मेरा नाम मोहित है.. मैं इंजीनियरिंग का छात्र हूँ.. मेरी उम्र 22 साल है। मेरे लंड का साइज औसत है.. शरीर से थोड़ा हट्टा-कट्टा हूँ.. जैसा कि लड़कियों को पसन्द होते हैं।
मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ मुझे अन्तर्वासना की कहानियाँ बहुत पसन्द हैं.. तो मैंने सोचा कि मैं भी अपनी कहानी आप सब से साझा करूँ।
यह बात उस समय की है.. जब मैं बारहवीं में पढ़ता था।
मेरे पड़ोस में एक सिख परिवार था।
उनके परिवार में नीतू आंटी.. लकी अंकल.. उनका बेटा हैप्पी और एक सेक्सी बेटी गुरविन्दर थे।
गुरविन्दर बहुत सेक्सी थी।
उसके मादक जिस्म का कटाव 36-24-36 वाला किसी सांचे में ढला हुआ था।
उसका रंग किसी अंग्रेजन की तरह एकदम गोरा.. वो हमेशा ऐसी ब्रा पहनती थी कि उसके चूचे मिसाईल की तरह लंड पर वार करते थे।
मैं हमेशा से ही उसके चूचों को देखने की ताक में रहता था और जब कभी उसकी ब्रा के थोड़े से भी दर्शन हो जाते.. तो मेरा लंड उसकी जवानी को सलामी देने लगता था।
मैं हमेशा सोते वक्त उसको चोदने के सपने देख कर मुठ मारा करता था।
यह सोच कर कि कभी तो मालिक मेरे प्यासे लंड के बारे में भी सोचेगा.. मैं अपना लंड सहलाता रहता था।
वो दिन आ ही गया 12 वें महीने की 18 तारीख को नीतू आंटी के भाई के लड़के की शादी थी.. लेकिन गुरविन्दर के प्री-बोर्ड के पेपर होने के कारण वो नहीं जा सकती थी.. तो आंटी ने मुझे रात को उनके घर सोने के लिए बोला।
मेरे दिल की मुराद पूरी होती दिख रही थी तो मैंने झट से ‘हाँ’ कर दी।
आख़िर वो समय आ ही गया.. अंकल आंटी और हैप्पी शादी में चले गए।
मैं शाम को स्कूल से आते ही सोचने लगा कि गुरविन्दर की जवानी के मजे कैसे लूँ…
मैंने अपने एक दोस्त से ब्लू-फिल्म की सीडी मँगवाई।
उसके घर जाते ही मैंने वो सीडी उनकी बाकी सीडी के बीच में रख दी।
घर पहुँचते ही हम दोनों बातें करने लगे.. थोड़ी देर बात करने के बाद मैंने उसको कहा- चलो मूवी देखते हैं।
तो वो मना करने लगी.. कहने लगी- मैंने सब देख रखी हैं।
मैंने कहा- कल हैप्पी को मैंने सीडी की दुकान पर देखा था.. इन सीडी में देखो.. क्या पता वो कोई नई मूवी लाया हो…
तो वो तैयार हो गई.. वो फ्रिज में से कोल्ड ड्रिंक ले आई और सीडी देखने लगी।
पहले उसने अपनी मन पसन्द मूवी ‘कैरी ऑन जटा’ देखी.. वो बहुत ही हंसी-मजाक की मूवी थी।
उसके बाद भी हम दोनों को नींद नहीं आ रही थी तो मैंने कहा- कोई और मूवी लगाओ।
तो वो और सीडी देखने लगी और आख़िरकार अब उसके हाथ में वो ब्लू-फिल्म की सीडी आ गई थी.. जो मैं लाया था।
मैंने उसको कहा- मैं टॉयलेट जा कर आता हूँ.. मैं उसको वो फिल्म देख कर गरम होने का वक्त देना चाहता था।
मैंने जल्दी से टॉयलेट से फ्री हुआ और छुप कर उसको देखने लगा।
फिल्म शुरू होते ही वो चौंक गई कि यह कैसी मूवी है…
बाद में उसने सब तरफ देखा.. शायद वो मुझे देख रही थी कि मैं उसको देख तो नहीं रहा.. फिर वो मूवी देखने लगी।
धीरे-धीरे उसकी आँखों में नशा सा आने लगा..
