मैं मर जाउंगी अपना लंड बाहर निकालो

  hindi sexy story  ये कहानी मेरी जवानी के दिनों की है दोस्तों जब मैंने बारहवी पास किया और मै एयर फ़ोर्स में सेलेक्ट हो गया | मेरा सेलेक्शन 1992 में हुआ था उसके बाद मैं दिल्ली में अपने मामा के घर रहता था। 1993 में मुझे किसी कारणवश एयर-फोर्स से निकाल दिया क्योंकि दुबारा मेडिकल हुआ था और मैंने रिश्वत नहीं दी थी। एयर फोर्स वाले ऐडवांस में सेलेक्शन करते हैं और जैसे जैसे जरूरत होती हैं बुलाते रहते हैं।

एयरफोर्स से निकलने के बाद मेरा मूड काफी बिगड़ा हुआ था। मैं सुबह ५:३० पर नहा लेता था। फरवरी का महीना था।

मैं एक रोज सुबह नहा रहा था तो देखा कि एक लड़की जिसका नाम दिक्षा था, वो अपनी छत पर खड़ी थी और मेरी तरफ इशारा कर रही थी। मैंने कोई खास ध्यान नहीं xxx story दिया क्योंकि मैं इन चीजों की तरफ खास तवज्जो नहीं देता और मेरे मामा का काफी रुतबा है। मुझे वैसे भी उनसे डर लगता था। इसी वजह से मैंने उसे ठीक तरह से नहीं देखा और सोचा कि शायद मेरे मामा के किसी बच्चे की तरफ देख रही होगी। उस वक्त मेरी उम्र अट्ठारह के आस पास होगी और उसकी उम्र भी मुझसे किसी भी सूरत में ज्यादा नहीं होगी।

 

अगले दिन वह अपनी छत पर खड़ी थी और मैं नहा रहा था। मैंने देखा तो वह मेरी तरफ इशारा कर रही है। मैंने अपने पीछे देखा कि कोई बच्चा तो नहीं खड़ा है, जिसकी तरफ वह इशारा कर रही है। मेरे पीछे कोई बच्चा नहीं था। अब मुझे पक्का यकीन हो गया कि वो मेरी तरफ ही इशारा कर रही है।

दोपहर बाद दिक्षा मुझे मिली तो मेरी उससे बात करने की हिम्मत नहीं हुई और मेरा दिल धड़कने लगा, मैं उससे नहीं बोला। वह शाम को मुझसे मिली और उस वक्त अँधेरा हो रहा था, कहने लगी- तुम तो बिलकुल बुद्धू हो और कहने लगी मेरे साथ चलो ! मैं भैसों के लिए खल लेने जा रही हूँ।

मैं पहले भी उनके घर जाता आता रहता था क्योंकि मैं उसकी माँ को मौसी बोलता था और सभी को पता था कि मैं एक शरीफ लड़का हूँ, मैं कोई शरारत भी नहीं करता था, मेरा चाल-चलन भी अच्छा था !

मैं दिक्षा के साथ बाज़ार चला गया! रास्ते में काफी प्लाट खाली पड़े थे। दिक्षा मुझसे लिपटने लगी परन्तु मैं बहुत डर रहा था! फिर उसने मेरा लंड पकड़ लिया। वो तो एकदम से तोप की तरह सलामी दे रहा था। मैं दिक्षा की चूचियाँ उसके सूट के ऊपर से ही दबाने लगा तो वह सिसकारी मारने लगी- आ आह ! और जोर से दबाओ ! इन्हें मसल डालो !

मैं और जोर से मसलने लगा क्योंकि मुझे कोई तजुर्बा नहीं था। अतः वह सिसकारी जोर जोर से भरने लगी। जाड़ा पड़ रहा था और जो घर पड़ोस में बने थे कभी उनमें आवाज न चली जाए इसलिए मैं काफी हद तक डर रहा था परन्तु वह नहीं डर रही थी। उसने अपनी सलवार और कमीज़ दोनों उतार दिए जिसके नीचे उसने कुछ भी नहीं पहन रखा था! मैं उसकी चूत पर हाथ फेर रहा था और वो मेरे लंड पर हाथ फेर रही थी क्योंकि मैंने लुंगी बांध रखी थी और उसके नीचे अंडरवीयर पहन रखा था। मैंने अपना अंडरवीयर नहीं उतारा। उसने कहा- मेरी चूत में अपना लंड बाड़ दो !

मैंने उसे नीचे लिटा लिया और उसके ऊपर लेट कर लंड उसकी फ़ुद्दी में घुसाने लगा पर वो तो अन्दर जा ही नहीं रहा था।

मैंने काफी कोशिश की परन्तु मैं इस काम के बारे में बिलकुल अनाड़ी था। मैंने उससे कहा- दिक्षा, तुम खल लेकर आ जाओ, फ़िर दो घंटे बाद घर के बाहर मिलते हैं !

क्योंकि मुझे डर था कि मामा या मामी मुझे खाना खाने के लिए न ढूँढ रहे हो !

