दोस्तों, मैं गोविन्द ये मेरी तीसरी कहानी है. मैं सुलतानपुर का रहने वाला हूँ. पिछले साल मैं बी ऐ का पेपर दे रहा था. मेरी इंग्लिश बहुत कमजोर थी. इसलिए मैं पढ़ने के लिए कोई अच्छी कोचिंग ढूढ़ रहा था. ऐसी ही पता करते करते मैं ठाकुर द्वारा की तरह निकल गया. वहां पर बहुत सारी इंग्लिश की कोचिंग है. वहीं प्रियंका कोचिंग इंस्टिट्यूट के बारे में मुझे पता चला. मैं इस २ मंजिला ईमारत में अंदर चला गया. वहां कोई बड़े बड़े कमरे नही थे. उस कोचिंग की हालत तो खुछ खास नही लग रही थी. बहुत ही पुरानी दीवालें थे. छोटे छोटे कमरे थे वहां. स्टूडेंट्स के बैठने के लिए लम्बी लम्बी बेंच पड़ी हुई थी.
कोई है ? कोई है ??’ मैंने आवाज दी.
पर किसी ने जवाब नही दिया. मैं शाम के ७ बजे इस कोचिंग में पंहुचा था. मैंने सोचा की सायद सब स्टूडेट्स की छुट्टी हो गयी हो. पर फिर भी मैं इस कोचिंग के मालिक से मिलना चाहता था. मैं कुछ देर तक उनके ओफिस में बैठके इंतजार करता रहा. पर कोई नही आया. मैं बहुत हैरान था की यहाँ कोई क्यूँ नही है. मुझे थोड़ी देर भी हो रही थी. एक पर्दा लगा था अंदर वाले कमरे में. मैंने पर्दा हटाया तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गयी. मैं तुरंत उस लडकी को पहचान गया. कोई ३० ३२ साल की लडकी थी. लडकी क्या औरत समझिये. मुझे समझने में देर नही लगी की वही प्रियंका श्रीवास्तव है जो ये इंग्लिश कोचिंग चलाती है. उनके साथ में एक ३५ साल के मर्द थे जो रौन्डिंग चेयर पर बैठे हुए थे. वो भी सायद यहाँ टीचर थे. प्रियंका श्रीवास्तव उनकी गोद में बैठी हुई थी. वो उनके मस्त मस्त बड़ी बड़ी रसीली छातियाँ दबा रहे थे. दोस्तों, ये सब देख के तो मेरा दिमाग ही ख़राब हो गया था.
मुझे समझते देर न लगी की प्रियंका श्रीवास्तव जिनकी ये इंग्लिश कोचिंग है अपने साथी टीचर से फंसी हुई है. मैं तुरंत जान गया की वहां चुदाई लीला चल रही है. प्रियंका श्रीवास्तव चुदने वाली है. मैं वही एक किनारे छिप गया और सब कुछ चुपके से देखने लगा. कुछ देर तक उनके वो दोस्त उनकी मस्त मस्त गोल गोल ३४ या करूँ ३६ साइज़ के मम्मे दबाता रहा. फिर उसने अपनी पैंट उतार के अपना मोटा सा नीग्रो जैसा लौड़ा मैडम के मुंह में डाल दिया. मेरे देखते ही देखते मैडम लौड़ा चूसने लगी और उससे खेलने लगी. कुछ देर बाद उनके साथी टीचर दोस्त ने उनको कुतिया बना दिया. पीछे से अपना मोटा नीग्रो जैसा साइज़ वाला लौड़ा उनके भोसड़े में घुसा दिया और उनको चोदने लगा. ये सब देखे के मेरी गांड फट गयी. मैं मजे से प्रियंका श्रीवास्तव की चूतड़ मार चुदाई देखता रहा. कुछ देर बाद वो पूरी तरह से चुद गयी. उनके दोस्त ने अपना लौड़ा जल्दी से निकाला और उनके मुँह पर सारा माल पिच पिच करके डाल दिया. ये सारा चुदाई लीला देखकर मैं तृप्त हो गया. मैं उस दिन वहां से चुपके से निकल आया और घर आ गया.
