हैल्लो दोस्तों.. मेरा नाम पुष्पेन्द्र है और मेरी उम्र 18 साल। दोस्तों यह कहानी तब की है जब मेरे पिताजी के तबादले की वजह से हम पटना के एक गावं में रहने चले आए। वो एक पुलिस इस्पेक्टर थे और हमारे घर में.. में, आरती (मेरी बहन 8 महीने की ) पापा और माँ रहते थे। पापा को उस गावं के बारे में कुछ जानकारी नहीं थी। उस गावं में एक सरपंच था जो कि बहुत ही भयानक और कमीना इंसान था और गावं के सभी लोग उससे बहुत डरते थे और यहाँ के पुलिस इस्पेक्टर भी। उस सरपंच के दो भाई थे और पूरे गावं में उन्ही का राज चलता था.. लेकिन पिताजी को इसके बारे में कुछ पता नहीं था। फिर एक दिन गावं में सरपंच एक मजदूर को बेरहमी से मार रहा था और उसकी पत्नी पुलिस में रिपोट देने के लिए चली आई और उस समय इस्पेक्टर साहब शहर गये हुए थे.. इसलिए पिताजी को आगे बड़ना पड़ा और पिताजी ने तुरंत जाकर उस सरपंच को गिरफ्तार कर लिया और थाने में लाकर डाल दिया.. लेकिन पिताजी को उसके अंजाम के बारे में कुछ पता नहीं था और जब इस्पेक्टर शहर से लौटकर आए तब सरपंच को थाने में देखकर बहुत डर गये और तुरंत जाकर थाने का दरवाजा खोल दिया और पिताजी को उनसे माफी माँग ने के लिए कहा।
पिता जी कुछ समझ नहीं पाए और इसी बीच सरपंच ने बाहर आकर गुस्से में इस्पेक्टर की बंदूक छीनकर पिताजी को शूट कर दिया और वो गोली पिताजी की जाँघ पर लगी और वो बेहोश हो गये। फिर उनकी आँखे अस्पताल में खुली.. तब एक हवलदार ने पिताजी को बताया कि वो सरपंच पिताजी के ऊपर बहुत गुस्सा है वो उनको छोड़ेगा नहीं और उसने बताया कि एक बार ऐसे ही एक पुलिस ऑफीसर ने उसे गिरफ्तार किया था। तब उसने गुस्से में उस इस्पेक्टर को मार दिया और उसकी बीवी को गावं की वेश्या (रंडी) बना दिया.. जिसे आज तक गावं के लोग चोद रहे है.. भगवान ना करे कि उनका हाल भी ऐसा ही हो। तो यह बात सुनकर पिताजी बहुत डर गए और गोली लगने की वजह से पिताजी चल नहीं पाते थे और उनको पहिए वाली कुर्सी का सहारा लेना पड़ा। इसी बीच एक दिन सरपंच उसके भाई के साथ चाकू और तलवार हमारे लेकर घर पर आया और यह देखकर हम बहुत डर गये। फिर सरपंच ने बोला कि पिताजी ने जो ग़लती की है उसे उसकी सज़ा भुगतनी पड़ेगी और उसने बोला कि हम सब को उसकी हवेली में जाकर रहना होगा।
तो पिताजी उसकी तलवार और छुरा देखकर डर गए थे और उसकी बातों को मान गये। फिर पिताजी, में, मेरी बहन और माँ उनकी हवेली में रहने के लिए चले गए.. हवेली में जाने के बाद वो पिताजी से बोला कि तुम्हारी सज़ा यह है कि तुम्हारी बीवी एक महीने के लिए हमारी होगी और हम तीनो भाई उससे शादी करेंगे और उसके साथ सुहागरात मनाएँगे.. लेकिन अगर तुम्हारी पत्नी ने यह बात नहीं मानी तो अंजाम कुछ भी हो सकता है। फिर यह बात सुनकर पिता जी और माँ बहुत डर गये.. लेकिन