मेरी बहन की जवानी की प्यास

मेरा नाम आकाश है और ये मेरी पहली सेक्स कहानी है. जिसमें मैंने सिर्फ एक चीज़ का प्रयोग बिल्कुल नहीं किया है … और वो है झूठ.
मैं आशा करता हूँ कि आप सभी को ये कहानी पसंद आएगी.

मैं भोपाल के पास बैरागढ़ का रहने वाला हूं. हमारा छोटा सा घर है, जिसमें मैं, मेरे मम्मी पापा और मेरी छोटी बहन … जिसका नाम मनीषा है, हम चारों रहते हैं.

हम लोगों के अलावा मेरे दादाजी के छोटे भाई मतलब मेरे दादाजी ही हैं, वो भी पिछले आठ सालों से वो यहीं हमारे साथ रहने आ गए थे. मगर वो हमारे घर में नहीं रहते थे, हमारे घर के ठीक पीछे उनका एक कमरे का मकान था. उनका आगे पीछे कोई नहीं है, इसलिए जब वो आर्मी से रिटायर हुए, तो यहीं आ कर रहने लगे. उनकी उम्र को देखते हुए पापा ने उनसे उनके खाने पीने और उनके मरने के बाद उनके क्रियाकर्म का वायदा कर लिया था. बदले में दादाजी ने उनके मरने के बाद उनका फंड आदि हमें दिलाने का बोला था और उन्होंने अपना मकान भी हमारे नाम कर दिया था. आज भी मैं उन्हें उनके कमरे में रोज खाना देने जाता हूँ.

अब कहानी के दूसरे पात्र से परिचय करा देता हूँ. दूसरा पात्र मतलब मेरी बहन मनीषा है. मनीषा दिखने में माल और कमाल दोनों थी. उसका गोरा बदन, गुलाबी होंठ, आंखें ऐसी नशीली कि वो किसी को नजर भरके देख भर ले, तो वो आदमी कभी उसे भूले ही नहीं.

यह बात तब की है, जब दादाजी को आए हुए दो साल से ऊपर हो गए थे. मेरी बहन अब 18 प्लस की हो गई थी. पापा ने उसके स्कूल के चर्चों के कारण उसकी पढ़ाई छुड़वा दी थी. वो स्कूल में अपने हुस्न के दम पर कई लड़कों को चीट करती थी और अपना खर्चा चलाती थी. वो इतनी चालाक लड़की थी कि उसने बहुतेरे लड़कों को फंसाया, पर चुदाई किसी से नहीं करवाई थी. शायद इसलिए उसे खुद पर बड़ा घमण्ड था.

अब जब घर में इतना मस्त माल हो, तो मैं भला और कहीं क्यों मुँह मारता. मेरी जवानी शुरू होने बस मेरी यही ख्वाहिश थी कि एक बार मैं अपनी बहन मनीषा को खूब चोदूं … कितनी ही बार मैंने उसके नाम की मुठ मारी है.

मेरी बहन का साइज़ लिखूँ, तो उसके मम्मे 32 इंच के, कमर 28 की और कूल्हे 36 इंच के हैं.

मैं भी दिखने में कम नहीं हूं. मैं मेरी मम्मी की तरह गोरा और मेरे पापा की तरह हट्टा कट्टा हूं. मेरी हाईट 6 फिट है और मेरा 7 इंच का गोरा लंड है. जिससे मैंने खूब चुदाई का खेल खेला. मेरे लंड से चुदने वाली लड़कियों ने हमेशा मेरे लंड की तारीफ ही की है. मेरी लाइफ से जुड़ी कुछ अन्य रोचक सेक्स कहानियां हैं, वो सब मैं आप सभी के आदेश पर फिर कभी बताऊंगा. मैं अभी मेरी बहन की बात ही करूंगा.

मेरी बहन का स्कूल छूटने के बाद उसका घर के निकलना घूमना, यहाँ तक मार्केट जाना भी बंद करा दिया गया था. अब वो बहुत उदास रहने लगी थी. वो कई बार मेरा मोबाइल मांगती. मैं अपने मोबाइल में बहुत सारी सेक्स मूवी रखता था … इसलिए उसे नहीं देता था. पर कभी कभी दया आ जाती थी, इसलिए दे दिया करता था.

