मेरी प्यारी सी चूत नीचे गाण्ड तक फैली थी

प्यारे पाठको मै आज पहली बार अपनी सील तोड़ने की स्टोरी लिख रही हूँ अगर लिखने में कोई गलती हो गयी हो तो प्लीज मुझे माफ़ कर देना वैसे यह बात उस समय की है जब मैं ग्रेजुएशन फ़ाइनल इयर की छात्रा थी, मेरी उम्र २१ साल की थी, तब तक मैं पूर्ण रूप से कुँवारी थी लेकिन सहेलियों से सेक्स की बातें सुन कर मेरे मन में भी चुदवाने की इच्छा होती थी लेकिन औरत के लज्जा आड़े आ जाती थी।
कभी कभी सुबह सुबह ट्रेन की सफ़र करती तो पटरियों पर लैट्रिन के लिए बैठे लोगों के लिंगों को चोर नज़रों से देखती थी ! मेरे घर के सामने एक २८-२९ साल का आदमी रहता था जिसका नाम अनुप था। उसकी बीवी पारिवारिक कारणों से उसके माँ बाप के साथ गावं में रहती थी। यह स्टोरी मस्ताराम.नेट पर लिखी गयी है | वो रविवार की छुट्टी में गाँव चला जाता था। चूंकि वो अकेला रहता था इसलिए अक्सर हमारे घर आ जाता था, मम्मी पापा से काफी घुलमिल गया था !
एक बार मम्मी पापा एक रिश्तेदार की शादी में दो दिनों के लिए शहर से बाहर गए थे, मेरी जरूरी क्लास थी तो मैं अकेली घर पर रह गई।
शाम को कालेज से वापस आकर कपडे बदले और चाय बना कर टीवी देखने बैठ गई, एक इंग्लिश मूवी आ रही थी जिसमे काफी सेक्सी सीन थे, जिन्हें देख कर मैं गर्म होने लगी और अपना हाथ लोअर में डाल कर चूत सहलाने लगी।
तभी दरवाज़े की घण्टी बजी, दरवाज़ा खोला तो अनुप सामने था। मैंने उसे अंदर बुला लिया और हम दोनों मूवी देखने लगे। थोड़ी देर बाद उसने मेरी जांघ पर हाथ रख दिया तो मैंने उसका हाथ हटा दिया। थोड़ी देर बाद जब दुबारा हाथ रखा तो मैं उसका हाथ न हटा सकी फिर वह मुझे अपनी तरफ खीच कर मेरे होठ चूसने लगा और मेरे मम्मे पकड़ कर सहलाने लगा। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
उसने मेरी टी शर्ट में हाथ डाल कर मम्मे को ब्रा के अंदर से पकड़ कर बाहर कर दिया। मैंने उसे दरवाजा बंद करने को कहा।

