सभी चूत के प्यासों लड़कों और लंड की भूखी लड़कियों को मेरे 6 इंच लंबे और 3 इंच मोटे लंड से प्रणाम
आज मैं एक कहानी आप सबके साथ बाँटना चाहता हूँ।
मैं बचपन से ही मूठ मारने का शौकीन रहा हूँ पर कभी किसी चूत को नहीं चोद पाया था। मैंने यह सोच लिया था कि अपना सपना कॉलेज में रहते ही ज़रूर पूरा करूँगा।
मैं बी टेक प्रथम वर्ष मैं था। कॉलेज के पहले दिन मुझे पता चला कि मेरी क्लास में पढ़ने वाली दिव्या भी मेरी ही शहर की है इसलिए दिव्या के साथ मैंने दोस्ती पक्की की।
दिव्या देखने में बहुत आकर्षक तो नहीं थी पर जब वो सज-धज कर आती तो सब लड़को के जीन्स में तम्बू बन जाता था। उसके लचकते चूतड़ मुझे कई बार मुठ मारने पर मजबूर कर देते थे।
उसके स्तनों का आकार 32बी था।
यह बात उस समय की है जब हमारे कॉलेज मैं छुट्टियाँ हुई। एक ही शहर के होने के कारण हम दोनों ने अपना रिज़र्वेशन एक ही ट्रेन से कराया। जब से हमारा रिज़र्वेशन एक साथ हुआ तभी से मैं उसके साथ सम्भोग के सपने देखने लगा था।
आख़िर वो दिन आ ही गया जिसका मुझे इंतजार था। मैं यह सोच चुका था कि मैं अगर दिव्या को चोद नहीं पाया तो भी उसके कूल्हे और चूचे तो मसल ही दूँगा।
हम दोनों को ही ऊपर की बर्थ मिली थी, जब हम ट्रेन में पहुँचे तब हमारा ध्यान इस बात पर गया। यह जानकर कि अप्पर बर्थ मिली है दिव्या ने मुझसे कहा कि उसे ऊपर चढ़ने में परेशानी होगी।
मैंने कहा- तुम चिंता मत करो, मैं तुम्हें चढ़ा दूँगा।
ट्रेन चलने के थोड़ी देर तक तो हम दोनों नीचे ही बैठे रहे पर थोड़ी देर के बाद हम दोनों को अपनी सीट पर जाना पड़ा।
मैंने दिव्या से कहा- मैं तुम्हें पहले चढ़ा देता हूँ।
जब वो ऊपर चढ़ रही थी तो मैं नीचे खड़ा था, जैसे ही वो ऊपर चढ़ने लगी तो उसकी टॉप पीछे से उठ गया और उसकी मक्खन जैसी नग्न पीठ के मुझे दर्शन हुए, यह देख कर मेरे पप्पू तन गया।
किसी तरह से वो ऊपर चढ़ गई। मैं भी अपनी सीट पर आ गया पर नींद मेरी आँखों से कोसों दूर थी, मुझे लगा कि दिव्या को रगड़ने के मेरे सारे सपने बेकार हो जाएँगे, मुझे अपनी किस्मत पर बहुत गुस्सा आ रहा था।
मेरे अंदर की हवस अपने चरम पर थी, मैंने अपना मुख दिव्या की तरफ किया, जैसी ही मैंने करवट ली, मेरा पप्पू पूरा तन गया।दिव्या की टॉप थोड़ी ऊपर उठ गई थी जिस कारण उसका पेट दिखाई दे रहा था, उसकी प्यारी सी नाभि मेरे अंदर के भेड़िए को जगा रही थी।
उसके पेट पर हल्के हल्के रोयें थे जो भूरे रंग के थे, उसका पेट दूध जैसा गोरा था, ये सब देखकर मेरा मन हुआ कि मैं उसके पेट को जाकर चूम लूँ और उसकी नाभि को अपनी जीभ से चोद दूँ।
अब मैं अपने वश में नहीं था, ना जाने तभी दिव्या को क्या हुआ और उसने अपनी आँखें खोल दी। यह देखकर मेरा 6 इंच का लंड मुरझाया हुआ गुलाब बन गया।
दिव्या ने यह महसूस किया कि मैं उसके शरीर को अपनी आँखों से चोद रहा हूँ। मैं यह जानते हुए कि दिव्या जाग चुकी है, मैं उसके पेट को ही घूर रहा था।
दिव्या ने मेरे मन की बात जान ली और अपना टॉप नीचे कर ली।
यह देख कर मैं झेंप गया पर दिव्या ने एक कातिल मुस्कान दी तो मैं समझ गया कि आज तो मेरी चाँदी है पर दिव्या ने करवट ली और अपना मुँह दूसरी तरफ़ कर लिया।
पर मैं यह जान चुका था कि दिव्या के बदन में भी आग लग चुकी है, मैं बस उसके इशारे का इंतजार करने लगा, मुझे लगा कि कहीं मैंने कुछ किया और उसे बुरा लग गया तो?
