हलो दोस्तों, कामना चौधरी आप सभी का sexkahani.net में स्वागत करती हूँ। मैंने पिछले ४ साल से नॉन वेज स्टोरी की सेक्सी स्टोरी पढकर मजे उठा रही हूँ। आज मैं आप लोगों को अपनी स्टोरी सुना रही हूँ। दोस्तों मैं एक बहुत खूबसूरत और जावन औरत थी। मैं ६ फुट लम्बी थी, मेरा चेहरा लम्बा और मेरा जिस्म उपर से नीचे तक बहुत गोरा था। मेरा फिगर ३६ ३२ ३६ का था। मैं जब भी बाहर निकलती थी, कोई भी मर्द या जवान लड़का अगर मुझे देख लेता था तो बार बार मुझे ही पलटकर देखता था। मैं चोदने लायक एक बहुत ही हसीन माल थी और मेरे कालोनी के सभी मर्द और जवान लड़के दिन रात मुझे ही ताड़ा करते थे और अंदर अपने घरों में जाकर मुठ मार लेटे थे। सब एक ही बात बार बार सोचते थे की काश कामना चौधरी को एक बार चोदने पेलने को मिल जाता।
दोस्तों, इसी बीच मेरी शादी हो गयी। मेरे पति बहुत ही अच्छे इन्सान थे, पर सेक्स के मामले में वो थोडा शर्मीले थे। रात को जल्दी जल्दी वो मुझे चोदकर सो जाते थे। जिस तरह बाकी मर्द अपनी बीबियों से लंड चुस्वाते है और उनकी चूत पीते है, उस तरह मेरे पति बिलकुल नही थे। वो २ मिनट में ही आउट हो जाते थे और मुझे सम्पूर्ण यौन संतुस्टी नही दे पाते थे। एक बार मैंने इस बारे में अपने देवर को बता दिया।
“क्या भाभी !! सुहागरात में मजा आया की नही??? मेरे भैया ने तो आपको खूब चोदकर मजे दिए होंगे??? मेरे देवर अखिल ने मुझसे पूछा
“अरे कहा रे अखिल!! तेरे भैया ने ना तो मेरी चूत पी और ना ही मुझसे अपना लंड चुसवाया। कहते है शरीफ लोग ये गंदे काम नही करते। जब मैं दोनों टाँगे खोलकर उनके सामने लेट गयी तो तेरे भैया तो २ मिनट में ही झड़ गये” मैंने अपने देवर अखिल को बताया
मेरी कच्ची और नशीली जवानी देखकर अखिल पागल हो गया। उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बेतहाशा चूमने लगा “भाभी!! एक बार अपने देवर को सेवा दे दो! तुमको इतना चोदूंगा की तुमको स्वर्ग दिख जाएगा!” अखिल बोला
मैं गुस्से में आ गयी।
“अखिल !! जबान सम्भाल के बात करो! तुम तेरे सिर्फ देवर को, मेरे पति परमेश्वर नही हो, जो तुम मुझे कमरे में नंगा करके मेरी दोनों टांग खोलकर मेरी चूत में लंड डाल सको और मुझे चोद सको! मुझे चोदने का हक सिर्फ और सिर्फ मेरे पति का है!” मैंने अखिल को जोर की डाट लगा दी।
“भाभी प्लीस !!! प्लीस मुझे आपकी सेवा करने का मौका दो, मैं आपको १ घंटे तक पेलूँगा और आपनी चूत की धज्जियाँ उड़ा दूंगा!!” मेरा देवर अखिल बोला
“अखिल!! दुबारा अगर मुझसे इस तरह की गंदी डिमांड की तो मैं तेरे भैया से सिकायत कर दूंगी, याद रखना!” मैंने उसे जोर की डपट लगाई। उसके बाद मैंने अपने देवर को अपने कमरे से भगा दिया।
पर दोस्तों, मैं अच्छी तरह से जानती थी की अखिल मुझे गंदी नजरों से देखता है और मुझे चोदना चाहता है। एक दिन तो मेरा होश जब उड़ गया जब मैं टॉयलेट गयी थी वहां का दरवाजा आधा बंद और आधा खुला हुआ था। मेरा देवर अखिल जोर जोर से मुठ मार रहा था और “भाभी !! ओह भाभी !! एक बार चूत दे दो भाभी प्लीस!!” ऐसा वो चिल्ला रहा था और मुठ मार रहा था। अब ये बात समझते देर नही लगी थी की अखिल मुझे चोदने चाहता है। मेरी नर्म चूत में वो अपना लंड डालकर मुझे कसकर चोदना चाहता है। मुझे किसी रंडी की तरह तेज तेज पेलना और खाना चाहता है। मैं ये सब बाते अच्छी तरह से समझ गयी थी।
