मेरे मां-बाप ने मुझे उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए लंदन भेज दिया था और जैसे ही मुझे लंदन में नौकरी मिली तो मैंने अपने साथ में जॉब करने वाली लड़की से ही शादी कर ली। मैं हर रोज अपने घर जाने के बारे में सोचता लेकिन ऐसा संभव ना हो सका समय इतनी तीव्र गति से आगे भाग रहा था कि मुझे खुद के लिए समय नहीं मिल पाता था। अपनी शादी में मैं अपने माता-पिता तक को भुला चुका था मुझे इस बात का हमेशा ही दुख था लेकिन अब मैं लंदन में ही बस गया था और मैं अपने घर जा ही ना सका। मुझे मेरे बूढ़े मां बाप की चिंता सताने लगी थी तो इसी के चलते एक दिन मैंने अपनी पत्नी से बात की तो वह मुझे कहने लगी देखो ललित में लंदन में ही पली बढ़ी हूं और मैं नहीं चाहती कि मैं तुम्हारे साथ लखनऊ में रहूं।
मुझे उसकी यह बात बहुत बुरी लगी लेकिन मेरे पास भी शायद अब और कोई चारा न था मुझे कुछ दिनों के लिए अपने मां बाप से मिलने तो आना ही था और मैं अपने मां बाप से मिलने के लिए चला आया। जब मैं अपने मां बाप से मिलने के लिए लखनऊ आया तो वह लोग मुझे देखकर बहुत खुश हुए और उनकी खुशी का ठिकाना ना था आखिरकार मैं उनका इकलौता लड़का हूं और इतने सालों बाद मैं अपने घर जो वापस आया था। उन्हें तो कभी उम्मीद भी नहीं थी कि मैं घर वापस भी आऊंगा वह लोग सिर्फ मुझे फोन कर के कहते कि हम लोग ठीक हैं लेकिन मुझे उन्हें देखकर लगा कि शायद मैंने अपने जीवन में बहुत बड़ी गलती कर दी। मां बाप ने मुझे अपने पैसों से पढ़ाया और उन्होंने मेरी देखभाल की लेकिन उसके बदले में मैं उन्हें वह सब कुछ ना दे सका जो मुझे उन्हें देना चाहिए था। पिताजी भी एक उच्च अधिकारी रह चुके हैं लेकिन उसके बावजूद भी उन्हें कहीं ना कहीं मेरी कमी तो खलती रही होगी शायद उनके होठों पर यह बात कभी आ ना पाई लेकिन उनके चेहरे को देखकर तो मैंने अंदाजा लगा लिया था कि वह कितने ज्यादा उदास है। जब मैं घर आया तो उनके चेहरे की खुशी बयां कर रही थी कि वह बहुत ज्यादा खुश हैं मेरी मां ने भी मेरे लिए स्वादिष्ट व्यंजन बनाए थे और मेरी मां कह रही थी कि ललित बेटा तुम कितने दुबले पतले हो गए हो।
मैंने मां से कहा मां तुम हमेशा यही कहती हो कि मैं कितना दुबला पतला हो गया हूं लेकिन मुझे तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगता। मां कहने लगी लगता है तुम्हें वहां पर सही समय पर खाना नहीं मिल पाता लेकिन ऐसा कुछ नहीं था यह तो मां का प्यार था जो उन्हें यह सब कहने के लिए मजबूर कर रहा था। हम सब लोगों ने साथ में बैठकर भोजन किया मां और पिताजी के चेहरे की खुशी देख कर मुझे लग रहा था कि मुझे उनके साथ ही रहना चाहिए। मां कहने लगी बेटा तुम थक गए होगे तुम आराम कर लो मैंने मां से कहा हां मां कुछ देर मैं आराम कर लेता हूं मैं आराम कर रहा था मेरी आंखें लगी ही थी कि तभी मेरी पत्नी का फोन आया वह कहने लगी तुम वापस कब आ रहे हो। मैंने उसे कहा फिलहाल तो मैं अभी मम्मी पापा के पास ही हूं देखता हूं मुझे जैसा ही समय मिला तो मैं आ जाऊंगा। इस बात से वह बहुत गुस्सा हो गई