मैं चंडीगढ़ में अकेला था और किसी लड़की से दोस्ती करके चुदाई चाहता था. एक ऐप से मेरी दोस्ती एक लड़की से हुई. वो ट्रक डाइवर की बीवी थी. मैंने उसकी चूत चुदाई कैसे की?
Sexkahani.net फ्री सेक्स कहानी के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार.
मेरा नाम संजय है, उम्र 24 साल, मैं जिला होशियारपुर पंजाब का रहने वाला हूं. Sexkahani पर यह मेरी पहली सेक्स कहानी है.
मैं अपने बारे में कुछ नहीं बताना चाहता क्योंकि सभी लोग अपने बारे में कुछ ना कुछ बताते रहते हैं. ऐसे कहानी का मजा नहीं आता क्योंकि आधा समय तो उनके बारे में पढ़ते पढ़ते ही निकल जाता है.
तो चलिए आते हैं सीधा मेरी कहानी ‘ट्रक ड्राईवर की बीवी की चुदाई’ पर.
यह मेरी कहानी नहीं है मेरे साथ जो हुआ है मैं वही आपको बताना चाहता हूं. यह मेरी आपबीती है.
बात एक या डेढ़ साल पहले की है मैं चंडीगढ़ में अकेला रहता था और किसी ना किसी को ढूंढता रहता था अकेलेपन से इतना ज्यादा दुखी हो गया था कि किसी ना किसी के साथ रहने के लिए हमेशा ललचाया रहता था.
1 दिन किसी ने मेरे को वॉइस चैट के बारे में बताया. तभी मैंने वॉइस चैट में कॉल किया और पहले तो ऐसे ही कोई ना कोई आता रहा, कभी कोई लड़की कभी कोई लड़की. सभी मतलब ऐसे ही टाइम पास के लिए वॉइस चैट यूज करते रहते हैं.
तभी मेरी बात एक लड़की से हुई. उसका नाम अर्चना था. उससे मेरी काफी लंबी बात हुई. उसको मैंने अपना नंबर दिया. मेरे को उम्मीद नहीं थी कि उसका मैसेज आएगा.
लेकिन एक-दो दिन बाद उसका व्हाट्सएप पर मेरे को मैसेज आया. उसने हाय लिखा.
मैंने उनको पूछा- आप कौन हो?
उन्होंने जवाब दिया कि जिसको आपने अपना नंबर दिया मैं वही हूं.
तो मेरे को कुछ समझ नहीं लग रहा था कि यह है कौन?
मैंने उनसे फिर पूछा कि मैंने किस को अपना नंबर दिया? मैंने तो किसी को अपना नंबर नहीं दिया. आप आप कौन हो?
तभी उसने बताया कि मैं अर्चना हूं. मेरी आपसे बात हुई थी 2 दिन पहले वॉइस चैट पर.
जब मैंने यह सुना तो मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा.
फिर उसने मेरे को कॉल किया. हमने काफी लंबी बात की.
मैंने उसको पूछा कि तुम कहां पर रहती हो?
तो उसने मेरे को बताया कि मैं मोहाली में रहती हूं और मैरिड हूं.
मैंने उसको पूछा कि उसके पति क्या करते हैं?
तो उसने बोला कि उसके पति एक ड्राइवर हैं और ज्यादा टाइम वह बाहर ही रहते हैं.
मैं समझ गया कि बात तो बन ही जाएगी.
मैंने उसकी थोड़ी सी तारीफ की- आप बहुत अच्छे हो. आपकी आवाज बहुत ही अच्छी है. मैं आपसे मिलना चाहता हूं. क्या आप मेरे से मिलने के लिए तैयार हैं?
वह पहले तो थोड़ा हिचकिचाई मगर बाद में वह मान गई.
अगले दिन जब हम लोग मिले तो मैंने उसको देखा वह क़यामत लग रही थी. उसने पंजाबी सूट पहना हुआ था, वह एकदम ही अलग दिख रही थी सबसे. उसका बदन बहुत ही गठीला था.
जब मैं उसको मिला तो मैं उसको देखता ही रह गया. मेरी नजर उसके ऊपर से हटाए भी नहीं हट रही थी.
मैंने उससे उसका हालचाल पूछा. फिर हम लोगों ने इधर-उधर की थोड़ी सी बातें की. उसका चेहरा देखकर लग रहा था कि शायद उसको यह जगह पसंद नहीं है. या शायद फिर वह डर रही थी.
उसकी नजरें झुकी हुई थी. वह मेरे से नजरें मिलाकर बात भी नहीं कर पा रही थी.
मैंने उसको पूछा कि क्या हुआ?
तो उसने बोला- मुझे यहां पर कुछ ठीक नहीं लग रहा है. कहीं और चलते हैं.
