नमस्कार दोस्तों मेरा नाम शादाब अंसारी है मैं उत्तर प्रदेश बाराबंकी का रहने वाला हूँ ।
काफी समय से मैं sexkahani.net पर कहानी पड़ता आ रहा हु मैं भी चाहता था कि मैं भी अपनी कहानी आप लोगों तक भेजू। मेरी मोबाइल की दुकान है सो मैं ज्यादा टाइम वही बिताता हूं
चलिए मैं आप लोगों का ज्यादा टाइम न लेते हुए कहानी पर आता हूं पहले तो आप लोग मेरी पिछली ज़िन्दगी के बारे में जान ले मैं अपनी पढ़ाई पूरी करके काम की तलाश में था लेकिन मुझे कोई काम नही मिल रहा था मेरे भाई की मोबाइल की दुकान थी सो मैं वही बैठा रहता था और जैसा कि मेरा एलेक्क्ट्रिनिक में ज्यादा मन लगता था तो मैं दुकान के मोबाइल फ़ोन मैं ही रिपेयर करता था फिर एक दिन मेरे भाई ने कहा कि तू मोबाइल का कोर्स कर ले तो उन्होंने ने मुझे लखनऊ में बंगला बाजार में मोबाइल के कोर्स के लिए अप्लाई कर दिया और मेरा लखनऊ में केई रिस्तेदार भी नही है और मैं लखनऊ में कमरा भी लेकर नही राह सकता था तो मैंने ट्रैन की एम एस डी बनवाई और पर डे उप डाउन करने लगा कोर्ष पूरे 4 महीने का था तो इसी बीच मेरे काफी दोस्त ट्रैन में बन गए जो कि लखनऊ में कोई जॉब करता था तो कोई पढ़ाई तो कोई कोर्ष में कुछ फैज़ाबाद} से आते थे तो कोई रास्ते मे स्टेशन पर मिलते थे हम लोग ट्रैन के जिस डब्बे में सफर करता था इत्तेफाक से हर रोज़ एक लड़की रोज़ उसी डब्बे में कैसे मिल जाती थी अक्सर मैं उसे और वो हमें देखा करती थी मेरे दोस्त मुझे खूब सताते थे कहते कि अभी सफेदाबाद में भाभी से मुलाकात होगी और मैं भी हस देता था एक दिन मैं सफर कर रहा था सफेदा बाद में वो चढ़ी पर ट्रेन फुल थी और उसे बैठने के लिए जिंगह नही मिली मेरे दोस्त मुझे चिढ़ाने लगे भई देख भाभी को जिंगह नही मिली अपने पास बिठा ले काफी देर तक मुझे परेशान करते रहे जब मुझसे नही रहा गया तो मैं अपनी सीट से उठा और उससे बोला प्लीज आप यहाँ बैठ जाइए उसने कहा नही आप बैठो मैन कहा नही प्लीज मेरे दोस्त मुझे परेशान कर रहे है कि एक लड़की खड़ी है और तू बैठा है तो उसने मेरी तरफ देखा कहा ठीक है और बैठ गई फिर उसने मेरा नाम पूछा तो मैंने शादाब बताया और मैंने भी उसका नाम पूछा तो उसने उसने अपना नाम पिंकी बताया और पूछने लगी आप क्या करते हो तो मैंने कहा मैं मोबाइल का कोर्ष लखनऊ में कर रहा हु और आप क्या करती हो तो उसने बताया मैं ब्यूटिशियन का कोर्ष लखनऊ से कर रही हु फिर मैंने उसे अपने दोस्तों से मिलाया फिर हम लोग रोज एक साथ सफर करने लगे इसी बीच हमारी दोस्ती दोस्ती क्या प्यार हो गया फिर हम लोग फ़ोन पर काफी काफी देर तक बातें करने लगे एक दिन मैंने पिंकी से कहा कि मुझे तुमसे मिलना है तो उसने कहा रोज़ तो मिलते है मैंने कहा ऐसे नही अकेले में उसने कहा क्यों मैं तो डर गया कि मुझसे नाराज़ हो गई फिर में कुछ नही बोला काफी देर तक फिर उसने हस कर कहा कि मैं तो मज़ाक कर रही थी मैं भी तुमसे अकेले में मिलना चाहती हु अगले संडे हम मिलते है फिर हम संडे को लखनऊ के एक पार्क