अब उसका एक ही टाइम घर से बाहर निकलना होता था. वो भी शाम के वक़्त उस बुड्डे को खाना देने के लिए. मम्मी ने उसे पाबन्द कर रखा था. कभी कभी मैं भी चला जाता था. पर उस बुड्डे को मेरे सामने पता नहीं क्या हो जाता था, साला मुझे देख कर ऐसे मुँह बनाता था, जैसे मैं उसे खाना नहीं, जहर देने आया हूँ.

तभी अचानक मैंने मेरी बहन में कुछ ऐसे बदलाव देखे, जिससे मुझे बहुत अजीब लगने लगा. अब मेरी बहन पहले कुछ ज्यादा ही सज संवर कर रहने लगी. वो मुझे नए नए कपड़ों में दिखने लगी. उसकी आधुनिक ड्रेसेज के साथ उसके तन पर कई तरह के कॉस्मेटिक्स और डीओ दिखने लगे और उसके चहेरे पर एक अलग सी चमक दिखने लगी.

मैंने उससे कई बार पूछा- तेरे पास इतना पैसा कहां से आ रहा है?
उसने मुझे एक बार 5000 रुपये दिखाए और बोली- भाई मैंने ये सेविंग्स की है.

मुझे लगा की हो सकता है कि इसने कुछ जोड़ रखा हो. पर फिर मैंने उस पर नजर रखना चालू किया. मुझे कुछ समझ नहीं आया.

फिर ऐसे ही कुछ महीने निकल गए. सर्दी का मौसम था. हमारे करीबी रिश्तेदार के यहाँ हमें शादी में जाना था, पर उस बुड्डे के खाने की वजह से मुझे और मेरी बहन को घर ही रुकना पड़ा. मम्मी पापा ने जाने का फ़ैसला किया.

जिस दिन वो लोग शादी के लिए निकलने वाले थे, उस दिन शाम को रोज की तरह मनीषा दादाजी को खाना देने गई. मैं घर में ही था.
उसके जाने के 15 मिनट बाद मम्मी ने मुझसे पूछा- मनीषा आ गई?
मैंने बोला- कहाँ से?
माँ ने बोला- वो खाना देने गई थी दादाजी को … अभी तक नहीं आई, जा देख कर आ, ये लड़की कहाँ रह गई?

मैं उठा और कुछ ही सकेंड में दादाजी के घर पर पहुंच गया. मैं वहाँ क्या देखता हूँ कि दादाजी का घर अन्दर से बंद था और मनीषा की चप्पल बाहर रखी थीं. मेरा माथा ठनका, मुझे लगा कोई न कोई गड़बड़ जरूर है.

मैंने खुद पर कंट्रोल किया और जासूसी करने लगा. मैंने धीरे से दादाजी के दरवाजे पर कान लगा कर सुना, तो मुझे यकीन नहीं हुआ. अन्दर से जानी पहचानी आवाजें आ रही थीं.

‘अअअह … छोड़ दो कोई आ जाएगा … मुझे बहुत देर हो गई है … घर पर सब इंतज़ार कर रहे होंगे … जाने दो … अहह अहह धीरे करो … ईईई सीईईई उईई माँआ … दुख रहा है दादाजी..’

ये सब सुन कर मेरा तो दिमाग खराब हो गया. मुझे इतना गुस्सा आया कि बता नहीं सकता. पर तभी मेरे अन्दर का शैतान जग गया. मेरे लंड में सख्ती आ गई और मैंने मौके का फायदा उठाने का मन बना लिया. मेरा ध्यान उस कमरे के रोशनदान पर गया. मैं देखना चाहता था कि अन्दर हो क्या रहा है.

मैं धीरे से दबे पांव रोशनदान तक चढ़ कर पहुंचा और मैंने देखा कि मेरी बहन दादाजी के पलंग पर घोड़ी बनी थी और दादा जी अनाड़ी की तरह पतला सा मुरझाया हुआ सा लंड आगे पीछे कर रहे थे.

ये देख कर मुझसे रहा नहीं जा रहा था. मेरा मन कर रहा था कि मैं भी जा कर उनकी चुदाई में शामिल हो जाऊं.

