दिल बड़ा हो तो सब बड़ा !!!
दोस्तों मेरा नाम बबलू है। में फरीदाबाद में रहता हूँ। उम्र 28 साल, कद 5 फुट 6 इंच , औसत कसरती बदन और मोटा ताज़ा 6 इंच का चालू लण्ड।
दोस्तों में अब तक 50 से ज्यादा लड़कियों को चोद चुका हूँ और अब भी
शतक पूरा करने की राह पर चल रहा हूँ। एक बात जरूर कहूँगा चुदाई को आम भाषा में प्यार करना भी कहते हैं। और जो चुदाई कर चुका हो वही असली मर्द कहलाता है। लेकिन चुदाई करना भी एक कला है और किसी किस्मत वाले की ही लॉटरी लगती है इस खेल में। जीतता वही है जो लंबी और मस्त चुदाई करके अपने साथी को खुश कर सके।
अब में अपनी पिछली साल जून के महीने की घटना के बारे में बताता हूँ मेरे पड़ोस का मकान किसी पंजाबी परिवार ने ख़रीदा और उस परिवार में तीन सदस्य रहते थे पति बलजीत उम्र 29 साल , पत्नी अंजलि 26 साल- मस्त बदन 34 -28-32 का सेक्सी शरीर और उनकी साली प्रीत उम्र 24 साल, तराशा हुआ कातिल पंजाबन शरीर 32-28-30 (उसे देखकर तो दो दिन तक बस आँखों में उसकी तस्वीर छप गयी और बाथरूम भी उसके नाम से मेरे लण्ड के वीर्य के फव्वारों से नहा गया), जो वहीं पर अपनी पढाई कर रही थी । बलजीत और उसकी पत्नी की शादी को 2 साल ही हुए थे और दोनों साथ ही ऑफिस जाते थे और प्रीत अपने कॉलेज और उसके बाद अपनी आर्ट क्लास में जाती थी। अब क्योंकि तीनों ही व्यस्त रहते थे तो वे घर पर सुबह या शाम को ही नज़र आते थे।
मेरा मार्केटिंग का काम था और में ज्यादातर शहर से बाहर ही रहता था (ज्यादातर सेक्स बाहर ही किया है।)कंपनी की एक नई ब्राँच मेरे घर के पास ही खुल गयी तो में भी अब सुबह या शाम को ही घर पर होता था बाकि समय ऑफिस में होता था। गर्मियों मैं घर के अंदर तो रहना बड़ा ही मुश्किल काम था तो खाना खाकर कुछ समय के लिए घर की छत पर टहलता था। बस वो तीनो भी खाना खाकर छत पर मिलते थे और तब हमारी थोड़ी बातचीत हो जाती थी और इस बीच प्रीत और मैं एक दूसरे को चुपके से देखते थे और मुस्कुराते थे। बस वहीँ से मेरा मन उसे चोदने को करने लगा और अगले ही दिन मुझे यह मौका भी मिल गया।
प्रीत का कॉलेज और मेरा ऑफिस घर से पास ही थे हमारा घर से निकलने का समय भी लगभग एक ही था। मैं अक्सर कार से या बाइक से ही जाता था और प्रीत रिक्शे से, जो थोड़ी दूर रिक्शा स्टेण्ड पर मिलता था। कई बार में उसे कॉलेज छोड़ देता था. उस दिन मै बाइक पर था। मैंने प्रीत को जाते हुए कहा- आओ प्रीत साथ चलते हैं, मैं तुम्हें कॉलेज छोड़ दूंगा तो वो पीछे बैठ गयी और अपना हाथ मेरे कंधे पर रखा । मैं उसका स्पर्श पाकर रोमांचित हो रहा था कि तभी उसने कहा – आज मेरा कॉलेज जाने का मन नहीं है क्या हम कहीं घूमने चलें तो मैंने कहा ठीक है और बाइक लेकर टाउन पार्क की ओर चल दिया। मैंने कहा प्रीत आज तो बहुत सुन्दर लग रही हो। तो वो बोली-अच्छा तो में बोला -यार एक झप्पी तो बनती है। तो उसने मुझे कसकर पीछे से जकड़ लिया और बोली -और बताओ, मैंने कहा -एक पप्पी भी। तो वह मुझसे बोली – बाइक रोको। मैंने डरते हुए बाइक साइड में रोकी। प्रीत बाइक से उतरी और मेरी ओर आगे आकर बोली – हेलमेट उतारो, मेरा तो चेहरा डर के मारे सफेद पड़ गया। मैंने अपना हेलमेट उतरा और कहा-वो गललल………………….और प्रीत ने झट से मुझे एक प्यारा सा किस कर दिया मेरी बात अंदर ही रह गयी और मैंने भी प्रीत का साथ दिया। 20 सेकंड तक किस करने के बाद प्रीत बोली- और बताओ। मैं तो मानो हवा में उड़ रहा था। मैंने झट से उसके माथे को चूमा और फिर पार्क की ओर चल दिए। पार्क में हमने काफी समय बिताया। कई बार किस भी किया और उसके बूब्स भी दबाये। अब मेरा मन उसे चोदने को कर रहा था और यही हाल प्रीत का भी था उसकी तो चूत ने मेरे छूते ही पानी छोड़ दिया था।
उसने बोला- मेरा मन चुदने को कर रहा है और उसने अपने घर चलने को कहा। में भी तैयार था सो बाइक लेकर सीधा घर चलने लगे। प्रीत पहले घर पहुंची और दरवाजा खुला छोड़ दिया। में भी अपने घर पर बाइक खड़ी करके, और नज़र बचाता हुआ उसके घर चला गया और दरवाजा बंद कर दिया।
मैं ड्राइंग रूम में पहुंचा और देखा प्रीत और उसकी बहन अंजली सोफे पर बैठे हैं और आपस में बातें कर रहे हैं अंजलि ने मुझे देखा और कहा – कोई काम था क्या ? तो मैंने लड़खड़ाते हुए कहा कुछ नहीं बस बलजीत को मिलने का सोचा। अंजली भाभी बोली- वह तो शाम को आएंगे, मेरी तबीयत ख़राब है, इसलिए मैं दोपहर को आ गयी, पर तुम इस तरह तो कभी हमारे घर पर नहीं आये और प्रीत को देखकर बोली- समझ गयी तुम प्रीत से मिलने आये हो न? तो प्रीत ने अंजली से कहा -दीदी मैं इसको पसंद करती हूँ और मैंने ही उसे बुलाया है तो अंजली हंसने लगी और बोली- तुम मुझे भी अच्छे लगते हो और मुझे किस कर दिया। मैं हैरानी से अंजली को देखने लगा तो प्रीत ने कहा -सॉरी यार मैंने दीदी को सबकुछ बता दिया है और उनका म