घर आकर मुझे सिर्फ प्रियंका श्रीवास्तव ही याद आ रही थी. मैं किस काम से गया था और क्या मुझे देखने को मिल गया. दोस्तों, अब मैं कश्मकश में था की क्या करूँ. कोई और कोचिंग तलाश करू या इसी मस्त मस्त चुदाई लीला वाली कोचिंग में नाम लिखा लूँ. २ दिन बाद मैंने प्रियंका श्रीवास्तव इंग्लिश इंस्टिट्यूट में नाम लिखा लिया. आज जब नाम लिखवाने आज आया तो मस्त मस्त गदराये बदन वाली चुदासी प्रियंका श्रीवास्तव अपनी घुमने वाली चेयर पर बैठी थी.
नमस्ते मैडम! मैंने कहा. आज तो साडी में थी. लाल रंग की साड़ी पहने थी. आगे से ब्लौस खूब गहरा था. छोड़े छोड़े मम्मे भी दिख रहे थे. मेरी नजर कुछ पल के मैडम के क्लीवेज (दोनों छातियों के बिच के गहरा गड्ढा) पर कुछ सेकंड्स के लिए ठहर गयी.
नमस्ते जी!! क्या नाम है आपका?? मैडम ने हंसकर बड़े प्यार से पूछा
गोविन्द चौबे मैडम मैंने जवाब दिया.
प्रियंका श्रीवास्तव बड़ी खुश मिजाज निकली. मेरे बारे में सब मालूम किया. मैं कितना पढ़ा हूँ. कहाँ घर है वगेरह वगेरह. इस तरह मैं शाम को रोज ७ बजे आकर उसने इंग्लिश पढ़ने लगा. मैडम को जरा भी पता नही होगा की मैं उनको चुदते हुए देख लिया है. आधे घंटे बीते तो मैडम बोली ‘गोविन्द ! तुम ये एक्सरसाइज लगाओ! मैं बगल वाले कमरे में हूँ. कोई क्वेश्चन समझ न आये तो आवाज लगा देना! बोलकर वो बदल वाले कमरे में चली गयी. मैं तुरंत समझ गया की हो न हो वो अपने यार से मिलने गयी है. कुछ देर तक मैं शांत बना रहा. फिर मैंने पर्दा हटाकर देखा. मैं सही था वो अपने यार से मजा मर रही थी. आज फिर वो घुमने वाली कुर्सी पर अपने यार की गोद में बैठी थी. उसने उनके ब्लौस की उपर की बटन्स खोल रखी थी. वो उनकी बेहद गोरी गोरी छातियों को हाथ में लिए था और मींज रहा था. प्रियंका श्रीवास्तव छातियों को वो आदमी दबा रहा था. फिर वो उनकी छातियाँ पीने लगा. मेरी टीचर इतनी मस्त माल है. मुझे आज पता चल गया दोस्तों. मेरा ध्यान पढाई से हट गया. मैंने बेंच पर बैठा हुआ था. मेरा इतना चुदासा हो गया की मेरा हाथ मेरी पैंट पर मेरे लौड़े पर चला गया. मेरा लौड़ा अब प्रियंका श्रीवास्तव की चूत मांग रहा था. ये सब देखकर अब शान्ति से बैठके पढना तो नामुकिन हो गया था. मैंने अपनी जींस की बेल्ट खोल दी. अपने बड़े से लौड़े को हाथ में ले लिया और मैं लौड़ा फेटने लगा. सफ़ेद रंग क पर्दे से छिप छिप कर मैं अपनी टीचर की चुदाई लीला देख रहा था और अपना लौड़ा फेट रहा था. बहुत मजा आ रहा था दोस्तों. ऐसा दृश्य कभी कभी ही देखने को मिलता है. कुछ देर बाद मैंने अंदर देखा तो मेरा होश उड़ गया. प्रियंका मैडम के यार ने उनका पूरा ब्लौस ही उतार लिया था. उनको चिकनी मक्खन जैसी पीठ में वो काट रहा था. अपने दांत गडा रहा और उनके दूध पी रहा था.