इसलिए मैं अब अपने देवर अखिल से ख़ासा सावधान हो गयी थी। मैं उसे कटी कटी और दूर दूर रहती थी और उससे होशियार रहती थी। मैं जानती थी की वो मुझे चोदना चाहता है। एक दिन अखिल मेरे पास एक लोकेट लेकर आया।
“भाभी !! इसे देखो!!” अखिल बोला
जैसे ही मैंने उस लोकेट को देखा मुझे पता नही क्या हो गया था। मुझे अपनी आँखों के सामने कई सारे गोले गोल गोल घूमते हुए दिखाई दिए। धीरे धीरे मेरे देवर अखिल ने मुझे पूरी तरह से सम्मोहित कर लिया।
“क्यों भाभी !! अब बोलो ! क्या तुम मुझसे प्यार करोगी???’ मेरा देवर अखिल बोला
दोस्तों मुझे कुछ हो गया था। मैं उसके वश में हो गयी थी।
“हाँ !! देवर जी ! आप मुझे बहुत अच्छे लगते हो! मैं अब आपसे रोज प्यार करूंगी!!” मैंने खुद कह दिया जबकि कुछ दिन पहले मैंने अखिल को इस बात के लिए बहुत डाटा था।
“भाभी आओ अपने देवर को चुम्मा दो!!” अखिल बोला तो जाने मुझे क्या हो गया था मैं अखिल के पास चली गयी और उसके गाल पर अपने नाजुक खूबसूरत होठो से मैं उसे किस करने लगी और ढेर सारे चुम्मा देने लगी। मेरे पति ऑफिस गये हुए थे। इस वक़्त मेरा देवर ही घर पर अकेले था और मैं थी। अखिल ने अपने सारे पकड़े निकाल दिए। अपना बनियान और अंडरविअर भी निकाल दिया। उसका लंड बाप रे कोई १०” से कम ना था।
“भाभी जान अपने सारो कपड़े निकाल कर, पूरी तरह से नंगी होकर मेरे पास आ जाओ” देवर बोला। मैंने उससे कुछ नही पूछा। मैं पूरी तरह से उसके वश में आ चुकी थी। मैंने पहले अपनी साड़ी निकाल दी। फिर अपना पेटीकोट मैंने निकाल दिया, फिर ब्रा और पेंटी भी खोल दी और अपने देवर के पास चुदने के लिए चली गयी। मैं पूरी तरह से उससे सम्मोहित हो चुकी थी। अखिल सोफे पर बैठ गया। उसका लंड पूरी तरह से टन्न हो गया था और खड़ा हो गया था। अखिल, मेरा देवर जोर जोर से अपने मोटे लंड को हाथ में लेकर फेट रहा था।
“आओ भाभी !! मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चुसो आकर!!” अखिल बोला
मैंने उससे कुछ नही कहा। मैंने उसे कोई मना नही किया और उसका लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। मेरे होठ बहुत ही गुलाबी, रसीले और सेक्सी थे। मैंने हाथ से देवर का बड़ा सा लंड फेटती जा रही थी और खूब मजे से उसका लंड चूस रही थी। मेरे देवर मेरे नुकीले तने हुए मम्मो को अपने हाथ से छू रहा था और सहला रहा था। फिर मैंने उसके लंड को पूरा का पूरा अपने मुँह में अंदर तक ले लिया और मजे से चूसने लगी। कुछ देर में मुझे उसका लंड चूसने का ऐसा चस्का लग गया की दोस्तों मैं आपको क्या बताऊँ। मेरे पति को बड़े शर्मीले थे, कभी अपना लंड चुसवाते नही थे। पर आज जब मैंने पहली बार देवर का लंड पिया तो ना जाने क्यूँ मुझे बहुत मजा मिला। बहुत सुख मिला मुझे।
