हाय.. मेरी सेक्स स्टोरी पढ़ने वाली सभी सेक्सी लड़कियां, भाभियां और लंड की शौकीन सभी चुदासी चूतों को अक्की का लन्डस्कार.. मतलब नमस्कार।
मेरा नाम अक्की है। पूरे छह फिट का हट्टा-कट्टा मस्त नौजवान हूँ और मूसल किस्म के लंड का मालिक हूँ। मैं सूरत (गुजरात) का रहने वाला हूँ।
मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ, यहाँ प्रकाशित सभी सेक्स कहानी मुझको बहुत ही पसंद हैं। यहीं से मुझे भी अपने साथ हुए एक अनोखे अनुभव के बारे में लिखने की प्रेरणा मिली है, मुझे पक्का यकीन है मेरी यह कहानी पढ़कर लड़के और बुड्ढे अपना लंड हिला-हिला कर ढीला कर लेंगे और औरतें सपने में मेरे साथ चुदाई करके अपने आपको खुदकिस्मत समझेंगी।
बात आज से करीब एक साल पहले की है, मैं अपने दोस्त पवन से मिलने के लिए उसके घर राजस्थान गया हुआ था। वैसे मुझे तब तक किसी लड़की को पेलने का अनुभव नहीं था।
राजस्थान पहुँचते ही मेरे दोस्त ने मेरा बड़ी अच्छी तरह से स्वागत किया। वो एक अच्छे खानदान का लड़का था.. सो उसका घर भी किसी महल से कम नहीं था।
दरअसल पवन ने मुझे उसके खुद के लिए लड़की चुनने के लिए ही बुलाया था। अगले दिन हमें लड़की देखने जाना था.. इसलिए रात को खाना खाकर में उसके साथ उसके कमरे में ही सो गया।
दूसरे दिन सुबह ही हमें लड़की देखने के लिए निकलना था। सुबह करीब आठ बजे मैं, मेरा दोस्त पवन, उसके पापा-मम्मी और उसकी छोटी बहन.. हम सब उनकी इनोवा गाड़ी में लड़की के घर जाने के लिए निकले। उसके घर से लड़की का घर करीब 3 घंटे की दूरी पर था।
रास्ते में हम काफ़ी मस्ती करते हुए करीब 11:30 पर लड़की के घर पहुँचे।
वहाँ पहुँचते ही हम सबका बड़े ही शानदार तरीके से स्वागत किया गया। जिस लड़की के साथ मेरे दोस्त की सगाई होने वाली थी.. उसका घर भी किसी महल से कम नहीं था। हम सबको आराम के लिए अलग-अलग कमरे दिए गए। उस हिसाब से मेरा कमरा, मेरे दोस्त का कमरा और उसके पापा-मम्मी और उसकी बहन को अलग कमरा दिया गया।
शाम के वक़्त हमें लड़की से मिलना था तो हम सब खाना खाकर सोने की तैयारी में लगे हुए थे। मैं खाना खाकर बाथरूम में नहाने के लिए चला गया, तभी मेरे रूम के दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी।
मैं बाथरूम में था इसलिए 3-4 बार आवाज़ देने पर मुझे महसूस हुआ कि कोई मेरे रूम के दरवाजे पर खड़ा होकर नॉक कर रहा है। जल्दबाज़ी में मैं वैसे ही आधा नहाया हुआ दरवाजा खोलने के लिए दौड़ा।
जैसे ही मैंने दरवाजा खोला.. सामने एक बहुत ही सेक्सी लड़की चनिया-चोली में खड़ी हुई नज़र आई। जब मैंने ध्यान से देखा तो पता चला कि ये वही लड़की है जो हमारे स्वागत के वक्त ही मुझे घूर रही थी। उस वक्त मैंने पवन से पूछा था तब मुझे पता चल गया था कि इस लड़की का नाम पूर्वी है और वो पवन की होने वाली साली थी।
उसको इस तरह देख कर मैं हक्का-बक्का हो गया। एक तो मैं नहाते हुए दरवाजा खोलने आया था.. तो पूरा नंगा ही था और ऊपर से ऐसी सेक्सी लड़की को सामने देखते ही मेरा लंड पूर्वी के सामने मानो सलामी देने में लगा हो।
क्या मस्त फिगर था उसका.. हाय.. बड़े-बड़े मम्मे.. करीब 36 की साइज़ के, पतली कमर करीब 27 की साइज़ की और बड़ी सी गांड करीब 36 की साइज़ की होगी। कुल मिला कर एक चोदने लायक फुलझड़ी मेरे सामने खड़ी थी।
