बच्चे के लिए रंडी की तरह आश्रम के मर्दों ने मेरा फायदा उठाया

मेरा नाम विदिशा सिंह है. मैं मध्य प्रदेश के एक छोटे से शहर में रहती हूँ. जब मैं 23 बरस की थी तो मेरी शादी श्रीनाथ के साथ हुई . श्रीनाथ की अपनी एक दुकान है. शादी के बाद शुरू में सब कुछ अच्छा रहा और मैं भी खुश थी. श्रीनाथ मेरा अच्छे से ख्याल रखता था और मेरी सेक्स लाइफ भी सही चल रही थी. ( Hindi Sex Stories )

शादी के दो साल बाद हमने बच्चा पैदा करने का फ़ैसला किया. लेकिन एक साल तक बिना किसी प्रोटेक्शन के संभोग करने के बाद भी मैं गर्भवती नही हो पाई. मेरे सास ससुर भी चिंतित थे की बहू को बच्चा क्यूँ नही हो रहा है. मैं बहुत परेशान हो गयी की मेरे साथ ऐसा क्यूँ हो रहा है. मेरे पीरियड्स टाइम पर आते थे. शारीरिक रूप से भी मैं भरे पूरे बदन वाली थी.
तब मैं 26 बरस की थी , गोरा रंग , कद 5’3” , सुन्दर नाक नक्श और गदराया हुआ मेरा बदन था. कॉलेज के दिनों से ही मेरा बदन निखर गया था, मेरी बड़ी चूचियाँ और सुडौल नितंब लड़कों को आकर्षित करते थे. मैं शर्मीले स्वाभाव की थी और कपड़े भी सलवार सूट या साड़ी ब्लाउज ही पहनती थी. जिनसे बदन ढका रहता था. छोटे शहर में रहने की वजह से मॉडर्न ड्रेसेस मैंने कभी नही पहनी. लेकिन फिर भी मैंने ख्याल किया था की मर्दों की निगाहें मुझ पर रहती हैं. शायद मेरे गदराये बदन की वजह से ऐसा होता हो.

श्रीनाथ ने मुझे बहुत सारे डॉक्टर्स को दिखाया. मेरे शर्मीले स्वाभाव की वजह से लेडी डॉक्टर्स के सामने कपड़े उतारने में भी मुझे शरम आती थी. लेडी डॉक्टर चेक करने के लिए जब मेरी चूचियों, निपल या चूत को छूती थी तो मैं एकदम से गीली हो जाती थी. और मुझे बहुत शरम आती थी.

सभी डॉक्टर्स ने कई तरह की दवाइयाँ दी , मेरे लैब टेस्ट करवाए पर कुछ फायदा नही हुआ.

फिर श्रीनाथ मुझे दिल्ली ले गया लेकिन मैंने साफ कह दिया की मैं सिर्फ़ लेडी डॉक्टर को ही दिखाऊँगी. लेकिन वहाँ से भी कुछ फायदा नही हुआ.

मेरी सासूजी ने मुझे आयुर्वेदिक , होम्योपैथिक डॉक्टर्स को दिखाया, उनकी भी दवाइयाँ मैंने ली , लेकिन कुछ फायदा नही हुआ.

अब श्रीनाथ और मेरे संबंधों में भी खटास आने लगी थी. श्रीनाथ के साथ सेक्स करने में भी अब कोई मज़ा नही रह गया था , ऐसा लगता था जैसे बच्चा प्राप्त करने के लिए हम ज़बरदस्ती ये काम कर रहे हों. सेक्स का आनंद उठाने की बजाय यही चिंता लगी रहती थी की अबकी बार मुझे गर्भ ठहरेगा या नही.

ऐसे ही दिन निकलते गये और एक और साल गुजर गया. अब मैं 28 बरस की हो गयी थी. संतान ना होने से मैं उदास रहने लगी थी. घर का माहौल भी निराशा से भरा हो गया था.