तभी दिव्या फिर मेरी ओर पलटी और मुझे अपनी सीट पर आने का इशारा किया।
मैं तुरंत लपकता हुआ उसकी सीट की तरफ गया, उसने मुझसे कहा कि मैं उसकी नीचे उतरने में मदद करूँ क्यूंकि उसे बाथरूम जाना था।
जब वो नीचे उतर रही थी, उसी समय उसका संतुलन गड़बड़ाया पर मैंने उसे पकड़ लिया।
जब मैंने ध्यान दिया तो मेरा हाथ उसके पेट पर था और हम दोनों के होंठ भी कफफी नज़दीक थे।
कुछ पल के लिए मुझे कुछ नहीं सूझा पर मैं उसके मखमली पेट के स्पर्श को महसूस कर पा रहा था।
तभी दिव्या ने खुद को भी संभाल और नीचे उतर आई।
मैं वही सीट के पास खड़ा हो गया और दिव्या बाथरूम की तरफ जाने लगी।
मैं उसकी मटकती हुई गांड को देख रहा था। तभी दिव्या ने मेरी तरफ़ देखा और मुझे बाथरूम की ओर आने का इशारा किया।
मैं भी फुदकता हुआ बाथरूम की तरफ भागा।
जब मैं बाथरूम के सामने पहुँचा तो देखा कि दिव्या पहले से बाथरूम के अंदर थी। मैं भी अंदर चला गया।
अंदर पहुचते ही मैं पागल हो गया, मैंने दिव्या के रसभरे होठों पर अपने होंठ रख दिए और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा।
‘आराम से करो, आज तो तुम्हें ही मेरे अंदर की ज्वाला को शाँत करना है पर पहले कुण्डी तो लगा लो।’ दिव्या ने कहा।
मैंने तुरंत कुण्डी लगाई, मेरे सारे सपने पूरे होने जा रहे थे।
मैंने उसे फ़िर से पकड़ा और उसे गालों, होठों, और गर्दन को चूमने लगा, दिव्या भी पूरा साथ दे रही थी।
धीरे से उसने अपना हाथ मेरे लण्ड की ओर बढ़ाया और जीन्स के ऊपर से ही लंड मसलने लगी।
मुझमें भी जोश भरा और मैंने भी उसकी गांड को पीछे से दबा दिया।
वो सिहर उठी और मुझसे आकर चिपक गई।
मैं अब उसके स्तनों को महसूस कर पा रहा था, मैंने उसकी टॉप के अंदर से हाथ डाल कर उसके स्तनों दबाने चाहे पर टॉप तंग होने के कारण यह ना हो सका तो उसने खुद ही अपनी टॉप उतार दी।
अब उसकी ब्रा के ऊपर से उसके स्तनों का आकार पता चल रहा था। मैंने उसकी ब्रा को उतारा, उसके उजले स्तनों को देख कर तो कोई भी पागल हो जाए और उन पर भूरे रंग के निप्पल कहर ढा रहे थे।
मैं उसके स्तनों को हाथों से दबाने लगा, वो छूने में रूई से भी नाज़ुक थे।
दिव्या अपने मुख से मादक आवाज़ें निकाल रही थी जो मेरा जोश और बढ़ा रही थी।
तभी दिव्या ने मुझे अपने से दो धकेला और देखते ही देखते उसने मेरी पहले तो उसने बेल्ट खोली, फिर जीन्स का बटन खोल दिया और मेरी अन्डरवीयर के ऊपर से लण्ड को चूमने लगी।