पूर्वी मुझे इस हालत में देखकर ज़ोर से हँस दी और फिर से मुझे देखने लगी। थोड़ी देर बाद उसने अपनी नज़र नीचे कर लीं। जब उसने अपनी नज़र नीचे की तब मुझे अहसास हुआ कि मैं पूरी तरह से नंगा हूँ। वो बार-बार मेरे लंड को घूरे जा रही थी।
अचानक मुझे भी याद आया कि मैं तो टॉवेल के बिना ही बाहर आ गया था। मैंने जल्दी से अपनी स्थिति बदल कर उसके सामने उल्टा खड़ा हो गया और एक तकिया अपने लंड के पास रखकर वापिस उसके सामने खड़ा हो गया।
मैंने जब पूर्वी की ओर देखा तो पाया कि उसकी आँखें लाल हो गई थीं जो मुझे कच्चा खा जाने के लिए बेकरार लग रही थीं।
फिर मैंने सीटी बजाई तब वो झेंप गई और फिर से हँस दी। मैं समझ गया कि यह चुदने के लिए तैयार है.. पर मैंने जल्दबाज़ी ना करते हुए उसे पास में पड़े सोफे पर बैठने के लए कहा और वापस बाथरूम जाकर अपना शरीर पोंछकर कपड़े पहन कर वापस उसके पास आकर बैठ गया।
काफ़ी देर तक खामोश रहने के बाद मैंने उसके साथ इधर-उधर की बात चालू की, बातों-बातों में मैंने जाना कि वो अभी पढ़ रही है।
मैंने थोड़ी और बात करने के बाद उससे पूछा- क्या उसका कोई बॉयफ्रेंड है.. या नहीं है?
वो थोड़ी देर मेरे सामने देखती रही, फिर बोली- मैंने आज से पहले किसी लड़के के साथ बात तक नहीं की है।
यह सुनकर मेरे मन में लड्डू फूटने लगे। फिर मैंने अपना हाथ उसकी ओर बढ़ाते हुए पूर्वी को फ्रेंडशिप का ऑफर किया.. तो उसने तुरंत ही अपना हाथ देते हुए मेरी दोस्ती स्वीकार कर ली।
अब मैंने उसके हाथ को अपने होंठों से चूम कर उसका धन्यवाद किया। मेरे छूते ही मानो उसके शरीर में एक सिरहन सी हुई और वो मुझसे लिपट गई।
करीब दस मिनट तक मैं उसे अपनी बांहों में दबाए हुए बैठा रहा। इस स्थिति में मेरा चेहरा उसके चेहरे के सामने आ गया और मेरी साँसें उसकी सांसों में घुल रही थीं।
मैंने हिम्मत जुटाकर धीरे से उसके गुलाबी मखमली होंठों को चूम लिया।
पूर्वी मानो इस पल का ही इंतजार कर रही थी। उसने भी कसकर अपने होंठों के बीच मेरे होंठों को दबा लिया। धीरे-धीरे हमारा चुंबन और रोमांचक होता गया।
हमारे इस आपसी आकर्षण में मुझे याद आया कि कमरे का दरवाजा तो खुला ही है। मैंने पूर्वी के होंठों से अपने होंठ हटा कर दरवाजा बंद करने का इशारा किया। वो मेरी बात को समझते हुए मेरी बांहों से अलग हुई और मैं दरवाजा बंद करने चला गया।
जब मैं दरवाजा बंद करके लौटा तो पूर्वी सोफे पर नहीं थी.. वो बिस्तर के किनारे बैठी हुई थी.. मानो कोई नई-नवेली दुल्हन सज-धज कर अपनी चूत की ओपनिंग का इंतजार कर रही हो।
मैं धीरे से उसके पास गया और उसके सामने बैठ गया। मैं उसके इतने नज़दीक था कि मुझे उसके दिल की धड़कन तक सुनाई दे रही थी।
मैंने फिर से उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया। करीब 5 मिनट की होंठ चुसाई के बाद अब मैंने धीरे-धीरे उसके पूरे बदन को सहलाना शुरू कर दिया।
पूर्वी अब धीरे-धीरे मेरी इस हरकत का मज़ा लेते हुए मेरे अंगों के साथ खेलने लगी। वो मुझे बेतहाशा चूमे जा रही थी और मैं उसके पूरे बदन को अपने होंठों के ज़रिए चाट-चाट कर उसकी वासना की आग को और भड़का रहा था।