पिताजी बहुत लाचार थे और उनके पास उसकी बात मानने के सिवाए और कोई चारा भी नहीं था। तो उसके बाद उस रात को सरपंच ने माँ से शादी कर ली.. माँ को और पिता जी को बहुत बुरा लग रहा था.. लेकिन डर की वजह से वो चुप थे। फिर शादी के खत्म होने के बाद सरपंच ने पिताजी को बोला कि आज से यह मेरी बीवी है और अगले दस दिनों तक में इसकी चूत और गदराए जिस्म का मज़ा लूँगा और वो ज़ोर ज़ोर से हंसने लगा। तो पिताजी अपना मुहं नीचे करके खड़े थे और वो कुछ भी नहीं बोल पा रहे थे और उसके बाद सरपंच ने माँ के कंधे पर हाथ रखा और उनको अपने बेडरूम में ले गया और दरवाजा बंद कर दिया। पापा मेरी बहन को लेकर एक कमरे में चले गये.. लेकिन में ऊपर की तरफ जाने लगा। तभी मैंने देखा कि एक ऊपर की एक खिड़की से सरपंच का बेडरूम पूरा साफ साफ दिख रह है.. में ज्यादा कुछ समझता नहीं था.. इसलिए कुछ ना समझकर वहाँ पर बैठकर बेडरूम को देखने लगा। तभी मैंने देखा कि सरपंच एक दारू की बोतल खोलकर पीने लगा और माँ वहीं पर खड़ी थी.. दारू पीने के बाद उसने माँ से बोला कि अगले दस दिनों तक तू मेरी रंडी बनकर रहेगी और अगर तूने ज़रा सा भी हिचकिचाया तो फिर देख लेना और माँ यह बात सुनकर ज़ोर ज़ोर से रोने लगी।
तभी सरपंच ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और बिल्कुल नंगा हो गया.. उसका काला, लम्बा लंड मुझे साफ दिख रहा था और उसके बाद वो माँ की साड़ी को उतारने लगा और माँ मुहं नीचे करके खड़ी थी। फिर उसके बाद उसने माँ के पेट पर हाथ घुमाया और ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा। फिर उसने माँ के ब्लाउज को फाड़ दिया और ब्रा को ज़ोर से खींचकर निकाल दिया और फिर उसने माँ की ब्रा और पेंटी को भी निकाल दिया। अब माँ उसके सामने नंगी खड़ी थी और माँ का पूरा नंगा बदन देखकर वो शराबी पूरा पागल हो गया और वो नशे में आकर माँ के बूब्स और गांड को ज़ोर ज़ोर से थप्पड़ मारने लगा और माँ को पकड़कर बिस्तर पर फेंक दिया। फिर उसने बोला कि आओ मेरी प्रियतमा मुझे अपनी बाहों में ले लो में तुम्हारा बदन चूसने के लिए बेकरार हूँ और फिर वो माँ की चूत को पागलों की तरह चाटता रहा और उसके बाद उसने माँ के बूब्स को अपनी उँगलियों से सहलाने, मसलने लगा.. माँ को बहुत दर्द हो रहा था.. लेकिन वो कुछ बोल नहीं पा रही थी।
फिर उसने बोला कि रंडी आज में तेरी चूत में ऐसे चोदूंगा कि तू जिन्दगी भर याद रखेगी और यह बोलकर उसने माँ के दोनों पैरों को फैला दिया और चूत पर लंड टिकाकर एक ज़ोर का धक्का मारा लंड चूत की गहराइयों में चला गया और वो पागलों की तरह ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर चोदने लगा और में यह सब ऊपर खिड़की से देख रहा देख रहा था। फिर उसने रात भर मेरी माँ की चुदाई की.. लेकिन माँ रात भर