मेरा दोस्त अमर और मैं कॉल सेण्टर के प्रीपेड सेक्शन में रात की शिफ्ट में थे, वो अक्सर लडकियों के कॉल्स को सीरियसली लेता था और तुरंत उन्हें सलूशन दे देता था और साथ में ही जिस लड़की की आवाज़ पसंद आती उसका नम्बर नोट कर लेता ताकि उसे बाद में फ़ोन करके मज़े ले सके.
ऐसी ही एक लड़की कंचन से उसकी काफी दिन से बात चल रही थी, एक दिन अमर ने उसे मिलने के लिए बुलवाया लेकिन जब उस से मिलने गया तो अमर ने अपना हेलमेट नहीं उतारा लड़की को करीब जा कर देखा और वहां से तुरंत निकल लिया.
वहां से अमर सीधे मेरे रूम पर आया तो मैंने पूछा “क्या हुआ तेरी ब्लाइंड डेट का” तो बोला “भाई चोट हो गई, लड़की बहुत ही काली थी”. मैंने कहा “भाई ऐसा क्यूँ सोचता है, बेचारी एक तो अपने होस्टल से लाख झूट बोल कर आई होगी.
कम से कम कॉफ़ी ही पी लेता उसके साथ” तो अमर ने कहा “काली लड़की पर बर्बाद नहीं करूँगा कॉफ़ी के पैसे, कोई माल होता तो और बात होती. इतने में ही उस लड़की का फ़ोन आया और अमर उस फ़ोन को इगनोर करने लगा, थोड़ी देर बाद मेरे फ़ोन पर उस लड़की का फ़ोन आया तो अमर ने कहा उठाना मत मैंने अपना फ़ोन तेरे फ़ोन पर डाइवर्ट कर रखा है.
मैं अमर पर बहुत गुस्सा हुआ और उसे वहां से भगा दिया, एक तो कमीने ने लड़की को बेकार परेशां किया और दुसरे उसको इग्नोर भी किया. मैं मन ही मन उस लड़की के लिए दुखी हो रहा था. शाम को अपनी सन्डे तन्हाई मिटने के लिए मैं शराब पीने बैठ गया..
और पीते पीते भी वही ख्याल दिमाग में था की बेचारी लड़की का क्या दोष और अमर को ऐसा नहीं करना चाहिए था. सोचते सोचते मैंने उसी नंबर पर फ़ोन लगा दिया, पहले तो फ़ोन उठा नहीं और फिर बाद में उसी नम्बर से फ़ोन आया तब तक मैं तीन पेग डाउन हो चुका था सो सब बात मैंने सच सच उस लड़की कंचन को बता दी.
जब कंचन को पता चला कि अमर वहां से क्यूँ भागा और कैसे उसने उसकी भावनाओं को ठेस पहुंचाई तो वो बहुत रोई, पहले तो मैंने उसे समझाया फिर डांटा और फिर चिल्लाया कि आखिर ज़रुरत क्या है ऐसे लौंडों से बात करने की. वो चुप चाप मेरी बातें सुनती रही, थोड़ी देर में मुझे नींद आ गई.
लेकिन जब सुबह फ़ोन देखा तो कंचन का मेसेज था “थैंक यू !! तुम अच्छे आदमी लगते हो, मेरे दोस्त बनोगे”. मैंने भी कुछ सोचे बिना यस लिख कर भेज दिया. ऑफिस जाने से पहले तक मेरी और उसकी मेसेज में काफी बातें हुईं और हम अच्छे दोस्त बन गए.
कुछ दिनों तक ये सब ऐसे ही चला और एक दिन उस ने कॉल कर के मुझे कहा “मूवी देखने चलोगे, मेरी तरफ से ट्रीट समझो” तो मैंने भी हंस कर हाँ भर ही ली. सुबह सुबह का शो था तो मैंने भी सोच की चलो ऑफिस से पहले पहले ही फ्री हो जाऊंगा और शाम को ऑफिस चला जाऊंगा.