हम वहां से उठे और एक पार्क में जाकर बैठ गए.
हम लोग पार्क में पहुंचे तो वहां देखा के प्रेमी जोड़े बैठे हुए हैं. मैंने उसकी ओर देखा. वह भी मेरी तरफ से कर मुस्कुराने लग पड़ी.
हम लोग एक साइड में बैठ गए. थोड़ी बहुत इधर उधर की बातें की. बातों बातों में मैंने अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया. वह थोड़ी सी झिझक गई. उसने मेरा हाथ एकदम से अपने हाथ से ऊपर से हटा दिया और मेरी तरफ देखकर हल्की सी मुस्कुराने लगी.
आसपास में माहौल पूरा बना हुआ था. प्रेमी जोड़े एक दूसरे को चुम्बन कर रहे थे और गले मिल रहे मिल रहे थे.
ऐसे में मैंने उसके साथ थोड़ी शरारती बातें की तो वो भी अब मेरे साथ थोड़ा खुलने लगी.
मैंने अचानक से उसको बोला- वह देखो उधर क्या चल रहा है.
तो जैसे ही उसने उधर देखा तो मैं अपना मुंह उसके मुंह के पास ले आया. उसने जैसे ही मुंह मेरी तरफ घुमाया तो मैंने उससे किस कर ली.
वो अचानक हुई इस हरकत से डर गई और वहां से उठ गई. वह वहां से उठ कर जाने लगी मगर मैंने पीछे से उसका हाथ पकड़ा. लेकिन वह नहीं रुकी. उसने अपना हाथ खींच कर मेरे से छुड़वा दिया और वहां से चली गई.
मैं यह सोचने लगा के अभी हाथ में आई हुई चीज ही मैंने गंवा दी. मैं यह सोच सोच कर बहुत दुखी हो रहा था.
थोड़ी दूर जाकर उसने पीछे मुड़कर देखा लेकिन मैं उसके चेहरे के भाव को समझ ही नहीं पाया कि वह कहना क्या चाह रही है.
वह धीरे-धीरे वहां से चली गई लेकिन मैं उसके पीछे नहीं गया.
मैं वहां से उठकर सीधा अपने घर चला गया और अपने आप को कोसने लगा कि यह मेरे से आज क्या हो गया.
ऐसे ही दो-तीन दिन निकल गए. ना तो मैंने उसको कोई मैसेज किया … ना ही उसने मेरे को मैसेज किया. और ना ही कॉल पर बात हुई.
दो-तीन दिन बाद अर्चना का एक मैसेज आया- हेलो क्या हाल है?
मैंने उसका रिप्लाई देते हुए कहा- मैं ठीक हूं, आप बताओ कैसे हो?
तो उसने मेरे को बोला- आप जैसा छोड़ गए हो, वैसी ही हूं.
मैंने उसको सॉरी बोला. मैंने बोला- मैं उस बात के लिए बहुत शर्मिंदा हूं. कृपया मुझे माफ कर दें.
उसने पूछा- किस बात की माफी?
तो मैं बोला- उस दिन जो पार्क में हुआ था, उस बात के लिए!
अर्चना बोली- ऐसी छोटी-मोटी चीजें तो दोस्तों के बीच चलती रहती हैं.
यह सुनकर मेरी सांस में सांस आई. मेरी थोड़ी सी हिम्मत बढ़ गई.
मैंने उससे पूछा- तो दोस्तों को भी सिर्फ ऐसा ही चलता है या इससे ज्यादा भी कुछ चल सकता है?
उसने हां में जवाब दिया और कहने लगी- जैसा आप चाहें, वैसा चल सकता है.
मैंने उसको फिर से मिलने के लिए कहा लेकिन वह बोली- हम बाहर नहीं मिल सकते क्योंकि बाहर मेरे को अच्छा नहीं लगता.
तो मैंने उसे कहा- हम बाहर नहीं मिलेंगे तो कहां मिलेंगे?
उसने मेरे को कहा कि मैं उसके घर आ जाऊं. उसने मेरे को अपना एड्रेस दिया.
मैंने उसको पूछा कि उसके पति कहां पर हैं तो उसने जवाब दिया कि वे ड्राइवर हैं. वह पता नहीं कब वापस आएंगे. कभी महीना लग जाता है, कभी 2 महीने!
अगले दिन तैयार होकर मैं उसके घर गया. मैंने उसके घर के बाहर जाकर डोरबेल बजाई.
अर्चना ने दरवाजा खोला.
मैंने उसको देखा तो देखता ही रह गया.
उसने सफ़ेद रंग का सूट पहना हुआ था.
मैंने उसकी तारीफ की- आप बहुत ही सुंदर लग रही हो.
