मेरा नाम सारिका है मैं पुणे की रहने वाली हूं, मेरी शादी को 5 वर्ष हो चुके हैं लेकिन इन 5 वर्षों में मेरे शादी बिल्कुल भी अच्छे से नहीं चल पाई। मेरे पति और मेरे बीच में ज्यादा नहीं बनती, हमारे अभी तक बच्चे नहीं हुए हैं जिसकी वजह से सब लोग मुझ पर ही उंगली उठाते हैं और मेरे पति ने भी मेरा कभी भी साथ नहीं दिया। उनका किसी अन्य महिला के साथ रिलेशन भी है, जिसकी वजह से हम दोनों के रिलेशन में खटास पैदा हो चुकी है और मुझे लगता है कि क्यों ना मैं अपने पति से अलग हो जाऊं इसलिए मैं कुछ समय के लिए अपने मायके चली गई। जब मैं अपने मायके गई तो मेरे माता-पिता मुझसे पूछने लगे की तुमने क्या अमित के साथ अपने रिलेशन खत्म कर लिये है, मैंने उनसे कहा नहीं मैंने अमित के साथ रिलेशन खत्म नहीं किया है लेकिन मैं कुछ समय के लिए अलग रहना चाहती हूं।
मेरे माता-पिता बहुत ही खुले विचारों के हैं और उन्होंने मुझे कभी भी किसी चीज के लिए रोका नहीं इसलिए उन्होंने मुझे कहा कि यदि तुम अपने रिलेशन में कुछ समय चाहती हो तो तुम हमारे साथ ही रह सकती हो, मेरी छोटी बहन अभी कॉलेज में पढ़ रही है इसलिए मैं नहीं चाहती कि मेरे और अमित के रिलेशन का उस पर भी असर पडे। मेरे पिताजी बहुत ही समझदार हैं, एक दिन उन्होंने मुझे अपने रूम में बुलाया और वह मुझसे बात करने लगे, मेरे पिताजी मुझे हमेशा ही सपोर्ट करते हैं और वह मुझे हमेशा ही समझाते हैं कि यदि तुम्हारे और अमित के बीच रिलेशन अच्छा नहीं चल रहा है तो तुम्हें कुछ समय के लिए अपने आप को भी समय देना चाहिए। मैंने अपने पिताजी से सारी बात कही और उन्हें बताया कि हम दोनों की शादी को 5 वर्ष हो चुके हैं, इन 5 वर्षों में हम दोनों के बीच में बहुत ज्यादा झगड़े हुए हैं और अब मेरी अमित से बिल्कुल भी नहीं बनती इसीलिए मैं अलग रहना चाहती हूं। जब मैंने अपने पिताजी से यह बात कही तो वह कहने लगे कि तुम अपना डिसीजन खुद ही ले सकती हो और तुम अब समझदार हो चुकी हो इसलिए मुझे तुम पर पूरा भरोसा है।
मैंने अपने पिता से कहा कि मुझे कुछ समय चाहिए क्योंकि मैं अलग रहना चाहती हूं ताकि मैं अपने आप को समझ संकू की कहीं मेरी वजह से ही अमित को कोई दिक्कत तो नहीं है। मैंने अपने पिताजी से यह बात भी कही कि अमित का किसी अन्य महिला के साथ चक्कर चल रहा है लेकिन अमित ने यह बात कभी एक्सेप्ट नहीं की, मैंने भी उसे इस बारे में कभी नहीं कहा। मेरे पिताजी कहने लगे ठीक है तुम कुछ समय ले लो और तुम्हारा जो भी फैसला होगा तुम मुझे बता देना, मैंने अपने पिताजी से कहा ठीक है मैं कुछ समय और लेना चाहती हूं उसके बाद ही मैं कोई निर्णय ले पाऊंगी कि मुझे अमित के साथ रहना है या फिर मुझे अपना जीवन अकेले ही जीना है। मेरे पिताजी एक बड़े अधिकारी हैं और मेरी मां भी एक अध्यापिका है, इसलिए हमें पहले से ही आर्थिक तंगी नहीं थी। मैंने कुछ दिनों बाद अपने पिताजी से कहा कि मैं घूमने के लिए जाना चाहती हूं, वह कहने लगे ठीक है यदि कुछ समय तुम कहीं जाना चाहती हो तो तुम मुझे बता दो, मैंने उन्हें कहा कि मैं कुछ समय के लिए शिमला में ही रहना चाहती हूं क्योंकि शिमला में मेरी एक सहेली भी है। मेरे पिताजी कहने लगे शिमला में मेरे बहुत ही अच्छे मित्र हैं, तुम कुछ समय के लिए उनके घर पर ही रह सकती हो,