मैं किसी देसी रंडी की तरह अपने देवर अखिल का लंड मुँह में लेकर मजे से चूसने लगी। लंड को अपने गले में अंदर तक ले जाने लगी। पता नही क्यों मुझे ये सब बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने अखिल के लौड़े से खेल रही थी और अपने मुँह पर प्यार भरी थपकी दे रही थी। उसका लंड इतना लम्बा था की मेरे पुरे चेहरे को कवर कर रहा था। मैं जानती थी की अगर मैं कायदे से देवर के लौड़े को चूसूंगी तो वो मुझे जरुर चोदेगा और मजे से मेरी चूत में लंड खिलाएगा। इसलिए दोस्तों, मैं मजे से उसका लंड चूस रही थी। अखिल के लंड का सुपाड़ा की कम से कम ५ इंच लम्बा था और नोकदार था। मैं उसे अपनी जीभ से शहला रही थी। कुछ देर बाद मैंने अच्छी तरह से देवर का लंड चूस लिया।
“भाभी! अब चलो कमरे के फर्श पर नंगी दोनों टांग खोलकर पसर जाओ। मैं तुमको चोदने वाला हूँ!!” मेरा देवर अखिल बोला
मैं उसकी हर एक बात मानती चली गयी। वो मुझे सोफे पर नही चोदना चाहता था क्यूंकि सोफे बहुत छोटा था। इसलिए दोस्तों, मेरे देवर से फैसला किया था की मुझे जमीन में ठन्डे फर्श पर पेलेगा। उसे जमीन में खूब जगह भी मिल जाएगी। और पुरे फर्श पर लोट लोटकर मुझे वो चोद पाएगा। मैंने उसका आदेश मान लिया और जमीन में लेट गयी। मेरे घर में हर कमरे में सफ़ेद संगमरमर वाले पत्थर लगे हुए थे जो पोछा लग जाने के बाद और जादा साफ़ हो जाते थे और चम्म चम्म चमकने लगते थे। मैं कमरे के फर्श पर दोनों टांग खोलकर लेट गयी। मेरा देवर अखिल मेरे पास आ गया और मेरे दूध पीने लगा। जिस तरह से कोई माँ अपने बच्चो को दूध पिलाती है ठीक उसी तरह से मैं अपने देवर अखिल को अपनी मस्त मस्त ३६” की भारी भारी छातियाँ पिला रही थी।
कहाँ कुछ दिन पहले मैंने देवर को बहुत जोर से डाटा था जब वो मुझसे सीटियाबाजी कर रहा था। और कहा आज मैं खुद पूरी तरह से नंगी होकर उसे अपने दूध पिला रही थी। मेरी छातियाँ बहुत ही विशाल और बड़ी बड़ी थी। मेरी निपल्स के चारों ओर बड़े बड़े काले काले सेक्सी गोल छल्ले थे जो किसी चोकलेट की परत की तरह लग रहे थे। मेरा देवर अखिल मजे से मेरे छाती की निपल्स और उसके काले काले छल्ले को चूम रहा था। कुछ देर बाद तो जैसे उस पर कोई बहुत सवार हो गया था। वो अपने दांत गडा गड़ा कर मेरी चुच्ची पीने लगा और मेरी रसीली छातियों का पूरा रस वो पी गया। उसके बाद अखिल मेरी चूत छूने लगा और उसको धीरे धीरे सहलाने लगा। कुछ देर बाद वो मेरी चूत में ऊँगली करने लगा तो मैं अपनी कमर और अपनी गांड उठाने लगी। फिर तो मेरा देवर जोर जोर से मेरी बुर में अपना हाथ डालने लगा। मैं उसका हाथ पकड़ने की कोशिश करने लगी, पर वो नामुराद नही माना और मेरी रसीली बुर को जल्दी जल्दी अपनी ऊँगली से फेटने लगा। कुछ देर बाद मेरी चूत अपना माल और मक्खन छोड़ने लगी।
उसके बाद मेरे देवर अखिल ने मेरी दोनों टाँगे एक दो बार चूम ली। “ओह्ह भाभी!! तुम कितनी सेक्सी माल हो!! भैया तुमको ठीक से चोद नही पाते है, पर भाभी तुम जरा भी फिकर मत करो! आज मैं तुमको जीभरके ठोकूंगा और खूब चूत मारूंगा तुम्हारी!!” देवर बोला
तो दोस्तों मैं भी जवाब देने लगी
“…..हाय ! मेरे प्यारे देवर!! तेरे भैया तो २ मिनट में मेरी चूत में आउट हो जाते है!! मैं प्यासी रह जाती हूँ! पर तुम ऐसा मत करना! कम से कम मुझे १ घंटे तक पेलना!! देवर जी !! आज मुझे चोद चोदकर तुम मेरी तड़पती चूत की प्यास बुझा दो!!” मैंने किसी बेशर्म औरत की तरह देवर से कहा