जैसे ही मूवी हॉल के बहार पहुँच और कंचन को कॉल किया वो मेरे पीछे पार्किंग में ही खड़ी थी, और जैसा की अमर ने बताया था वो वाकई में उतनी ही काली थी पर मैंने मन ही मन सोचा की दोस्त ही तो है बेचारी शहर में अकेली है तो किसी से दोस्ती तो करेगी ही. आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
हम दोनों ने साथ में मूवी देखी फिर कॉफ़ी पी और जब ढेर सारी बातें की, वो बोली “तुम अच्छे इंसान हो, तुम्हारे लिए कुछ करना चाहती हूँ” मैंने कहा “क्या ज़रुरत है, अब कोई गिफ्ट वगेरह मत दे देना” तो बोली “गिफ्ट ही समझो”. मैं कुछ समझ पाता उस से पहले ही वो मेरी बाइक की पिछली सीट पर बैठ गई और बोली “घर चलो” मैंने कहा “अभी” तो बोली “हाँ अभी”.
हम दोनों मेरे रूम पर पहुँच गए, मुझे थोड़ा थोडा आभास हो गया था की शायद ये मुझे सेक्स ऑफर करेगी तो मन ही मन मैंने निश्चय कर लिया था की मैं इसे मना कर दूंगा और सिर्फ दोस्ती तक ही सीमित रखूँगा.
कंचन मेरे रूम में बैठी थी और मैं उसे अपने लैपटॉप पर हमारी छुट्टियों की फोटोज दिखा रहा था, अचानक वो अपने घुटनों के बल बैठ गई और बोली “तुम घबराना मत”. मैं कुछ बोलता उससे पहले ही उस ने अपना टी शर्ट उतार दिया, उसके मम्मे ब्रा फाड़ कर बाहर आना चाहते थे.
मैंने उसे समझाना चाहा लेकिन तब तक उसे मेरा ओवर सेंसिटिव लंड खड़ा होता दिख गया था जिसे चूत देखे भी वक़्त हो गया था. उसने मेरी स्थिति भी समझ ली थी सो उस ने कहा “होता है, चिंता मत करो इतनी भी बुरी नहीं हूँ मैं और वैसे भी लंड की आँखें नहीं होती”.
मैं उस वक़्त समझ भी नहीं पा रहा था की कैसे उस लड़की ने मुझे सेक्स के लिए राज़ी कर लिया क्यूंकि उसकी शक्ल देखने के बाद मेरा दोस्त अमर तो भाग खड़ा हुआ था, और मैं था कि उसी लड़की के साथ ये सब करने जा रहा था. बहरहाल कंचन ने एक एक कर के अपने कपडे उतारे और अन्दर जो कुछ था उसे देख कर मैं दग रह गया.
क्यूंकि वो बाहर से दिखने में काली ज़रूर थी लेकिन अन्दर से पूरी बॉडी प्रोपेर्ली वैक्सड, चूत पर एक भी बाल नहीं बल्कि पूरा बदन जैसे पोलिश कर के तैयार रखा हो. उसके मम्मे, उसकी जांघें और उसकी गांड सब कुछ जैसे अच्छी तरह पोलिश किए हुए चमक रहे थे, मेरे हिसाब से उसका बस ड्रेसिंग सेन्स और हेयर डू थोड़ा अच्छा होता तो इस शक्ल के साथ भी सब ठीक ही था.
कंचन ने कहा “देखो मैं नहीं जानती की तुम्हे या तुम्हारे दोस्त को क्या चाहिए लेकिन मेरे पास जो है वो मैं तुम्हे भरपूर दूंगी” और ये कह कर उसने हौले से मेरे कान के पीछे किस कर लिया – फिर कान के ऊपर और फिर मेरे कान के लोब को लिक करते हुए उसे हलके से अपने दांतों में दबा लिया. अब तक मैं भी उसकी रौ में बह गया था, दूर से देखने पर भले ही वो काली दिखती हो लेकिन थी तो वो अन्दर से माल ही.
