हेल्लो दोस्तो, मेरा नाम स्नेहा है और यह मेरी कहानी है।
कहानी थोड़ी सच्ची है और थोडा मसाला डाला है, ताकि आपको चटपटी लगे।
तो कृपया लड़के अपने लण्ड हाथों में ले लो और सभी बहनें चूत में उंगली घुसा लें।
मेरे परिवार में कुल मिला कर चार लोग हैं, मेरे मम्मी-डैडी, भाई और मैं।
भाई मुझसे छोटा है और वो दसवीं में है और मैं बारहवीं कक्षा में।
हमारा घर काफी बड़ा है, मम्मी और डैडी दोनों जॉब करते हैं और भाई और मेरा अलग-अलग कमरा है।
जानती हूँ, क्या सोच रहे हो आप लोग, साली का कमरा अलग है फिर चूदी कैसे अपने भाई से?
अरे बाबा, सब बताउंगी पूरी कहानी तो पढो।
मेरा बदन दुबला-पतला है और मेरे बूब्स भी छोटे है, मेरा भाई मुझसे छोटा है और मेरे ही जैसा दुबला-पतला है।
मैं स्कूल से आने पर अक्सर घर का कुछ काम कर लेती थी, ताकि मम्मी को थोड़ी मदद मिले, जैसे सूखे हुए कपड़े उठा लेना और खाना बनाने की तैयारी कर लेना, वगेरह-वगेरह।
मुझे अक्सर मेरी चड्डी गीली मिलती थी जैसे उसे अभी-अभी धोया हो, जबकी बाकी सब कपड़े सूखे हुए रहते।
शुरू में मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया पर एक दिन मुझे मेरे भाई के कमरे से मेरी चड्डी मिली, जिस पर कुछ चिप-चिपा था।
मुझे समझने में देर नहीं लगी कि मेरे भाई ने मेरे चड्डी पर मुठ मारी है।
मैंने जल्दी से वो चड्डी उठाई और अपने कमरे में गई, कमरा बंद करके मैंने अपनी पहनी हुई चड्डी निकाल के मेरे भाई की मुठ मारी हुई चड्डी पहन ली।
हाय, कितना अच्छा लग रहा था, मैंने वैसे ही चड्डी पहने हुए उपर से चूत रगडनी चालू कर दी। कुछ ही देर में मेरे भाई और मेरा पानी एक हो गया था।
मैं सोचने लगी – मेरा पागल भाई चड्डी में मुठ मरता है, पागल कहीं का अपनी बहन की चूत की उसे कोई परवाह ही नहीं।
उस दिन से मैं रोज मेरे भाई के रूम में जाकर उसकी मूठ मारी हुई चड्डी लेकर आती और पहनती थी।
उसे भी शायद पता चल गया था कि मैं जान गई हूँ, वह मेरी चड्डी में मूठ मारता है।
अब उस बेवकूफ ने डर के मारे मेरी चड्डी पर मुठ मरना बंद कर दिया।
उसकी इस हरकत से मैं बेचैन हो गई थी, फिर मैं ही एक दिन उसके रूम में गई और कहा – राहुल, तुम्हारे पास वाली दवा कहाँ है?
वह मासूमियत से बोला – कैसी दवा दीदी?
मैं अनजान बनते हुए बोली – अरे वोही दवा जो तुम मेरे चड्डी पर लगते थे, बहुत असरदार दवा है, वह, मुझे वहाँ खुजली होती थी, जो बिलकुल बंद हो गई अब।
वह बहुत ज़्यादा डर गया था, उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या कहे।
मैं भी जब कुछ समझ नहीँ पाई कि बात कैसे आगे बढ़ाई जाए तो मैं उस पर ज़ोर से चिल्लाई – देता है या माँ को बुलाऊँ।
वह रोने लगा और बोला – दीदी, वह दवाई नहीं थी मेरे सुसु में से निकला हुआ पानी था।
मैं मन ही मन हंस रही थी पर मैंने हैरान होते हुए कहा – क्या तेरा पेशाब था वह।
वह बोला – नहीं दीदी, पेशाब नहीं… वह मैं जब अपने सुसु को हिलाता हूँ तो उसमे से सफ़ेद चिप चिपाहट वाला पानी निकलता है।
मैं हैरान होने का नाटक करने लगा और उससे पूछा – झूठ मत बोल, नहीं देनी है तो मत दे, ऐसा भी कभी होता है।
दीदी, आपकी कसम सच में ऐसा ही होता है, मैं झूठ नहीं बोल रहा हूँ। बेचारा मासूम चेहरा करके मुझे यकीन दिला रहां था।
थोड़ी देर चुप रह कर मैंने उसे कहा – राहुल, तुम कह रहे हो तो सच ही होगा, चलो मुझे निकाल के दिखाओ पानी।
वह डर गया – दीदी, मुझे नंगा होना पड़ेगा आप समझ नहीं रही हो, पानी मेरी सुसु से निकलता है।
मैंने अपने कपडे निकाल के फेक दिए और कहा – लो मैं नंगी हो गई, अब चलो अच्छे भाई बनो और कपडे निकालो।
बेचारा नीचे देख रहा था, अब मुझे गुस्सा आ रहा था, मैंने उसे थप्पड़ मारा और उसके कपडे निकालने लगी, उसकी आँखों में आँसू आ गए थे।
पर वह बेचारा समझ नहीं रहा था कि यह सब उसके भले के लिए ही तो मैं कर रही थी। मुझे सिर्फ लण्ड मिलने वाला था पर उसे तो चूत, गांड और मेरे मुँह में पानी डालने का मौका मिलने वाला था।
अब वह मेरे सामने नंगा था और मैं उसके आगे, मैं पहली बार किसी लड़के को नंगा देख रही थी, उसके लण्ड को हाथ में लेकर मैंने कहा – राहुल, क्या इसी से दवाई निकलती है?