उसके बाद अखिल ने मेरी चूत में लंड डाल दिया और मुझे चोदने लगा। कुछ देर बाद उसका लंड मेरी चूत की गहराई में जाकर उसे अच्छी तरह से कूट रहा था। मैंने अपने प्यारे देवर से चुद रही थी पर उससे नजरें नही मिला पा रही थी। मैंने शर्म और ह्या से अपनी आँखें बंद कर ली थी। अखिल मुझे ढचाक ढचाक चोद रहा था। मेरी चूत की मोटी मोटी फांके देवर के मोटे लंड के दबाव से किनारे हो गयी थी और मैं मजे से चुदवा रही थी। देवर ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया था और मेरी चिकनी मांसल सेक्सी पीठ को अपने हाथो से वो नामुराद सहला रहा था और मुझे ढाचाक ढाचाक करके चोद रहा था। फिर देवर ने मुझे पेलते पेलते ही मेरे मुँह पर अपना मुँह रख दिया और मेरे होठ पीते पीते मुझे पेलने लगा। उसके हाथ मेरी नंगी छातियों पर सवार थे। आज उसने मुझे अपने वश में कर लिया था। उसने मुझे पूरी तरह से सम्मोहित कर लिया था और मजे से चोद रहा था।
मेरी नंगी सेक्सी नारियल जैसी उभरे नोकदार बूब्स को देवर अखिल अपने हाथ से किसी आम की तरह दबा रहा था और मेरे बूब्स पी रहा था। दोस्तों, मैं रोज तो अपने पति से २ मिनट के लिए चुदती थी, पर आज मुझे देवर चोद रहा था और आधे घंटे पुरे हो गये थे। वो अभी तक आउट नही हुआ था। मेरा देवर मेरे दूध को मुँह में भरके पी रहा था और नीचे से मुझे चोद रहा था। उसका पेट मेरे पेट से लड़ रहा था और चट चट की मधुर आवाज आ रही थी जो बता रही थी की मैं एक असली मर्द से चुद रही हूँ। अखिल मुझसे जी भर के योनी मैथुन कर रहा था। उसका लंड मेरी चूत में पूरा अंदर गहराई तक उतर उतर चूका था और बड़े आराम से अंदर बाहर जा रहा था। मुझे चुदवाते वक़्त किसी तरह की कोई दिक्कत नही हो रही थी।
उसके बाद देवर और जोश में आ गया और गहराई से मुझे ठोकने लगा। ठक ठक की मीठी आवाज मेरी चूत चुदने से आ रही थी। देवर मुझे ताबड़तोड़ पेल रहा था। मेरी कमर और गाड़ अपने आप उठ रही थी और उपर की तरह हवा में उठ रही थी। फिर देवर कुछ मिनट बाद मेरी चूत में ही आउट हो गया। उसने अपना माल मेरे भोसड़े में ही गिरा दिया। मैं लिपट से लिपट गयी और उससे प्यार करने लगी। मैं खुद उसके होठ चूसने लगी जैसा वो मेरा देवर नही मेरा पति हो।
“देवर जी !! आज बहुत ठुकाई की तुमने मेरी रसीली चूत की!!” मैं कहा
“अरे भाभी! तुम चिंता ना करो!! मैं अब तुमको रोज इसी तरह लंड खिलाया करूँगा!!” मेरा देवर अखिल बोला
दोस्तों, कुछ देर बाद उसने मुझे कुतिया बना दिया और पीछे से आकर मेरी चूत पीने लगा। मेरा भोसड़ा पिछले से कुछ जादा ही सेक्सी लग रहा था। मेरी चूत की एक एक कली अच्छी तरह से खुल चुकी थी। मेरा देवर मेरे चूत के गुलाबी गुलाबी होठो को मजे से चूस रहा था। फिर वो कुछ देर बाद किसी कुत्ते की तरह मेरे पीछे आ गया और मेरी चूत में लंड देकर मुझे पीछे से किसी कुत्ते की तरह चोदने लगा। मुझे बहुत मजा मिलने लगा दोस्तों। देवर ठक ठक करके मेरी चूत में लंड देने लगा। उसका लंड सच में बहुत ताकतवर लंड था। मेरा देवर बिलकुल असली मर्द था। उसने मुझे ३५ मिनट और घपाघप चोदा और फिर मेरी चूत में ही माल गिरा दिया।
उसके बाद दोस्तों, मेरे देवर ने मुझे पूरी तरह से अपने वश में कर लिया और सम्मोहित कर लिया। अब हर दोपहर मेरे पति के ऑफिस जाने के बाद वो मेरी चूत मारता है। खुद भी खूब मजे लेता है और मुझे भी जी भरके मजे देता है। ये कहानी आप sexkahani.net पर पढ़ रहे है।