एक दिन श्रीनाथ ने मुझे बताया की जयपुर में एक मेल गयेनोकोलॉजिस्ट है जो इनफर्टिलिटी केसेस का एक्सपर्ट है , चलो उसके पास तुम्हें दिखा लाता हूँ. लेकिन मेल डॉक्टर को दिखाने को मैं राज़ी नही थी. किसी मर्द के सामने कपड़े उतारने में कौन औरत नही शरमाएगी. श्रीनाथ मुझसे बहुत नाराज़ हो गया और अड़ गया की उसी डॉक्टर को दिखाएँगे. अब तुम ज़्यादा नखरे मत करो.

अगले दिन मेरी पड़ोसन निकिता हमारे घर आई और मेरी सासूजी से बोली,” ऑन्टी जी , आपने विदिशा को बहुत सारे डॉक्टर्स को दिखा दिया लेकिन कोई फायदा नही हुआ. विदिशा बता रही थी की वो दिल्ली भी दिखा लाई है. आयुर्वेदिक , होम्योपैथिक सब ट्रीटमेंट कर लिए फिर भी उसको संतान नही हुई. बेचारी आजकल बहुत उदास सी रहने लगी है. आप विदिशा को अहमदाबाद में गुरुजी के आश्रम दिखा लाइए. मेरी एक रिश्तेदार थी जिसके शादी के 7 साल बाद भी बच्चा नही हुआ था. गुरुजी के आश्रम जाकर उसे संतान प्राप्त हुई. विदिशा की शादी को तो अभी 4 साल ही हुए हैं. मुझे यकीन है की गुरुजी की कृपा से विदिशा को ज़रूर संतान प्राप्त होगी. गुरुजी बहुत चमत्कारी हैं.”

निकिता की बात से मेरी सासूजी के मन में उम्मीद की किरण जागी. मैंने भी सोचा की सब कुछ करके देख लिया तो आश्रम जाकर भी देख लेती हूँ.

मेरी सासूजी ने श्रीनाथ को भी राज़ी कर लिया.

“ देखो श्रीनाथ, निकिता ठीक कह रही है. विदिशा के इतने टेस्ट वगैरह करवाए और सबका रिज़ल्ट नॉर्मल था. कहीं कोई गड़बड़ी नही है तब भी बच्चा नही हो रहा है. अब और ज़्यादा समय बर्बाद नही करते हैं. निकिता कह रही थी की ये गुरुजी बहुत चमत्कारी हैं और निकिता की रिश्तेदार का भी उन्ही की कृपा से बच्चा हुआ.”

उस समय मैं निकिता के आने से खुश हुई थी की अब जयपुर जाकर मेल डॉक्टर को नही दिखाना पड़ेगा , पर मुझे क्या पता था की गुरुजी के आश्रम में मेरे साथ क्या होने वाला है.

इलाज़ के नाम पर जो मेरा शोषण उस आश्रम में हुआ , उसको याद करके आज भी मुझे शरम आती है. इतनी चालाकी से उन लोगों ने मेरा शोषण किया . उस समय मेरे मन में संतान प्राप्त करने की इतनी तीव्र इच्छा थी की मैं उन लोगों के हाथ का खिलौना बन गयी .

जब भी मैं उन दिनों के बारे में सोचती हूँ तो मुझे हैरानी होती है की इतनी शर्मीली हाउसवाइफ होने के बावजूद कैसे मैंने उन लोगो को अपने बदन से छेड़छाड़ करने दी और कैसे एक रंडी की तरह आश्रम के मर्दों ने मेरा फायदा उठाया.

गुरुजी का आश्रम अहमदाबाद में था , गुजरात में एक छोटा सा गांव जो चारों तरफ से पहाड़ों से घिरा हुआ था. आश्रम के पास ही साफ पानी का एक बड़ा तालाब था. कोई पोल्यूशन ना होने सा उस गांव का वातावरण बहुत ही अच्छा था और जगह भी हरी भरी बहुत सुंदर थी. ऐसी शांत जगह आकर किसी का भी मन प्रसन्न हो जाए. आप ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

मुझे श्रीनाथ के साथ आश्रम में आना था लेकिन ऐन वक़्त पर श्रीनाथ किसी ज़रूरी काम में फँस गये इसीलिए मेरी सासूजी को मेरे साथ आना पड़ा. आश्रम में आने के बाद मैंने देखा की गुरुजी के दर्शन के लिए वहाँ लोगों की लाइन लगी हुई है. हमने गुरुजी को अकेले में अपनी समस्या बताने के लिए उनसे मुलाकात का वक़्त ले लिया.