अब हम दोनों को हमारे कपड़े मानो हमारे ही दुश्मन लग रहे थे। मैंने पूर्वी के बदन से एक-एक करके सारे कपड़े उतारने चालू कर दिए। पहले मैंने उसके चनिया-चोली के ऊपर डाले हुए दुपट्टे को उसके बदन से अलग किया और उसके एक मम्मे को चोली के ऊपर से ही सहलाने लगा। करीब दस मिनट उसके मम्मों को सहलाकर फिर मैंने उसकी चोली के हुक खोल दिए और अपने होंठों से उसकी चोली को चूम-चूम कर धीरे से उसके बदन से अलग कर दिया।
मेरी इस हरकत से पूर्वी के रोंगटे खड़े हो गए। अब पूर्वी मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा और चनिया पहन कर बैठी थी।
इसी दौरान मैंने उसके सामने देखा तो मैंने पाया कि उसका पूरा चेहरा शर्म और उत्तेजना से लाल हो गया था। उसकी आँखें मुझे उसको और भड़काने का निमंत्रण दे रही थीं और उसका एक हाथ मेरी पैन्ट पर बने हुए तंबू पर अपनी मुहर लगा रहा था।
मैंने उसको और भड़काने के लिए उसको बिस्तर के ऊपर खड़ा होने को कहा.. तो वो अपनी अदा का जादू बिखेरते हुए धीरे-धीरे अपनी गांड को हिलाते हुए खड़ी हो गई.. जिस वजह से उसका चनिया मेरे चेहरे के सामने आ गया।
मैंने हल्के से वहाँ अपने होंठ रखकर उसको चूम लिया.. जिसकी वजह से वो और भी मदहोश हो गई।
मैंने दोनों हाथों से उसके चनिए के नाड़े को खींच कर उसका चनिया उसके बदन से अलग कर दिया। अब ब्रा और पैन्टी में खड़ी पूर्वी मुझे बहुत ही सेक्सी लग रही थी।
करीब 5 मिनट तक मैं उसे ऐसे ही देखते रहा। आगे का दौर संभालते हुए वो मेरे बगल में आकर धीरे से लेट गई और मुझे मेरे कपड़े उतारने का इशारा करने लगी।
मैंने उसे खुद ही अपने कपड़े उतारने के लिए कहा और उसके बदन के दोनों साइड अपने पैर रखकर अपना पजामा उसके मुँह तक ले गया।
वो मेरा इशारा समझ गई और मेरे लंड को पजामे के ऊपर से ही सहलाती हुई धीरे-धीरे पजामा को खोलकर नीचे कर दिया।
अब उसके सामने में सिर्फ़ अंडरवियर में था।
अब पूरे कमरे में सिर्फ़ मैं और पूर्वी आधे नंगे होकर बिस्तर के ऊपर एक-दूसरे से ऐसे लिपटे हुए थे.. मानो हम दो बदन से एक बदन होने की नाकाम कोशिश में जुट गए हों।
हमारी इस उत्तेजना में कब हमारे शरीर से बाकी के कपड़े निकल गए.. खुद हमें ही मालूम नहीं चला। हम दोनों पूरे नंगे होकर एक-दूसरे को बेतहाशा चूम और चाट रहे थे, एक-दूसरे के अंगों के साथ खेल रहे थे।
मेरे मुँह में उसके रसभरे आम थे.. जिसके निप्पल मैंने चूस-चूस कर लाल कर दिए थे। पूर्वी की सिसकारियों से पूरा कमरा वासनायुक्त हो गया था।
मैंने धीरे से अपनी स्थिति को बदल कर उसके पूरे बदन तो चाटते हुए उसकी चूत पर अपना सर जमा दिया। जैसे ही मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पर रखी.. पूर्वी को मानो कोई झटका लगा हो, वह उछल पड़ी और मारे वासना के उसने मेरा सर उसकी चूत पर कस लिया।
अब उसे भी मज़ा आने लगा था और वासना के मारे उसका पूरा शरीर हिल रहा था।
मैंने स्थिति को समझते हुए अपना लंड जो कि उसके मुँह के पास था, उसे पूर्वी के मुँह में ठूंसने लगा। पूर्वी मेरा इशारा समझ गई और पूरा का पूरा लंड अपने मुँह में गटक गई।
मुझे तो जैसे कोई अफीम का नशा हो उठा।
अब मैं उसकी रसीली चूत चूस रहा था और वो मेरे लंड को खा जाने की कोशिश में जुटी हुई थी।
हम दोनों ही वासना के इस खेल के उस चरण में आ गए थे, जहाँ से हम दोनों का वापस जाना नामुमकिन था। पूर्वी और मैं अब फिर से स्थिति बदल कर एक-दूसरे के मुँह में मुँह डाल कर मानो एक-दूसरे के मुँह में ही झड़ जाने की नाकाम कोशिश कर रहे थे।