वह थोड़ा सा मुस्कुरा दी.
उसने मेरे को अंदर बिठाया और मेरे को चाय पानी पूछा.
तो मैंने उसको कहा- आप थोड़ा सा पानी पिला दीजिए.
वह एक गिलास पानी लेकर आई और वहां पर खड़ी हो गई.
मैंने उसको अपने पास बैठने के लिए कहा तो वह मेरे पास आकर बैठ गई.
ना तो वह कोई बात कर रही थी, ना ही मैं कोई बात कर रहा था.
वो एकदम से उठी, उसने जाकर टीवी ऑन कर दिया और रिमोट मेरे को पकड़ा दिया, बोली- जो आप देखना चाहते हो, देख सकते हो.
मैं टीवी के चैनल चेंज कर रहा था और तभी सोंग्स चल पड़े.
उसने कहा- कि यह चलने दो, अच्छा लग रहा है.
मैंने सॉन्ग चलने दिए और उसने मेरे से रिमोट लेकर थोड़ी सी वॉल्यूम बढ़ा दी.
वह एकदम मेरी तरफ देखे जा रही थी जैसे कि मुझे खा ही जाएगी.
मैंने उसको कहा- मेरे को यह सॉन्ग नहीं सुनना है.
उससे रिमोट लेने के बहाने मैंने उसका हाथ पकड़ लिया.
वह मुस्कुराने लगी.
मैं समझ गया कि सिग्नल ग्रीन है, मैंने उसके हाथ पर थोड़ा सा अपना हाथ चलाया. उसने आंखें बंद कर ली.
मैं उसके ऊपर गया और उसको किस कर दी. उसने भी मेरा पूरा साथ दिया.मैं वहां से उठाकर उसको बेडरूम में ले गया, उसको वहां बेड पर लिटाया और वहां उसको 5 मिनट किस किया. फिर मैंने वहां उसके सारे कपड़े खोले.
फिर मैंने उसको कहा- तुम मेरे कपड़े खोलो.
उसने मेरे कपड़े खोले. मेरा लंड पूरा रॉड बना खड़ा था तो जब उसने मेरी चड्डी उतारी तो मेरे लंड ने ऊपर को उठ कर ऐसे झटका मारा जकिसे वो अर्चना को सलामी दे रहा हो.
यह देख कर वह हंसने लग पड़ी.
जवाब में मैं भी हंस दिया.
तब मैंने अपनी पैंट की जेब से कंडोम निकाला और उसे पकडाते हुए कहा- लो इसे मेरे लंड पर चढ़ा दो.
लेकिन उसने मना कर दिया.
मुझे थोड़ा सा अजीब लगा और थोड़ा गुस्सा भी आया और मैंने कंडोम लगाया ही नहीं.
मैंने उसको बेड पर लिटा दिया और उसके ऊपर लेट गया. कभी मैं उसके होंठ चूसता, कभी गर्दन, कभी बूब्स!
ऐसे धीरे धीरे मैं उसके पेट की तरफ बढ़ा और उसकी चूत में अपना मुंह लगा दिया और चूत को चाटने लगा.
कुछ ही पल बाद वो अपने कूल्हे उछालने लगी. उसे बहुत मजा आ रहा था. वो ऐसे कर रही थी जैसे काफी टाइम से उसकी चूत अनछुई पड़ी हो, उसकी चुदाई नहीं हुई हो.
मैंने उसकी टांगें खोली और उसकी जाँघों के बीच में आ गया. मैं लंडे उसकी चूत में डालने ही वाला था कि मुझे ख्याल आया कि अगर मेरा इसकी चूत में डिस्चार्ज हो गया और इसे गर्भ रह गया तो बेचारी परेशान हो जायेगी.
मकिने कंडोम उठा कर खुद ही अपने लंड पर चढ़ा लिया.
तब मैंने धीरे से अपने लंड का सुपारा उसकी चूत के मुंह में लगाया और धीरे से धक्का मारा.
उसकी चूत थोड़ी सी टाइट थी तो मेरा लंड अंदर नहीं गया.
अर्चना फिर हंसने लगी जैसे मुझे अनाड़ी समझ रही हो.
अगला धक्का मैंने जोर से लगाया जिससे मेरा पूरा लंड उसकी चूत में चला गया. उसे शायद कुछ दर्द का अहसास हुआ, उसके मुख से निकला- उम्म्ह… अहह… हय… याह…
व सिसकारियां भर रही थी.
मुझे भी मजा आ रहा था. मैं ऐसे ही धक्के लगाता रहा और वह उफ आह आह उह करती रही.
उस दिन मैंने अर्चना को दो बार चोदा.
उस दिन के बाद जब भी हमें मौका मिलता है, हम दोनों चुदाई करते हैं.