मैंने उसे कमर से पकड़ लिया और अपनी तरफ खींचना चाहा तो वो मुस्कुरा दी और खुद ही खिसक कर मेरे पास आगई, अब उसकी गज़ब की छातियाँ मेरे सीने के करीब थी. उसके निप्प्ल्स डार्क चॉकलेट के जैसे काले काले थे, उसके शरीर से किसी फीमेल परफ्यूम की खुशबु आरही थी.
मैं उसके रूप रंग से बेखबर हो कर उसके शरीर को सहला रहा था. उसने भी मेरे शरीर को सहलाते हुए मेरे कपड़े उतार दिए मेरे लंड को अंडरवियर के ऊपर से पकड़ कर बोली “देख सकती हूँ, मेरे छूने से ख़राब नहीं होगा”. मैंने कहा “सॉरी यार ऐसे मत सोचो” तो उसने कहा “नेवर माइंड” और मेरे लंड को सहलाने लगी.
मेरा लंड नार्मली मुठ मारते टाइम इतना बड़ा नहीं दीखता था जितना अभी दिख रहा था, हालाँकि फिर भी बेचारा मोटा उतना नहीं था लेकिन उसने मेरे लंड के लम्बे और पतले होने को ले कर कुछ नहीं कहा और यहाँ मैं सोच रहा था की कहीं मैं उसे सेटिस्फाई नहीं कर पाया तो. आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैं यहाँ इतना सोच रहा था और वो मेरे लंड को सहलाते हुए मेरे आंड टटोल रही थी, फिर वो नीचे बैठी और हौले हौले मेरे लंड और आंड चूमने लगी वो जैसे ही लंड छोड़ आंड चूमती तो लंड जैसे नाचने लग जाता और आंड छोड़ लंड चूमती तो आंड फूलने लग जाते.
ये जैसे एक खेल चल ही रहा था की मेरे मुंह से निकला “चूसो न इसे” वो मुस्कुराई और अपनी जीभ से मेरे आंड से ले कर लंड के टोपे तक पूरी लम्बाई को चाट लिया फिर मेरा लंड हाथ में ले कर उसकी चमड़ी को धीरे धीरे नीचे सरकाने लगी और लंड के टोपे को चूमने लगी.
जैसे जैसे मेरा लंड उसके मुंह में जा रहा था मैं और गर्म हो रहा था, मेरे लंड को दो तीन बार मुंह में लेने के बाद उसने अपना सर आगे किया और एक झटके में मेरा पूरा लंड अपने मुंह में ले लिया जो शायद उसके गले तक गया होगा क्यूंकि मेरा लंड मोटा नहीं लेकिन लम्बा तो था ही. जैसे ही उसने मुंह से बाहर लंड निकाला मैंने उस से पूछा “लगी तो नहीं” तो बोली नहीं, तुम रिलैक्स करो मैं अच्छे से करुँगी”.
कंचन जिस तरह से मेरे लंड की कंचन कर रही थी मुझे विश्वास हो गया की वो मुझे अपनी चूत भी अच्छे से ही देगी, उसके चूसने की टेक्नीक में एक बात ख़ास थी कि वो पूरी डेडीकेशन के साथ चूस रही थी और उसका पूरा ध्यान मेरे लंड को चाटने और चूसने में ही था.
वो बीच में रुक कर बोली “तुम क्या सोच रहे हो, मैं ठीक से तो कर रही हूँ ना तुम्हे अच्छा तो लग रहा है ना” मैंने उसके बालों में हाथ फिरा कर कहा “तुम लोड मत लो जो भी कर रही हो अब तक का सबसे बेस्ट कर रही हो”ये सुन कर वो फिर से अपने लंड चूसने के काम में लग गई.
उसका धीरे धीरे चूसना और बीच बीच में लंड को हिलाते हुए आंड चूमना मुझे स्वर्ग में पहुँचा चुका था और स्वर्ग से वापस आते समय मेरे लंड ने अपनी औकात दिखा दी और कंचन की मेहनत का फल उसके मुंह में पिचकारी के रूप में छोड़ दिया जिसे वो बिना किसी हील हुज्जत के पी भी गई और बाकी का लगा हुआ भी उसने लंड से चाट चाट कर साफ कर दिया, मैं हैरान भी था और बला का खुश भी.
