सफाई कर्मचारी बिंदिया के अंदर की रंडी को जगाया

सेक्स एक ऐसी चीज है जिससे कभी किसी का पेट नहीं भरता एक ऐसी भूख जिसकी कोई सीमा नहीं उम्र नहीं और जिसे ज्यादा मिलता है उसकी बात अलग है लेकिन जिसकी लाइफ में ये सुख कम मिलता है उसे इसकी असली भूख पता होती है. ये कहानी कुछ ऐसी ही भूख की है जिसकी न कोई उम्र न ही कोई सीमा है बस अपने मोड़ पर अपने राग को गुनगुनाते हुए चलना आता है. उम्र ढलती हुई और चूत लंड लेने के लिए तरस्ती हुई! कुछ यही हालत थी बिंदिया की. एक बड़े अस्पताल के कचरा पोछा करने का काम था उसका. मेरी बीवी वही पर एडमिट थी अपनी सर्जरी के लिए. थर्ड फ्लोर के उपर एक एसी कमरे में रुके हुए थे. वाइफ को स्टिच थी और वो बेड में ही थी. बिंदिया की ड्यूटी मोर्निंग में करीब 9 बजे से शाम को 6 तक रहती थी.
वो पहनावे से ही गरीब लगती थी. कमर के ऊपर साडी बाँधी हुई और लटक मटक के जब वो पोछा करती थी तो क़यामत लगती थी. मैंने उसे एक दो बार नोटिस किया और पाया की उसकी आँखों में एक रंडी थी . वो मुझे देखती थी ये बात मुझसे छिपी नही. मैं समझ गया की वो एक ऐसी औरत थी जो सौख के लिए ये काम करती थी. और अगर उसक ऊपर थोड़ी महनत करो तो वो पैस ले के अपनी चूत दे सकती थी.
बिंदिया जब कमरे में झाड़ू वगेरह के लिए आती थी तब मैं अपने लंड को खुजाने लगा. मेरी वाइफ को केथटर लगा था इसलिए वो मूव नहीं करती थी. बिंदिया के आने के पहले मैं बाथरूम में जा के मुठ मारता था और वीर्य को वही रहने देता था.
एक दो बार वो वाशरूम साफ़ कर के आई तो उसने वीर्य देखा भी. फिर एक दिन मैंने निचे के मेडिकल से कंडोम का पेकेट लिया और उसे भी वाशरूम में ही रख दिया था.
बिंदिया जान गई की मैं ठरकी था! अगले दिन मेरी साली मेरी वाइफ को ले के कुछ टेस्ट के लिए गई थी. मैं वही कमरे में ही रुका हुआ था. करीब 12 बजे बिंदिया कमर मटकाती हुई कमरे में आई. मैंने उसे देखा और स्माइल दी. वो भी स्माइल कर रही थी. मैंने उसके साथ बातें चालु कर दी. मैं जानता था की वो भी चाहती थी चुदना.
वो जब बाथरूम में गई तो मैं उसके पीछे ला गया. वो तिरछी नजर से मुझे देख रही थी. जब वो बेसिन साफ़ कर रही थी तब मैं उसके पीछे खड़ा हो गया. मेरा लंड उसकी साडी के ऊपर गांड वाले हिस्से पर लग रहा था. वो कुछ नहीं बोली और मैंने लंड को थोडा और अन्दर किया. अब वो पीछे मूड के बोली, क्या कर रहे हो साहब?
मैं कहा, कुछ नहीं बस थोड़े मजे ले रहा हूँ.
वो बोली, मैं ऐसी नहीं हूँ साहब.
मैंने कहा मैं भी वैसा नहीं हूँ, बस तुम अच्छी लगी इसलिए.
वो कुछ नहीं बोली. मैंने उसकी कमर के ऊपर हाथ रख दिया. उसका बदन कांप रहा था. मैंने उसके बूब्स के हिस्से पर हाथ लगाया और वो पीछे हट गई. मैंने अपनी जेब से 500 के दो नोट निकाल के ऊसके हाथ में दे दिए. पैसे हाथ में आते ही वो अब वो सपोर्ट करने लगी थी. मैंने उसके बूब्स मसले जो एकदम कडक थे.
