुझे अपना पर्स दिखाया तो मैंने ताप्ती से पूछा तुमने यह कितने का लिया। वह कहने लगी कि मैंने यह 800 का लिया था मैंने उसे कहा चलो अगली बार तुमने कभी पर्स लेना हो तो मुझे बता देना मैं तुम्हें सस्ते में पर्स दे दिया करूंगा।
ताप्ती कहने लगी ठीक है जरूर, आप मुझे अपना नंबर दे दीजिए जब भी मुझे कुछ लेना होगा तो मैं आपको फोन कर दिया करूंगी। ताप्ती और मेरे बीच में बातें बड़ी मजेदार होने लगी थी और हम दोनों एक दूसरे से बात करके बहुत खुश नजर आ रहे थे मैंने ताप्ती से कहा तुमसे बात करना मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। वह मुझे कहने लगी कि मुझे भी आपसे बात करने में बहुत अच्छा लग रहा है हम दोनों आपस में बात कर रहे थे और ताप्ती के परिवार के बारे में मैंने पूछा तो ताप्ती ने मुझे बताया कि उसके परिवार में उसके पापा मम्मी और उसके दो भैया हैं। मैंने ताप्ती से कहा तुम्हारे पापा क्या करते हैं तो ताप्ती कहने लगी कि वह स्कूल में टीचर है ताप्ती ने मेरे बारे में भी पूछा और मुझसे कहने लगी कि तुम कोटा से कब वापस आओगे। मैंने ताप्ती को कहा कि अभी तो फिलहाल मेरा आने का कोई प्लान नहीं है लेकिन थोड़ा समय मैं कोटा में ही रुकूंगा। गर्मी काफी हो रही थी तो ताप्ती ने अपने बैग से पानी की बोतल निकाली और वह पानी पीने लगी लेकिन तभी अचानक से बस ने एक जोरदार ब्रेक मारा और ताप्ती के हाथ सर पानी की बोतल नीचे गिर गयी। थोड़ा बहुत पानी मेरे ऊपर भी गिर चुका था मैंने ताप्ती से कहा तुम ठीक तो हो ना ताप्ती कहने लगी हां लेकिन आपके कपड़े खराब हो गये। मैंने ताप्ती से कहा कोई बात नहीं, हम दोनों एक दूसरे से इतनी बात कर रहे थे कि हम दोनों में से कोई रोकने को तैयार नहीं था और आपस में बात करना हम दोनों को बहुत अच्छा लग रहा था। ताप्ती मुझे कहने लगी कि मुझे कुछ दिनों के लिए जोधपुर भी जाना है मैंने ताप्ती से कहा तुम जोधपुर में क्या करोगी वह कहने लगी कि जोधपुर में मुझे मेरी सहेली की शादी में जाना है। मैंने ताप्ती से कहा जोधपुर में भी मेरा काफी सामान जाता है यदि तुम कहो तो तुम्हारे साथ मैं भी चलूं ताप्ती मुस्कुराने लगी और कहने लगी अभी तो हमारी मुलाकात अच्छे से भी नहीं हुई है और तुम मेरे साथ चलने के लिए तैयार हो गए।
मैंने ताप्ती से कहा क्यों नहीं तुम कहोगी तो मैं तुम्हारे साथ आने के लिए तैयार हूं हम दोनों आपस में बात कर रहे थे तो ताप्ती कहने लगी कि क्यों नहीं मैं तुम्हें जरूर कहूंगी यदि तुम मेरे साथ चलना चाहो तो चल सकते हो। मुझे सफर का पता ही नहीं चला और हम लोग कोटा पहुंच गए जब हम लोग कोटा पहुंचे तो कोटा पहुंच कर मैंने ताप्ती से कहा तुम यहां से घर कैसे जाओगी तो वह कहने लगी कि मेरे भैया आते ही होंगे। मैंने भी वहां से ऑटो किया और अपने घर चला गया लेकिन ताप्ती का ख्याल मेरे दिमाग में अभी तक था और मैं सिर्फ उसके बारे में ही सोच रहा था। मुझे उम्मीद नहीं थी कि ताप्ती से मेरी दोबारा कभी मुलाकात हो भी पाएगी या नही। मैं जब घर पहुंचा तो पापा मुझसे पूछने लगे कि बेटा काम तो ठीक चल रहा है ना। मैंने कहा हां पापा काम तो अच्छा चल रहा है हमारे पास से सामान विदेश में भी जाता है और कोटा में पापा ही काम संभालते हैं। मेरी मां कहने लगी कि बेटा तुम हाथ मुंह धो लो मैं तुम्हारे लिए खाना लगा देती हूं मैंने मां से कहा हां मां मैं अभी मुँह हाथ धोकर आता हूं और उसके बाद मैं खाना खाने लगा।