मेरी ऐसी हालत देख कर कंचन ने कहा “पसंद आया हो तो दोबारा करूँ” तो मैंने कहा “रुको मैं अपने ऑफिस में सिक लीव का मेसेज कर दूँ, क्यूंकि आज का एक लम्हा भी वेस्ट नहीं जाने देना चाहता और जल्दी में आज कुछ नहीं होगा”. ये सुन कर वो मुस्कुराई और जितनी देर में मैंने मेसेज किया उसने में लटके हुए लंड को चूमना जारी रखा, और एक हाथ से अपने मम्मे भी दबाती रही.
उसने मुझसे कोई डिमांड भी नहीं की वो तो बस देना चाहती थी वो भी जब तक मेरा जी ना भर जाए, वो फिर से चूसने लगी तो मैंने कहा “कुछ मुझे भी करने दोगी” तो वो बोली “मुझमें उतना ख़ास नहीं है कुछ करने को, मेरी चूत छोटी भी है और काली भी”.
मुझे अच्छा नहीं लगा जिस तरह से उसका सेल्फ कॉन्फिडेंस अमर की हरकत की वजह से डगमगा गया था, मैंने कंचन से कहा “चुप करो और अब मुझे भी करने दो”. मैंने उसके बड़े बड़े मम्मों को सहलाना शुरू किया, पहले तो मुझे लगा था की मैं इतने बड़े मम्मे संभालूँगा कैसे लेकिन फिर धीरे धीरे मैंने उन्हें संभाला भी और जम कर चूसा भी.
कंचन के मम्मों से भी अच्छी बॉडी स्प्रे की खुशबु आरही थी, बेचारी कितनी मेहनत कर के आई थी ताकि कहीं से भी बुरी स्मेल मेरा मूड ना ख़राब कर दे और एक मैं था जो नहाया भी ऐसे था जैसे पानी पर अहसान कर रहा हूँ.
उसके मम्मों से खेलने – उन्हें चाटने और निप्प्ल्स को चूसने में मैं ये भूल ही गया था की उसकी शक्ल कैसी है मुझे वो सिर्फ एक सेक्स की देवी नज़र आरही थी जो आज मुझे हर तरह से वरदान दे रही थी. जब मैं उसके मम्मों पर प्यार लुटा रहा था तब भी उसने मेरे लंड को नहीं छोड़ा वो लगा तार उसे सहलाती और मसलती रही.
मम्मों को दबाने में इतना मज़ा आरहा था कि बस पूछो ही मत, एक तो बड़े बड़े और उस पर इतने चिकने और सबसे ख़ास थे निप्पल्स तो मेरी मेहनत से तन का खड़े हो गए थे. कंचन के मम्मों को दबाते हुए मैंने उसकी चूत को भी सहलाना शुरू किया, उसकी चूत छोटी होना मेरे लिए थोडा आश्चर्यजनक था.
लेकिन वो मस्त गीली हो चुकी थी और चुदने के लिए तैयार थी इसलिए मैंने उस में धीरे से अपनी ऊँगली पेल दी और अन्दर बाहर करने लगा. मेरी इस हरकत से कंचन की सिसकारी सी छूट गई और उसने मेरे लंड को तेज़ी से मसलना शुरू कर दिया. आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मुझे लग रहा था की मेरा लंड इसकी छोटी सी चूत में जाएगा कैसे तो कंचन ने मेरी मंशा समझ कर अपनी कमर के नीचे एक तकिया लगाया और उसकी चूत थोड़ी ऊपर उठ गई, उसकी इस हरकत पर हम दोनों मुस्कुरा दिए. मैंने अपने लंड के टोपे को उसकी चूत पर टिकाया और एक धीरे धक्के से उसकी चूत में पेल दिया जिस से कंचन थोड़ा चिहुँक उठी लेकिन उसकी चीख तब निकली जब मैंने पूरा लंड अन्दर डाल कर झटका दिया.