इस तरह किस करते-करते ही मैंने पूर्वी के पैर थोड़े फैला दिए और अपने लंड को उसकी रसीली चूत के साथ रगड़ कर उसे मेरा लंड अन्दर लेने के लिए उकसाने लगा। पूर्वी जल बिन मछली की तरह मेरा लंड अन्दर लेने के लए तड़प रही थी और मैं था.. जो उसकी चूत पर अपना लंड बार-बार घिसे जा रहा था।
वैसे ही अपनी करामात दिखाते हुए मैंने अपने लंड को धीरे से पूर्वी की चूत पर रखकर हल्का सा धक्का मारा और मेरे लंड का सुपारा उसकी चूत में फंस गया। लंड का सुपारा फंस जाने की वजह से उसे काफ़ी दर्द हो रहा था, पर मैंने उसके दर्द को अनदेखा करके उसके होंठों को अपने होंठों के बीच दबोच लिया और एक जोर का झटका लगा दिया। इस बम-पिलाट झटके से मेरा आधा लंड उसकी प्यारी चूत में चला गया।
वो दर्द से कलप गई।
मैं थोड़ी देर वैसे ही उसके होंठों को चूसता रहा और उसके दर्द के कम होने का इंतजार करने लगा। जैसे ही मुझे महसूस हुआ कि पूर्वी का दर्द अब कम हुआ है.. मैंने एक और जोरदार धक्का लगाया और मेरा पूरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ अन्दर तक जा पहुँचा।
आख़िर मेरा तीर निशाने पर लग गया और पूर्वी जो कुछ देर पहले एक कच्ची कली थी.. वह अब फूल बन चुकी थी। उसकी चूत से थोड़ा खून निकला जो इस बात की गवाही दे रहा था कि इससे पहले चूत कुंवारी थी.. एक कच्ची कली थी।
अब हम दोनों वासना के इस निराले खेल के आखरी पड़ाव के नज़दीक जा रहे थे। मैंने पूर्वी को उसकी पहली चुदाई में हर तरह से चोद-चोद कर यह एहसास दिला दिया था कि वो बस मेरी गुलाम सी हो गई थी। पूर्वी इस हद तक मुझे चाहने लगी थी कि अगर मैं उसको कहता कि मैं उसकी गांड मारना चाहता हूँ, तब भी वो मना नहीं करती। पर वास्तव में मैं उसे अपने प्यार की तरह ही संभाल कर रखना चाहता था।
मैं अब अपनी स्पीड बढ़ाते हुए ज़ोर-ज़ोर से उसे चोदने लगा। वो मेरी इस सुनामी की ऐसी कायल हो गई कि वो 3 बार झड़ गई थी। अब मुझे भी मेरी मंज़िल करीब आते दिख रही थी।
मैंने पूर्वी से कहा- मैं अब आने वाला हूँ।
तो उसने मुझे अन्दर ही झड़ जाने के लिए कहा और 10-12 धक्कों में ही मेरा ये वासना से निराला खेल अपनी चरम सीमा पर जा पहुँचा।
सच में ऐसी दमदार चुदाई हुई कि हम दोनों ही थक कर एक-दूसरे के ऊपर नशे के मारे दस मिनट निढाल पड़े रहे।
आख़िर जब हमें होश आया तब फिर से एक-दूसरे को लंबा सा किस करके अलग हुए और बातें करने लग गए।
अब वो मुझे बहुत प्यार से देख रही थी, मैंने उससे पूछा- मुझे अन्दर झड़ने के लिए क्यों बोली थीं?
उसने बताया- मैं आपके प्यार की मुहर के तौर पर आपका सारा वीर्य अपने अन्दर महसूस करना चाहती थी और आपके वीर्य को अपने अन्दर लेकर मुझे स्वर्ग की खुशी का एहसास हुआ है।
दोपहर की इस प्यारी सी चुदाई के बाद शाम को हमने मेरे दोस्त पवन के लिए उस लड़की मानसी को उसकी मंगेतर के रूप में सिलेक्ट किया.. जो कि पूर्वी की ही बड़ी बहन थी। फिर दूसरे दिन वापस अपने दोस्त पवन के घर जाने के लिए हम निकल आए।
जाते वक़्त पवन और मानसी की आँखों में जो जुदाई का गम था.. उसके कई गुना ज़्यादा दर्द मेरी और पूर्वी की आँखों में था। हमने एक-दूसरे के फ़ोन नंबर लिए और आगे फिर से मिलने के वादे के साथ जुदा हो गए।
तो दोस्तो, सेक्सी लड़कियों और मेरे लंड की आशिक भाभियों.. यह थी मेरी Sex Stories Hindi पूर्वी के साथ.. आप सभी को कैसी लगी, ज़रूर बताना।