रंगीन साली –रंगीला जीजा
जब मेरा विवाह हुआ तब मेरी साली की उम्र 17 वर्ष की थी / जैसा कि सब जानते हैं कि साली प्रायः प्रायः विवाह में अपनी बहिन के साथ एक सहायिका के रूप में साथ में जाती ही है / मेरी साली भी मेरी पत्नि के साथ मेरे घर आई / सुहाग रात में भी वह हमारे विस्तर पर ही सो गई / जगाने पर भी नहीं उठी तब श्रीमती जी ने कहा , रहने दो सो गई है / चूंकि हम समझ रहे थे कि वह गहरी नींद में है अतएव हमारी चोदने चुदने की प्रक्रिया नहीं देख पाएगी / यदि वह सो रही होती तो हम दोनों अपनी काम क्रीडाओं में लग जाते / हम यह नहीं समझ पाए कि वह अनजान बन कर सोती है और चुपचाप मेरे लंड और अपनी दीदी की चूत को निहार लेती है / एक रात मुझे बड़ा अजीब लगा जब मेरी साली मेरा लंड पकड़कर अपनी चूत से टिकाने लगी / मैं जानता था कि मेरी इस साली की उम्र 18 साल नहीं हुई , अतएव इसकी चूत या बुर में लंड पेलना उचित नहीं है / इसलिए मैंने उसकी चूत में टिके अपने लंड को टिके रहने दिया और बिना कुछ दवाव के उसे अपने से लपेट लिया / मैं जानता था कि उसे चोदना खतरे से खाली नहीं है / मैंने श्रीमती जी से कहा की तुम्हारी इस छोटी सी बहिन की बुर में भी खुजली हो रही है / वह भी चुदने की सोच रही है / श्रीमती ने कहा कि साली है थोडा हरकतें तो करेगी ही / आपको उसकी उम्र का ध्यान रख कर ही काम करना है / जब वह वयस्क होगी तब देखना , अभी तो मैं हूँ ,जब चाहो और जितना चाहो मुझे चोदो / इसी तरह साल दर साल गुजरते रहे और साली साल में एक दो बार मेरे घर आती रही / मेरे लंड को पकड़कर अपनी बुर से टिकाती रही और मैं उसकी छाती में उभरते उठाव को सहलाता रहा / वह मेरे लंड को पकड़कर आनंद लेती रही और मैं उसकी छाती में उभरती दो मस्त गेंदों को सहलाकर आनंद लेता रहा /
मैं प्रायः घर से बाहर रहता था / मेरे साथ में श्रीमति भी रहती थी / एक दिन जब मैं श्रीमती जी के साथ गाँव गया तब ससुराल में साली को ज्योंहि खबर लगी कि जीजा जीजी आये हैं तो वह भी हमारे गाँव आ गई / अब वह 18 साल की उम्र की हो चुकी थी / मैंने उसे देखा / मुझे लगा की अब यह चुदने लायक हो चुकी है / इसे बेख़ौफ़ होकर चोदा जा सकता है / मुझे जल्द ही अपने काम पर लौटना था / मैंने श्रीमती से कहा कि कुछ आवश्यक काम है अतएव मैं जा रहा हूँ / एकाध हफ्ते में आकर तुम्हें ले जाऊंगा / श्रीमती ने कहा ठीक है लेकिन आपको खाना बनाने खाने में तकलीफ होगी / मैंने कहा कोई बात नहीं / इसी बीच साली बोली –‘’ जीजा मैं चलूं ? दो चार दिन रह लूंगी और आपको खाना बनाने में तकलीफ नहीं होगी /’’ मैंने कहा –अरे तुम तकलीफ मत करो / उसने कहा इसमें तकलीफ की क्या बात है / मैं समझ गया कि साली चुदने के लिए बेताब है / मैंने कहा ठीक है अपनी दीदी से भी पूछ लो / उसने जब अपनी दीदी से पूछा तो उसने हाँ कह दिया / साथ ही हिदायत दी कि जीजा को परेशान मत करना / साली तैयार हुई और हम दोनों रेलगाड़ी मैं बैठे और अपने रूम पहुँच गए /