बिंदिया की सांस एकदम से तेज हो गइ थी. मैंने उसके हाथ को पकड़ के अपने लंड पर रख दिया. वो बोली, बाप रे काफी मोटा हैं आप का टी साहब.
मैंने कहा यहाँ कोई आ जाएगा, कोई जगह है तुम्हारे ध्यान में?
वो बोली, मैं खाली कमरे क्लीन करुँगी तब आप आ जाओ.
मैंने कहा, ठीक हैं. मेरी बीवी आ गई तो फिर मैं थोडा छिप के आऊंगा.
और वो मेरे लंड को दबा के चली गई.
और अच्छा हुआ की मैं भी सही टाइम पर उस से दूर हो गया. क्यूंकि हमारे अलग होने के एक मिनिट से भी कम समय में मेरी वाइफ और साली आ गए. साली लोग वाइफ को लिटा के बैठी. मैंने कहा आप लोग बैठो मैं फ्रूट वगेरह ले के आता हूँ. मन में तो बिंदिया के आम चूसने का और उसकी बड़ी तरबुच जैसी गांड चाटने का ही मन था. मैं बहार आया तो देखा तो बिंदिया मेन लॉबी में पोछा लगा रही थी.
मुझे देख के वो साइड में हुई. मैंने अपनी वाईफ के कमरे का दरवाजा बंद किया. और फिर मोबाइल निकाल के जूठ मुठ की बातें करने लगा. बिंदिया मुझे आँख मार के एक कमरे में घुसी. और वो अपने साथ पोछे की बाल्दी भी ले के ही घुसी थी. हम दोनों के अन्दर आते ही उसने दरवाजे की स्क्क्ल लगा दी. मैंने उसके मम्मे दबाये और वो मेरे लंड को पकड के दबाने लगी. उसने कहा साहब आपकी की वाइफ को क्या हुआ हैं?
मैंने कहा उसके अंडेदानी की थैली की सर्जरी हुई हैं, अब वो बात छोडो और जल्दी से अपनी साडी को ऊपर कर. दोस्तों आप ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पे पढ़ रहे है।
मैं ये बात अच्छी तरह से जानता था की ऐसे हॉस्पिटल में सेक्स करना खतरे से खाली नहीं था. इसलिए कोई चूसन वगेरह की जरूरत नहीं लगी मुझे. बिंदिया ने अपनी साडी को ऊपर किया. अन्दर एक नॉन ब्रांडेड सस्ती सी पेंटी थी. मैंने उसे निचे किया. बिंदिया की गांड को हाथ से पकड़ के मैंने उसकी चूत का मुख देखा. और फिर अपने लंड को वहां लगा दिया. बिंदिया ने अपने हाथ से मेरे लंड को चूत के होल पर रख दिया. मैंने आगे हाथ कर के उसके मम्मे दबाये और एक जोर के धक्के में पुरे लंड को उसकी चूत में घुसा दिया.
उसकी चूत एकदम गीली और पिचपिची थी. वो अह्ह्ह कर उठी. मैंने उसके मम्मे खूब मसले और फिर वो भी गांड हिलाने लगी. मैंने कहा, तेरी चूत तो कमाल की हैं बिंदिया.
वो बोली, साहब आप का लौड़ा भी कमाल का हथियार हैं.
अब हम दोनों के बदन एक दुसरे को प्यार दे रहे थे. वो बड़ी मस्ती से गांड को हिला हिला के मुझे सुख दे रही थी. और मैं उसके मम्मे मसल के उसकी चूत को टटोल रहा था.
पांच मिनिट की मस्त फकिंग के बाद मेरा पानी उसकी बुर में चूत गया. उसने फटाक से लंड बहार कर के अपनी पेंटी और साडी को सही कर लिया. मेरा लंड भी बहुत दिनों के बाद मिली सेक्स की खुराक से खुश हो गया था. और मुझे आज बहुत लम्बे अर्से के बाद चुदाई का आनंद मिला था. पहले मैंने कमरे से बहार आ गया. और बिंदिया वही रह गई सफाई के लिए.
फिर मैं निचे चला गया वाइफ के लिए फ्रूट लेने के लिए!!!