हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम पीयूष है और में सेक्स में बहुत रूचि रखता हूँ. आज में आप सभी को अपनी एक सच्ची घटना बताने जा रहा हूँ और जिसको पढ़कर आप सभी को बहुत जोश आएगा. दोस्तों में पीयूष दिल्ली का रहने वाला हूँ तो आज मैंने सोचा कि क्यों ना में भी अपना सच्चा सेक्स अनुभव आप लोगों को सुना दूँ, इसलिए में उस घटना को आप सभी के सामने आज लेकर आया हूँ.

दोस्तों में दिल्ली की एक बहुत बड़ी प्राईवेट कंपनी में काम करता हूँ और में इस कंपनी में पिछले दो साल से काम कर रहा हूँ और उसी ऑफिस में बहुत सारी लड़कियाँ भी काम करती है, लेकिन उनमे से एक है जो उन सबसे कुछ ज्यादा हटकर है, जिसका नाम शीतल है और उसके फिगर का साईज 34-26-33 है.

दोस्तों वो मुझे अक्सर लाईन दिया करती थी और में भी उसे बहुत पसंद किया करता था, लेकिन में कभी भी उससे अपने दिल की बात नहीं करता था, लेकिन वो बहुत सुंदर और एक अच्छे घर से थी तो इसलिए में उसे हमेशा जानबूझ कर अनदेखा किया करता था. एक दिन की बात है और देर रात को मुझे मेरे मोबाईल पर एक मैसेज मिला और उसे पढ़ने के बाद में मन ही मन सोचने लगा कि यह मैसेज किसका हो सकता है, लेकिन बहुत देर तक सोचने के बाद भी मुझे बिल्कुल भी समझ नहीं आ रहा था कि यह मैसेज किसका है? तो मैंने भी उसे एक मैसेज भेज दिया और उससे पूछा कि तुम कौन हो? अब उसने मुझसे कहा कि में तुम्हारी वही पुरानी दोस्त शीतल.

दोस्तों एक बार तो में उसकी यह बात सुनकर बहुत चकित हो गया, क्योंकि मुझे बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था कि में उसको अब क्या जवाब दूँ, लेकिन फिर मैंने ना जाने क्या सोचकर उससे बहुत सारी बातें की और हम बहुत ही कम समय में एक बहुत ही अच्छे दोस्त भी बन गये, क्योंकि में उसको मन ही मन बहुत प्यार करता था और शायद वो भी मुझे चाहती थी, लेकिन उसने कभी मुझे बताया नहीं था. दोस्तों उसके दो चार दिन तक हमारे बीच सब कुछ ठीकठाक चलता रहा, लेकिन अचानक से एक दिन उसने खुद मुझसे आगे बढ़कर कहा कि में तुमसे बहुत प्यार करती हूँ और वो दिन आ ही गया जब में भी उससे अपने दिल की बातें करने के बारे में सोचने लगा.

दोस्तों में उसके मुहं से यह बात सुनकर अचानक से बहुत चकित हो गया, मुझे बिल्कुल भी अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था, लेकिन मैंने भी कुछ देर बाद पूरे होश में आकर बहुत खुश होते हुए उससे ऐसे ही हाँ में भी तुमसे बहुत प्यार करता हूँ और तुम मुझे बहुत अच्छी लगी हो कह दिया. फिर हमारे बीच में एक दो दिन ऐसे ही सब कुछ चलता रहा, अब हम दोनों हर दिन अपने लंच टाईम पर छत पर मिलते और वहीं पर हम दोनों अपना लंच भी करते और वो मेरे लिए अपने घर से बहुत अच्छा अच्छा खाना लाने लगी और अब मुझे अपने हाथों से भी खिलाने लगी. फिर उसके आगे हमारी बात और भी आगे बड़ी और हमने एक दूसरे को किस करना भी शुरू कर दिया था. फिर एक दिन मैंने उसे कहीं बाहर मिलने को बोला और वो मेरी बात एक बार में मान गई.

वो रविवार का दिन था और उस दिन हम दोनों की छुट्टी भी थी और हम दोनों मेरे एक दोस्त के घर पर चले गये, वो वहां पर बिल्कुल अकेला रहता था और मैंने उसे पहले से ही अपनी गर्लफ्रेंड के बारे में सब कुछ समझा रखा था. फिर जब हम उसके घर पर पहुंचे तो उसने हमारा उसके घर पर स्वागत किया और फिर वो हमें बैठाकर पानी पिलाकर वहां से तुरंत बाहर चला गया. फिर शीतल ने मुझसे पूछा कि वो कहाँ गया? तो मैंने उससे बोल दिया कि उसे एक कम्पनी में किसी इंटरव्यू के लिए जाना है.

