मेरा नाम राज है।
मैं बनारस का रहने वाला हूँ।
मैं पहली बार अपनी कहानी लिख रहा हूँ।
मेरा कद छे फ़ीट है और मैं बीटेक का छात्र हूँ।
अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ।
बात उस समय कि है जब मैं दसवीं कक्षा में था।
हमारे पास के मोहल्ले में एक लड़की थी।
वो गरीब घर से थी तो मेरी माँ ने उसे अपने पास रख लिया।
वो घर का सारा काम करती थी।
उसका नाम रानी था मेरे घर में मेरी बहन, माँ और मैं रहता हूँ और हम सब एक कमरे में सोते है।
मेरे अंदर सेक्स की आग कुछ ज़्यादा ही है।
मैं हमेशा चूत के ख़यालों में खोया रहता था।
वो लड़की भी हमारे साथ सोती थी।
पर मैंने उसे गन्दी नजर से नहीं देखा।
एक दिन रात में हम सो रहे थे कि अचानक मुझे कुछ आवाज़ आई और मुझे लगा कि मेरे कम्बल में किसी का हाथ है,
और वो मेरे गालों को सहला रहा है।
मेरी नींद खुल गई पर मैं सोने का बहाना कर रहा था।
मैंने सोचा कि देखूँ ये क्या कर रही है?
अब उसका हाथ मेरी छातियों तक आ गया था और मेरा लंड सलामी देने लगा।
अब मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अपना हाथ उसके कुरते में डाल दिया और उसकी चूची दबाने लगा।
वो गरम होने लगी।
उस रात बस यही होता रहा और हम दोनों सो गए।
मैं सुबह उठा तो उसे देख कर मैं हट गया और शाम को वापस आया।
जब मैं घर आया तो वो अकेली थी और कमरे की सफाई कर रही थी।
मैं उसके पास गया और कहा जो कल रात हूआ उस के लिए सॉरी।
तो उसने कहा – कोई बात नहीं, पर मम्मी का ख्याल रखना कि उन्हें ना पता लगे वर्ना परेशानी हो जाएगी।
तुम चाहो तो रोज़ कर सकते हो।
यह बात सुनकर मेरे कान खड़े हो गए और मन में ख़ुशी कि मेरा काम बन गया।
उसके बाद तो मैं रोज़ मज़े करने लगा।
जब रात को सब सो जाते तो मेरा काम चालू हो जाता।
एक ओर वो पहले मेरे बदन को सहलाती और मैं उसकी सावलें रंग की चुची को खूब दबाता और उसका रस पीता था।
एक दिन जब माँ बाज़ार गयी थी, कुछ काम से और घर पर सिर्फ़ वो और मैं था।
तो मैंने उससे कहा कि एक बात पूछूँ तुम बुरा तो नहीं मनोगी?
उसने कहा – नहीं, पूछो।
मैंने कहा कि तुमने मेरे अंदर ऐसा क्या देखा कि तुम मेरे साथ ये सब करने को तैयार हो गयीं।
उसने कहा कि उसके घर पर एक लड़का था जो बिल्कुल मेरी तरह था और वो उससे प्यार करती थी।
लेकिन उसकी शादी दूसरी लड़की से हो गयी।
यह सुनकर मैं उसे चूमने लगा और वो मेरा साथ देने लगी।
अब मैं उसे चूम रहा था और मेरे दोनों हाथ उसकी कोमल चुची पेर रेंग रहे थे,
मैंने उसे कहा कि मैं तुम्हे बिना कॉन्डोम के चोदना चाहता हूँ।
तो उसने कहा – नहीं, माँ कभी भी आ सकती है।
मैंने उसे चूम कर जाने दिया।
अब मैं माँ के कहीं बाहर जाने की रहा देखने लगा।
वो कहते हैं ना जहाँ चाह होती है वहाँ राह होती है।
एक दिन माँ को शादी में जाना था तो मा ने कहा कि राज तुम भी साथ चलो।
मैंने कहा – नहीं, माँ मुझे क्लास में जाना है।
उन्होंने कहा कि ठीक है, पर घर का ध्यान रखना और वो चली गयीं।
उनके जाते ही मैंने रानी को अपनी बाहों में उठा लिया और चूमने लगा।
वो भी गरम हो गयी और मेरा पूरा साथ देने लगी।
मैंने उसके कपड़े उतारने चालू कर दिया और उसका कुर्ता उतार दिया।
अब उसने काली रंग की ब्रा पहन रखी थी।
मैं ब्रा के ऊपर से ही उसकी चुची पर हाथ फिराने लगा और उसकी सिसकारियाँ निकालने लगी।
मेरा हाथ अब उसकी सलवार पर जाने लगा।
मैंने उसका नाड़ा खोल कर उसकी सलवार नीचे गिरा दी।
उसकी सफेद रंग की पैंटी पहन रखी थी।
उसके बाद उसने कहा – राज, तुम भी तो अपने कपड़े उतरो।
तो मैंने कह तुम ही उतार दो ना।
उसके बाद मैंने उसकी चुची को चूस-चूस कर लाल कर दिया।
वो सिसकारियाँ लेती हुई बोली – राज, अब सब्र नहीं होता। कुछ करो प्लीज़।
तो मैंने अपना लंड जो की पहले से ही खड़ा था उसकी चूत पर रखा और रगड़ने लगा।
वो पागल होने लगी और बोली कि राज कुछ करो नहीं तो मैं मर जाऊँगी।
तो मैंने सोचा कि अब और तड़पाना अच्छी बात नहीं है और मुझे से भी सब्र नहीं हो रहा था।
मैंने अपना लंड रानी की चूत पर रखा और हल्का सा धक्का दिया तो उसकी चीख़ निकल गयी।
उसने कहा – राज, तुम्हार लंड बहुत मोटा है।
बहुत दर्द हो रहा है पर मैंने उसकी बात पर गौर नहीं किया ओर एक ओर झटका मारा तो मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया।
वो रोने लगी कि मुझे नहीं चुदवाना अपना लंड बाहर निकालो!
पर मैंने कहा कि बस रानी, अब दर्द नहीं होगा। अब तो मज़ा आएगा ओर उसे चूमने लगा।
जब उसका दर्द कुछ कम हुआ तो उसने कहा – अब दर्द नहीं है, तुम जी भर कर कर लो।
मैंने दस मिनट की लगातार चुदाई की।
बाद में मैं झरने वाला था।
वो दो बार झड़ चकी थी तो मैंने उससे कहा – मेरा निकलने वाला है।
तो उसने कहा कि अंदर ही निकाल दो। मैं तुम्हारा रस अपनी चूत में लेना चाहती हूँ।
ओर दो-तीन झटकों के साथ मैं उसकी चूत में ही झड़ गया।
तो आप लोगों को मेरी कहानी कैसी लगी – मुझे मेल ज़रूर करके बताईगा!