रूम में पहुँच कर वह भोजन तैयार करने लगी / मैं बीच बीच में उठकर उसकी उभरी चूचियों को सहला देता था / वह न न करती और मुस्करा देती / मैं जानता था कि यह चुदने के लिए आई है और मैं इसे चोदने के लिए लाया हूँ / भोजन आदि से निवृत्त हुए तब तक रात के दस बज चुके थे / मैंने उससे कहा –‘’कामिनी बिस्तर बिछा लो / ‘’ उसने पलंग में मेरा बिस्तर और अपना बिस्तर पलंग से ही सटाकर नीचे फर्श में बिछा लिया / उसने कहा कि जीजा लाईट जलने दूं या बुझा दूं / मैंने कहा जैसी तेरी मर्जी / उसने कहा जलने देती हूँ / इसके बाद फिर अपने अपने बिस्तर पर लेट गए / तब तक रात के साढ़े ग्यारह बज चुके थे / मैंने कहा –कामिनी थोडा मेरे माथे में तेल लगाकर मालिश कर दो / वह उठी तेल की शीशी लेकर पलंग पर बैठ गई और मालिश करने लगी / बाद में मैंने कहा कि कामिनी अब मेरे पेट के थोडा नीचे मालिश कर दो / वह बोली जीजा –पलंग में अच्छी तरह मालिश करते नहीं बनेगी ,नीचे जो बिस्तर मैंने बिछाया है उस पर लेटिये उस पर ढंग से मालिश कर दूँगी / मैं फर्श पर बिछे बिस्तर पर लेट गया / उसने पेट के नीचे मालिश करना प्रारम्भ किया / धीरे धीरे उसने मेरे लौंडे की मालिश चालू कर दी / फिर कहा जीजा – अंडर बियर उतार दो तो मालिश अच्छे से होगी / मैंने कहा उतार दे / उसने अपने ही हाथों से मेरा अंडर बियर उतार दिया / और मेरे लौंडे में तेल लगाकर अपने हाथों से सहलाने लगी / मेरा लंड पूरी तरह शिकार के लिए तैयार हो चूका था / मैंने कामिनी से कहा –कामिनी ला तेरी चूत में तेल लगा दूं / उसने कहा ठीक है / मैंने कहा –तू भी अपने कपडे उतार दे / उसने कपडे उतार दिए और लेट गई / मैंने तेल लिया और उसकी बुर में लगाकर हाथ फिराने लगा / मैंने कहा तेरी चूत तो बहुत मस्त है / उसने कहा –इसमें कोई कहने की बात है, इस उम्र में चूत मस्त होती ही है / फिर उसने कहा – जीजा जब आप जीजी की बुर में अपना लंड घुसड़ते थे और जोर जोर से अन्दर बाहर करते थे और जीजी शी- शी कर कहती थी की चोद डालो , मेरी बुर को फाड़ डालो , तब मैं बीच बीच में अपनी आखें खोलकर सब देख लेती थी / मैंने जीजी की चूत भी ध्यान से देखी है और आपका लम्बा मोटा लौंडा भी / जीजा एक बात बताओ जब मैं आपका लंड पकड़कर अपनी सत्रह साल की चूत से रगडती थी तब आप अपने लंड को मेरी बुर में डालने की कोशिश क्यों नहीं करते थे / मैंने कहा – तू बालिग नहीं थी / उसने कहा लड़कियां चौदह साल की उम्र से ही चुदवाने को तरसती हैं फिर मैं तो सत्रह वर्ष की थी / उसने कहा कि मेरी बुर और अपने लंड में चिकनाई लगाकर मेरी बुर चोद सकते थे / मैंने कहा तब न सही अब तेरी चूत में मेरा लंड घुसेगा /
हम दोनों लेट गए / मैंने कहा –कामिनी मेरे लंड को अपनी जीभ लगाकर चाट / उसने कहा – हाँ जीजा मैंने जीजी को आपका लंड पीते देखा है और आप मेरी जीजी की चूत चाटते थे यह भी देखा है / मैंने कहा –ठीक है तू मेरा लंड पी और मैं तेरी चूत चाटता हूँ / वह मेरे लंड को चाटने लगी और मैं उसकी बुर में अपने जीभ फिराने लगा / मैं उसके उरोजों को दबाने लगा उसने कहा जीजा अभी मेरे उरोज दबाने लायक नहीं हैं / धीरे धीरे दबाइए अभी दर्द करेंगे / हम दोनों मद मस्त हो गए / मैंने कहा कामिनी अब मेरा लंड बेक़रार है अब तेरी बुर में डालूगा / वह