अब हम दोनों वहां पर अकेले बैठे रहे और बातें करते रहे, बातों ही बातों में हम सेक्स की बातों तक पहुंच गये और तब मुझे पता चला कि वो अभी तक वर्जिन है और मुझे उससे यह बात जानकर मन ही मन बहुत ख़ुशी थी कि अब कभी ना कभी उसकी चूत की सील मुझे ही तोड़नी है और मुझे उस भगवान ने इतनी सुंदर लड़की को चोदने का मौका दिया है.

फिर मैंने महसूस किया कि शीतल धीरे धीरे गरम हो रही थी, उसकी नजरों से मुझे आज साफ साफ पता चल रहा था कि वो आज मुझसे क्या चाहती है और इसलिए मैंने उस बात का फायदा उठाते हुए उसके होंठो पर एक अच्छे से किस किया और साथ में शीतल ने भी मेरा पूरा पूरा साथ दिया, करीब दस मिनट तक किस करने के बाद हम दोनों बहुत गरम हो गये थे. फिर मैंने उसके टॉप के ऊपर से ही उसके बूब्स को दबा दिया, लेकिन वो हिलने लगी और फिर वो मुझसे बोली कि अह्ह्ह्ह मुझे ब्रा चुभ रही है. दोस्तों उसके मुहं से यह सब सुनकर मैंने एक मिनट भी खराब ना करते हुए उसका वो टॉप उतार दिया.

दोस्तों उसके बाद मैंने क्या देखा, वो में आपको शब्दों में भी नहीं बता सकता कि वो उस गुलाबी रंग की डिज़ाईनिंग ब्रा में कितनी अच्छी और सेक्सी लग रही थी, इसके साथ साथ उसने मेरी टी-शर्ट को भी उतार दिया.

फिर मैंने उसको एक बार फिर से स्मूच किया और साथ साथ अपने एक हाथ से उसके बूब्स को ब्रा के ऊपर से दबाता, सहलाता रहा और जिसकी वजह से वो धीरे धीरे सिसकियाँ लेने लगी और मैंने अपने दूसरे हाथ से उसकी ब्रा को खोल दिया और मैंने जैसे ही उसकी ब्रा को बूब्स के ऊपर से हटाया तो मेरे उसके वो बड़े आकार के एकदम गोल बूब्स को देखकर होश ही उड़ गये और उसके ऊपर वो सेक्सी हल्के भूरे रंग की चमकती हुई निप्पल को देखकर में बिल्कुल पागल हो गया.

फिर मैंने बहुत जमकर उसके बूब्स को सक किया और वो अब पीछे नहीं हटी और वो मेरी जींस के ऊपर से ही मेरे लंड को हिलाने दबाने और लंड से खेलने लगी, उसकी इन हरकतों को देखकर में अब समझ गया था कि वो आज पूरी तरह मूड में है. फिर मैंने बिल्कुल भी टाईम खराब ना करते हुए सबसे पहले अपनी जींस को उतार दिया और फिर उसकी जींस को खोल दिया और उसने अपने कूल्हों को थोड़ा ऊपर करके मुझे अपनी जींस उतारने में साथ दिया और अब वो मेरे सामने पेंटी में थी और उसे देखकर में मन ही मन बहुत खुश था और मेरे अंदर बहुत जोश भरा हुआ था और फिर में भी उसके सामने बस अंडरवियर में था, अब हम दोनों अंडरवियर में एक दूसरे के सामने थे.

फिर वो मुझे देखकर स्माईल करने लगी और जैसे ही मैंने उसकी पेंटी की तरफ देखा तो उसकी पेंटी चूत के पास वाले हिस्से से पूरी गीली थी और मैंने अपने लंड को अंडरवियर से आज़ाद कर दिया और अब मैंने आहिस्ता आहिस्ता उसकी पेंटी को भी उतार दिया और वो तड़प उठी. फिर वो मुझसे बोली कि पीयूष प्लीज़ मुझे अब और मत तरसाओ, डाल दो ना इसे मेरे अंदर, प्लीज मुझे एक बार अपना वो डालकर उसका मजा दो और में उसे अपने अंदर लेकर महसूस करना चाहती हूँ, प्लीज पीयूष अब मुझे ऐसे क्या देखते हो जल्दी से करो ना?