पर फिर अचानक दादाजी रुक गए. शायद वो झड़ गए थे. वो मेरी बहन के ऊपर ही गिर गए. एक मिनट तक बुड्डे बाबा ऐसे ही पड़े रहे. फिर मेरी बहन उठी. उसने अपनी चुत को एक कपड़े से पौंछा और चड्डी पहन कर पजामा पहन लिया. इसके बाद वो बर्तनों को उठाने लगी. तभी दादाजी ने उसे 1000 रूपये का नोट दिया जिसे उसने अपनी ब्रा में खोंस लिया.

मैं दबे पांव उतर कर अपने घर आ गया.

माँ ने पूछा- मनीषा कहाँ है?
मैंने बोला- आ रही है.
यह सुनकर माँ अन्दर चली गईं.

मैं हॉल में बैठ कर उसके आने का इंतज़ार करने लगा. दो मिनट बाद वो आई.
मैंने दरवाजा खोला और पूछा- इतना टाइम लगता है खाना दे कर आने में?
वो मुझे देख कर चौंक गई और लड़खड़ाती जुबान में बोली- वो मैं बर्तन खाली होने तक वहीं बैठी थी.
मैंने तुरंत बोल दिया- बैठी थीं या लेटी थीं.

ये सुनते ही उसके पैरों से तो मानो जमीन खिसक गई. उसकी सूरत रोने जैसी ही गई, पर मैंने खुद पर कंट्रोल किया और बात बदल दी. उसे अन्दर आने दिया.

माँ ने भी उससे कुछ नहीं बोला. इसलिए वो थोड़ी देर में नॉर्मल हो गई.

पापा भी घर जल्दी आ गए. फिर सबने खाना खाया. इसके बाद पापा मम्मी लोग जाने के लिए तैयार हो गए. रात में 10 बजे उनकी ट्रेन थी, इसलिए मैं ऑटो रिक्शा ले आया.

जाते जाते मम्मी पापा मुझसे बोल कर गए कि घर को अच्छे से लॉक करके सोना, कहीं घूमने मत जाना. हमारे आने तक अपनी बहन का ध्यान रखना और टाइम से दादाजी को खाना दे आना.
यह सब बोल कर वो रवाना हो गए.

हम दोनों अन्दर आ गए. मैंने घर अच्छे लॉक किया और सोने की तैयारी करने लगे.

तभी मैंने देखा कि मेरी बहन मुझसे नजरें नहीं मिला रही थी.
मैंने उससे बोला- चल अभी कहाँ नींद आने वाली है, अपन टीवी देखते हैं.

वो मान गई और हम लोग हॉल में आ गए. मैंने तो आज मेरी बहन को चोदने का पक्का मूड बना लिया था, इसलिए मैं टीवी की जगह उसे ही देखे जा रहा था.

उसने मुझसे पूछा- क्या हुआ … ऐसे क्या देख रहे हो भाई?

मैंने फिर थोड़ा खुद पर काबू करके सामान्य होकर उससे यहाँ वहाँ की बातें करना शुरू कर दीं.

बातों ही बातों में मैंने उससे पूछ ही लिया- तू आज खाना दे कर आने में कुछ ज्यादा ही लेट हो गई थी न!
उसने मुझसे बोला कि वो दादाजी की तबियत कुछ ठीक नहीं थी, तो मैं उनके पैर दबा रही थी.
मैंने बोला- पैर ही दबा रही थी या कुछ और भी?

वो मुझे ऐसे देखने लगी कि मैंने उसकी दुखती रग पर हाथ रख दिया हो.

मैंने फिर से उससे पूछा- कब से चल रहा है ये सब?

वो घबराहट के मारे उठ कर जाने लगी. मैंने हाथ पकड़ कर उसे वापस बैठा लिया और थोड़ा ग़ुस्से से पूछा- बता मुझे … तू कब से ये गन्दे काम कर रही है … बोल नहीं तो मैं अभी पापा मम्मी को फ़ोन करके सब बता दूंगा.