काफ़ी देर बाद हमें एक कमरे में गुरुजी से मिलने ले जाया गया. गुरुजी काफ़ी लंबे चौड़े , हट्टे कट्टे बदन वाले थे , उनकी हाइट 6 फीट तो होगी ही. वो भगवा वस्त्र पहने हुए थे. शांत स्वर में बोलने का अंदाज़ उनका सम्मोहित कर देने वाला था. आवाज़ में ऐसा जादू था की गूंजती हुई सी लगती थी , जैसे कहीं दूर से आ रही हो . कुल मिलाकर उनका व्यक्तित्व ऐसा था की सामने वाला खुद ही उनके चरणों में झुक जाए. उनकी आँखों में ऐसा तेज था की आप ज़्यादा देर आँखें मिला नही सकते.

हम गुरुजी के सामने फर्श पर बैठ गये. सासूजी ने गुरुजी को मेरी समस्या बताई की मेरी बहू को संतान नही हो पा रही है , गुरुजी ध्यान से सासूजी की बातों को सुनते रहे. हमारे अलावा उस कमरे में दो और आदमी थे , जो शायद गुरुजी के शिष्य होंगे. उनमें से एक आदमी , सासूजी की बातों को सुनकर , डायरी में कुछ नोट कर रहा था.

गुरुजी – माताजी , मुझे खुशी हुई की अपनी समस्या के समाधान के लिए आप अपनी बहू को मेरे पास लायीं. मैं एक बात साफ बता देना चाहता हूँ की मैं कोई चमत्कार नही कर सकता लेकिन अगर आपकी बहू मुझसे ‘दीक्षा’ले और जैसा मैं बताऊँ वैसा करे तो ये आश्रम से खाली हाथ नही जाएगी , ऐसा मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ. माताजी समस्या कठिन है तो उपचार की राह भी कठिन ही होगी , लेकिन अगर इस राह पर आपकी बहू चल पाए तो एक साल के भीतर उसको संतान की प्राप्ति अवश्य होगी.लेकिन इस बात का ध्यान रखना होगा की जैसा कहा जाए , बिना किसी शंका के वैसा ही करना होगा. तभी आशानुकूल परिणाम मिलेगा.

गुरुजी की बातों से मैं इतनी प्रभावित हुई की तुरंत अपने उपचार के लिए तैयार हो गयी. मेरी सासूजी ने भी हाथ जोड़कर फ़ौरन हाँ कह दिया.

गुरुजी – माताजी , उपचार के लिए हामी भरने से पहले मेरे नियमों को सुन लीजिए. मैं अपने भक्तों को अंधेरे में नही रखता. तीन चरणों में उपचार होगा तब आपकी बहू माँ बन पाएगी. पहले ‘दीक्षा’, फिर ‘जड़ी बूटी से उपचार’ , और फिर ‘यज्ञ’. पूर्णिमा की रात से उपचार शुरू होगा और 5 दिन तक चलेगा. इस दौरान दीक्षा और जड़ी बूटी से उपचार को पूर्ण किया जाएगा. उसके बाद अगर मुझे लगेगा की हाँ इतना ही पर्याप्त है तो आपकी बहू छठे दिन आश्रम से जा सकती है. पर अगर ‘यज्ञ’की ज़रूरत पड़ी तो 2 दिन और रुकना पड़ेगा. आश्रम में रहने के दौरान आपकी बहू को आश्रम के नियमों का पालन करना पड़ेगा , इन नियमों के बारे में मेरे शिष्य बता देंगे.

गुरुजी की बातों को मैं सम्मोहित सी होकर सुन रही थी. मुझे उनकी बात में कुछ भी ग़लत नही लगा. उनसे दीक्षा लेने को मैंने हामी भर दी.

गुरुजी – पवन , इनकी बहू को आश्रम के नियमों के बारे में बता दो और इसके पर्सनल डिटेल्स नोट कर लो. बेटी तुम पवन के साथ दूसरे कमरे में जाओ और जो ये पूछे इसको बता देना. माताजी अगर आपको कुछ और पूछना हो तो आप मुझसे पूछ सकती हैं.

