बहू की चुदाई की बूढ़े सासुर ने खेत मे

मैं अभी 45 साल का हूँ और मेरे तिन बेटे हे. दो तो शहर में रहते हे और वही पर पढ़ाई करते हे. और बड़े बेटे की शादी अभी बस एक महीने पहले ही करवाई हे मैंने. खेतो का सारा काम मेरा बड़ा बेटा रमन ही देखता हे. घर में बहु के के आने के बाद अब घर सूना नहीं लगता हे. बहु का नाम कम्मो हे.

मैं कम्मो को बहु कह के ही बुलाता हूँ, और वो मुझे पिताजी कहती हे. रमन को कुछ काम से शहर जाना हुआ और बस उसके जाते ही बहुत के ऊपर मेरी नजर पड़नी शरु हुई. रमंन के जाते ही शाम को बहु अपने कमरे में सो रही थी और करवट बदलते हुए उसका लहंगा उसकी जांघो तक ऊपर आ गया था. मेरी नजर उसके ऊपर पड़ी तो ऐसे लगा जैसे लौड़े में नहीं जान आ गई हो.

थोड़ी देर के बाद बहु उठी तो मैं हर पल उसके साथ ही रहा. वो जब खाना बना रही थी तब भी मैं उसको ही देखता रहा. मैं नजरें उसके बूब्स और गांड के ऊपर टिका के बैठा हुआ था. खाने बैठे तब मैंने उसके मम्मों के ऊपर ही अपनी नजरें चिपका डाली थी जैसे. अब उसको भी पता चल गया था की मैं उसकी तरफ ही देख रहा था और वो भी बुरी नजरों से! खाने के बाद मैं बहु के साथ बातें करने लगा.

मैं: बहु मुझे आज आधी रात को खेत पर जाना होगा. नहर में पानी आया हुआ हे उसे खेतों में छोड़ के सिंचाई करनी हे. क्या तुम भी मेरे साथ चलोगी?

बहु: पिताजी इतनी रात को जाना क्या ठीक होगा? वैसे मुझे अँधेरे से बहुत डर लगता हे. और वो कह रहे थे की हमारे खेत जंगल से सटे हुए हे. रात में जा कर खतरे को मोल लेने जैसा हे. सुबह को नहीं जा सकते हे पिताजी?

मैं: नहीं बहु सुबह बहुत देरी हो जायेगी. अगर रात को पानी छोड़ा नहीं तो पानी किसी और के खेत में ले लेगा वो. और फिर हमें उसके खेत की सिंचाई पूरी ख़त्म होने की राह देखनी पड़ेगी. वैसे मैं साथ में हूँ फिर तुम्हे किसी से भी डरने की जरूरत नहीं हे. मेरी तो पूरी लाइफ ही निकल गयी इन खेतो में मैं चप्पे चप्पे से वाकिफ हूँ!

बहु: ठीक हे पिताजी, जैसे आप को ठीक लगे. मैं आप के साथ चलूंगी.

अब हम दोनों रात को घर से निकले खेतों की तरफ. 5 मिनिट चलने के बाद रास्ता और भी संकड़ा होता गया. रास्ते के दोनों तरफ जंगल था. मेरे हाथ में एक लालटेन थी.

बहु: पिताजी मुझे डर लग रहा हे.

मैं:डरो मत बहू मैं हूँ ना तुम्हारे साथ में ही. आओ मेरा हाथ पकड लो तुम.

ये कह के मैंने उसका हाथ पकड़ लिया. हम दोनों थोड़ी दूर गए थे की मैं रस्ते में रुक गया.

बहु: क्या हुआ पिताजी आप रुक क्यूँ गए?

मैं: श्हह्हह्ह चूप रहो बहु. लगता हे यहाँ आसपास कोई सांप हे!

 बहु को ये कहा तो वो और भी डर गई और मैंने मौके का फायदा उठाया और उसको अपने सिने से लगा लिया. अब उसके मम्मे मेरी छाती पर प्रेस हो रहे थे. मैंने दोनों हाथ उसकी पीठ पर रख दिया और हाथों को पीठ पर रगड़ने लगा.

फिर मैन्स बहु के कान में कहा: बहु बस ऐसे ही शांत खड़ी रहो.

बहु: पिताजी मुझे सच में बहुत ही डर लग रहा हे.

बहु ने दबी हुई आवाज में कहा. अब मैंने अपने दोनों हाथ को उसकी गांड पर रख दिए. और मैं हाथ की हथेलियों और उँगलियों से उसकी गांड को दबाने लगा. बहु के मुहं से अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह हम्म्म्म की आवाज की और वो मेरे सिने से और भी लिपट गई.