उसका हाथ खुद उसकी पैन्टी में घुस गया और वो शायद अपनी चूत में ऊँगली कर रही थी।
मैं उसको देख रहा था और सही मौके का इंतजार कर रहा था।
उसको इतना मजा आ रहा था कि उसको ध्यान ही नहीं रहा कि मैं घर में हूँ।
उसने अपनी टॉप और ब्रा ऊपर करके अपने चूचों को दबाने लगी और सिसकारियाँ भरने लगी आअह.. आह.. आह.. हा…’ की आवाजें उसके मुँह से निकल रही थीं।
मैंने मौके का फायदा उठाया और चुपके से उसके पीछे जा कर खड़ा हो गया। फिर मैंने उसको कहा- गुरविन्दर क्या कर रही हो?
वो चौंक गई और अपनी शर्ट नीचे करने लगी। मैं उसके पास जाकर बैठ गया और उसको बोला- क्या हुआ.. रुक क्यों गई?
उसने कुछ जबाव नहीं दिया.. वो बहुत डर गई थी। मैंने उसका हाथ पकड़ कर कहा- घबराओ मत.. मैं किसी को नहीं कहूँगा और मैं तुम्हारा हम-उम्र हूँ.. मैं समझता हूँ कि इस उम्र में ऐसा होता है.. करता है दिल ऐसे करने का…
अब मेरी दिलासा पूर्ण बातों से वो थोड़ी शांत हुई.. मैंने रिमोट उठा कर मूवी की आवाज़ बढ़ा दी और उसका हाथ पकड़ लिया।
अब हम दोनों मूवी देखने लगे।
वो फिर से गरम होने लगी.. उसकी आँखों में नशा सा छाने लगा।
मैंने उसका हाथ छोड़ दिया वो और गरम होने लगी और मेरा भी लंड उसकी जवानी को सलामी देने लगा।
उसके हाथ फिर से.. खुद के चूचों की तरफ जाने लगे। मुझे अब वो जन्नत दिखी.. जिसको देखने की मैं बरसों से कोशिश कर रहा था।
मैं अपने ऊपर कंट्रोल नहीं कर पाया और मैंने उसके चूचों के चूचुकों को छेड़ा और एक को अपने मुँह में ले लिया।
वो मस्त निगाहों से मेरी आँखों में देखने लगी.. मैं उसके चूचुक को चूसने लगा… वो चौंक गई.. लेकिन मैंने उसकी परवाह ना करते हुए अपना काम चालू रखा।
थोड़ी देर बाद उसको मजा आने लगा वो अब सिसकारी ले रही थी.. लंबी-लंबी साँसें ले रही थी।
मैं समझ गया कि अब वो मना करने की हालत में नहीं है।
मैंने उसके दूसरे चूचे को भी दबाना शुरू किया।
अब वो अपनी शर्ट ऊपर करके मेरा साथ देने लगी.. वासना के मारे अपना सर इधर-उधर करने लगी।
वो उत्तेजनावश अपने होंठों को अपने दाँतों के नीचे दबाने लगी।
मैं धीरे-धीरे नीचे आने लगा और उसके पेट पर चुम्बन करने लगा।
अब वो मेरे बालों में हाथ फेर रही थी मैं अब उसके होंठों पर चुम्बन करने लगा.. वो पागलों की तरह मेरे होंठों को चूस रही थी।
मैंने उसके कन्धों पर चुम्बन करके उसको मदहोश कर दिया.. उसके मुँह से सिर्फ़ ‘आह.. ओह.. हा.. हा..’ की सिसकारियाँ निकल रही थीं।
मैंने उसकी शर्ट निकाल कर फेंक दी और उसकी मुसम्मियों को चूसने लगा।
वो मेरा साथ दे रही थी.. मैंने उसका लोवर उतारने के लिए पकड़ा उसने भी गाण्ड उठा कर मेरा साथ दिया और मैंने उसका लोवर उतार फेंका।
वो दिन मेरी जिंदगी का बहुत कीमती दिन था। जिसको देख कर मेरा लंड सलामी देता था.. वो आज नंगी मेरे सामने थी।