जब मुझे ताप्ती का फोन आया तो मैंने उसका फोन उठाया और उसे कहा कि मुझे तो बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि तुम मुझे फोन करोगी। मुझे वह कहने लगी तुमने ऐसा कैसे सोचा कि मैं तुम्हें फोन नहीं करूंगी? ताप्ती का अपनापन मेरे लिए कुछ ज्यादा ही नजर आ रहा था और उसने मुझे अपने साथ जोधपुर आने के लिए कहा तो मैं उसके साथ जाने के लिए तैयार हो गया। जब मैं उसके साथ जोधपुर जाने के लिए तैयार हुआ तो हम दोनों साथ मे गए। बस मे वह मेरे बगल में ही बैठी हुई थी मैं बस में अपने हाथ को उसकी जांघ पर रख रहा था मैंने जब उसकी जांघ पर अपने हाथ को रखा तो वह मेरी तरफ देखने लगी थी। उसे भी शायद अब मजा आने लगा उसने मेरा कोई विरोध नहीं किया और काफी देर बाद मैंने उसके हाथ को पकड़ा। उसका बदन पूरी तरीके से गर्म होने लगा था और उसका गर्म बदन को मै ज्यादा देर तक नहीं झेल सकता था। हम लोग रात के वक्त ही कोटा से जोधपुर के लिए निकले थे इसलिए जब बस मे सब सो गए तो उसने मेरे होठों को चूम लिया। इस से मैने अंदाजा लगा लिया वह पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुकी है उसकी उत्तेजना बहुत ज्यादा बढ चुकी थी मैं उसके स्तनों को दबा रहा था। मैंने उसके होठों को चूसना शुरू किया तो मुझे भी बहुत अच्छा लगने लगा उसके होठों को चूसकर मैंने उसके होठों से खून भी निकाल दिया था। जब मैंने अपने हाथ को उसकी चूत पर लगाया तो वह मचलने लगी उसने भी अपने हाथ को मेरे लंड की और बढ़ाते ही मेरी पैंट की चैन को खोला और मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर ले लिया। वह मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर बड़े ही अच्छे से ले रही थी और मुझे बड़ा आनंद आ रहा था। मैं बहुत खुश हो गया था मैंने उसे कहा मुझे तुम्हारी चूत मारनी है तो वह कहने लगी लेकिन यहां बस में हम लोग कैसे करेंगे? मैंने उसे कहा कोई बात नहीं अभी हम लोग कोई ना कोई रास्ता तो निकाल ही लेंगे। मैंने पूरी बस की ओर नजर मारी मैने आगे से लेकर पीछे तक देखा तो सब लोग गहरी नींद में सो गए थे। मैंने ताप्ती की सलवार को नीचे किया और उसकी चूत के अंदर उंगली को डालने का प्रयास किया पर मेरी उंगली जा नहीं जा रही थी।
मैंने ताप्ती से कहा आओ मेरी गोद में बैठ जाओ ताप्ती मेरी गोद में बैठ चुकी थी और जैसे ही मैंने अपने लंड को ताप्ती की योनि के अंदर घुसाया तो वह चिल्लाने लगी थी। उसकी चूत से खून नीचे की तरफ गिरने लगा था ताप्ती कहने लगी धीरे धीरे करो मुझे दर्द हो रहा है लेकिन मुझे तो मजा आने लगा था। उसकी चूत से जब पानी बाहर की तरफ को निकाल रहा था तो उससे वह बहुत ज्यादा उत्तेजित होने लगी थी और उसकी उत्तेजना का अंदाजा इसी बात से मैंने लगा लिया था कि वह मेरे काबू से बाहर हो चुकी थी और मेरी बात ही नहीं सुन रही थी। वह अपनी चूतडो को ऊपर नीचे करती जाती वह अपने मुंह से सिसकिया लेने लगी थी। मैंने उसे कहा कि थोड़ा धीरे से सिसकियां लो उसने अपने मुंह पर अपने हाथ को रख लिया था, वह बड़ी तेज गति से चूतडो को ऊपर-नीचे करती जा रही थी। कुछ देर बाद जब मेरा वीर्य गिरने वाला था तो मैंने उसे कहा कि मेरा वीर्य गिरने वाला है।
वह कहने लगी मैं आपके वीर्य को अपने मुंह के अंदर ले लूंगी। उसने अपने मुंह के अंदर मेरे वीर्य को ले लिया आया ही नहीं उसने अपने मुंह के अंदर माल को समा लिया और मुझे कहने लगी कि मुझे तो आज बहुत आनंद आ गया है। मैंने उसे कहा मजा तो मुझे भी बहुत आया लेकिन तुम बहुत ज्यादा ही उत्तेजीत हो गई ताप्ती कहने लगी अभी भी मेरी इच्छा पूरी नहीं हुई है। मैंने उससे कहा कोई बात नहीं हम लोग जोधपुर में जाकर पूरा आनंद लेंगे और हम लोग जब जोधपुर पहुंचे तो मैंने जोधपुर में ताप्ती की योनि को चोदपुर बना दिया। वह चिल्ला कर मुझे कहती थोड़ा धीरे से करो। मैंने उसे कहा जब मैं तुम्हें बस में कह रहा था कि आराम से करो तो तुमने मेरी बात नहीं सुनी अब मुझे मौका मिला है तो मैं कैसे छोड़ दूं। मैंने ताप्ती की चूत का घोंसला बना कर दिया था।