अब मैं बहु की गांड की क्रेक को अपनी ऊँगली से सहलाने लगा. ऊँगली को लहंगे के ऊपर से गांड की क्रेक मैं ऊपर से निचे तक फेरने लगा. बहु अब और मेरी पीठ पर अपने हाथ फेरने लगी, ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह पिताजी अप ये क्या कर रहे हो? सांप गया की नहीं?

मैं: लगता हे की सांप चला गया हे.

बहु: पिताजी मुझे बहुत जोर से पेशाब आया हे, लेकिन यहाँ तो सब तरफ जंगल ही जंगल हे.

मैंने अपने हाथ को उसकी गांड से हटाते हुए कहा, जंगल हे तो क्या हुआ तुम पेशाब कर लो यही पर. यहाँ पर कौन देखनेवाला हे!

बहु ने दबे हुए आवाज में कहा, जी पिताजी.

और फिर उसने अपने लहंगे को उतारा और वो वही पर बैठ गई रस्ते के किनारे. उसकी चूत से निकलते हुए पेशाब की धार से मेरे लंड में जैसे और भी मस्ती चढ़ी हुई थी. उसकी धार स्टार्ट हो के रुक गई और वो 30 सेकंड तक उठी नहीं.

मैं: क्या हुआ बहुत पेशाब हुआ की नहीं?

बहु: नहीं पिताजी, डर की वजह से आधा ही हुआ और रुक गया.

मैं बहु के करीब गया और लालटेन के उजाले को उसकी चूत के ऊपर मारा. और फिर अपनी ऊँगली को मैंने बहु की चूत के ऊपर रख दिया और उसे सहलाने लगा. मैंने उसे कहा, अब कोशिश करो बहु.

बहु ने अपनी आँखे बंद कर दी. मैं अपनी ऊँगली उसको चूत के ऊपर से निचे तक ररगड़ने लगा. वो सहम गई थी और ओह अहह पिताजी अच्छा लगा रहा हे ऐसे कहने लगी.

और फिर बहु का पेशाब मेरी ऊँगली के ऊपर फव्वारे के जैसे छुट गया. मैंने ऊँगली चूत पर रगड़ना चालु रखा. उसका पेशाब होते ही मैंने गमछा निकाला और उसकी चूत को पोंछ दिया. मैंने फिर उँगलियों कस दी उसकी चूत पर और जोर से मसल दिया उसकी चूत को. बहु चिल्ला उठी, अह्ह्ह्हह पिताजी!

मैंने उसको साइड में लेट जाने को कहा. उसके करीब लेटकर मैंने उसके होंठो पर अपने होंठो को लगा दिया और चूसने लगा.

उसके निचे के होंठो को मैंने अपने दांतों से काट लिया. फिर मैंने उसे कहा, तुम अपनी जीभ बहार निकालो ना बहु.

बहु ने अपनी जीभ बहार निकाली और मैंने अपने होंठो से उसकी जीभ का बेसवादा स्वाद चखा और फिर उसे चूसने लगा. बहु ने भी अपने दोनों हाथो को मेरी गर्दन पर डाल दिया. अब मैंने उसकी जीभ को अपने मुहं में ले लिया और अपने होंठो को जोर से बंद किया और उसकी जीभ को बहुत प्यार देने लगा.

अब मैं और बहु दोनों ही अह्ह्ह्ह अह्ह्ह ह्म्म्म करने लगे थे. अब बहु ने कहा, पिताजी आप का थूंक बड़ा ही स्वादिष्ट हे. मैंने कहा, मेरा तो सब कुछ स्वादिष्ट हे बहु रानी.

बहु ने कहा, तो फिर आज अपनी बहु को सब कुछ का सवाद दे दीजिये पिताजी.

मैंने अब बहु की चोली खोल दी. अब उसकी गर्दन को चुमते हुए मैं उसको जीभ से चाटने लगा. उसके मम्मो पर दोनों हाथ रगड़ने लगा. उँगलियों को कसने लगा उसके मुलायम मम्मो के ऊपर. ओह्ह्ह्ह फ्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह पिताजी और जोर से दबाओ ना, बहु ऐसे कहने लगी चुदासी आवाज में.

ये सुनकर मैंने उसके मम्मो को जोर जोर से दबाना चालू कर दिया. मम्मे दबाते हुए मैंने अपनी थूंक उसके मुहं में डाल दी.

बहु ने अपनी जीभ से थूंक को स्वेलो कर लिया, अह्ह्ह अह्ह्ह पिताजी बड़ा मजा आ रहा हे!