मैंने उसकी जाँघों को चूमा.. तो वो सिहर उठी… फिर मैंने उसकी पैन्टी उतार दी।
हय.. मेरे सामने तो जन्नत नंगी खड़ी थी.. मैं तो जैसे सपना देख रहा था कि वो मेरे सामने नंगी खड़ी है।
मैं उसको पागलों की तरह चूम-चाट रहा था.. वो भी मेरा साथ दे रही थी।
अब मैंने उसकी टाँगें फैला दीं और उसकी चूत के बिल्कुल सामने आ गया।
क्या मस्त चूत थी उसकी.. एकदम गुलाबी.. उसकी चूत पे एक भी बाल नहीं था.. शायद उसी दिन साफ़ की होगी।
मैंने उसकी चूत के दाने पर जीभ रखी वो सिहर गई.. उसने मेरे बाल पकड़ लिए।
मैंने उसकी चूत के दाने को जीभ से चाटना शुरू किया वो सीत्कारियाँ ले रही थी।
‘आह ओह हहहहहहह.. आह.. उह हाय.. उह उफ़…’ उसके मुँह से मादक ध्वनियाँ निकल रही थीं।
हय.. क्या स्वाद था.. उसकी चूत का.. प्री-कम की बूँदों ने उसकी जवान कुँवारी चूत का स्वाद.. मस्त मदहोश करने वाला बना दिया था।
मैं पागलों की तरह उसकी चूत को चूसे जा रहा था और उसके चूचों को दबा रहा था।
मुझे पता भी नहीं लगा कि कब वो झड़ गई.. उसने मेरा मुँह अपनी चूत से हटा दिया।
मैंने उसके मुँह पर देखा जैसे वो इस परम आनन्द के लिए मुझे धन्यवाद कर रही थी।
लेकिन मेरा अभी कुछ नहीं हुआ था.. मैंने फिर उसके होंठ चूसना शुरू कर दिए और चूचों को सहलाने लगा।
उसकी चूचियों को मुँह में लेकर चूसने लगा.. थोड़ी देर बाद वो फिर से उस पुराने जोश के साथ मेरा साथ देने लगी।
मैं समझ गया कि अब माल तैयार है।
अब मैंने फिर उसकी टाँगों को फैलाया और उसकी चूत के सामने आ गया।
उसकी चूत के दाने पर अपना लंड लगाया.. वो सिहर उठी।
मैं अपना लंड उसकी चूत के दाने पर रगड़ता रहा.. मैं उसको इस हद तक तड़पाना चाहता था ताकि वो खुद कहे कि अन्दर डालो…
वो बस लंड के अन्दर जाने का इंतजार करते हुए सिसकारियां ले रही थी।
उसके मुँह से ‘सी.. सी.. सी..उह..’ की आवाजें निकल रही थीं।
तभी उसके सब्र का बाँध टूटा और उसने बोला- करो भी.. अब क्यों तड़फा रहे हो…
मुझे तो इसी पल का इंतजार था.. मैंने उसकी चूत के होंठों पर अपने लंड का सुपारा लगाया और झटके से अन्दर करने की कोशिश की.. उसकी चीख निकल गई।
जबकि लंड तो केवल नाम मात्र का ही उसकी चूत में गया था।
मैंने उसके होंठ चूसने शुरू किए ताकि उसको दर्द का अहसास कम हो।
मैंने एक और झटका मारा लेकिन फिर भी लंड थोड़ा सा ही अन्दर गया।
अब मैं उठा और रसोई से सरसों का तेल लाया और उसकी चूत पर और अपने लौड़े पर लगा लिया।
अब फिर सुपारा उसकी चूत पर रख कर झटका मारा.. तो लंड उसकी चूत में थोड़ा घुसा.. पर वो छटपटाने लगी।
मैंने उसके होंठों पर चुम्बन करना शुरू दिया जिससे उसका दर्द कम हुआ।
फिर मैंने उसके जोश को बढ़ाने के लिए उसके कन्धों पर चुम्बन करना शुरू किया।
अब उसका दर्द कम होने लगा और वो फिर गाण्ड उठा कर मेरा साथ देने लगी।