कुछ नहीं बोली / मैंने उसे पूरी तरह चित्त लिटा लिया और उसकी बुर मैं और तेल लगाकर उसे उबालने लगा / वह भी बेक़रार हो रही थी / बोली जीजा अब देर मत करो हरामिन मेरी बुर लंड गटकने को बेताब है / मैंने उसकी दोनों टांगें उठाई और उसकी बुर में डालने का प्रयास किया / लंड और बुर पर दुबारा चिकनाई लगाई और झटके से उसकी नन्हीं सी बुर में अपना लौंडा घुसेड दिया / लंड घुस गया/ मैंने लंड को फटाफट-सटासट अन्दर बाहर करना चालू कर दिया / कुछ मिनटों बात उसकी चूत वीर्य से लबालब भर गई / मेरा वीर्य उसकी चूत से बहता हुआ उसकी गांड तक पहुँच गया, खून भी छिरपने लगा / उसकी चूत में पूरा वीर्य गिर जाने के बाद मैनें अपना लंड उसकी भोसड़ी से बाहर निकाल लिया / चौदह साल की साली इतने लम्बे मोटे लंड को और चुदाई की रफ़्तार को सह नहीं पाई / उसे मूर्छा आ गई . मैंने पंखा तेज कर दिया और उसके चेहरे पर पानी के छींटे मारे / थोड़ी देर बाद वह कुनमुनाई और अपनी आँखें खोली / मैंने उसे इलायची खिलाई ताकि उसकी घबराहट कंट्रोल हो जाये / समाचेत होते हुए हुए बोली – जीजा आपकी चुदाई की रफ़्तार ने तो मेरे प्राण ही ले लिए थे / मेरी बुर तो लहूलुहान हो गई / खैर अब मेरी बुर में आपने अपना लंड घुसेड़कर जगह बना दी है / अब मैं आपसे कभी भी चुदवा सकती हूँ / जब दीदी गाँव में रहा करेगी तब मैं यहाँ आ जाया करूंगी और आपसे जी भर कर अपनी बुर चुदवाया करूंगी / आपका लौंडा कभी भी बुर के लिए नहीं तरसेगा / वैसे भी कहते हैं ‘’साली आधी घर वाली , मैं ससुराल में भी रहूंगी और जब कभी आप वहां आयेंगे तो समय निकाल कर मेरी बुर आपके लंड की आवभगत के लिए तैयार रहेगी / जब तक रहूंगी आपको कभी भी बुर की कमी महसूस नहीं होने दूँगी , जब जी चाहे की साली को चोदना है , आप किसी भी बहाने मुझे बुलवा लिया करें ‘’/ ऐसा कह कर उसने मेरे लंड को ‘’ओ मेरे जीजा , ओ मेरे प्यारे जीजा ‘’ बार बार चूमा / और कहा जीजा आपका लंड ही तो मेरा असल जीजा है , और मेरी ये हरामिन चूत ही तो आपकी असली साली है / और एक बात बताऊँ बिना जीजा से चुदवाये साली को कभी तृप्ति नहीं मिलती /
कामिनी एक हफ्ते तक मेरे रूम में रही / मैंने चुदवाने के सभी तरीके उसे सिखाये / मैंने उसकी चूत चोदी, उसकी गांड चोदी उसके मुंह में लंड भीतर बाहर कर उसके मुंह में ही वीर्य गिराया / लेट कर , घोड़ी बनाकर , गोद में लेकर , टेबल पर सीधे बैठाकर चोदने का चुदने का आनंद , टेबल में उल्टा निहुरकर गांड में लंड डलवाने का आनंद , एक दूसरे की विपरीत दिशा में एक साथ लंड चूसते बुर चाटते वीर्य छोड़ना, जैसे कुतिया भागती है और कुत्ता उस कुतिया को चोदने के लिए उसके पीछे भागता है और अंत में कुतिया चुदवाने को मजबूर हो जाती है , इन सब तरह तरह की चुदाई में वह एक हफ्ते में ट्रेंड हो गई / इस एक हफ्ते खींच खींच कर , मसोस मसोस कर मैंने उसके उरोजों का उभार भी बढ़ा दिया था / यद्यपि उसे इसमें काफी परेशानी और तकलीफ हुई , किन्तु शायद वह यह सब ठानकर ही आई थी कि जीजा जैसा चोदना चाहे चोदे किन्तु वह चुदकर ही रहेगी और कामिनी एक हफ्ते तक खूब चुदी , जी भर कर चुदी /