नमस्कार दोस्तों,
मेरा नाम अनूप राणा है और प्यार से दोस्त लोग मुझे चुत का राणा भी कहते हैं | सभी जानते हैं की ऐसी कोई नारी या लौंडिया नहीं जिसकी चुत मैं नहीं मार सकता | दोस्तों मैं सब – कुछ छोड़ – छाड कर बस पानी एक गर्लफ्रेंड के साथ ही रहने का फैसला किया तो मरे कमीने दोस्तों ने मेरी गर्लफ्रेंड की एक सहेली जिसका नाम चमेली था उसकी चुत मारने पर मुझसे ६००० हज़ार रूपए की हसरत लगा दि | दोस्तों अब मामला पैसों का आ चूका था और उन् दिनों मेरे पास तो पैसों की भी किल्लत है और मैं यह भी जानता था की दोनों ही मामलों में मेरे ही फाईदे थे सो मैंने उनकी शर्त पर हामी भर दी और लगा दि चमेली कि चुत पर | चमेली मेरी गर्लफ्रेंड की दोस्त थी इसीलिए मेरी उससे बात तो हो ही जाया करती थी और एक दिन मैंने अपने गर्लफ्रेंड के फोन से चमेली का नो. भी निकाल लिया | मुझे उससे सेट करने में ज्यादा समय ना लगा और उन् दिनों तो मेरी गर्लफ्रेंड भी अपनी किन्ही परीक्षा देने के लिए दूसरे शहर गयी हुई थी |
मेरे पास यही एक मौका था और मैंने धीरे – धीरे पहले फोन फिर कुछ मुलाकातों से और आखिरी कुछ बॉलीवुड की फिल्मों से अपने काबू में कर ही लिया था | पहले तो वो मुझसे बात करने में थोडा – बहुत हिचकिचाती भी थी पर अब हम एक – दूसरे से काफी खुल्लम – खुल्ला हो चुके थे और मैं उससे वैसे ही बात करने लगा जैसे की अपनी गर्लफ्रेंड से किया करता था | एक दिन मैंने चली को अपने साथ कहीं बहार ले जाने का फैसला किया और अपने शहर के मशहूर जगह पर ले गया जोकि किन्ही मायनो में एक हरे – भरे पार्क जैसा ही था | हमने पहले तो वहाँ खूब मस्ती को और जाब थक – हारकर हम खाना खा लिए तो अब हमर मुड दूसरी ही तरफ जाने लगा था | मैंने पहले जल्दी शुशु करने के बहाने पीछे के पेड़ पर अपने फोन को सेट कर दिया और उसमें हमारी फिल्म बननी चालू भी हो गयी | अब मैंने बातों – बातों में उससे अपने बिलकुल करीब ले आया और बातों के विषय थोडा बहुत रोमांटिक कर दिया जिसपर उसने अपनी मुंडी को नीचे मुड़ा लिया |
मैंने उसकी आँखों वो शर्म देखि तो अपनी कुछ उँगलियों को उसकी हटली तक ले आया और फिर लहरान शुरू कर दिया | मेरी इन हरकतों ने अपना जादू चलाना शुर कर चूका था और वो मेरा कोई विरोध नहीं कर रही थी बल्कि शांत होकर भरी सांसें ले रही थी | मैं समझ गया की रास्त साफ़ है और उससे एक दम चिपक कर बैठ गया | मैं अपने एक हाथ को उसके कंधे पर चडा लिया और दूसरे हाथ को सहलाता हुने मैंने उसकी बगल के किनारे से उसके चुचों को हल्का – हलका छू रहा था जिससे वो हर – बार काँप उठती | मैंने तभी अब कुछ पल मैं उसके चेहरे को अपनी और करते हुए उसके गाल को चूमा फिर उसके होठों को भी अपने होठों के काबू में ले लिया | मैं करीब ५ मिनट तक उसके होंठों को चूसता चला गया फिर धीमे हाथ हाथ को उसके चूची पर पहुंचकर दबाने लगा | वहाँ किसी का आना जाना नहीं था |
हमारी पेड़ पर कुमक फिल्म भी बन रही थी मैंने अब उसके टॉप को उतार दिया और नीचे झुकर उसके चुचों को मुंह में भर लिया जिसपर वो सिसकियाँ ले रही थी |मैं दूसरे हाथ से उसकी पैंट की ज़िप खोली और उसकी पैंट के अंदर डालते हुए उसकी चुत के उप्पर फिराने लगा जिससे उसकी चुत की गीली होने में वक्त ना लगा | मैंने अब शारी शर्म भुलाते हुए उसे अपने सामने नंगी कर दिया और उसकी चुत पर अपने लंड को लगते हुए जोर देने लगा | कुछ पला में मैंने ठप्प ठप्प ठप्प ठप्प मारते हुए उसकी चुत को चोदे जा रहा था और वो भी कामुकता के नशे में खोयी हुई थी | इसी तरह हमारी पूरी दोपहरी निकली और अंत मेरे झड़ने पर हो गया | उसके बाद भी मैंने उसे चूमना ज़ारी रखा और चुपके से अपने फोन को भी ले आया | उसके बाद मैं शर्त तो जीत गया और इस गुप्त कांड के बाद अपने गर्लफ्रेंड के साथ फिर व्यस्त हो चला }