फ्रेंड्स मेरा नाम समीर है और मैं भोपाल एमपी का रहने वाला हूं. मैं एक कॉलेज स्टूडेंट हूं और मेरी उम्र १९ साल है. मेरी हाईट ५ फुट ११ इंच है और मेरा वजन ६५ किलो है.
अब मेरे घर में मैं, मेरे मम्मी पापा और भैया भाभी रहते हैं. पापा इंडियन रेल में जॉब करते है. मम्मी हाउसवाइफ है, मेरे भैया बैंक में जॉब करते मेरी भाभी हाउसवाइफ है. यह मेरी लाइफ का पहला सेक्स एक्सपीरियंस है जो मैं आपके साथ शेयर कर रहा हूं. जब मैं 12वी स्टेंडर्ड में पढ़ता था तब मैंने पहली बार पोर्न मूवी देखी थी, और तब से ही मेरा यह सिलसिला शुरू हो गया था, और उसके कुछ दिन बाद मैंने पहली बार मुठ मारी थी. इंडियन सेक्स कहानी डॉट कॉम जब मैंने पोर्न देखना शुरू किया था तब स्टार्टिंग में मैं सिर्फ इंग्लिश पोर्न ही देखता था, जीसमें हार्डकोर सेक्स रहता था, पर कुछ दिन बाद मैंने पहली बार एक इंडियन हॉट मूवी देखी और उसे देख कर मैं कुछ ज्यादा ही उत्तेजित होने लगा था. उस में ज्यादा तर शादी की उम्र की भाभी टाइप लड़की के हॉट और सेक्सी मूवीज होते थे.
तबसे मुझे इंडियन मैरिड वुमन में ज्यादा इंटरेस्ट आने लगा था और आज भी है. पर उस वक्त मुझे ऐसे कोई मिली नहीं थी, तो वही मूवी देखकर मैं मुठ मार कर अपना काम चला रहा था. इंडियन सेक्स कहानी डॉट कॉम ऐसे ही में एक बार इंडियन सेक्स स्टोरी के साईट पर आकर पहुंच गया और उस के ऊपर की स्टोरी रीड करने लगा, उससे मुझे उत्तेजना होने लगी थी.
उसी दौरान मेरे बड़े भाई की घर में शादी की बात चल रही थी और कुछ दिनों में ही उनकी शादी हो गई. शादी के बाद भैया भाभी के बेड रुम से सेक्स की सिसकियों की आवाज सुनने को मिलती थी. शादी को ६-७ महीने हो चुके थे और भैया ने भाभी को चोद चोद कर लड़की में से औरत बना दिया था. मेरा मतलब हे अब मेरी भाभी एकदम परफेक्ट फिगर में आ गयी थी, और ऊपर से भाभी साड़ी पहनती थी. तब भी मेरा सेक्स स्टोरी पढ़ कर और सेक्स मूवीज देख कर मुठ मारने का सिलसिला शुरू था. तब मुझे लगा कि मैंने देवर भाभी के रिलेशन की कितनी कहानियां पढ़ी है तो क्यों ना मैं भी ट्राई कर के देख लू?
और तब से मैंने भाभी को पटाने की तैयारी शुरू की और भाभी के साथ बातें कर के उनके साथ फ्रेंक होने लगा. भाभी भी मेरे साथ फ्रेंक हो चुकी थी.
उधरभैया भाभी का सेक्स रिलेशन भी कम हुआ था, शादी के बाद भैया भाभी के साथ हर रात सेक्स करते थे. भाभी को एमसी पीरियड में भी बस तिन दिन ही छुट्टी देते थे, उसी दौरान भाभी प्रेग्नेंट भी रह चुकी थी लेकिन फैमिली प्लानिंग की वजह से भैया ने अबॉर्शन करवाया था.
तो जेसे की मैंने सोचा था भाभी के साथ में अपना फिजिकल रिलेशन बनाउ तब से मैं भाभी को मैं गंदी नजर से देखने लगा था, जा रही हो तो उनकी गांड को देखता रहता था, कुछ काम कर रही हो तो उनके बूब्स को देखता और शायद यह बात भी भाभी ने नोटिस की थी, पर उनकी तरफ से कोई रिस्पांस नहीं था.
भाभी हमेशा साड़ी पहन के रहती थी और रात को सोते वक्त फुल नाइटी पहनती थी. भाभी का नाम निहारिका है और भाभी का फिगर साइज़ है ३६-२६-३८. और रंग गोरा, बाल काले और लंबे उनकी गांड तक आते हैं.