मैंने अब उसके निपल्स को उँगलियों के बिच में रगड़ने लगा. उसके निपल्स पर चिमटी लगाने लगा. वो आह्ह्हह्ह अह्ह्ह कर के चिल्लाने लगी. अब मैंने उस से कहा, बहु जरा उठकर थूंक दो अपने मम्मो पर! उसने उठकर अपने मम्मो के अपने मुहं के करीब किया और दोनों मम्मो के ऊपर थूंक दिया.

मैंने उसको फिर से लिटा दिया और अब मैं उसके दोनों मम्मो को चुसने लगा अपने होंठो से. अपने मुह को खोलकर मम्मो पर जोर से प्रेस किया और फिर मुहं को बंद कर के उसके मुलायम मम्मो को काटने लगा धीरे धीरे से.

मेरे दांतों को निशान पड़ गए थे उसके मम्मो पर. उसने मुझे अपनी छाती पर जकड़ लिया जोर से. ऐसे जैसे मुझे जाने ही नहीं देना चाहती हो. फिर मैंने उसके एक निपल को चुसना चालू कर दिया, ओह पिताजी अह्ह्ह्ह चूस लो अपने बहु की चुचियों को!

मैंने उसे कहा, चूस रहा हूँ रंडी!

बहु ने कहा, आप को अच्छी लगी अपनी रंडी बहु की जवानी पिताजी?

अब मैं उसकी चुचियों पर अपनी जीभ फेरने लगा सर्कल्स में. फिर जीभ पूरी मम्मो पर फेरकर मैंने उसकी थूंक चाट ली उसके मम्मो के ऊपर से.

अब मैं थोड़ा निचे आ गया और मैंने उसके पेट को चूमना शरु कर दिया. मैंने उसके नावेल में जीभ डालकर जीभ को घुमाया सर्कल्स में और फिर नावेल पर दांत कसकर उनको काटने लगा. अह्ह्ह्हह औह्ह्ह्हह्ह अह्ह्ह्ह हम्म्म्म पिताजी आप को रंडियों से खेलना खूब अच्छी तरह से आता हे. अब मैंने बहु का लहंगा निकाल लिया और उस से कहा की वो कुतिया बन जाए!

बहु तुरंत अपने घुटनों के और हथेलियों के ऊपर खड़ी हो गई. मैंने उसकी कच्छी निकाली और उसकी गांड पर हाथ फेरने लगा. वो मुडकर मुझे देखकर हौले से हंस पड़ी. और बोली, पिताजी कैसी लगी आप को आप की रंडी की गांड?

मैंने उँगलियों को कस कर उसकी गांड पर दबाया और कहा, बहुत अच्छी गांड हे तेरी मेरी छिनाल बहुत दिनों से तेरे मम्मे और गांड ही देख रहा था मैं.

बहु ने कहा, अब से ये रंडी आप की ही हे पिताजी!

मैं उसकी गांड को दबाने लगा. फिर गांड पर जोर जोर से मुहं दबाया और उसको चूमने लगा. अह्ह्ह्हह अह्ह्ह्ह मुआअहाआअ.

फिर मैंने अपने दांत गाड़ दिए उसकी मांसल गांड के ऊपर. अब मैंने उसके चुत्त्ड खोले और उसकी गांड की छेद के ऊपर थूंक दिया. वो कांपने लगी थी. मैंने अब अपनी ऊँगली से उसकी गांड के छेद के ऊपर के थूंक को मलना चालू कर दिया.

 बहु ने गांड को थोडा हिला के कहा, पिताजी मेरी गांड में अपनी ऊँगली डाल दो ना!

मैंने ऊँगली को जोर जोर से छेद पर पुश किया और फिर ऊँगली डाल दी अपनी बहु की गांड में. ऊँगली को बेंड किया उसकी गांड में और फिर हिलाने लगा उसको जोर जोर से. अब ऊँगली को गांड से अन्दर बहार करने लगा था मैं.

 मैंने फिर उसे कहा, अब तेरी चूत की बार हे बहु.

इतना सुनते ही उसने दोनों पैरों को फैला लिया और मेरा हाथ लेकर अपनी चूत पर रखवा दिया.

फीर वो बोली, आप की छिनाल आप के लिए सब कुछ करेगी पिताजी! जो चाहे कर लो आप मेरे स्वामी.

मैंने ऊँगली को बहु की चूत में डाली और जोर जोर से धक्का दिया अन्दर घुसाते हुए.

वो तडप उठी और अपने जिस्म को एकदम टाईट कर लिया उसने. मैंने ऊँगली को अन्दर बहार मूव किया उसकी चूत में. ऊँगली को जोर जोर से हिलाया उसकी चूत में. फिर मैंने ऊँगली उसकी क्लाइटोरिस के ऊपर रगड़ी. उसकी क्लाइटोरिस जोर से प्रेस की और ऊँगली को हिलाने लगा क्लाइटोरिस के ऊपर प्रेस करते हुए.