फिर मैंने भी सबसे पहले उसे अच्छी तरह से हर एक जगह किस किया गालों पर, होंठो पर, गर्दन पर, बूब्स पर, नाभी पर, उसके बाद मैंने धीरे धीरे आगे बढ़ते हुए उसकी प्यासी, तड़पती हुई चूत को किस करना शुरू किया, लेकिन बहुत आराम आराम से जिसकी वजह से वो तड़प उठी और मचलने लगी. फिर मैंने उसकी उस साफ चूत में कभी ऊँगली तो कभी अपनी जीभ को अंदर करना शुरू किया, जिसकी वजह से वो जोश में आकर पूरे मूड में आने लगी.

फिर मैंने भी उसको मेरे लंड को किस करने के लिए कहा, लेकिन वो पहले थोड़ा नखरे करने लगी, क्योंकि उसने पहले कभी ऐसा नहीं किया था तो वो बोलने लगी कि यह गंदा है, में ऐसा नहीं करूंगी, लेकिन मेरे बहुत कहने और प्यार से समझाने पर मान गई. दोस्तों फिर उसके बाद उसने जो मेरे लंड को सक किया तो में अपनी पूरी ज़िंदगी भर उसे नहीं भूल सकता और ना ही उस अहसास को आपके सामने शब्दों में कह सकता हूँ कि मुझे उसके ऐसा करने पर कितना मजा आया?

वो थोड़ी थोड़ी देर में अपना मुहं हटाने की कोशिश करती, लेकिन में उसके सर को पकड़कर उसे चूसने पर मजबूर करता. फिर कुछ देर के बाद मैंने उसको बेड पर सीधा लेटाकर अपने लंड को उसकी चूत के मुहं पर रख दिया. मैंने बस थोड़ा सा धक्का देकर अंदर किया ही था कि उसकी चीख निकलने लगी, अहह्ह्हह्ह्ह्ह आईईईईइ पीयूष प्लीज इसे अब बाहर निकालो, उफफ्फ्फ्फ़ मुझे बहुत दर्द हो रहा है, लेकिन अब में उसके चीखने चिल्लाने और दर्द की परवाह ना करते हुए धीरे धीरे अपने लंड को और अंदर करने लगा और उसका मुहं बंद करने के लिए में उसे लगातार स्मूच करता रहा, जिससे उसकी बाहर आवाज़ ना निकल सके.

अब वो दर्द की वजह से रोने लगी और छटपटाने लगी, लेकिन में अपना चुदाई का काम लगातार करता रहा और मैंने धीरे धीरे करके अपना पूरा 6 इंच का लंच उसकी उस कुंवारी, प्यासी, तड़पती हुई चूत में पूरा अंदर डाल दिया तो ऊपर से वो रो रही थी और नीचे से मेरे ज़ोर के धक्को से उसकी उस चुदाई की वजह से उसकी चूत से खून भी निकल रहा था, लेकिन मैंने देखा कि कुछ देर बाद वो भी अब मेरा पूरा पूरा साथ देने लगी थी और वो मुझसे कह रही थी, आअहहाअ पीयूष दो और ज़ोर से धक्का दो पीयूष हाँ उह्ह्ह चोदो मुझे, अह्ह्ह्ह मेरे जानू. फिर मैंने भी उसको अब पूरे जोश में आकर धक्के देकर चोदना शुरू किया, उसने भी अपनी चूतड़ को उठाकर मेरे लंड को अंदर तक लेना शुरू किया और में करीब आधे घंटे तक उसको जमकर चोदता रहा.

फिर जैसे ही मेरा काम होने वाला था तो मैंने उसको बोला कि शीतल बेबी मेरा काम अब होने वाला है तो वो मुझसे बोलती है कि जानू छोड़ दो अपना माल मेरे ही अंदर और मैंने भी ठीक वैसे ही किया और करीब दो मिनट बाद वो भी झड़ गई. उसके बाद हम दोनों उस चुदाई से बहुत थक गये और जिसकी वजह से हम वहीं पर लेटे रहे और बस एक दूसरे के गरम, नंगे जिस्म के साथ खेलने लगे.

दोस्तों उस दिन हमने दो बार और सेक्स किया, लेकिन उसकी वो पहली चुदाई होने की वजह से उसकी हालत खराब हो गई और मैंने देखा कि उससे उठकर सीधे चला भी नहीं जा रहा था, लेकिन उसे उस दर्द की कोई परवाह नहीं थी, क्योंकि उसे तो मुझे जो सब चाहिए था वो सब मैंने उसे उसकी पहली चुदाई में दे दिया था और वो मेरी चुदाई से बहुत संतुष्ट नजर आ रही थी. दोस्तों उसके बाद भी मैंने उसको कई बार जमकर चोदा और उसने मुझे कभी मना नहीं किया और हमारी जरूरते एक दूसरे से पूरी होती रही.

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