मेरा अभी तक भाभी के साथ कोई काम नहीं बना था बस अनजान बनकर भाभी को यहां वहां छू लेता था, अब हर वक्त सिर्फ भाभी के बारे में ही सोचता था, उनके नाम की मुठ मार कर रात को सो जाता था, अब जब भी भाभी मेरे सामने होती थी तो मेरा लंड खड़ा रहता.
और वह दिन आ गया जीसको मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था.
एक दिन घर में सिर्फ मैं और भाभी हम दोनों ही थे. पापा टूर पर थे भैया ऑफिस चले गए थे, मां पास में ही अपनी एक सहेली के पास गई थी.
उस वक्त भाभी किचन में लंच की तैयारी कर रही थी, उस वक्त कुछ सुबह के ११ हुए थे और मैं किचन के बाहर खड़े रह कर भाभी को ताड़ रहा था और शोर्ट के ऊपर से ही खड़े लंड को सहला रहा था, और उस वक्त मेरा ध्यान सिर्फ भाभी पर था.
पर उस वक्त मुझसे एक गलती हुई थी की घर का दरवाजा बंद करना भूल गया था. और उसी वक्त माँ आई थी और उन्होंने मुझे वह सब करते हुए देख लिया था, पर वह कुछ नहीं बोली और वह चुप चाप उनके रुम में चली गई. माँ कब आई यह मुझे पता ही नहीं चला था.
फिर मैंने मेरे इमोशन को कंट्रोल कर के सोफे पर बैठ कर टीवी देखने लगा. कुछ देर बाद हमने खाना खाया और माँ उनके रुम में चली गई, भाभी भी किचन का सब काम खत्म कर के उनके रुम में चली गई. थोड़ी देर बाद टीवी देखने के बाद में भी मेरे रुम में चला गया और मोबाइल में पोर्न देखने लगा, मेरा लंड टाइट हो चुका था.
थोड़ी देर में में बाथरुम जाकर मुठ मारने वाला था कि तभी अचानक माँ मेरे रुम में आई, मैंने जल्दी से पोर्न बंद किया, लंड मेरा टाइट रहा था, मां काफी सीरियस मूड में थी. मैं बेड पर बैठा था, माँ मेरे पास आकर खड़ी हुई और बोली.
माँ ने कहा : समीर, मुझे तुम से कुछ जरूरी बात करनी है.
मैं ने कहा : हां बोलो.
माँ ने कहा : आज कल तुम यह नेहा भाभी के साथ जो हरकते करते हो उनके बारे में.
मैं थोड़ा डर गया मुझे लगा माँ को मेरे इंटेंशन के बारे में पता तो नहीं चल गया और मैं माँ के सामने खड़ा रहा, माँ मेरी तरफ देख रही थी.
माँ ने कहा : आज मैं जब बाहर से आई तब तुम जो कर रहे थे वह सब मैंने देख लिया है.
मैं डर गया पर मैं कुछ नहीं बोला.
माँ ने कहा : शर्म नहीं आती तुझे? भाभी है वह तुम्हारी, तुम्हारे बड़े भाई की बीवी है.
मैंने डरते हुए कहा : सॉरी मम्मी आगे से ऐसा नहीं होगा कभी भी.
माँ ने कहा : सिर्फ सॉरी कहने से कुछ नहीं होगा, मैं यह बात तुम्हारे पापा से कहने वाली हूं, वही फैसला करेंगे जो करना है.
मैंने कहा : नहीं मम्मी प्लीज पापा को मत बताना. आगे से मैं यह कभी नहीं करुंगा प्लीज मम्मी.
माँ ने कहा : नहीं मैं इस मामले में मैं तुम्हारी कोई बात नहीं सुनने वाली हूं.
मुझे लगा कि अब नहीं मानेगी इसलिए मैंने टॉपिक को थोड़ा घुमाया.
मैंने कहा डरते हुए : मम्मी आप तो जानते हो इस एज में सभी के साथ ऐसा होता है, आप भी इस उम्र से गुजरी है.
मां ने गुस्से में कहा : पर तेरे जैसी हरकतें हमने कभी नहीं की और उस वक्त हमारे पास इतना टाइम नहीं था. आपके पास इतना टाइम है उसका सही इस्तेमाल करो. हर वक्त मोबाइल फोन में रहते हो और उसी की वजह से यह सब हो रहा है.
उस वक्त मुझे भी माँ पर गुस्सा आ रहा था.
मैंने गुस्से में कहा : हां तो क्या करे? कॉलेज तो कर रहे हैं ना?
मां ने गुस्से में कहा : मैं उसकी बात नहीं कर रही. आज जो कुछ तुम कर रहे थे मैं उसके बारे में बोल रही हूं. और यह तुम आज नहीं बल्कि कई दिनों से करते आए हो देखा है मैंने सब कुछ.