वो आह्ह्ह अह्ह्ह ओह अह्ह्ह्हह ह्म्म्म कर के मोअन करने लगी थी. मैंने ऊँगली निकाली और उसके मुहं में डाल दी. वो मेरी ऊँगली को जोर जोर से चूसने लगी. फिर मैंने उसके पैरो में झुक के उसकी चूत को चाटना चालू कर दिया. चूत पर मुहं प्रेस कर के जोर जोर से चूसने लगा मैं. वो बोली, पिताजी और जोर जोर से चाटो अपनी इस रंडी के बुर को. अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह ओह ओह मजा आ गया पिताजी इसको चटवा के!

अब मैंने अपना मुह खोल दिया और चूत पर जोर से प्रेस किया. मुह को बंद करते ही मेरे होंठो ने उसकी चूत को स्क्विज किया मुहं में. आह्ह्ह मर गई अह्ह्ह्हह ओह पिताजी आप बहुत बड़े चोदु हो अह्ह्ह्ह. मैंने अब उसकी चूत को दांतों से काटना शरु किया धीरे धीरे से. बहु आह्ह्ह अह्ह्ह्हह ओह ओह उईई माँ कह के अपनी चूत को मेरे मुहं पर घिस के चूस सेक्स का मजा ले रही थी.

फिर मैंने अपनी धोती खोली. अपना लोडा निकाला और अपने टोपे के ऊपर हाथ घुमाया. लौड़े का टोपा गिला हो गया था प्री-कम से. मैंने टोपा बहु की चूत पर रगड़ा. अह्ह्ह उम्म्मम्म पिताजी मैं अब इस लौड़े की दीवानी हूँ, रोज पूजा करुँगी इस लंड की.

मैंने लौड़े को चूत में पुश किया और फिर जोर से धक्का दिया बहु की कमर को पकड़ कर.

बहु दर्द से चिल्ला उठी, अह्ह्ह्ह पिताजीईईईईईईइ अह्ह्ह्हह आप का तो बहुत बड़ा हे बाप रे, मेरी उतनी नहीं चूदी हे अह्ह्ह्ह. धीरे से करो पिताजी.

मैंने उसके बाल पकड़ के के कहा चूप कर साली हरामजादी.

मैंने अब उसकी चूत को चोदना चालू कर दिया. लौड़ा अन्दर बहार हो रहा था. सन्नाटे में चुदाई की आवाज साफ़ साफ सुनाई दे रही थी. ठप ठप ठप, जांघो के लड़ने से और चूत और गांड के संगम स्थान से चिपचिपी आवाजें आ रही थी. मेरा पूरा लोडा उसकी चूत में घुस के बहार होता था जिसे मैं फिर से वापस अपनी बहु की चूत में डाल देता था. बहु ने निचे जमीने के ऊपर की सुखी हुई घास को पकड़ा था और वो भी अपनी गांड को हिला के मेरा लंड ले रही थी अपनी चूत के अन्दर.

वो अपनी कमर हिला रही थी मेरे झटको के साथ में. मैंने लौड़ा अन्दर तक डाल के उसे एकदम जोर जोर से चोदा. मेरे लौड़े का टोपा उसकी चूत के मसल को हिट कर रहा था एकदम जोर से. वो अब मजे से चिल्ला रही थी, और जोर जोर से चोदो मुझे पिताजी!

मैंने उसके ऊपर झुक गया थोडा सा और उसके मम्मो को पकड कर दबाने लगा जोर जोर से. फिर मैं रुक गया और जोर से पुश किया अपने लौड़े को बहु की चूत के अन्दर. उसके मम्मे एकदम जोर से मसल दिए और मेरा लावा उड़ेल दिया उसकी चूत के अंदर ही मैंने!

कुछ देर तक बहु की चूत में लंड को रहने दिया. फिर मैंने अपना लोडा बहार निकाला और बहु को दे दिया. उसने मुझे खींचकर अपने ऊपर लिटा दिया. कुछ सेकंड्स के बाद वो बोली, बाबु जी आप मेरी चूत में ही झड़ गए हो, कहीं मैं पेट से हो गई तो?

मैं बोल पड़ा, तो क्या तुम मेरे लंड से संतान नहीं चाहती हो!

वो बोली, आप को कोई दिक्कत तो नहीं हे ना इसमें?

मैंने कहा, मैं तो अब तुझे रोज चोदुंगा घर पर और अपने पोते को खुद पैदा करूँगा!

वो बोली, फिर तो मैं आप के वीर्य से ही बालक लैदा करुँगी पिताजी.

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