में मिले काफी बाते हुई जैसा कि मेरा पहला प्यार था तो मुझे पता नही था क्या करना है क्या नही हम लोग घूम टहल कर अपने अपने घर चले आये फिर उसका फ़ोन आया हमारी बाते हुई वो बोली कल अकेले में मिलने का क्या मतलब हुआ मैंने कहा कि क्या मतलब उसने कहा कुछ नही और फ़ोन काट दिया पता नही मुझसे क्यों नाराज हो गई मैन अपने दोस्तों को बताया तो वो लोग मुझ पर हँसने लगे बोले भाई को तो कुछ पता ही नही है कि लड़की क्या चाहती है फिर दूसरे दिन वो ट्रैन में मिली और हमसे बात तक नही की फिर मैं उसके पास गया और उसके कंधे पर अपना सर रखके सॉरी बोला फिर उसने मुझे अपने गले लगा लिया और बोली गलती मेरी मैं सॉरी हु फिर हमलोग शाम को मिले फिर एक दिन उसने कहा कि आज मैं घर पर अकेली हु और तुम सफेदाबाद में उतर जाना फिर हम मिलते है और मैं सफेदाबाद में उतर गया उसने फ़ोन से अपने घर का पता बताया हम उनके घर पर गए नाश्ता किया फिर वो बोली हम तुम यही बैठो मैं नहा कर आती हूँ मुझे तो दोस्तो ने पहले ही बता दिया था कि क्या करना है वो जैसे ही जाने लगी मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसके होंठ पर अपने होठ रख दिये वो भी मुझे किश करने लगी मैं तो इमरान हाशमी बन गया इतने में वो लंबी लम्बी साँसे लेने लगी शायद वो गर्म हो गई थी तो मैंने उसकी टीशर्ट में अपने हाथ डाल दिया उसके बूब्स ज्यादा} बड़े नही थे मैंने काफी देर तक उन्हें दाबे और फिर मैंने टीशर्ट उतारने के लिए बोला उसने कहा आपने हाथ से उतार लो मैन उसकी टीशर्ट उतारी और बूब्स को चूसने लगा काफी देर चूसने के बाद उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने जीन्स पर रख दिया मैन सोचा कि शायद ये गरम हो गई है मैंने उसे बेड पर लिटाया और जीन्स को उतार दिया वो सिर्फ पैंटी में थी मैने भी अपनी जीन्स उतार दिया मैंने उसकी पैंटी उतारी उसने आँखें बंद कर ली मैंने उसकी बुर में अपना लंड सेट किया जैसे ही मैंने अंदर किया हो चीख पड़ी उसकी बुर से खून निकल आया मैं डर गया उसने थोड़ी देर के बाद मुझे फिर से अपने ऊपर करने लगी मैंने फिर से अंदर डाला और उसके होटों पर अपने होठ रख दिये और अंदर डाल दिया और होठ से उसका मुंह दबा लिया मैंने दो तीन बार अंदर बाहर किया इतने में मेरा निकल गया फिर मुझे दोस्त की बात याद आई कि पहली बार मे जल्दी निकल जाता तू घबराना मत लगे रहना फिर मैंने उसे काफी देर तक किस करता रहा इतने में मेरा फिर खड़ा हो गया और इस बार मैंने काफी लंबे समय तक उसकी चोदाई की लगभ 15, 20 मिनट फिर हम दोनों साथ मे नहाये और मैं अपने घर लौट आया फिर हम लोग गई बार मिले और सेक्स भी किया और आगे की कहानी पढ़ने के लिए अपने सुझाव हमे मेल करिये मुझे पता है मुझे ज्यादा मेल नही आएंगे क्योंकि मैं कहानी में ज्यादा मसाला नही डाल पाया पर ये मेरी ज़िंदगी की सच्ची घटना है ओके बाये दोस्तो और अपनी गिरफ्रंड का खास खयाल रखना। shadabansari4u@gmail.com
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