मैंने उतना ही लंड अन्दर-बाहर करना शुरू किया.. फिर उसके होंठों पर चुम्बन करते हुए अचानक ही मैंने एक और ज़ोर का झटका मारा और इस बार मेरा लंड आधे से ज्यादा उसकी चूत में घुस गया था।
मेरे होंठ उसके होंठों पर चिपके होने के कारण वो चीख नहीं पाई.. बस सर इधर-उधर करके दर्द को सहती रही।
मैंने उसके चूचुकों को चूस-चूस कर उसको मजा दिया ताकि उसका दर्द कम हो जाए।
थोड़ी देर बाद होंठों और चूचुकों की चुसाई के बाद उसका दर्द कम होने पर.. वो गाण्ड हिला-हिला कर मेरा साथ देने लगी और मैंने फिर उतना ही लंड आगे-पीछे करना शुरू किया।
अब उसको बहुत मजा आ रहा था.. वो अपनी कमर उठा-उठा कर लंड को अन्दर लेने की कोशिश कर रही थी।
मैंने फिर एक ज़ोर के झटके के साथ पूरा लंड उसकी चूत में ठेल दिया।
उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं।
शायद उसकी सील टूट गई थी.. मैंने फिर से उसके चूचों को सहला कर और होंठ चूस कर चूचुकों को चूस कर उसका ध्यान बंटाने की कोशिश की।
मैं नहीं चाहता था कि वो अपनी चूत से निकलते हुए खून को देख कर घबरा कर सारा मजा खराब करे।
मेरी कोशिश कामयाब हुई.. वो फिर मजे में आकर गाण्ड हिलाने लगी। अब मैं धीरे-धीरे लंड उसकी चूत के अन्दर-बाहर कर रहा था।
उसके मुँह से ‘सी सी..सीईईई.. आहह आहह.. उहह..’ निकल रहा था।
मैंने अपनी रफ़्तार थोड़ी बढ़ाई उसको और मजा आने लगा।
अब उसके मुँह से निकल रहा था ‘चोदो और चोदो.. ज़ोर से.. और ज़ोर से चोदो.. फाड़ दे मेरी चूत को..’
उसके मुँह से यह सब सुनकर मैं हैरान था।
मैं और रफ़्तार से उसको चोदने लगा और साथ ही उसके चूचों को पागलों की तरह चूसने लगा।
मैंने उसके चूचों पर दाँत मार दिए उसने हँस कर मेरे गाल पर प्यार से मार कर इसका जबाव दिया और कहा- आराम से खाओ.. तुम्हारे ही हैं।
मैं और जोश में आ गया।
वो अब तक दो बार झड़ चुकी थी, मैं उसको चोदे जा रहा था।
उसके मुँह से ‘आ.. आहह ओह हा हा और चोदो.. और चोदो.. फाड़ दो मेरी और ज़ोर से.. हाँ हाँ.. और ज़ोर से..’ निकल रहा था।
उसकी आवाज़ में तेज़ी आ गई और एक बार फिर उसका शरीर अकड़ने लगा और वो चौथी बार झड़ गई।
उसने मुझे कस कर गले से लगा लिया पर मेरे लंड का काम नीचे चालू था.. वो उसकी चूत को चोदे जा रहा था।
कुल आधे घंटे की चुदाई के बाद मैं भी झड़ने की कगार पर था।
मैंने उसको पूछा- अन्दर छोड़ दूँ क्या?
उसने कहा- मुझे तुम्हारे लंड का पानी पीना है।
मैंने लंड उसकी चूत से बाहर निकाला और उसके मुँह में डाल कर उसके मुँह के अन्दर ही माल छोड़ने की तैयारी में था।
मैं अभी भी उसके चूचों को दबा रहा था।
फिर मेरा शरीर अकड़ने लगा और मैं उसके मुँह मे झड़ गया।
उसके बाद हम दोनों लिपट गए और निढाल होकर चिपक कर लेट गए।
उस रात हमने 3 बार चुदाई की और उसके बाद अब जब भी मौका मिलता है.. हम दोनों खुल कर चुदाई करते हैं।
दोस्तो, कैसे लगी आपको मेरी सुहानी रात की कहानी..