रोती रही। जब सुबह हुई तब आरती रोने लगी उसे माँ के दूध की ज़रूरत थी इसलिए पापा को मजबूरी में माँ के पास जाना पड़ा और पापा ने ऊपर जाकर बेडरूम का दरवाजा खटखटाया माँ जाग रही थी.. लेकिन उनकी दरवाजा खोलने की हिम्मत नहीं थी और आवाज की वजह से सरपंच उठ गया और उसने माँ को दरवाजा खोलने के लिए कहा.. माँ बिल्कुल नंगी पड़ी थी और सरपंच की आवाज़ सुनकर वो अपनी साड़ी को उठाकर दरवाजा खोलने के लिए चली गयी। फिर सरपंच ने माँ को बोला कि रंडी तुझे साड़ी पहनने की ज़रूरत नहीं है.. जब में तुझे एक बार चोद चुका हूँ तो फिर तुझे सारी हवेली के लोग चोदेगे वैसे ही नंगी होकर दरवाजा खोल।
तो माँ ने बहुत डरकर साड़ी उतार दी और नंगी होकर दरवाजा खोला.. पापा ने माँ को नंगी देखकर अपने मुहं को नीचे कर लिया और सरपंच से बोला कि आरती को माँ के दूध की ज़रूरत है क्या आप थोड़ी देर के लिए उसे मेरे साथ भेज देंगे? तो यह बात सुनकर सरपंच ने बोला कि अरे यह बात तो में भूल ही गया था कि इस रंडी के बूब्स से दूध भी निकलता है.. रंडी इधर आ पहले में तेरे बूब्स को दबाकर सारा रस पीऊंगा और उसके बाद तेरा बच्चा पीएगा। तो सरपंच की आवाज़ सुनकर माँ वहाँ से बेड के पास चली गई और सरपंच ने माँ को बाहों में जकड़कर बूब्स पर अपना सर रखकर बोला कि रंडी जैसे तू अपनी बेटी को दूध पिलाती है वैसे ही मुझे पिलाना.. लेकिन तूने थोड़ी सी भी गड़बड़ी की तो आज के बाद तू अपनी बेटी को कभी भी दूध नहीं पिला पाएगी। फिर यह बात सुनकर माँ ने सरपंच के सर को अपनी एक निप्पल पर रख दिया और उसके हाथों को अपने दूसरे बूब्स पर रख दिया और उसका सर सहलाने लगी। सरपंच पागलों की तरह मेरी माँ के बूब्स को निचोड़ रहा था और दूसरे हाथ से अपने बड़े बड़े नाखूनो से माँ के दूसरे बूब्स को खरोंच रहा था और ऐसे ही दूसरे दिन तक उसने मेरी माँ को कुत्ते की तरह चोदा। फिर मेरी माँ की शादी उसके दूसरे और तीसरे भाई से करवा दी और उन दोनों ने भी माँ को दस दस दिन तक चोदा।
इसी बीच एक महीना हो गया.. लेकिन उन्होंने हमे वहाँ से नहीं आने दिया। उसके घर पर आए सभी मेहमान भी माँ की चूत चोद कर जाते थे। अब उसने माँ को कुछ भी पहनने के लिए मना कर दिया और उसने माँ को नंगी रहने के लिए बोला और जब गावं में कोई सभा होती थी तब वो माँ को नंगी करके उस सभा में खड़ी किया करता और जो आदमी उसे अच्छा लगता.. वो उससे सभा में ही माँ को चुदवाता था और मेरी माँ उस गावं में एक वेश्या बन गयी थी। वो माँ को अपने दोस्तों के घर पर दावत के लिए भेजता था और यह सब देखकर पापा समझ गये थे कि माँ का वहाँ से निकल पाना बहुत मुश्किल है इसलिए एक दिन वो मुझे, मेरी माँ और आरती को वहाँ से लेकर भाग आए। आज हम उस गावं से बहुत दूर है और इस घटना को भुलाकर ख़ुशी ख़ुशी अपनी जिन्दगी जी रहे है ।।