और ऐसा ही हुआ। मुझे घर जाकर पता लगा कि मेरे छोटे मामा जो बंगलौर में फार्मेसी की पढ़ाई कर रहे हैं, वो आने वाले हैं !

छोटा मामा मुझसे केवल दो साल बड़ा है, मुझे बड़ी ख़ुशी हुई! जब मामा आ गया तो मैंने उससे दिक्षा का जिक्र किया क्योंकि मैं और मामा आपस में एक दूसरे से कोई बात नहीं छुपाते और मित्रों जैसा बर्ताव करते हैं।

मामा एक नम्बर का चुदक्कड है, बचपन से ही यह बात मैं अच्छी तरह से जानता हूँ ! मामा दिक्षा की बात सुनकर मुझे कुरेद कुरेद कर पूछ रहा था कि कहीं मैं झूठ तो नहीं बोल रहा हूँ।

मैंने उसे बताया और यकीन दिलाया। परन्तु दिक्षा ने मुझसे कहा था कि यह बात मैं किसी को भी न बताऊँ, परंतु मुझे तो आग लगी थी और कुछ हो भी नहीं पाया था!

मामा ने अपने मकान की बाहर की तरफ किराये के लिए दो दुकानें बना रखी थी जिनमें एक दोतरफ़ा खुलती थी जिसमें कोई दरवाजा अथवा शटर नहीं था। जबकि दूसरी दुकान में दरवाजा बंद रहता था, जिसमे भैंसों के लिए खल पड़ी होती थी, क्योंकि मामा १०-१२ भैंसे रखते थे और दूध भी सप्लाई करते थे और सरकारी नौकरी भी थी। वे दिल्ली में एक स्कूल में टीचर हैं! आप ये कहानी अन्तर्वासना-स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है |

मैंने दिक्षा को उस बंद दुकान में आने के लिए कह दिया और घर में मैंने और छोटे मामा ने दुकान में लेटने के लिए कह दिया। मामा योजना के अनुसार पहले दुकान में जाकर छिप गया। हमने दुकान की लाइट भी बंद कर दी थी। मैं दिक्षा का बाहर ही इंतजार करता रहा, तब तक मामा दुकान में सो गया! कुछ देर बाद दिक्षा आई तो मैंने उसे दुकान में अन्दर कर लिया और मामा के बराबर में ही उससे लिपट गया।

उसने पूछा- यह कौन है?

तो मैंने बताया- छोटा मामा है !

तो वह डर गई और जाने का लिए कहने लगी। मैंने कहा- यह तो सफ़र से आया है और थका होने का कारण सो गया है, यह नहीं जागेगा !

मैं दिक्षा और अपने कपड़े उतार कर उसकी टांगो बीच आकर अपना लंड उसकी चूत पर लगा कर झटके मारने लगा। मेरे लंड का सुपाड़ा ही अन्दर जा पाया था। वह धक्का देने लगी और चिल्लाने लगी- मैं मर जाउंगी अपना लंड बाहर निकालो

मैं भी डर गया, परन्तु मैंने चालाकी से मामा के पैर पर अपना घूँसा मार दिया जिससे मामा की नींद खुल गई। मामा जागते ही सारा किस्सा समझ गया और खुद दिक्षा के ऊपर सवार हो गया और मुझसे कहा- इसका मुंह बंद करले नहीं तो रास्ता चल रहा है, हम मारे जायेंगे ! क्योंकि यह चिल्लाएगी, क्योंकि दिक्षा की यह पहली चुदाई होने जा रही थी!

मामा ने जबरजस्ती उसकी चूत में अपना लंड घुसेड़ दिया। फिर धीरे धीरे दिक्षा शांत हो सकी और मस्ती लेने लगी और अपनी गांड उठा उठा कर नीचे से धक्के देने लगी। हमेशा से मैं और मामा एक साथ सोते थे! अब तो हमारी रोज की दिनचर्या बन गयी दिक्षा रोज रात को १२ बजे के बाद आती और मैं और मामा उसे तबियत से चोदते !

यह सिलसिला हमारा लगभग एक साल तक चलता रहा। परन्तु उसके घर वालो को शक हो गया और हमने उससे मना कर दिया ताकि हमारी वहां बदनामी न हो सके, क्योंकि वो रात रात भर घर से गायब रहने लगी थी और शराब भी पीने लगी थी क्योंकि उसने कहीं और भी सम्बन्ध बना लिए थे।

हमारे बीच वाले मामा और बीच वाली मामी को पता लग गया था। मामा ने कहा कि कोई बात नहीं है, बच्चे हैं, इस उम्र में ऐसा होता है !

परन्तु हमारी बीच वाली मामी बोली कि तुम्हारी मम्मी और बड़ी मामी को बता देगी क्योंकि हमारी बड़ी मामी बड़ी कड़क और गुस्से वाली है। तो बड़े मामा को भी पता चलता और मेरे पापा को भी पता चलता ! परन्तु हम फिर भी मौका देखकर दिक्षा के साथ सेक्स कर लेते थे।

तो दोस्तों कैसी लगी कहानी |

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