हाँ दीदी, मगर उसके लिए इसे आगे-पीछे करना पड़ता है, इतना कहके वह अपने लण्ड को हाथ में पकड़ कर हिलाने लगा।
मैंने उसे रोक और लण्ड अपने हाथ में ले लिया।
राहुल, मुझे बताओ में करती हूँ, दवाई मुझे लेनी है ना – इतना कहके मैंने उसका लण्ड अपने मुँह में लिया।
मैंने सिर्फ इतना सुना कि मेरे भाई ने कहा – दीदी, नहीं… पर उसकी कौन सुनने वाला था।
मैं उसके लण्ड को मुँह में लेकर अपने मुँह से आगे-पीछे करने लगी, हाय कितना अच्छा लग रहा था।
राहुल, आओ बिस्तर पर चलो, देखो तुम मेरी सुसु को चाटो और मैं तुम्हारे सुसु को चाटती हूँ, मेरी सुसु में से भी दवाई निकलती है, वह तुम्हारे बहुत काम की है।
आप को कैसे बताऊँ, क्या माहौल था वह, हम सगे भाई-बहन एक-दूसरे पर लेटे हुए, पसीने से बदन गीला हो रहा था, हाय रे!!! क्या बात थी उस पल की, बहनों, चूत चुदवाने का सही मज़ा तो अपने भाई से ही।
पसीने और उसके लण्ड की खुशबू ने मुझे दीवाना बना दिया था, तभी भाई बोला – दीदी, पानी निकलने वाला है, मुँह अलग कर लो।
मैंने कहा – तू चिंता न कर यह पानी विटामिन वाला है… तू मुँह में ही गिरा दे। इस से तेरी बहन खुबसूरत हो जाएगी।
मेरे इतना कहने कि देर थी कि वह मेरे मुँह में आ चूका था, मैं जितना निगल सकी निगल लिया और फिर उसके लण्ड को मुँह से अलग किया।
अब भी मेरे मुँह में उसका वीर्य था, मैंने उसे नजदीक लिया और किस करने लग गई।
वह कुछ समझ पता, इसके पहले ही मैंने अपनी मुँह से पूरा थूक और वीर्य उसके मुँह में डाल दिया और उसे किस करते हुए उसका मुँह बंद रखा, बिचारे को वह सब निगलना पड़ा।
अब हम बेड पर लेटे हुए थे, बिल्कुल थके हुए।
ना जाने उसे क्या हुआ, वह उठा और मेरी चूत को चाटने लगा, मैंने पुछा – क्या कर रहा है?
वो बोला – दीदी, आपने मेरा पानी निकाला, अब मेरा फ़र्ज़ है कि मैं भी आपका पानी निकालूँ।
मैंने कहा – हाँ राहुल मेरे भाई, निकाल पानी और याद रख तुझे मेरी चूत भी मारनी है, मेरा भय्याराजा है ना तू, तुझे ही हक़ है मेरी चूत मारने का।
अब वह चूत चाट रहा था और मैं हाय रे… ऊह्ह… आह्ह्ह्ह… मर गई, राहुल चाट ले रे… ऒह्ह्ह्ह… मजा आ रहा है… मार ले अपनी बहन की चूत… कह रही थी।
कैसे मेरी चूत में मेरे सगे भाई का लण्ड घुसा और क्या बेवकूफी हमने की…
यह अगर जानना है तो एम एस एस पड़ते रहिये…
तब तक यह बताइए कि अगर भाई-बहन की चुदाई ग़लत है तो आख़िर भाई का लण्ड बहन की चूत देख कर खड़ा ही क्यूँ होता है, या बहनों की चूत भाइयों के लण्ड देख कर गीली ही क्यूँ होती है?