कुछ देर बाद उनके यार से उनको पूरा नंगा कर दिया. वहीँ अंदर कमरे मी बच्चों के बैठने वाली लम्बी बेच पर लिटा दिया उनकी दोनों टाँगें फैलाकर मेरी मस्त मस्त जवानी से लबरेज मैडम को वो चोदने लगा. ये सब देख के मैं बिलकुल पागल हो गया. मेरे हाथ में मेरा ८ इंच का मोटा लौड़ा था. मैं जल्दी जल्दी अपना लौड़ा फेटने लगा. उधर अंदर में मेरी प्रियंका नंगी होकर मजे से चुदवा रही थी. अपने यार का लौड़ा खा रही थी. मैं इधर मुठ मार रहा था. अपनी चुदासी मैडम को चुदते हुए देखकर तो दोस्तों मुझे स्वर्ग मिल रहा था. प्रियंका मैडम मजे से चुदाती रही मैं इधर मुठ मारता रहा. कुछ अनमोल मिनट के बाद उनका यार उधर मैडम के भोसड़े में झड गया मैंने इधर एक बेंच के पीछे अपना माल गिरा दिया. जल्दी से मैंने अपनी जींस चढ़ा ली और बेल्ट बाँध ली. मैं ठीक से आज्ञाकारी चेले की तरह शांत होकर बैठ गया. कुछ देर बाद मैडम आयी. मेरे सामने पड़ी घूमने वाली कुर्सी पर वो बैठ गयी. अभी भी वो हांफ रही थी. मैं चोर नजर से देखा को उनके गहरे गले से उनकी बड़ी बड़ी छातियाँ अभी अभी उपर नीचे हो रही थी.
चुदवाने में मैडम की बड़ी ताकत खर्च हो गयी थी. सायद तभी अभी भी उनकी सांसें चल रही थी, वो हांफ रही थी. प्रियंका मैडम को मैंने अपना रजिस्टर चेक करने को दिया. वो मेरी कॉपी चेक करने लगी. मैं चोर नजरो से बार बार उपर अंदर और बाहर जाती उनकी रसीली छातियों को देखने लगा. दोस्तों, मैंने इस कोचिंग में नाम लिखाकर सायद अपनी जिन्दगी का सबसे अच्छा काम किया था. हफ्ते में ३ ४ बार तो मैडम अपने यार से चुदवाती थी और मुझे मजे से ब्लू फिल्म देखने को मिलती थी. इस तरह दोस्तों, मेरे दिन बड़े मजे से निकलने लगे. हर दिन मैडम की ठुकाई देखता और क्लास में ही मुठ भी मारता. इस तरह मेरे दिन मजे से कटने लगे. एक महीना अब पूरा हो गया तो था. इस पुरे महीने मैंने बस एक ही ख्वाब देखा था की प्रिंयका मैडम की चूत मारना. मैडम ने अगले महीने की फीस मांगी. मैं अगले दिन १००० रुपये लेकर गया और मैडम के हाथ में रख दी.
प्रियंका मैडम जरा हैरान हो गयी. इससे पहले की मैडम अपने लाल लाल होंठों से कुछ कह पाती मैंने मैडम का हाथ पकड़ लिया. ‘मैडम ! मुझे भी अपनी चूत दे दो!! कबसे आपको देख के मैं अपना लौड़ा फेट रहा हूँ! मैंने कह दिया. अचानक से वो बड़ी लाल पिली होने लगी. बड़ी गर्म हो गयी. मेरे गाल पर एक जोर का थप्पड़ भी उन्होंने रसीद कर दिया.
गोविन्द! तुम्हारा दिमाग तो खराब नही हो गया है??’ वो आँखें दिखाकर बोली.
मैडम! मैं आप से तभी पढूंगा जब आपकी अब चूत मारूंगा. रोज आपको उस बगल वाले कमरे में संदीप सर से चुद्वाते हुए देखता हूँ. अब मेरे सामने जादा नाटक मत करो. चूत देना तो तो बताओ. वरना मेरे १००० वापिस करो. मैं और किसी कोचिंग में नाम लिखवा लूँगा. पर अब यहाँ पढूंगा तो आपकी चूत मारें बिना दिल गंवारा नही होगा! मैंने मैडम से आँख में आँख डालते हुए कहा. उनके पसीने छूट गये. उनकी गाड़ के छेद से धुँआ निकल गया. वो हक्की बक्की रग गयी. मैं उनको संदीप सर से चुदवाते देखा है ये जान के तो मैडम का फ्यूज ही उड़ गया. वो कुछ पल के लिए मूर्ति बन गयी.