वो रोने लगी और मुझसे माफी मांगने लगी. वो मुझे कुछ भी बताने के लिए मना करने लगी.
वो बोली- मैं आपको बहुत सारे पैसे दूंगी, पर आप ये बात किसी मत बोलना भाई.

मैंने उसे उठाया और सोफे पर बैठा दिया. मैंने बोला- मुझे तुझसे पैसे नहीं चाहिए, मुझे तू बस ये बता कि कब से चल रहा ये सब … और अगर मुझसे कुछ भी छुपाया तो बेटा तू देख लेना.

वो रोने लगी.

फिर मैंने उसे पानी पिलाया और उसका रोना बंद कराया. उसने एक गहरी साँस ली और बोली- पिछले एक महीने से ये सब चल रहा है.
मैंने बिना देर किए पूछा- क्या दिखा तुझे उस बुड्डे में … या उसने तुझको ब्लैकमेल किया … बता!

उसने बताया- मैं घर में रहते रहते बोर हो गई थी. मुझे आजादी पसंद है, पैसा पसंद है और मैं कुछ भी नहीं कर पा रही थी. मैं जब भी दादाजी के घर जाती, तो उनका पैसों से भरा पर्स पलंग के पास ही रखा होता था. मुझे नया मोबाइल लेने के लिए पैसों की जरूरत थी. तो मैं उन्हें रिझाने लगी और पैसे मांगने लगी.
“फिर?”

उसने आगे बोला- दादा जी भी मुझसे खुश थे, तो मुझे कभी 100 कभी 200 रुपये दे दिया करते थे, पर मेरा इतने पैसों से मन नहीं भरता था, तो मैंने उनको एक दिन बोला कि आप मुझे नया मोबाईल दिला दो, मैं आपको धीरे धीरे करके सारे पैसे वापस कर दूंगी.

दादाजी बोले- तू मोबाईल कहाँ रखेगी … तेरे घर वाले पूछेंगे कि किसने दिलाया, तो क्या बोलेगी.
मैंने बोला कि मैं घर में किसी को नहीं पता लगने दूंगी, बस आप मुझे मोबाईल दिला दो.
“फिर?”

बहन बोली- उन्होंने मुझसे बोला कि तुझे मोबाईल दिला कर मुझे क्या मिलेगा. मैंने सोचा शायद बात बन सकती है, तो मैंने उनसे बोल दिया कि आप जो चाहो, मैं आपको दूंगी.
तब उन्होंने मुझसे कहा- ठीक है, कल मैं तेरे लिए मोबाइल और न्यू सिम कार्ड ले आऊँगा, पर आज तुझे मेरा एक काम करना पड़ेगा.

मैंने झट से बोला जी कहिये क्या करूँ?
तो उन्होंने मुझे तेल दिया और बोले- मेरी मसाज कर दे, मुझे शरीर में बहुत दर्द हो रहा है.

मैं तुरंत मान गई, वो अपने अंडरवियर को छोड़ कर सारे कपड़े निकाल कर सीधा लेट गए. मैंने खुशी खुशी उनकी खूब मालिश की.

फिर उन्होंने बोला- जरा मेरी जांघों पर भी मालिश कर दे.
मैंने तेल लिया और उनकी जांघों पर मालिश करने लगी. तभी अचानक मेरा ध्यान उनकी चड्डी पर गया, उसमें टेन्ट बन गया था.

दादाजी बोलने लगे- थोड़ा और ऊपर कर.
मैं बोली- ज्यादा ऊपर करूँगी तो आपकी अंडरवियर खराब हो जाएगी.

मेरा इतना बोलते ही उन्होंने अपना कच्छा उतार दिया. वे मेरे सामने बिल्कुल नंगे हो गए. मैं एकदम से चौंक गई और पलंग से नीचे आ गई.
उन्होंने मुझे पकड़ लिया और बोले- मोबाईल चाहिए कि नहीं?
मैंने बोला- मुझे घर जाना है.
उन्होंने मुझे बोला- अगर तूने मेरी मसाज नहीं की, तो मोबाईल भूल जा.