मैंने उन्हें कहा कि लेकिन मैं उनके साथ एडजस्ट नहीं कर पाऊंगी, वह मुझे कहने लगे कि उनका एक घर है जो काफी समय से बंद पड़ा है यदि तुम वहां रहना चाहती हो तो मैं उनसे फोन पर बात कर लेता हूं, मैंने अपने पिताजी से कहा ठीक है आप उनसे एक बार बात कर लीजिए। मेरे पिताजी ने मेरे सामने ही उन्हें फोन कर दिया और वह कहने लगे कि आप सारिका को शिमला भेज दीजिए, उसे किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं होगी, मेरे पिताजी ने मुझे संजीव अंकल का नंबर दे दिया और जब मैं संजीव अंकल से मिली तो मुझे उनसे मिलकर बहुत अच्छा लगा। वह कहने लगे कि तुम्हारे पिताजी ने मेरी बहुत ही मदद की है और मैं उनका हमेशा ही एहसान मानता हूं। मैं उस दिन उनके घर पर ही गई थी, उनका घर बहुत ही बड़ा और आलीशान था, मैंने संजीव अंकल से कहा कि क्या आप घर में अकेले ही रहते हैं, वह कहने लगे कि मैं अब अकेला ही रहता हूं क्योंकि मेरे दोनों बच्चे बेंगलुरु में सेटल हो चुके हैं और वह कभी-कभार छुट्टियों में शिमला आ जाते हैं और मेरी पत्नी का देहांत तो काफी समय पहले ही हो चुका है।
मैंने संजीव अंकल से कहा कि आप अकेले कैसे समय बिताते हैं, वह कहने लगे कि अब मुझे आदत हो चुकी है और नौकर चाकर भी घर में है तो मेरा समय कट ही जाता है। मैंने उनसे पूछा कि आप खाली समय में क्या करते हैं तो वह कहने लगे कि मैं जब भी खाली होता हूं तो मैं अपने पुराने दोस्तों से मिलने के लिए चला जाता हूं क्योंकि मैं अब रिटायर हो चुका हूं इसलिए मेरे पास बहुत समय रहता है। मैंने संजीव अंकल से कहा कि चलो अब मैं आपको कंपनी देने के लिए आ गई हूं तो अब आप का भी टाइम पास हो जाया करेगा और मुझे भी आपकी कंपनी मिल जाएगी। संजीव अंकल मेरी बातों से बहुत खुश हुए और कहने लगे की मुझे तुमसे बात कर के बहुत अच्छा लग रहा है, वह मुझे कहने लगे कि मैं तुम्हें अपने दूसरे घर की चाबी दे देता हूं, तुम वही पर रह लेना।
वह मुझे अपने दूसरे घर पर ले गए जो कि उनके घर से कुछ ही दूरी पर था, जब उन्होंने मुझे अपने उस घर की चाबी दी तो मैंने उन्हें कहा कि मैं कल सुबह आपसे आकर मिलती हूं। मैंने अपने पिताजी को फोन कर दिया और मेरे पिताजी कहने लगे कि तुम्हें किसी भी प्रकार की कोई परेशानी तो नहीं है, मैंने उन्हें कहा कि संजीव अंकल बहुत ही अच्छे हैं और वह बहुत ही कॉर्पोरेट कर रहे हैं, उन्होंने मुझे अपने दूसरे घर की चाबी देदी है और मैं उनके दूसरे घर में ही रुकी हुई हूं। मेरे पिताजी कहने लगे कि संजीव का नेचर बहुत ही अच्छा है, वह मुझे बहुत ही ज्यादा मानता है लेकिन उसने किसी वजह से जल्दी रिटायरमेंट ले लिया इसलिए वह घर पर ही रहता है। sexsy kahani, sexy story in hindi, hindi sex story
मैंने अपने पिताजी से कहा मैं आपको कल फोन करती हूं, मुझे बहुत ज्यादा नींद आ रही है। मैं उस दिन सो गई और अगले दिन जब मैं संजीव अंकल से मिली तो वह मुझे पूछने लगे की तुम्हे किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत तो नहीं हुई, मैंने उन्हें कहा नहीं मुझे किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं हुई। वह मुझे कहने लगे चलो मैं तुम्हें आज शिमला घुमाता हूं, वह मुझे अपने साथ शिमला घुमाने ले गए। मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था, मैंने संजीव अंकल से कहा कि क्या आपको अपनी पत्नी की कभी याद नहीं आती, वह कहने लगे मुझे याद तो बहुत आती है लेकिन मैंने अपने आप को अकेले रहना ही सिखा लिया है इसलिए अब मुझे इस बात का फर्क नहीं पड़ता। उन्हें भी मेरे बारे में पता था इसलिए वह मुझसे पूछने लगे कि तुम्हारे और तुम्हारे पति के भी रिलेशन ठीक नहीं चल रहे हैं, मैंने उन्हें कहा कि हां हम दोनों के बीच में रिलेशन ठीक नहीं है।