लाओ मेरे पैसे वापिस करो मैडम! मैं चलता हूँ ! मैंने कहा और हाथ फैला दिया. मैडम तुरंत पलटी मार गयी. ‘ओके गोविन्द! चलो तुम मेरे ख़ास चेले हो. मैं तुमको तुम्हारी मनपसंद चीज दे दूंगी! प्रियंका मैडम हंसकर बोली और मेरे ५०० के २ हरे हरे नोट उन्होंने अपने पर्श में रख लिए. मैं मन ही मन बहुत खुश था. १ घंटा जब पूरा हो गया तो मैंने मैडम को आँख से इशारा किया और इशारे में ही पूछा की चूत वूत दोगी की या बस पढाई लिखाई की बातें ही पेलोगी. दोस्तों, आज उनके पुराने यार संदीप सर नही आये थे. मैडम ने मुझे उसी फेवरेट कमरे में चलने को कहा. मैं अंदर चला गया. सीधे मैंने अपनी शर्ट पैंट निकाल दी. मेरा ८ इंच का लौड़ा बहुत मोटा था. प्रियंका मैडम की बुर मारने को वो १ महीना से बेचैन था. जैसे ही मैडम अंदर आई, मैंने उनको पकड़ लिया. मैंने उनको तुरंत बाहों में भर लिया. सीधा उनके मस्त मस्त लाल लिपस्टिक लगे होंठों को मैं पीने लगा. फिर मेरे हाथ उनके बड़े बड़े साइज़ के बूब्स पर चले गये.
मैं प्रियंका मैडम के मम्मे दाबने लगा. वो भी मस्ताने लगी. अपनी चुच्ची दबवाने में उनको भी पूरा आनंद आ रहा था. उफ्फ्फ, मैडम ने आज पीले रंग का ब्लौस पहन रखा था. छातियाँ इतनी बड़ी थी की मेरे हाथ में नही समा रही थी. पर फिर मैं उनको अपने हथेली में भरने की कोशिश कर रहा था. मैडम की छातियों को अब जोर जोर से दबाने लगा. उफ़ दोस्तों, मैडम के क्या मस्त मस्त आम थे. खूब दबाया मैंने उनके आमों को फिर. मैडम को मैंने संदीप kamukta सर की घुमने वाली कुर्सी पर बैठा दिया. उनके ब्लौस के हुक्स खोल दिए. जैसे ही आम मुझे दिखे मैंने लपक के उनको अपने मुँह में भर लिया और पीने लगा. प्रियंका मैडम गर्म सासें छोड़ने लगी. उनको भी पूरा मजा मिल रहा था. मैं उसके दोनों आमों को आधे घंटे से जादा चूसा. फिर मैंने उनकी साडी भी निकाल दी. मैडम को कुर्सी पर ही बिठाकर उनके गोरे गोरे मस्त पैर खोल दिए. मैडम की बुर बहुत सुंदर थी दोस्तों. बड़ी लाल लाल उभरी फूली फूली चूत थी उनकी. उनकी बुर देख के तो मैं ललचा गया. मैंने अपने होठ प्रियंका मैडम के भोसड़े पर रख दिए और पीने लगा. बहुत मजा आ रहा था दोस्तों. दांत से काट काटकर मैं उनकी बुर पी रहा था. रोज तो उनके आशिक संदीप सर मैडम का भोसडा पीते पर आज ये सौभाग्य मुझे मिला था. मैंने उनकी लाल लाल बुर बड़ी देर तक पीता रहा. फिर उनको मैंने चोदा खाया. वो आह आह करने लगी. मैंने उनको कुर्सी पर बिठाके पेलता खाता रहा फिर झड गया. अब मैं उनको हर महीना १००० रूपए देता हूँ और खूब पेलता खाता हूँ. सच में दोस्तों, इस कोचिंग में नाम लिखाकर मेरी जिन्दगी ही सेट हो गयी है.