और उसने फोन काट दिया मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वह इतना गुस्सा क्यों है और किस वजह से वह इतना परेशान है। मैं आराम से सो चुका था और मुझे अच्छी नींद आई अपने घर में आकर एक अलग ही अनुभूति हो रही थी और सुकून का अहसास भी था। सुकून इस बात का था कि अपने मां बाप से जो इतने वर्षों बाद मिल रहा था और उन्हें भी बहुत अच्छा लग रहा था क्योंकि पापा और मम्मी भी मेरा इतने बरसों से इंतजार जो कर रहे थे। मैं जब सोकर उठा तो वह कहने लगे बेटा तुम आज अपने पापा के साथ शाम के वक्त बाजार चले जाना मैंने मां से कहा ठीक है मां मैं चला जाऊंगा। शाम के वक्त जब मैं और पिताजी बाजार सामान लेने के लिए गए तो पिताजी ने मुझसे पूछा बेटा तुम खुश तो हो ना मैंने पापा को जवाब दिया लेकिन शायद मैं अंदर से खुश नहीं था लेकिन मेरे पास उस वक्त हां कहने के अलावा कोई चारा भी तो नहीं था।
अपने मां बाप के पास आकर ऐसा लग रहा था कि जैसे अब मैं उन्हीं के पास रहूं मेरा लंदन जाने का मन बिल्कुल भी नहीं था। हम लोग जब बाजार पहुंचे तो वह दुकानदार पिताजी को भली-भांति जानता था उसने मुझसे कहा कि तुम लंदन से कब लौटे मैंने उन्हें कहा बस कल ही तो आया हूं वह पूछने लगे कितने दिनों के लिए आए हो मैंने उन्हें कहा अभी तो पता नहीं लेकिन देखता हूं कितने दिन रुक सकता हूं। शायद पिताजी ने ही उन्हें मेरे बारे में बताया था इसलिए तो वह मुझसे यह सब सवाल पूछ रहे थे और उनसे बात कर के मुझे अच्छा लगा। हम लोग घर लौट आए थे जब हम लोग घर लौटे तो शायद पिताजी ने मेरी आंखें पढ़ ली थी और पिताजी ने मुझे पूछा बेटा तुम खुश तो हो ना। मैंने पिता जी से कहा हां पिता जी आप ऐसा क्यों कह रहे हैं मेरे पास अच्छी नौकरी है और अच्छी पत्नी भी तो है भला मैं क्यों खुश नहीं रहूंगा लेकिन पिताजी को मुझ पर भरोसा नहीं था वह कहने लगे तुम झूठ कह रहे हो। मेरी मां ने पिताजी को समझाते हुए कहा अरे ललित कुछ दिनों के लिए तो आया है और तुम बेवजह ही यह सब बात कर रहे हो। पिताजी भी चुप हो चुके थे लेकिन मुझे अंदर से अब एहसास होने लगा कि मैंने बहुत बड़ी गलती की जो मैंने लंदन में ही शादी कर ली शायद निकिता हमारे संस्कार को जानती ही नहीं थी क्योंकि वह लंदन में ही पली बड़ी थी और उसे कभी भी लखनऊ नहीं आना था।
मैं निकिता से कहने लगा कि तुम यहां आ जाओ तो निकिता कहने लगी मैं कभी भी वहां नहीं आ सकती उसने साफ तौर पर मना कर दिया मुझे भी कुछ समझ नहीं आ रहा था और आखिरकर निकिता ने मुझसे डिवोर्स ले लिया। मैं अपने माता-पिता के साथ ही रहना चाहता था और मैं उन्हें छोड़कर कहीं नहीं जाना चाहता था। मुझे तब एहसास हुआ कि मैंने बहुत बड़ी गलती की जो मैंने निकिता से शादी कर ली मुझे लगता था कि समय के साथ साथ निकिता समझ जाएगी लेकिन उसके अंदर तो विदेशी परवरिश भरी पड़ी थी। शायद वह कभी भी समझने वाली नहीं थी और हुआ भी ऐसा ही वह लखनऊ आने के लिए नहीं मान रही थी और उसने मुझे डिवोर्स के लिए कह दिया। शादी जैसे अटूट बंधन को उसने एक झटके में छोड़ दिया और उसके लिए जैसे यह शादी