जब हम लोग घूम कर वापस लौटे तो सजीव अंकल कहने लगे मैं तुम्हें अपना बेडरूम दिखाता हूं। वह मुझे अपने बेडरूम दिखाने लगे जब मैं उनसे साथ बैठी हुई थी तो उनका हाथ मेरी जांघ पर लग गया। मैंने अपने हाथ को उनकी जांघ पर रख दिया वह भी पूरा मूड में आ चुके थे और उन्होंने मुझे कसकर पकड़ लिया। अंकल ने जब मुझे अपनी बाहों में लिया तो मुझे अच्छा लगने लगा मैं भी उनसे चिपकने लगी। मैने संजीव अंकल से कहा कि आज आप मेरी इच्छा पूरी कर दो। उन्होंने जब अपने 9 इंच मोटे लंड को बाहर निकाला तो मैंने तुरंत उसे अपने मुंह में ले लिया और बड़े अच्छे से सकिंग करने लगी। मैंने उसे बहुत अच्छे से चूसा जिससे कि उनका लंड पानी छोड़ने लगा। उन्होंने मुझे नंगा किया तो संजीव अंकल कहने लगे तुम्हारी योनि टाइट है। जैसे ही मेरी योनि के अंदर उन्होंने अपनी उंगली को डाला तो मुझे अच्छा महसूस हुआ मुझसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था। मैनै अंकल से कहा आप अपने कड़क और मोटे लंड को मेरी योनि के अंदर डाल दो। जैसे ही मेरी योनि के अंदर उनका लंड प्रवेश हुआ तो मुझे बड़ा दर्द हुआ और मैं चिल्लाने लगी।
संजीव अंकल कहने लगे तुम्हारी चूत बिल्कुल मेरी पत्नी की योनि जैसी है। मैं उनका पूरा साथ देने लगी उन्होंने मुझे कसकर पकड़ लिया और तेज झटके देने लगे मुझे पूरा आनंद आ रहा था और संजीव अंकल भी कहने लगे कि मुझे तुम्हें चोदकर बड़ा मजा आ रहा था लेकिन कुछ झटकों के बाद जब उनका वीर्य मेरी योनि के अंदर गया तो मुझे बहुत ज्यादा अच्छा महसूस हुआ। मैंने अपनी योनि को साफ किया कुछ देर तक हम लोग ऐसे ही नंगे बैठे हुए थे लेकिन मेरा मन दोबारा से सेक्स करने का हो गया। मेरे अंकल के लंड को चूसते हुए दोबारा से खड़ा कर दिया और मैं उनके ऊपर बैठ गई। जैसे ही उनका लंड मेरी योनि में घुसा तो मुझे बड़ा अच्छा महसूस होने लगा। मैं बड़ी तेजी से अपनी चूतडो को हिलाने पर लगी हुई थी। जैसे ही मैं अपनी चूतडो को ऊपर नीचे करती तो मुझे अच्छा लगता। अंकल कहने लगे तुम और भी तेज तेज करो मैंने बड़ी तेज तेज अपनी चूतडो को हिलाना शुरू कर दिया जिससे कि संजवी अंकल की इच्छा भी पूरी हो रही थी और मेरी इच्छा भी पूरी होने लगी। हम दोनों की जिंदगी एक जैसी ही है उनके जीवन मे उनकी पत्नी की कमी है और मेरे जीवन में मेरे पति की कमी है इसीलिए हम दोनों एक दूसरे की जरूरतों को पूरा कर रहे थे। आधे घंटे तक ऐसे ही करने के बाद संजीव अंकल का गिरने वाला था। उन्होंने मुझे कहा कि तुम मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर ले लो। मैंने जैसे ही उनके लंड को अपने मुंह में लिया तो उनका वीर्य मेरे मुंह के अंदर गिर गया। मैं बहुत दिनों तक शिमला में रही संजीव अंकल के साथ मैंने अच्छे से सेक्स किया। मैं जब भी शिमला जाती हूं तो संजीव अंकल के साथ में सेक्स करती हू।