मैंने गुस्से में कहा : हां तो क्या करें हम? आप बताओ..
मां ने कहा : और भी ऑप्शंस है (माँ इनडायरेक्टली मुठ मारने की बात कर रही थी) (दूसरी तरफ देखते हुए) देखा है मैंने वह भी करते हुए तुम्हें.
मैंने कहा अंजान बनकर : कौन से ऑप्शन की बात कर रही हो आप?
माँ ने कहा : तुम अच्छी तरह से जानते हो मैं किस ऑप्शन की बात कर रही हूं.
मेंने कहा : एक वक्त तक वह करना ठीक लगता है, पर आगे उम्र बढ़ती है तो उससे भी आगे बढ़ने का मन होता है.
माँ ने गुस्से से कहा : उससे आगे का क्या? और क्यों? मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है तू क्या बोल रहा है?
मैंने गुस्से में कहा : जाने दो आप नहीं समझोगी इस उम्र में इस तडप के बारे में.
माँ ने गुस्से में पूछा : कैसी तड़प?
मैंने गुस्से में माँ का हाथ पकड़ा और टाइट लंड पर रखा और..
मैंने गुस्से में कहा : यह होती है तडप. हम पूरी दुनिया को काबू में रख सकते हैं लेकिन इस को काबू में करना मुश्किल हो जाता है जब कोई औरत सामने खड़ी हुई होती है, फिर चाहे उसके साथ हमारा कोई रिलेशन भी क्यों ना हो.
माँ का गुस्सा धीरे धीरे कम हुआ. मां ने मेरे लंड को पकड़ा था और मैंने मां के हाथ अपने लंड पर दबा कर रखा था, माँ की दिल की धड़कन तेज हो रही थी और माँ मेरी आंखों में आंखें डाल कर देख रही थी. माँ बिल्कुल चुप हुई थी, बस मुझे देख रही थी और उस सिचुएशन चेंज हुई, हम एक दूसरे को देख रहे थे.
मैंने दूसरा हाथ मा की गर्दन पर रखा और घुमाने लगा. माँ मदहोश होने लगी. माँ ने मेरे लंड से अभी तक हाथ हटाया नहीं था, मां की आंखें बंद हुई और मैं मेरे मुंह को मां की गर्दन के पास लेकर गया और उनकी गर्दन को किस करने लगा. और हम दोनों ऑटोमेटिकली एक दूसरे के बाहों में आए.
मेरे दोनों हाथ मां की गांड पर चले गए और फिर मैं मां की गर्दन और कंधे को चूम रहा था. मां के हाथ मेरे पीठ पर थे. माँ भी मुझे अच्छे से रिस्पांस देने लगी थी और उसी पोजीशन में मैं और मां पीछे चले गए, और मैंने मां को दीवार से सेट कर के खड़ा किया, और फिर मैं मां के साथ लिप टू लिप किस करने लगा. माँ पूरी तरह को-ऑपरेट करने लगी थी. हम एक दूसरे के लिए लिप्स चूस रहे थे और एक दूसरे की जुबान मुंह में डाल रहे थे.
कुछ देर बाद मेरे हाथ माँ के बूब्स पर चले गए और मैं माँ के उस मखमली चूचियों को मसलने लगा, माँ की सांसे तेज हो चुकी थी, माँ के साड़ी का पल्लू भी उनकी चेस्ट से साईड हुआ था और मैं मां के ऊपर हावी हुआ था. माँ ने मुझे कस कर पकड़ा हुआ था मैं अब में अपने आप पर कंट्रोल नहीं कर पा रहा था, मैंने उस सिचुएशन में माँ को बेड़ के पास लेकर गया और उन्हें लेटाया और मैं उन के ऊपर था. मैंने ब्लाउज के हुक खोल दिए और मां की ब्रा को उनकी चूचियों के ऊपर किया और उनकी चुचियों पर टूट पड़ा, और उन्हें चूसने लगा. माँ कराहने लगी थी. बारी बारी मैं दोनों चुचिया चूस रहा था.
उसी वक्त माँ ने मेरे शोर्ट का नाडा खोला और सीधे मेरे अंडरवियर के अंदर हाथ डाल कर मेरे टाइट लंड को हाथ में लेकर सहलाने लगी. १०-१५ मिनट तक यह सब चलता रहा, मैं माँ की नाभि तक उन्हें चूम रहा था.