मैं उठी और गुरुजी के शिष्य पवन के पीछे पीछे बगल वाले कमरे में चली गयी. वहाँ पर रखे हुए सोफे में पवन ने मुझसे बैठने को कहा. पवन मेरे सामने खड़ा ही रहा.

पवन लगभग 38 –40 बरस का था , शांत स्वभाव , और चेहरे पे मुस्कुराहट लिए रहता था.

पवन – मैडम , मेरा नाम पवन है. अब आप गुरुजी की शरण में आ गयी हैं , अब आपको चिंता करने की कोई ज़रूरत नही है. मैंने आश्रम में बहुत सी औरतों को देखा है जिनको गुरुजी के खास उपचार से फायदा हुआ. लेकिन जैसा की गुरुजी ने कहा की आपको बिना किसी शंका के जैसा बताया जाए वैसा करना होगा.

“मैं वैसा करने की पूरी कोशिश करूँगी . दो साल से मैं अपनी समस्या से बहुत परेशान हूँ. “

पवन – आप चिंता मत कीजिए मैडम. सब ठीक होगा. अब मैं आपको बताता हूँ की करना क्या है. अगले सोमवार को शाम 7 बजे से पहले आप आश्रम में आ जाना. सोमवार को पूर्णिमा है , आपको दीक्षा लेनी होगी. मैडम , आप अपने साथ साड़ी वगैरह मत लाना. हमारे आश्रम का अपना ड्रेस कोड है और यहीं से आपको साड़ी वगैरह सब मिलेगा. जो जड़ी बूटियों से बने डिटरजेंट से धोयी जाती हैं. और मैडम आश्रम में गहने पहनने की भी अनुमति नही है. असल में सब कुछ यहीं से मिलेगा इसलिए आपको कुछ लाने की ज़रूरत ही नही है.

पवन की बातों से मुझे थोड़ी हैरानी हुई. अभी तक आश्रम में मुझे कोई औरत नही दिखी थी . मैं सोचने लगी , साड़ी तो आश्रम से मिल जाएगी लेकिन मेरे ब्लाउज और पेटीकोट का क्या होगा. सिर्फ़ साड़ी पहन के तो मैं नही रह सकती . आप ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

शायद पवन समझ गया की मेरे दिमाग़ में क्या शंका है.

पवन – मैडम, आपने ध्यान दिया होगा की गुरुजी ने मुझे आपके पर्सनल डिटेल्स नोट करने को कहा था. इसलिए आप ब्लाउज वगैरह की फ़िकर मत कीजिए. सब कुछ आपको यहीं से मिलेगा. हम हेयर क्लिप से लेकर चप्पल तक सब कुछ आश्रम से ही देते हैं.

पवन मुस्कुराते हुए बोला तो मेरी शंका दूर हुई. फिर मैंने सोचा मेरे अंडरगार्मेंट्स का क्या होगा , वो भी आश्रम से ही मिलेंगे क्या. लेकिन ये बात मैं एक मर्द से कैसे पूछ सकती थी.

पवन – मैडम , अब आप मेरे कुछ सवालों का जवाब दीजिए. मैडम एक बात और कहना चाहूँगा , जवाब देने में प्लीज़ आप बिल्कुल मत शरमाना और बिना किसी हिचकिचाहट के जवाब देना क्यूंकी आप अपनी समस्या के समाधान के लिए यहाँ आई हैं और हम सबका यही प्रयास रहेगा की आपकी समस्या का समाधान हो जाए.

मैं थोड़ी नर्वस हो रही थी. पवन की बातों से मुझे सहारा मिला और फिर मैंने उसके सवालों के जवाब दिए , जो बहुत ही निजी किस्म के थे .

पवन – मैडम, आपको रेग्युलर पीरियड्स आते हैं ?

“हाँ , समय पर आते हैं. कभी कभार ही मिस होते हैं.”

पवन – लास्ट बार कब हुआ था इर्रेग्युलर पीरियड ?

“लगभग तीन या चार महीने पहले. तब मैंने कुछ दवाइयाँ ले ली थी फिर ठीक हो गया.”