पता नहीं मुझे क्या हुआ और मैं मान गई. फिर उन्होंने मुझसे अपने लंड की मसाज कराई और बस दो मिनट में उनका पानी निकल गया.
मैंने बोला- अब ठीक है?
उन्होंने बोला- हां बेटा तूने मुझे मजा दिया है … अब तू जो भी मांगेगी, मैं तुझे ला दूँगा.

इसके बाद मैं वहाँ से आ गई. अब मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. मैंने सोचा अगर मेरे मसाज करने से दादाजी मुझे मोबाईल दिला सकते हैं, तो मैं रोज उनकी मसाज किया करूँगी.

दूसरे ही दिन दादाजी ने मुझे नया मोबाईल ला दिया और मैंने फिर उनके लंड की मसाज की और घर आ गई.

अगले दिन मैं जब वहां गई, तो वो पहले से ही नंगे ही पलंग पे पड़े अपना लंड हिला रहे थे.

मैंने जल्दी से दरवाजा बन्द किया और पूछा कि आज आप ऐसे क्यों कर रहे हैं?
उन्होंने मुझसे बोला- आज मुझे तेरी मसाज करना है, इसलिए ऐसे लेटा हूँ.
मैंने बोला- मुझे नहीं करवानी.
वो बोले- देख अगर तू सारे कपड़े उतार कर मुझे अपना जिस्म दिखाएगी, तो मैं तुझे 5000 हजार दूंगा और मैं जो चाहता हूँ, वो करने देगी … तो 10000 दूंगा.

इतने रुपये का नाम सुनते ही मैंने हां बोल दिया. फिर दादाजी ने खुद एक एक करके मेरे सारे कपड़े निकाल दिए और मुझे पलंग पर लेटा दिया.
वो मुझसे बोले- बहुत टाइम के बाद मैंने इतनी खूबसूरत चुत देखी है.

वो मेरी टांगें खोल कर मेरी चुत चाटने लगे. मैं ‘आहहहह ईईईईई..’ करती रही.

मैंने बोला- आप थोड़ा जल्दी करो, मुझे घर जाना है.

वो चुत से मुँह हटा के अपने लंड को मुझे चूसने का बोले, मैंने वैसा ही किया. फिर वो मेरी टांगों के बीच में आ कर लंड को चुत पर रगड़ने लगे.

मुझसे भी रहा नहीं गया और मैं बोल उठी कि दादाजी अब डाल भी दो ना अपना लंड मेरी चुत में.

उन्होंने मुझसे पूछा कि तूने कभी चुदाई कराई है?
मैंने बोला- नहीं …

ये सुन कर वो बहुत खुश हो गए और उनका लंड अब मेरी चुत में घुसने को तैयार था. जैसे ही उन्होंने लंड से धक्का मारा, तो लंड फिसल गया और मेरी ‘अहह..’ निकल गई. उन्होंने कई बार ऐसे ही किया, पर उनका लंड इतना दमदार नहीं था कि मेरी जवान सील तोड़ सके. तो फिर उन्होंने मुझसे उल्टा लेटने को कहा, मैं लेट गई.

अब दादा जी मेरे पीछे से डालने लगे और मैंने अपनी टांगें चिपका लीं, ताकि उन्हें लगे कि लंड चुत में जा रहा है और वैसा ही हुआ.

दादाजी 3 मिनट में झड़ गए और मुझसे बोले- तेरी चुत मारने में मजा आ गया.
मैं मुस्कुराते हुए बोली- लाइये मेरे पैसे.
तो उन्होंने वादे के मुताबिक मुझे 10000 हजार रुपये दिए और रोज मेरे साथ ऐसे ही सेक्स करने लगे, पर उन्हें आज तक पता नहीं है कि मैंने उन्हें धोखे में रखा है. आज तक उनका लंड मेरी चुत में गया ही नहीं.

मनीषा की ऐसी गर्म बातें सुन कर मेरा लंड भी आकार लेने लगा था.

फिर मैंने मनीषा से कहा- तू मुझे ये सब मम्मी पापा को ना बताने के लिए क्या देगी?
उसने बोला- मैं पैसे दे सकती हूँ, मेरी किसी सहेली से आपकी सैटिंग करा सकती हूं.
मैंने बोला- तू ही मेरी सैटिंग बन जा ना.

वो शरमा गई.