और मैंने भी ले लिया चुदाई का मज़ा
वो दरवाजा बंद करके आया और मुझे उठा कर मम्मी पापा के बेडरूम में ले गया। पहले मेरे लोअर और टीशर्ट निकल दिया और खुद नंगा हो गया। उसका लण्ड मोटे डंडे की तरह खड़ा था जिसे देख कर मैं सिहर गई की मेरी छोटी सी चूत उसे कैसे अपने अन्दर लेगी।
मेरे इस डर से अन्जान उसने मेरे साथ बेड पर लेट कर मेरी 32 इंच के संतरों को ब्रा से आजाद कर दिया और एक चुचूक मुँह से चूसने लगा तो दूसरे को मसलने लगा। उसका एक हाथ मेरी पैंटी में घुस कर चूत को सहला रहा था, कभी चूत, कभी झांटे तो कभी चूतड़ों को सहलाता।
वह करीब 10 मिनट ऐसे ही मुझे मसलता रहा। उसके बाद वो मेरी चूत चाटने लगा। दोस्तो, मैं क्या बताऊँ कि कितना मज़ा मैं लूट रही थी !
करीब 15 मिनट तक अपनी चूत चटवाने के बाद मुझे लगा कि जैसे मेरा सारा शरीर पिंघल रहा है, मैं अकड़ने लगी और जैसे चूत से कुछ निकल रहा था। और वो जीभ अंदर डाल डाल कर सारा रस पी गया।
मैं निढाल सी होकर पड़ी रही, वो फिर भी मेरी चूत चाटता रहा। थोड़ी देर बाद मैं फिर गर्म होने लगी। फिर वो मेरे ऊपर इस प्रकार उल्टा लेट गया कि उसका लण्ड मेरे मुँह में और मेरी चूत उसके मुँह पर ! मैंने लण्ड को चाटने की कोशिश कि लेकिन अजीब सा कसैला स्वाद था और मैंने नहीं चाटा। लेकिन हाथ से सहलाती रही। इस अवस्था में हम 5 मिनट रहे होंगे।
इसके बाद वह मेरी दोनों टाँगे फैला कर उनके बीच में आ गया। अब मेरी चूत उसके लण्ड के सामने थी। पहले तो वह लण्ड का सुपारा मेरी चूत के मुँह पर रगड़ता रहा, मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और मैं चूतड उचका उचका कर मज़ा ले रही थी, फ़िर उसने मेरी कमर पकड़ ली और एक तेज़ झटका मारा तो लण्ड मेरी चूत को फाड़ता हुआ अन्दर घुसा। एक तेज़ चीख मेरे मुँह से और गाण्ड से तेज़ पुर्र्र की आवाज निकल गई।
मुझे लगा कि मेरी चूत में किसी ने चाकू घुसा दिया हो ! मैं तड़प उठी लेकिन उसके पकड़ से अपने आप छुड़ा न सकी। एक शेर की तरह उसने मुझे जकड़े रखा। जब मुझे थोड़ा आराम मिला तो वह मेरे मम्मे चूसने लगा। धीरे धीरे मुझे मज़ा आने लगा और वो लण्ड को आगे-पीछे करने लगा। आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | उसने एक तेज़ झटका और मारा, दर्द तो इस बार भी हुआ लेकिन बहुत कम ! हल्की सी चीख भी निकली, पूरा लण्ड चूत में घुस गया था क्योंकि अब हमारी झांटे आपस में छू कर रही थी।
अब उसने पूरे जोर-शोर से मेरी चुदाई शुरु कर दी, लण्ड को पूरा आगे पीछे कर करके झटके मारता तो कई बार चीख निकल जाती तो कई बार पाद !जम के चुदाई हो रही थी !
मैंने हाथ से छू कर चूत की स्थिति जाननी चाही तो मेरी प्यारी सी चूत नीचे गाण्ड तक फैली हुई थी, दोनों लब मुश्किल से लण्ड को संभाले हुए थे। खैर मज़ा तो बहुत आ रहा था, करीब 25 मिनट की धक्कमपेल चुदाई के बाद मैं झड़ने लगी, मेरे मुहँ से आः आह चोदो जान आःह्ह्ह आई की आवाज़ें निकलने लगी। मैंने क़स लिया उसे अपनी बाहों में और ढीली पड़ने लगी।
लेकिन वो पूरे जोश में मुझे चोदता रहा और मेरे अंदर ही झड़ गया। उसके वीर्य से मेरी चूत लबालब भर गई। वो मेरे उपर तब तक पड़ा रहा जब तक उसका लण्ड खुद बाहर न निकल गया।
हम दोनों उठे तो देखा कि चादर पर खून और वीर्य का बड़ा सा धब्बा लगा हुआ है। मैं अब लड़की से औरत बन चुकी थी ! बाथरूम में जा कर सू सू किया तो योनि से वीर्य के साथ हल्का सा खून भी आ रहा था ! उसके बाद मुझे ३-४ दिनों तक दर्द होता रहा फिर जब भी इच्छा होती चुद लेती थी अब कोई दर्द नही होता बस मजे ही मजे होते है | अब ज्यादा क्या बताऊ | अगर कोई बहन मुझसे कुछ पूछना चाहती है तो मुझे निचे कमेंट कर देना मै अपनी अगली कहानी में रिप्लाई कर दुगी | बाय बाय |

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