पवन – आपकी पीरियड की डेट कब है ?

“11 या 12 को है.”

पवन सर झुकाकर मेरे जवाब नोट कर रहा था इसलिए उसका और मेरा ‘आई कांटेक्ट’ नही हो रहा था. वरना इतने निजी सवालों का जवाब दे पाना मेरे लिए बड़ा मुश्किल होता. डॉक्टर्स को छोड़कर किसी ने मुझसे इतने निजी सवाल नही पूछे थे.

पवन – मैडम आप को हैवी पीरियड्स आते हैं या नॉर्मल ? उन दिनों में अगर आपको ज़्यादा दर्द महसूस होता है तो वो भी बताइए.

“नॉर्मल आते हैं, 2 – 3 दिन तक, दर्द भी नॉर्मल ही रहता है.”

पवन – ठीक है मैडम. बाकी निजी सवाल गुरुजी ही पूछेंगे जब आप वापस आश्रम आएँगी तब.

मैं सोचने लगी अब और कौन से निजी सवाल हैं जो गुरुजी पूछेंगे.

पवन – मैडम , अब आश्रम के ड्रेस कोड के बारे में बताता हूँ. आश्रम से आपको चार साड़ी मिलेंगी जो जड़ी बूटी से धोयी जाती हैं , भगवा रंग की. इतने से आपका काम चल जाएगा. ज़रूरत पड़ी तो और भी मिल जाएँगी. आपका साइज़ क्या है ? मेरा मतलब ब्लाउज के लिए….”

एक अंजान आदमी के सामने ऐसी निजी बातें करते हुए मैं असहज महसूस कर रही थी. उसके सवाल से मैं हकलाने लगी.

“आपको मेरा साइज़ क्यूँ चाहिए ? “ , मेरे मुँह से अपनेआप ही निकल गया.

पवन – मैडम , अभी तो मैंने बताया था की आश्रम में रहने वाली औरतों को साड़ी , ब्लाउज, पेटीकोट आश्रम से ही मिलता है. तो उसके लिए आपका साइज़ जानना ज़रूरी है ना.

“ठीक है. 34” साइज़ है.”

पवन ने मेरा साइज़ नोट किया और एक नज़र मेरी चूचियों पर डाली जैसे आँखों से ही मेरा साइज़ नाप रहा हो.

पवन – मैडम , आश्रम में ज़्यादातर औरतें ग्रामीण इलाक़ों से आती हैं . शायद आपको मालूम ही होगा गांव में औरतें अंडरगार्मेंट नही पहनती हैं , इसलिए आश्रम में नही मिलते. लेकिन आप शहर से आई हैं तो आप अपने अंडरगार्मेंट ले आना . पर उनको आश्रम में जड़ी बूटी से स्टरलाइज करवाना मत भूलना. क्यूंकी दीक्षा के बाद कुछ भी ऐसा पहनने की अनुमति नही है जो जड़ी बूटियों से स्टरलाइज ना किया गया हो.

अंडरगार्मेंट की समस्या सुलझ जाने से मुझे थोड़ा सुकून मिला. पर मुझसे कुछ बोला नही गया इसलिए मैंने ‘हाँ ‘ में सर हिला दिया.

पवन – थैंक्स मैडम. अब आप जा सकती हैं. और सोमवार शाम को आ जाना.

मैं सासूजी के साथ अपने शहर लौट गयी. सासूजी ने बताया की जब तुम पवन के साथ दूसरे कमरे में थी तो उनकी गुरुजी से बातचीत हुई थी. सासूजी गुरुजी से बहुत ही प्रभावित थीं. उन्होने मुझसे कहा की जैसा गुरुजी कहें वैसा करना और आश्रम में अकेले रहने में घबराना नही , गुरुजी सब ठीक कर देंगे.

कुल मिलाकर गुरुजी के आश्रम से मैं संतुष्ट थी और मुझे भी लगता था की गुरुजी की शरण में जाकर मुझे ज़रूर संतान प्राप्ति होगी. पर उस समय मुझे क्या पता था की आश्रम में मेरे ऊपर क्या बीतने वाली है.

To be Continued..

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