मैंने फिर बोला- देख मनीषा … अगर तुझे लंड ही चाहिए, तो मेरा ले ले.
वो बोली- भाई ये सब गलत है.
मैंने बोला- अच्छा तुझे उस मरियल बुड्डे के साथ करते वक़्त शर्म नहीं आई.
उसने बोला- ठीक है … पर आप किसी को बताओगे तो नहीं?
मैंने बोला- मेरी जान … मरते दम तक किसी को नहीं बताऊंगा.

वो मुस्कुरा दी, जिसे मैंने उसकी सहमति समझ ली.

बस फिर मैंने उसे अपनी बांहों में जकड़ लिया और उसे चूमने लगा. वो भी मेरा साथ दे रही थी. मैंने सोफे पर ही उसकी टी-शर्ट निकाल दी. उसने अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी. उसके 32 साइज़ के मम्मे घर की लाइट में मोतियों की तरह चमक रहे थे.

मैंने उसके स्तनों का स्तनपान करना शुरू किया और वो भी बड़े प्यार से स्तन को चूसने दे रही थी

फिर मैं उसे अपने रूम में ले आया और उसे पूरा नंगा कर दिया. साथ ही मैं खुद भी पूरा नंगा हो गया. मेरा 7 इंच का लंड देख कर उसकी आंखों में चमक आ गई. उसने पहली बार इतना बड़ा और सख्त लंड देखा था. मैंने भी उसे अपना लंड चूसने को बोला, वो तुरंत लंड को मुँह में ले कर किसी पोर्न स्टार की तरह लंड मुँह में लेने लगी.

क्या बताऊँ … उस पल के बारे में सोच कर मैं जोश में आ गया और मैंने उसके मुँह की जोरदार चुदाई की. बाद में मैं उसी के मुँह में ही झड़ गया. मेरी बहन मेरा सारा माल पी गई और उसने मेरे लंड को चाट चाट कर साफ कर दिया.

फिर मैंने भी उसकी चुत को खूब प्यार से चाटा और वो भी एक बार झड़ गई.

अब मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और मैंने अपनी बहन की चुत में निशाना लगाया. मेरा लंड एक बार में ही आधा लंड उसकी चुत में घुस गया था. वो लंड घुसते ही एकदम से बेड पर उचक गई और चीखी- उम्म्ह… अहह… हय… याह…
उसकी चुत से थोड़ा खून भी आ गया.

मुझे भी लगा बुड्डे ने मेरी बहन को सच में जरा सा भी नहीं चोदा है. वो रोने लगी … और मैं उसे किस करने लगा.

फिर मैंने पूरी ताकत से अपना पूरा लंड अपनी बहन की चुत में डाल दिया. वो बिलबिला उठी. मेरा लंड उसकी चुत की पूरी गहराई में जाकर उसकी चुदाई कर रहा था.

थोड़ी देर रोने और चिल्लाने के बाद मेरी बहन अब चुत उठा कर मेरे लंड का स्वागत कर रही थी. ये देख कर मैंने थोड़ा स्पीड बढ़ा दी. वो मेरे झटकों से चरम पर पहुंच गई और दूसरी बार झड़ गई.

मैंने अब उससे घोड़ी बनने को कहा, वो झट से घोड़ी बन गई. मैंने पीछे से उसकी चुत में अपना लंड पूरी ताकत से घुसा दिया और दस मिनट की दमदार चुदाई के बाद मैं और मेरी बहन साथ में झड़ गए.

मैं उसकी चुत में लंड डाले हुए ही उसके ऊपर गिर पड़ा.

अब मेरी बहन ने मुझसे बोला- भाई आज से मैं सिर्फ आपकी हूँ. आज आपके लंड से मुझे वो सुख मिला, जिसके लिए मैं तरसती थी. उस बुड्डे के लंड में मुझे कभी मजा नहीं आया.

फिर हम दोनों सो गए और अगले तीन दिनों तक हम लोग घर से बाहर ही नहीं निकले, बस चुदाई और चुदाई ही की. मैंने मेरी बहन की गांड भी मारी और उसे दादाजी से चुदने में साथ दिया. दादा जी से उसने खूब पैसे ऐंठे.

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