कंचन ने कहा “मुझे विश्वास नहीं हो रहा की कोई लड़का मुझे चोद रहा है” मैंने कहा “कोई बात नहीं अगर विश्वास नहीं हो रहा तो, मुझे तुम्हे चोदने में मज़ा आ रहा है और वो इम्पोर्टेन्ट है”. कंचन मुस्कुरा दी और मैंने भी मुस्कुराते हुए उसे फिर से चोदना शुरू किया, हर धक्के के साथ वो मारे ख़ुशी के चिल्ला रही थी और मेरी पीठ को खरोंचे दे रही थी.
उसका चेहरा मुस्कुराने पर सुन्दर दिखता था, उसका काला रंग पसीने से निखर कर चमक रहा था और उसका शरीर मेरे लिए गद्दे का काम कर रहा था इन शोर्ट ये एक अद्भुत अहसास था जो शायद किसी सुन्दर और अच्छे फिगर वाली लड़की के साथ नहीं मिल सकता था.
वो मेरा नाम ले कर चिल्ला रही थी और बीच बीच में मुझे थैंक्स जानू यू आर ओसम और जोर से डालो कस के चोदो भी चिल्ला रही थी, मैं खुश था कि वो खुश है. मैंने उसके इस एक्साइटमेंट को देखते हुए अपनी स्पीड बढ़ाई तो वो और जोर जोर से चिल्लाने लगी उसके चेहरे पर सेटिस्फेक्शन की ख़ुशी साफ़ दिख रही थी.
मैं भी खुश था क्यूंकि मुझे भी एक लम्बे अंतराल के बाद सेक्स करने को मिला था और मैं उस मौके का पूरा पूरा मज़ा ले रहा था. कंचन को चोदते वक़्त मैं सिर्फ चुदाई में लगा हुआ था और यही सबसे अच्छी बात थी क्यूंकि इसकी वजह से हम दोनों पूरी तरह एन्जॉय कर पा रहे थे.
जोर जोर से धक्के लगाते हुए मैं उसके मम्मों पर पिल पड़ा और कंचन की शक्ल तो ऐसी हो रही थी मानो उसकी नसें फट जाएँगी, एक तेज़ आह के बाद मुझे पता लग गया की कंचन झड चुकी है लेकिन मैं धक्के लगता ही रहा क्यूंकि मेरा भी झड़ने का वक़्त नज़दीक आ गया था.
आखिरी झटके में मैंने भी जोर की आह के साथ लंड बाहर निकाल कर कंचन की चूत पर अपना सारा माल फैला दिया और फिर थके हाल कंचन के ऊपर ही गिर गया. वो मेरे बालों में हाथ फिरा रही थी मेरी पीठ सहला रही थी और मैं उस पर पड़ा हाँफते हुए उसकी नाभि पर अपना अधमरा लंड रगड़ रहा था.
हम दोनों को इस मेहनत से नींद आ गयी, और जब मैं उठा तो कंचन के होठों के स्पर्श से क्यूंकि वो मेरे पूरे जिस्म को चूम रही थी सहला रही थी, मैंने कहा “क्या कर रही हो” तो वो बोली “प्यार कर रही हूँ, करने दो”. मैंने कहा “और चुदोगी” तो बोली “पहले प्यार कर लूँ फिर चोद लेना”. आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
ये कह कर उस ने मुझे गले लगा लिया, फिर जब तक कंचन हमारे शहर में रही हम लगभग हर हफ्ते चुदाई करते. उस ने अच्छा सा मेक ओवर भी लिया और जिम भी ज्वाइन किया पर मुझे इस सब से ख़ास फर्क नहीं पड़ा क्यूंकि जो वो बिस्तर में थी वो कमाल था और सबसे अव्वल वो एक अच्छी इंसान थी.
उस ने मुझे एक दिन कहा था “तुम्हारे मन में और सुन्दर लड़कियों को चोदने की इच्छा हो और अगर कोई तुमसे चुदना चाहे तो चोद लेना मुझे बुरा नहीं लगेगा”.