फिर मैंने धीरे धीरे माँ की साड़ी और पेटिकोट को ऊपर किया और सीधे उनकी पेंटी के ऊपर से उनकी चूत को सहलाने लगा. जैसे ही मैंने माँ की चूत पर हाथ रखा मानो उनके बदन में करेंट लग गया हो. माँ ने अपनी टांगें फैला दी थी.
फिर मैं थोड़ा साइड में हुआ और मैंने मेरी शोर्ट और अंडरवेअर उतारी और माँ की पैंटी को भी उतार दिया और फिर उनके ऊपर चढ़ गया. मां ने मुझे अपनी दोनों टांगों के बीच में लिया. मैं और थोड़ी देर तक मां को स्मूच करता रहा और माँ भी मेरे लंड को हाथ में लेकर सहला रही थी. फिर मैं मेरा एक हाथ माँ की चूत के ऊपर घुमाने लगा. मैंने मां की चूत के बालों को महसूस किया. माँ ने मेरे हाथ को झटका देकर साइड में किया पर मैं नहीं माना, मैं फिर से माँ की चूत को हाथ से छेड़ने लगा.
थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि मुझे अब माँ की चूत में लंड डालना चाहिए तब मैंने लंड को एक हाथ में लेकर माँ की चूत पर रखा और धीरे धीरे अंदर किया, लंड आसानी से अंदर चला गया. माँ की थोड़ी सी सिसकी निकल गई.
फिर मैं धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर करने लगा, कमर को उठा कर धक्के लगाने लगा. माँ ने मुझे कस कर पकड़ा था. धीरे धीरे मेरी स्पीड बढ़ने लगी, मेरी कुछ धक्को से माँ आह्ह ओह हहह इह हां हये हअहः ओह हहह ह हहह कराहने लगी थी. और यह मेरा फर्स्ट टाइम था इसीलिए शायद मैं बहुत एक्साइटेड था, और कुछ ज्यादा ही जोश में भी इसलिए शायद मेरी स्पीड कुछ जल्दी ही ज्यादा हो गई और पूरे जोश में चुदाई करने लगा. हम दोनों की सांसे तेज हो गई थी.
मां धीरे धीरे आह्ह ओह अह्होह अह्ह्ह ओह हां हौऔउ हाहा ओह्ह हां ओह्ह औऊ अह्ह्ह ओम्म अहः ओह्ह अह्ह्ह एस अह्हह ओह हाहाह ओह हहह मोन कर रही थी.
माँ की इस हरकतों से मैं कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो गया था, और पूरे होश खोकर चुदाई कर रहा था. माँ ने मेरी पीठ के पास से पकड़ा था. माँ के नाखून मेरे पीठ में चुभ रहे थे. माँ की चूत में से धीरे धीरे सीधे पानी निकला जा रहा था और मेरा लंड को गिला कर रहा था.
ऐसे ही १०-१५ मिनट के बाद मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूं. तो मैंने स्पीड बढ़ाने में पूरी जान लगा दी. अब मैं आपेसे बाहर हो गया था और वह मूवमेंट आ गया तो मैंने झटका मार कर स्पर्म की पहली पिचकारी छोडी, तभी मैं अंदर बाहर कर ही रहा था और फिर ४-५ झटकों में मेरा पूरा स्पर्म निकल गया और मैंने चोदना बंद कर दीया.
फिर मैंने धीरे से लंड को चूत से बाहर निकाला और माँ के साइड में लेट गया, हम दोनों की सांसे तेज चल रही थी.
थोड़ी देर तक हम ऐसे ही लेटे रहे और हम शांत हुए. मैंने माँ की तरफ देखा, माँ के चेहरे पर कुछ अजीब एक्सप्रेशन थे. मां उठ गई माँ ने फटाफट ब्रा को ठीक किया और ब्लाउज के हुक लगाए और पेटिकोट का नाडा ठीक से बांधा और साड़ी ठीक कर ली अपनी पैंटी उठाई और वहां से चली गई सीधे बाथरूम में.
उस वक्त मैं भी बहुत अजीब महसूस कर रहा था कि ठीक हुआ या गलत??
फिर मैं उठ कर शॉर्ट और अंडरवीयर पहनी और बाथरूम की ओर गया, तब माँ बाथ रुम में थी. हमारे घर में एक ही कॉमन बाथरूम है. मैं बाहर खड़ा रखा. थोड़ी देर में माँ बाहर आई और माँ ने मेरी तरफ देखा और जल्दी जल्दी से अपने रुम में चली गई.
उस दिन मैं और माँ हम एक दूसरे को बड़ी शर्म से देख रहे थे, लेकिन हम बात नहीं कर रहे थे.
दूसरे दिन मैं कॉलेज गया लेकिन मैं अभी तक उसी बात को सोच रहा था