मैंने अपनी अन्डरवीयर नीचे उतारा और उसे अपने लंड के दर्शन कराए।
दिव्या ने एक रंडी की तरह मेरे लंड को अपने मुख में भर लिया और चूसने लगी। मैं समझ गया कि दिव्या पहले भी चुद चुकी है।
उसके नर्म नर्म होठों ने मेरे लंड को और बड़ा कर दिया था। मैंने भी अपना लंड उसके मुख के अंदर तक घुसा दिया।
दिव्या ने लंड मुँह से निकाला और मेरी ओर हवस से भारी हुई नज़रों से देखा।
मैंने उसे ऊपर उठाया और अब मेरी बारी थी उसकी चूत को चाटने ओर चोदने की, मैंने उसकी पहनी हुई जीन्स को नीचे उतारा, उसने पैंटी नहीं पहनी हुई थी, यह देख कर मैं चौंक गया।
उसकी ऊजली चूत पूरी तरह से चिकनी थी, ऐसा लग रहा था कि उसने अपनी चूत कल ही साफ करी है, उसकी चूत पानी छोड़ चुकी थी। उसकी चूत से आती हुई अजीब सी खुश्बू मुझे अपनी ओर खींच राई थी।
मेरे होंठ उसकी चूत की फ़ांकों को अलग कर रहे थे और मेरी जीभ अंदर घूम रही थी।
दिव्या आह… आआह्ह ईईइआआआह करने लगी।
वो पूरी तरह गर्म हो चुकी थी तो वह बोली- जानेमन अब मत तड़पाओ मुझे। अपना यह 6′ लम्बा लंड मेरी चूत में डालो।
मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा। अनाड़ी होने के कारण मेरा लंड फिसल गया।
दिव्या ने मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत के मुहाने पर रखा। मैंने भी देर ना करते हुए एक ज़ोर का धक्का दिया।
दिव्या के मुँह से एक दबी हुई आवाज़ निकली।
अब वो मेरे लिंग की सवारी कर रही थी, मैंने उसके निप्पल को पकड़ कर अपनी ओर खींचा।
थोड़ी देर बाद मैं पूरे जोश के साथ उसे चोद रहा था, वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। उसके स्तन उछल उछल कर मुझे अपनी तरफ बुला रहे थे, मैं अपनी उंगलियों से उसके निप्पल दबा रहा था।
हम दोनों पसीना पसीना हो गये थे। कुछ धक्कों के बाद दिव्या सिहर उठी और झड़ गई, उसका पूरा शरीर काँप रहा था, उसकी आँखें मादक हो उठी थी।
40-50 धक्कों के बाद मैंने उससे कहा- मैं झड़ने वाला हूँ।
दिव्या ने कहा कि वो मेरा मूठ पीना चाहती है, मैंने जल्दी से लंड निकाल कर उसके मुँह में दिया फिर मैं झड़ गया।
वो भी पूरा मूठ पी गई, उसने मेरा लंड चाट चाट कर साफ कर दिया। मैंने भी उसके स्तनों को जी भर कर पिया।
जल्दी से हम दोनों ने कपड़े पहने और बाथरूम से निकल लिए।
इस तरह मैंने अपनी जिंदगी की पहली चुदाई की।