थी ही नहीं। मैंने भी निकिता को अपने दिल और दिमाग से बाहर निकाल दिया और अपने अपने माता पिता की सेवा में लग गया। मुझे लखनऊ में ही एक अच्छी कंपनी में नौकरी मिल चुकी थी मेरे लिए अपनी सैलरी पर्याप्त थी और मैं बहुत खुश था क्योंकि मैं अपने माता-पिता के साथ रह पा रहा था और वह लोग भी खुश है। मुझे लखनऊ में आए हुए काफी समय हो चुका था और मैं अपनी नौकरी में भी बिजी था इसी दौरान हमारे पड़ोस में रहने वाली भाभी ने एक दिन मुझसे पूछ लिया कि क्या आप मेरी नौकरी लगवा सकते हैं? मैंने कहा भाभी आप मुझे अपना बायोडाटा दे दीजिएगा क्योंकि मैं जिस कंपनी में था वहा मै एक कंम्पनी के हेड के तौर पर था। मैं भी उन्हें कैसे मना कर सकता था वह हमारे पड़ोस में रहती थी उनका नाम शालिनी है। मैने उनकी नौकरी लगवा दी वह मुझे देख कर हमेशा ही खुश रहती वह हमारे पड़ोस में जो रहती थी और मेरे ऑफिस में भी वह मुझे देखती रहती।
मुझे उनके बारे में धीरे धीरे सब कुछ पता चलने लगा था उनके पति उन्हे बिल्कुल भी प्यार नहीं करते थे उनकी अपने पति के साथ बिल्कुल भी नहीं बनती थी। इसी वजह से वह नौकरी करना चाहती थी उन्हें नौकरी तो मिल गई थी वह मेरी तरफ हमेशा देखती रहती थी। मैंने भी एक दिन मौके का फायदा उठा लिया और शालिनी भाभी को अपने घर पर बुलाया तो वह घर पर आ गई जब वह घर पर आई तो मैंने उस दिन उनकी जांघ पर हाथ रखा और उन्हें अपनी बाहों में ले लिया। जब वह मेरी बाहों में आ गई तो मैंने उन्हें कहा भाभी आपके होठ लाजवाब है। वह कहने लगी मैं तो आपको कब से देखती रहती हूं और मैंने भी उनकी इच्छा पूरी करने का फैसला कर लिया था। मैंने उनके होंठो को अपने होंठो में लिया तो वह भी खुश हो गई और उन्होंने मेरे लंड को बाहर निकाला वह अच्छे से अपने मुंह में लेकर सकिंग करने लगी। काफी देर तक उन्होंने ऐसा ही किया जब मैंने उनकी चूत को चाटना शुरू किया तो मुझे अच्छा लग रहा था जैसे ही मैंने अपने लंड को उनकी योनि के अंदर घुसाया तो वह मुझे कहने लगी मुझे बड़ा अच्छा लग रहा है।
काफी समय बाद ऐसा महसूस हो रहा है जैसे कि मुझे कोई प्यार करता है मेरे जीवन में प्यार की बहुत कमी है। मैंने शालिनी भाभी से कहा मैं आपकी सारी कमी को पूरा कर दूंगा मैं भी तो अपने जीवन में अकेला हूं लेकिन फिर भी मैं खुश हूं। वह कहने लगी हां आप ठीक कह रहे हैं यह कहते ही मैंने अपने लंड को बाहर निकाला और उन्हें घोड़ी बना दिया घोड़ी बनाते ही जैसे ही मैंने अपने लंड को उनकी योनि के अंदर बाहर करना शुरू किया तो वह बड़े अच्छे से मेरा साथ देने लगी। वह जिस प्रकार से अपनी चूतडो को मुझसे मिला रही थी उससे मुझे बड़ा मजा आ रहा था और मैं उन्हें लगातार तेज धक्के मार रहा था। मुझे उन्हें धक्के देने में बड़ा मजा आता वह भी अपनी चूतडो को मिलाती तो उनके अंदर की आग शांत होती जा रही थी। कुछ ही देर बाद जब मेरे अंदर से मेरा वीर्य बाहर आने लगा तो मैंने शालिनी भाभी से कहा कि लगता है मेरा माल गिरने वाला है तो वह कहने लगी आप अपने माल को गिरा दो। मैंने भी अपने माल को उनकी योनि में गिरा दिया।